Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 04:23 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
लेकिन सोनल के इस रूप को देख सुनील के जिस्म में हलचल मच गयी . जो लिंगेरिर सोनल ने पहनी थी वो लिंगेरिर कम बाथरोब थी ...अंदर उसने कुछ नही पहना था और उसके उरोज़ बाहर झलक रहे थे......और सुनील तो बावला हो गया अपनी बीवी का ये रूप देख ....उसने सोनल को अपनी ओर खींच लिया.

सोनल को अपनी गोद में ले वो मोबाइल उठाता है और सुमन को फोन मिला देता है….

रात के 2 से उपर हो चुका था…..

सुमन तो जैसे बेसब्री से फोन का इंतेज़ार कर रही थी.

सुनील ने जैसे ही हेलो कहा सुमन की रुलाई निकल पड़ी….

सुमन …रोते हुए….अब याद आई मेरी …कितनी देर से तड़प रही थी …अब फोन आएगा अब फोन आएगा…

सुनील …यार प्लीज़ रो मत …ये हिट्लर जो तुमने वापस भेज दी एक सेकेंड की फ़ुर्सत नही लेने दी इसने…पहले आते ही सुला दिया और फिर पढ़ने बिठा दिया ….और ऐसे चोकीदारी कर रही थी कि मैं हिल भी नही सकता था…..

सुमन के आँसू रुक गये ……अच्छा किया उसने …तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए ….सुनो मैं कल आ रही हूँ…मैने अपनी जगह किसी और फॅकल्टी का इंतेज़ाम कर दिया है …..आज नही आ सकती थी…प्लीज़ बू….

सुनील….अब मार खानी है क्या …कितनी बार समझाया है …नो सॉरी …नो थॅंक्स.

सुमन….उम्म्ममवाआआः ..लव यू…..

सुनील….मैं आउन्गा लेने एरपोर्ट पर…

सुमन…नही नही मैं आ जाउन्गी …कॉलेज मत मिस करना..

सुनील….ओके सोनल आ जाएगी ….

सुमन …अच्छा सोनल से बात कर्वाओ ज़रा …

सोनल …हां दीदी बोलो …मिस यू वेरी मच

सुमन..मी टू डार्लिंग …देखना ये पढ़ाई पे ध्यान दे और बाकी सब को इनसे दूर रखना..

सोनल..फिकर नोट वो काम तो मैने कर दिया है …किसी की हिम्मत नही अब इनके पास फटकने भी …

सुमन …और रात को ज़यादा तंग मत करना

सोनल…धत्त आप भी ….

सुमन…अच्छा चल रखती हूँ…बहुत रात हो गयी कल सुबह की फ्लाइट लूँगी …लव यू

सोनल…लव यू दीदी बस कल आ जाओ …बाइ

सोनल ने फोन रखा ही था कि सुनील ने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया.

सोनल….प्लीज़ डार्लिंग आज नही …सो जाओ अब…बहुत रात हो चुकी है…

सुनील ने अपने होंठ उसके होंठों पे रख उसे चुप करवा दिया…कुछ देर वो सोनल के होंठ चूस्ता रहा फिर दोनो सो गये.


