Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 04:27 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
डिन्नर टेबल पे मिनी भी तभी पहुँची और लगता था पूरे रेस्टोरेंट में आग लगा देगी ....रूबी/कविता ...यहाँ तक की सुमन की आँखें भी उससे चिपक गयी ...बाकी टेबल्स पे जो बैठे थे उनका क्या हाल हो सकता है सोच ही लो ....

सबके तंबू खड़े हो चुके थे नज़रें मिनी से चिपक गयी थी और उनकी बीवियाँ और गर्ल फ्रेंड्स जो भी साथ थी जल भुन के कबाब हो गयी थी .....ठंडी ठंडी साँसे छूटने लगी थी ....अगर सुनील साथ में नही होता तो कुछ मनचले तो ज़रूर मिनी को छेड़ने उनकी टेबल तक आ जाते.

..मिनी को देख कविता पे इतना असर नही पड़ा था पर सुमन को देख तो उसे शर्म आने लगी थी ..कि जवान कॉन...क्यूंकी सुमन रोज योगा करती थी और अपने जिस्म को बहुत अच्छी तरहा मेनटेन किया हुआ था...यहाँ तक कि मिनी जो खुद को कुछ समझती थी ...वो भी गश खा गयी थी...और रेस्टोरेंट में जो हुआ .....वो देख सुनील हँसे बिना नही रह सका क्यूंकी कुछ लड़कियाँ अपने रूम में जा कर कपड़े बदल के आई थी ....

कविता की दशा सुनील से छुपी नही...उसने सुमन को कान में कुछ कहा फिर सुमन ने रूबी को और उसके बाद दोनो सोनल के पास चली गयी ....उसकी ड्रेसस पहनाने के लिए ...क्यूंकी उनका जिस्म लघ्हबग सोनल के जिस्म जैसा ही था साइज़ में .

रूबी और कविता थोड़ी देर बाद आ गयी ....


कविता का तो शर्म के मारे बुरा हाल होने लगा क्यूंकी सबकी नज़रें उसे खुद को अंदर तक चीरती हुई महसूस हुई ....एक लड़का खास तौर पे कविता में इंटेरेस्ट लेने लगा था ...पर उसकी नज़रों में वासना नही थी ...चाहत थी...

रूबी और कविता बहुत खुश थी ...रूबी की नज़रें मिनी पे पड़ी जो सुमन को कुछ ज़यादा ही देख रही थी ...जब सुमन सुनील के कान में कुछ कह रही थी....

रूबी ...मिनी से ....भाभी ऐसे क्या देख रही हो ...जमाना बदल चुका है ...भाई नही चाहता कि मासी घुट घुट के जिए....मिनी पश्चाताप से नज़रें झुका लेती है.

कविता की नज़रें भी उस लड़के से टकरा जाती है जो बड़े गौर से उसे देख रहा था....कुछ होने लगता है कविता को ......वो अपनी नज़रें झुका लेती है...वो लड़का भी कम सुंदर नही था और शायद अपनी फॅमिली के साथ आया हुआ था.......वो लड़का झुक के अपने साथ बैठी लेडी से कुछ कहता है ...जो शायद उसकी मोम थी और वो लेडी अपने साथ बैठे आदमी से कुछ कहती है .....दोनो वो लेडी और वो आदमी कविता की तरफ देखते हैं...रूबी भी इस बात को ताड़ लेती है ....और कविता के कान में कहती है...लगता है मेरा होने वाला जीजा आज ही फिक्स हो जाएगा .....

कविता घबरा जाती है .....उसके तो पसीने छूट जाते हैं....एक नज़र वो फिर उस लड़के पे डालती है.....जो अब भी उसे ही देख रहा था ...कि वो लेडी उस लड़के को झाड़ती है और वो मजबूरन अपनी नज़रें झुका लेता है...कविता मन ही मन मुस्कुरा देती है ....आज पहली बार कविता के दिल की धड़कन बड़ी हुई थी.

सुनील...क्या बात है...तुम दोनो क्या फुसफुसा रही हो.....

कविता और भी शर्म से लाल पड़ जाती है ....

रूबी ...भाई लगता है कविता की डॉली उठने का वक़्त नज़दीक आ गया है.

सुनील/सुमन/मिनी .......कययय्याआआआअ

रूबी ....बस देखते जाओ ( फिर उठ के सुनील के कान में बोल कर उस लड़के की तरफ इशारा करती है जो अब नज़रें झुकाए अपनी माँ से कुछ बात कर रहा था)

सुनील भी कनखियों से उस लड़के को देखता है...उसकी पर्सनॅलिटी से प्रभावित हो जाता है ....

तभी उस लड़के के माँ बाप उठ के इनकी टेबल की तरफ आते हैं....

