Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 04:23 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
यहाँ घर में….सुनील ….जब से सवी गई तब से ना सिर्फ़ शांत था पर अंदर ही अंदर वो तड़प रहा था….सवी और रूबी को वो ले कर आया था…जिस तरहा रूबी उसकी ज़िम्मेदारी थी..उसी तरहा उसे अपनी मासी का भी ख़याल रखना था……वो सवी की जिस्मानी ज़रूरतें नही पूरी कर सकता था पर उसे मानसिक सहारा दे सकता था…इसीलिए बार बार जब सवी भटकती वो उसे रास्ते पे लाने की कोशिश करता था…पर ऐसा कभी नही किया की वो इतना दुखी हो जाए की घर छोड़ दे …..इंतेज़ार कर रहा था वो की सोनल खुद उसे बताए …कि आख़िर उसके और सवी के बीच क्या हुआ जिसकी वजह से सवी ने इतना बड़ा स्टेप उठा लिया.

जिस तरहा सवी के पास एसओएस नंबर था उसी तरहा एक नंबर रूबी के पास भी था और एक नंबर सुनील ने अलग से इन्दोनो के लिए अपना एसओएस नंबर रखा हुआ था जिसके बारे में सिर्फ़ ये दो जानती थी…ऐसा नही था कि वो सूमी और सोनल से कुछ छुपा रहा था पर उस वक़्त हालत ऐसे थे कि उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वो इस नंबर को गुप्त ही रखना चाहता था….छत पे घूमते हुए उसने उसी एसओएस नंबर से सवी को मेसेज भेज दिया …क्यूँ किया ऐसा…..खैर जहाँ भी हो खुश रहो…अपनी सलामती की खबर भेजती रहना.

सवी जब फ्लाइट से उतरी …तो उसे अपने एसओएस नंबर पे मेसेज की बीप मिली….दिल को एक अजीब सा सकुन मिला. उसने तुरंत जवाब दिया…मेरे पास और कोई रास्ता नही बचा था…बहुत कोशिश करी खुद को बदलने की ..पर क्या करूँ..तुमसे प्यार कर बैठी….वहाँ रहती तो तुम्हारे नज़दीक आने की कोशिश करती रहती…और तुम नाराज़ होते रहते…तुम्हें नाराज़ भी नही कर सकती और तुम्हारे बिना रह भी नही सकती….इसलिए दूर चली आई …चिंता मत करो आत्महत्या नही करूँगी…आज भी तुम्हारे उस चुंबन का अहसास मेरे होंठों से नही जाता….यही काफ़ी है मेरे जीने के लिए ….अब तो एक ही काम रह गया है..इंतेज़ार …तुम्हारा …मुझे यकीन है …..अपने प्यार पे भरोसा है …तुम्हें बहुत तकलीफ़ देती आई हूँ..हो सके तो माफ़ कर देना…पर मुझे भूलना कभी नही…तुम्हारी सवी

सुनील ने वो मेसेज डेलीट कर दिया …पर अंदर ही अंदर तड़प उठा वो….कब समझेगी सवी ..क्यूँ उस रास्ते पे चल पड़ी है जिसकी कोई मंज़िल नही. आँसू आ गये उसकी आँखों में जिन्हें वो पी गया.

सुमन और सोनल हाल में बैठी एक दूसरे को देख रही थी…सबसे ज़यादा परेशान सोनल थी …सवी का इस तरहा घर से चले जाना और सुनील का इस तरहा शांत हो जाना …उसकी बर्दाश्त के बाहर था…उसकी आँखों में बार बार आँसू लहरा रहे थे जिन्हें वो रोकने की कोशिश कर रही थी…सुमन भी परेशान थी पर वो सवी के लिए इतना परेशान नही थी जितना सुनील के लिए हो रही थी…दोनो में हिम्मत नही हो रही थी सुनील से बात कर सकें…डर लग रहा था उसकी नाराज़गी से .

लेकिन दोनो ही सुनील को इस हालत में नही देख सकते थे …..ग़लती दोनो ने करी थी और उसमे आग सोनल ने लगाई थी…वो उठी और हिम्मत कर छत की तरफ चली गयी …सुनील खड़ा शुन्य में आसमान को घूर पता नही क्या ढूँडने की कोशिश कर रहा था. शाम का धुन्दल्का फैलना शुरू हो चुका था…..सोनल…सुनील के करीब चली गयी और उसके कंधे पे सर रख …बोली …आपसे कुछ बात करनी है ….प्लीज़ नीचे चलो…सुनील पलट के उसे देखने लगा ……’प्लीज़ चलो ना …’

सुनील उसके साथ नीचे आ गया ….मिनी दरवाजे पे खड़ी थी अपने कमरे के और बड़ी उदास और हसरत भरी नज़र से सुनील को देख रही थी…जैसे ही उसकी नज़र सोनल पे पड़ी वो पीछे हट गयी …

सुनील कमरे में चला गया और सोनल सुमन को भी ले आई …सोनल ने दरवाजा बंद कर दिया…..सुनील अभी भी खड़ा था …….खड़े तो तीनो ही थे पर सुनील की नज़रों में सवाल था…और बाकी दोनो सर झुकाए खड़ी थी.....

