Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 04:50 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
फिर सुनील और विजय की बात होती है ...क्यूंकी विजय ने अपना राज़ सुनील को बताया था...सुनील भी रूबी के बारे में सब बता देता है .....

सारी बात सुनने के बाद विजय ...फिर रूबी की शादी के बारे में बात करता है विमल के साथ और ये वचन देता है कि रूबी ता जिंदगी विमल के साथ खुश रहेगी ...लेकिन इनकी शादी में जल्दबाज़ी नही करेंगे ...ताकि विमल को वक़्त मिल जाए रूबी के दिल में एक छाप छोड़ने के लिए और रूबी उसपे भरोसा कर सके....

विजय और विमल के डॅड दोनो का एक ऑफीस देल्ही में भी था और दोनो का ही एक फ्लॅट देल्ही में था....

सुनील ...कविता के मन की हालत बताता है .
विजय उसकी परेशानी समझ ये रास्ता बताता है कि शादी के बाद दो दिन कविता उनके साथ मुंबई रहेगी फिर वो हनिमून पे जाएँगे और वहाँ से सीधा देल्ही अपने फ्लॅट पे जाएँगे ...राजेश देल्ही के ऑफीस को देखेगा ....और कविता अपने परिवार से जब चाहे मिल पाएगी ....

और विमल भी देल्ही आ जाएगा ...ताकि दोनो की मुलाक़ातें अक्सर हों और एक दूसरे को अच्छी तरहा समझ पाएँ ....

सुनील विजय का जाने कितनी बार शुक्रिया करता है और विजय मजाकिया नाराज़गी में उसे डाँट भी देता है ...वो कोई उपकार नही कर रहा था...अपने परिवार की खुशी के लिए कर रहा था क्यूंकी अब सुनील को वो बेटे की तरहा ही समझता था.

दोनो को लगभग दो घंटे लग जाते हैं...फिर सुनील इज़ाज़त ले कर अपने कमरे में चला जाता है......

विजय का नेचर उसके बात करने का तरीका , उसका सबके लिए परवाह करना ....सुनील को विजय के करीब लेता जा रहा था ...एक कमी जो उसे खलती थी ...वो शायद धीरे धीरे पूरी हो रही थी ...

सुनील जब अपने कमरे पे पहुँचा तो उसने विमल को बाहर टहलते हुए पाया ...

सुनील ...अरे विमल बाहर क्यूँ टहल रहे हो ...चलो अंदर चलो...

विमल ...नही भाई ..बस यही पता करने आया था कि रूबी ठीक तो है ना ....

सुनील ...हां ठीक है बस बेवकूफ़ डिप्रेशन में ये कदम उठा बैठी ...

विमल एक चैन की साँस लेता है .....अच्छा भाई चलता हूँ...

सुनील...जिसकी जान बचाई उसे एक बार मिल तो लो....

विमल ...नही भाई ...वो ठीक है बस यही पता करना था ....अच्छा वो राजेश मेरा इंतेज़ार कर रहा होगा ....विमल चला जाता है

सुनील नॉक कर दरवाजा खुलवता है ...पूरा परिवार वहीं जमा था ...मिनी और रमण भी आ चुके थे ...रूबी बेड रूम में बैठी हुई थी ...वो रमण की शकल नही देखना चाहती थी ...रमण बहुत उदास था ...वो बस इंतेज़ार कर रहा था ...कविता की शादी का ...शायद उसने कुछ सोच लिया था.....क्या ..ये तो वक़्त ही बताएगा.

ब्रेकफास्ट वहीं मँगवाया जाता है .....सुनील को बहुत गुस्सा चढ़ा हुआ था रमण पे ....आख़िर उसी की वजह से आज रूबी की ये हालत थी ... रूबी अंदर ही ब्रेकफास्ट करने को बोलती है तो रमण मिनी को ले कर चला जाता है ....
उसके जाने के बाद ही रूबी कमरे से बाहर निकली और सीधा सुनील के गले लग जाती है ...

सुनील ...बेवकूफ़ लड़की ...अब रो कर भाई को रुलाना मत .....

नाश्ते के बाद ये डिसाइड होता है कि सोनल कविता के साथ जाएगी ...सोनल मना करती है ...वो चाहती थी कि कुछ वक़्त तो राजेश और कविता अकेले में बिताएँ आपस में बात कर सकें .....हर वक़्त आरती साथ तो होगी नही ....

लेकिन कविता तो शरम से मरी जा रही थी ...वो सोनल के हाथ जोड़ती है ...सोनल उसके सर पे प्यारी सी चपत लगाती है .......और इतनी देर में आरती आ ही जाती है कविता को लेने ....उसे बहुत खुशी होती है कि सोनल साथ चल रही है ....उसके लिए सोनल उसकी बहू ही थी ...क्यूंकी ना जाने क्यूँ उसे सुनील में एक और बेटा नज़र आने लगा था....

तीन दिन बस गहमा गहमी रहती है .....और वक़्त आ जाता है कविता की शादी का ...इस बीच सुनील कविता को समझा देता है कि जब तक उसका कोर्स पूरा नही होगा वो शादी के बाद देल्ही में ही रहेगी ...हनिमून के बाद ......