बाप .....बेटा अगर तुम्हें इतराज ना हो तो कुछ देर तुम लोगो के साथ बैठ सकते हैं.......मेरा नाम विजय केपर है और ये है मेरी वाइफ अंजलि

सुमन.....जी शौक से ( तब तक सुनील सुमन के कान में रूबी की बात डाल चुका था)

सुनील .....दो और चेर्स अपनी टेबल पे लगवाता है और वो दोनो बैठ जाते हैं.

विजय अपनी बात शुरू करता है....अपने बारे में बताता है कि उसका लंबा चौड़ा गारमेंट एक्सपोर्ट का बिज़्नेस है और उसका लड़का राजेश भी उसके साथ है जिसने एमबीए किया हुआ है....साथ में वो अपनी ट्रॅवेल एजेन्सी भी चलाता है ......

इतना सब बोलने के बाद अंजलि ......सुमन की तरफ मुखातिब हो के बोली....'बहनजी हमे आपकी लड़की ...(कविता की तरफ इशारा करते हुए) बहुत पसंद है...अगर आपको ऐतराज ना हो तो हम इसे अपनी बहू बनाना चाहते हैं.....

टेबल पे वाकई में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया....किसी ने सोचा ही नही था ...कि यूँ एक दम सीधे शादी की बात हो जाएगी ...और कविता का तो बुरा ही हाल हो गया था....

सुनील....आंटी जी अभी मेरी बहन पढ़ रही है ...उसका एमबीबीएस का कोर्स अभी ख़तम नही हुआ है...तो....

विजय.......बेटे ये जान कर बहुत खुशी हुई कि तुम्हें अपनी बहन के करियर की चिंता है...उसे उसके पैरों पे खड़ा होते हुए देखना चाहते हो ...मैं वादा करता हूँ...कविता की पढ़ाई पे कभी कोई रुकावट नही आएगी...जितना चाहे पढ़े ...उल्टा मैं तो चाहूँगा कि एमबीबीएस के बाद एमडी भी करे .....लेकिन...मेरी एक रिक्वेस्ट है.....राजेश को हम कब्से बोल रहे हैं शादी के लिए ...कभी नही माना...आज उसने खुद ही तुम्हारी बहन के लिए हमे पुजॉर रिक्वेस्ट करी है..तभी हम बात करने आ गये...एक ही बेटा है मेरा ....और मैं चाहता हूँ...अगर आप लोग राज़ी हो तो कल ही हम माँगनी कर दें....

सुमन....जी कलल्ल्ल्ल्ल

आरती ...जी बहन जी ...मैं तो चाहूँगी ...कि कुछ दिनो में यही शादी भी करदें और हम अपनी बहू को साथ लेके जाएँ....अरे अभी तक गुड़िया का नाम भी नही पूछा मैने....

सुनील....फिर सबका परिचय देता है...सुमन को कविता की मासी कर के इंट्रोड्यूस करता है........फिर रूबी से बोलता है .......रूबी बेटा ...जा ज़रा भाभी को बुला ला ......

विजय भी राजेश को वहीं बुला लेता है ...जो सबसे पहले सुमन के पैर छूता है और फिर सुनील से हाथ मिलाता है...नज़रें उसकी कविता पे ही गढ़ी रहती हैं....

राजेश से मिल सभी इंप्रेस होते हैं....कुछ देर में रूबी सोनल को ले आती है ....

आरती ...कविता को अपने पास बैठने को बोलती है ...तो वो बहुत ही शरमाती है...फिर सोनल उसे उठा के आरती के पास बिठाती है और आरती अपने गले से हीरे का हार निकाल कविता के गले में डाल देती है...सब कुछ तेज़ी से ही हो रहा था....


सुनील....आंटी जी आपने तो सूपरसॉनिक जेट की स्पीड पकड़ ली......मेरे ख़याल से पहले राजेश और कविता को कुछ देर अकेले रहने का मोका दिया जाए ताकि ये एक दूसरे से बात कर एक दूसरे को समझ तो सकें.

आरती ....बेटे इसकी कोई ज़रूरत नही ..मैं अपने बेटे को अच्छी तरहा जानती हूँ.....और अब तक तो हम सब ही समझ चुके हैं कि आपकी फॅमिली कैसी है और ये लड़की कितनी गुणी है...हमे कुछ और नही चाहिए...हां बिटिया अगर राजेश से कुछ बात अकेले में करना चाहती है तो हमे कोई इतराज नही...

कविता के तो हाथ पाँव फूले हुए थे......

सुनील....नही आंटी ...ये दो ज़िंदगियों का सवाल है....बस एक दूसरे की शकल देख या परिवार के बारे में कुछ जान लेना और रिश्ते में बँध जाना ...कुछ ज़यादा ही जल्दी लग रही है मुझे ...मेरे ख़याल से इन दोनो को आपस में कुछ देर हमे अकेले छ्चोड़ देना चाहिए .....फिर उसके बाद दोनो का ही फ़ैसला सुन लेते हैं और आगे का डिसाइड करते हैं.

विजय ...जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ....

सुनील....चलें फिर हम लोग कुछ देर बाहर चलते हैं..
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