सुनील ......'अब बोलो भी ....क्या बोलना है'

सुमन ने पहले बोलना शुरू किया …..ये बात हमारे कान्फरेन्स जाने से पहले की बात है …मैं सवी को समझा रही थी कि वो शादी कर ले और तुम्हारे ख्वाब देखना बंद कर दे…उसने शादी के लिए सॉफ मना कर दिया …और बात घूम फिर के तुम पर ही टिकी रही फिर उसने मुझे चॅलेंज कर दिया कि एक दिन तुम उसे अपना लोगे …मैने भी चॅलेंज स्वीकार कर लिया और उसे 10 दिन का टाइम दिया…अगर वो जीत गयी तो हम आपको उसे बाँट लेंगे अगर हार गयी तो जैसा हम कहेंगे वैसा ही करेगी …मैं जानती थी कि वो ये शर्त हारेगी इसलिए मुझे चिंता नही थी..मुझे तुम पर अपने प्यार पर पूरा भरोसा था…फिर हमने देखा कि मिनी भी तुमपे डोरे डालने लग गयी है…और परसों रात मिनी ने तुम्हारी पूरी रात खराब कर दी…अब तुम्हारे एग्ज़ॅम भी सर पे हैं और तुम कितने भावुक हो हम दोनो जानते हैं..दूसरे की तकलीफ़ अपने सर पे चढ़ा लेते हो…तुम्हारी ये तकलीफ़ हमसे सहन ना हुई और सोनल अगले दिन वापस आ गयी मैं उसी दिन नही आ सकती थी इस लिए आ आई.

कल….आगे सोनल ने बोलना शुरू किया …जिस तरहा ये दोनो आपको परेशान कर रहे थे मैने सवी को बस इतना कहा था कि आपके एग्ज़ॅम हैं आपको बार बार कसौटी पे ना परखें…एक मासी की ज़िम्मेदारी पूरी करें…अगर वो ऐसे ही आपको तंग करती रहेंगी तो उहें रमण के साथ मुंबई भेज दूँगी …..अब बताइए हमारी इसमे क्या ग़लती …ये तो ख्वाब में भी नही सोचा था कि वो ऐसे घर छोड़ के चली जाएँगी.

दोनो सर झुकाए ऐसे खड़ी रही जैसे किसी सज़ा को सुनने का इंतेज़ार कर रही हों.

सुनील अपना सर पकड़ के बैठ गया ….

वो दोनो उसके सामने उसके घुटनो पे सर रख बैठ गयी …….

सोनल…हमसे नाराज़ मत होना ….हमे जो ठीक लगा वही किया …कितनी बार आपको यूँ तड़प्ता हुआ देख सकते हैं …पहले रूबी, सवी और अब ये मिनी ….सब आपके ही पीछे पड़ी हैं…नही बर्दाश्त होता हमसे …नही देख सके आप बार बार अपनी मर्यादा के पालन के लिए अपने आप से लड़ते रहो और ना ही हम किसी से भी आपको बाँट सकते हैं..

सुमन……जीने दो इन्हें अपनी जिंदगी जैसे जीना चाहते हैं..कम से कम हमारी जिंदगी सकुन से तो गुज़रे

सुनील…क्या सागर से तुम दोनो ने यही सीखा था ….एक औरत को इतना मजबूर कर दो कि वो बेसहारा हो कर जीने के लिए निकल पड़े ….क्या तुम ये भी नही समझी थी कि जब मैं रूबी को लाया था तो साथ में सवी क्यूँ आई थी ….उसे मुझ पे ज़यादा भरोसा था अपने बेटे रमण से भी ज़यादा …समर का साथ उसने छोड़ दिया था….माना वो ग़लत सोचने लगी..माना वो मेरे करीब आना चाहती थी…और मैने भी तो सॉफ सॉफ उसे कह दिया था कि मेरा और उसका रिश्ता सिर्फ़ एक पाक रिश्ता ही हो सकता है ……जब मैं उसे यहाँ लाया था वो मेरी ज़िम्मेदारी बन गयी थी …उसे समझाना मेरा काम था और तुम दोनो ……..ये करा क्या तुम दोनो ने ….एक शर्त लगा रही है ….क्या युद्धिश्ठर ने पांचाली को लेकर जो दाँव खेला था ..उसके अंजाम से कुछ नही सीखी तुम …..और तुम्हें किसने ये हक़ दिया कि तुम किसी को बिना सोचे समझे खुच भी बोल दो इतना की घर से निकालने की धमकी दे डालो.