शादी हो जाती है ...और विजय रुखसती किसी दूसरे होटेल में रखता है ....जहाँ से ये लोग मुंबई चले जाते हैं.........सुनील जब कविता को राजेश के साथ दूसरे होटेल छोड़ के आता है ....पूरे होटेल में कोहराम मचा हुआ था......रमण ने अपना गला काट लिया था और मिनी एक पत्थर की तरहा उसकी लाश के पास खड़ी थी .......

मरने से पहले रमण बस दो लाइन लिख गया था ...वो अपने पाप का बोझ अब और नही उठा सकता और रूबी से इल्तीज़ा करी थी कि हो सके तो माफ़ कर देना .........

रूबी खुद पत्थर बन गयी थी ...कोई भी लड़की चाहे बाद में कितनी भी नफ़रत क्यूँ ना करे वो अपना पहला प्यार भुला नही सकती थी ....सुनील को अब सबसे ज़्यादा चिंता रूबी की हो रही थी ...उसने सोनल और सुमन को अब 24 घंटे रूबी के साथ ही रहने का हुकुम दे दिया था........

अभी खुशी के आलम से बाहर नही निकले थे कि ये कांड उनके सामने था.....रिश्तों में छाई कड़वाहट हो ....पर किसी भी रिश्तेदार की मोत सहन नही होती ....कल जहाँ जिसके लिए मन में क्रोध था ....आज एक बवंडर उठ चुका था ....क्या वो नफ़रत जो सबने रमण से करी थी .....क्या वो ठीक थी ...ये हादसा यही बता रहा था कि चाहे कुछ भी हो वो कैसा भी हो .....उसके ख़यालात रूबी के लिए बदल चुके थे और वो रूबी के स्यूयिसाइड अटेंप्ट को बर्दाश्त नही कर पाया था .....तब से ले कर कविता की शादी तक जाने कितनी मोत मरा होगा वो ....कहते हैं सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नही कहते ...पर कुछ वक़्यात ऐसे होते हैं जिन्हें...कोई कुछ भी कर ले ....वो ना माफ़ किए जाते हैं ना भुलाए जाते हैं........यही हुआ था रमण के साथ ...पर असल कसूरवार कॉन था .....क्यूँ बना रमण ऐसा ......सुनील को बस एक ही गुनहगार नज़र आ रहा था .....समर .....उसकी परवरिश ही ऐसी थी ....और ग़लत परवरिश के नतीजे बड़े भयानक होते हैं ....आज उसे एक तरफ इस बात की सबसे बड़ी खुशी थी कि उसकी परवरिश सागर ने की थी ...और दूसरी तरफ उसे दुख भी था ...एक भाई उससे जुदा हो गया था ...जिसे वो सुधारना चाहता था ....पर होनी के आगे किसका ज़ोर चल सकता था.

सुनील ने मिनी को कंधों से पकड़ा ....भाभी .....भाभी वो ज़ोर से चिल्लाया .....और मिनी की रुलाई फुट पड़ी वो सुनील से चिपक ज़ोर ज़ोर से रोने लगी ....वो खुद को रमण की मोत का कसूरवार मान रही थी.....

मिनी तो बस रोती जा रही थी बड़बड़ करती जा रही थी ....ना मैं उनसे शर्त लगाती ना ये सब होता

सुनील...के दिमाग़ में खटका तो बजा पर वो उसे नज़र अंदाज़ कर गया क्यूंकी रमण जो लिख गया था ...वो उसके गहन पश्चाताप की तरफ इशारा कर रहा था.....

मिनी सुनील की छाती पे मुक्के बरसाती रही और फिर बेहोश हो गयी.......

होटेल वालों ने पोलीस बुला ली थी ...जिन्हों ने बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया और अपनी तहकीकात शुरू कर दी ....

खैर हुआ कुछ नही किसी के खिलाफ और बॉडी वापस सुपुर्द कर दी गयी सारी फॉरमॅलिटीस के बाद

रमण की चिता को आग लगाने के बाद जब सुनील वापस पहुँचा ......तो मिनी ने ...उसे रमण का मोबाइल दिया .........

एक और मोत की खबर थी उसमे..........

सुनील ने सारे मेसेज छाने ...एक दिन पहले समर के कोमा से बाहर आने की खबर आई थी और आज उसकी मोत की ....हॉस्पिटल ने बॉडी क्लेम करने का मेसेज भेजा था..........

पहले तो सुनील ने सोचा कि हॉस्पिटल को ही बोल दे डेड बॉडी को डिस्पोस करने के लिए ...पर फिर उसे याद आया कि मुंबई के मकान की ज़रूरत पड़ सकती है सवी को और मिनी को ...इस लिए उसने बाकी सब लोगो को घर भेज दिया और खुद मुंबई जा कर उसने बॉडी क्लेम कर दाह संस्कार करवाया और डेथ सर्टिफिकेट ले लिया.

घर जब पहुँचा तो मातम का ही महॉल था ......
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