किसी से बेपनाह प्यार का मतलब ये नही होता …के दूसरे की हालत को ना समझो …उस से नफ़रत करने लगो …सोचो क्या बीत रही होगी इस वक़्त सवी पर ….क्या पाया उसने अपनी जिंदगी में…एक बार उसकी जगह पे आके देखो …उसके दर्द को समझो…ठीक है अभी नही मान रही थी वो शादी के लिए..पागल हुई पड़ी है मेरे लिए ….पर कम से कम मुझे वक़्त तो देती उसे समझाने के लिए …या तुम्हें मुझ पे बिल्कुल भी भरोसा नही था…डर लगने लग गया था …की कहीं मैं टूट ना जौन उसके पीड़ा के आगे…..

ये ठीक नही किया तुम दोनो ने …बिल्कुल भी ठीक नही किया …..सूमी तुम बड़ी हो..दुनिया ज़यादा देखी है तुमने …ये क्यूँ भूल गयी वो तुम्हारी सग़ी और छोटी बहन है …क्या यही फ़र्ज़ है तुम्हारा उसके लिए ….

सुमन…तुम पूरी बात नही जानते (फिर सुमन उसे बताती है स्वापिंग शुरू कैसे हुई थी )

सुनील ……तो तुम्हारी भी तो वही ग़लती है जो उसकी थी ….क्यूँ मान लिया तुमने स्वापिंग करना …अगर समर ने सवी को सागर के बिस्तर पे डाल दिया था …तो तुम क्यूँ मानी …अब ये मत कहना कि सोनल छोटी थी उसे छोड़ नही सकती थी …ले जाती सोनल को अपने साथ …छोड़ देती सागर को …कोई ज़बरदस्ती तो नही कर सकता था समर तुम्हारे साथ …जितनी ग़लती उसकी है उतनी ही तुम्हारी …क्यूँ नही तब छोड़ दिया उसने समर को और आ गयी तुम्हारे पास ……बस एक डर के अंदर तुम दोनो जीती रही …और अपने आप को कभी पहचाना ही नही …मर्द ने जो कहा मान लिया …उसके आगे कोई रास्ता दिखता ही नही ..क्यूँ…

अपनी सोच को बदलो सुमन …अगर वो ग़लत थी तो तुम्हारी भी कुछ ग़लतियाँ रही हैं ….इस वक़्त उसे तुम्हारे साथ की सबसे ज़यादा ज़रूरत है ..और तुमने ही उसका साथ छोड़ दिया…बस इसलिए के वो मुझ पे भी अपना हक़ समझने लगी थी ….मुझ पे तो भरोसा किया होता ….अगर मैं ऐसा ही होता …तो क्या खजुराहो में ही नही तुम्हारे साथ हमबिस्तर हो जाता …सोनल के साथ सब कुछ ना कर लेता पहले ही …रूबी जो आँखें बिछाए मेरे पास आई थी …उसे ना इस्तेमाल कर लेता …क्या हो गया है तुमको…

सुमन को अपनी ग़लतियों का अहसास हुआ और रोने लगी … सोनल को भी अपने किए पे पश्चाताप होने लगा और उसका भी रोना निकल गया.

सुनील…अब ये रोना बंद करो …..आजाएगी सवी वापस …पर अभी उसे कुछ वक़्त दो …ताकि वो क्या चाहती है उसे ठीक से एकांत में समझ सके.

सुनील उठ के विषकी की बॉटल उठा लाया और पीने लगा ...आज दोनो में हिम्मत नही थी कि उसे रोक पाती ...उसकी पीड़ा को कम करने की कोशिश में उसे और भी पीड़ा दे डाली. दोनो सुबक्ती रही और अपने सर सुनील के घुटनो से सटाये रखे.

सुनील ...यार अब बस करो रोना तुम दोनो ...क्यूँ रो कर मुझे और तकलीफ़ दे रही हो..जानती हो ना तुम दोनो की आँखों में आँसू नही देख सकता ...चलो मेरे साथ एक एक ड्रिंक लो ...फिर सोचेंगे आगे क्या करना है.

और दूर बहुत डोर सवी एक होटेल के कमरे में उदास बैठी थी ....
एक गीत पीछे बज रहा था जो शायद उसके ही दिल की बात सुना रहा था और उसके आँसू टपक रहे थे...

तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं दूर चले जाउन्गी
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी

मैं थी अंजान जी की बातों से, अंजानी प्यार की बारातों से
मैं थी अंजान जी की बातों से, अंजानी प्यार की बारातों से
डोली बनाने चली थी मैं, अरथी बनी मेरे हाथों से
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले

सोचा था प्यार कर के चोरी से, मैं तुम को बाँध लूँगी डोरी से
सोचा था प्यार कर के चोरी से, मैं तुम को बाँध लूँगी डोरी से
क्या था पता छुप जाएगा, चंदा यू रूठ के चकोरी से
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी

क्या मेरी प्रीत बिरहा की मारी, आँसू मे डूब गयी चिंगारी
क्या मेरी प्रीत बिरहा की मारी, आँसू मे डूब गयी चिंगारी
मैं तुम से हर गयी तुम जीते, तुम मुझ से जीत गये मैं हारी

तुम मुझ से दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी
तुम मुझ से दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी
तुम मुझ से दूर चले जाना ना, चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी चले जाउन्गी
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 04:23 PM

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