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‘कितने अरमानो से करी थी मेरी शादी मेरे माँ बाप ने ….लेकिन मिला क्या ….एक वासना का लोभी …..मैने क्या क्या सहा ये कोई नही जानता…ना मैं किसी को बता सकती हूँ ….बताने की कोशिश भी करी पर बहुत देर हो चुकी थी…सब बदल गया…रिश्ते बदल गये …वो कल का मरता आज मर जाए तो शायद मेरी तड़पति हुई रूह को कुछ सकुन मिलेगा……आज भी वो दिन नही भूल सकती …कैसे उस नर्स को चोद रहा था …….मेरे ही घर में..मेरे ही बिस्तर पे…..उस दिन मैं मर गयी थी…पर उस कुत्ते को छोड़ने की हिम्मत ना हुई ……..क्यूंकी मेरे बेटे की जिंदगी बर्बाद हो जाती ….क्या क्या नही सहा मैने …फिर वो मेरी बहन के पीछे पड़ गया और मुझे जीजा के बिस्तर पे धकेल दिया …कितनी बार मना किया तो सीधा डाइवोर्स की धमकी ……कोई नही समझता मेरे दर्द को …दो पल प्यार के माँगे तो वो नसीब नही ….क्या फ़ायदा ऐसी जिंदगी का …किस के लिए जियुं अब …. कितनी बुरी तरहा से बोली सोनल आज मुझ से जैसे मैने उसके पति को उसे छीन लिया हो …मैने ऐसा तो कभी नही चाहा था…क्या हम प्यार से मिल के नही रह सकते …क्या फराक पड़ जाएगा …अगर वो मुझे भी थोड़ा प्यार कर लेगा तो…ये दोनो नही बाँटति उसे आपस में..कुछ देर मेरे साथ बिता लेगा तो कॉन सा आसमान टूट जाए गा..ख़तम कर लूँगी अब मैं खुद को…नही जीना मुझे...मैं नही किसी और से शादी का रिस्क ले सकती..पता नही कैसे निकलेगा वो…यही चाहते हैं ना कि मैं चली जाउ..ठीक है जा रही हूँ…इतनी दूर कि चाह कर भी मुझ तक पहुँच ना सको’

सवी अपने कमरे में बंद अपनी दो बेटियों को देखते हुए अपने ही ख़यालों में थी…..चुप चाप उठी ….एक बॅग में अपने कुछ कपड़े डाले ……..एक काग़ज़ पे बस इतना लिखा…मैं जा रही हूँ…मुझे ढूँडने की कोशिश मत करना….रूबी और कविता अपने भाई सुनील पे भरोसा करना जैसा वो कहे वही करना …एक वही है जो तुम्हारी जिंदगी को खुशियों से भर सकता है …मुझे माफ़ करना …मैं और साथ नही दे पाउन्गि…मेरा वक़्त पूरा हो चुका है … और चुप चाप रात के अंधेरे में घर से निकल पड़ी…कहाँ ये शायद वो भी नही जानती थी.

घर से निकल वो एक पार्क में जा कर बैठ गयी जो घर के नज़दीक था …इस वक़्त सुबह के 4 बजनेवाले थे…बैठी बैठी सोचती रही क्या करे कहाँ जाए …….टिक टिक कर वक़्त की सुई आगे बढ़ती रही…और चिड़ियों की चचहाहट शुरू हो गयी …सवी उठी और पार्क से बाहर निकली ……उसके कदम टॅक्सी स्टॅंड की तरफ बढ़ गये …और टॅक्सी कर वो सीधा एरपोर्ट की तरफ बढ़ गयी ……

एक फ्लाइट से सुमन उतर रही थी और एक फ्लाइट पे सवी चढ़ रही थी ….लेकिन दोनो का आमना सामना ना हो सका …..सुमन ने सोनल को इतनी सुबह तंग करना ठीक ना समझा था इसलिए अपनी फ्लाइट डीटेल नही भेजी थी…सुमन टॅक्सी ले घर की तरफ चल पड़ी और उसी वक़्त सवी की फ्लाइट उड़ गयी …दूर कहीं बहुत दूर जाने के लिए….

सवी ने एक पल तो मरने का ही सोचा था….पर सागर की यादों ने उसे मरने नही दिया…वो हमेशा जिंदगी की कीमत और उसे जीने के बारे में बोलता रहता था….उसी की बात मान सवी एक नयी जिंदगी जीने की राह पे चल पड़ी …….

सुमन घर पहुँची तो सुबह के 7 बज चुके थे और सभी हाल में परेशान बैठे सवी की चिट्ठी को देख रहे थे.

सुमन : अपने अपने काम में लग जाओ …उसे कुछ दिन अपनी जिंदगी जीने दो…आजाएगी वापस

सभी सुमन की तरफ देखने लगे ….ऐसे क्या देख रहे हो…मैं जानती हूँ वो किस दौर से गुजर रही है…उसे कुछ वक़्त अकेले रहने दो…समझने दो वो क्या चाहती है…जब उसे सही रास्ता समझ आ जाएगा…वो अपने आप वापस आ जाएगी …

सुमन…रूबी और कविता को एक रूम में ले गयी और काफ़ी देर दोनो से बात करती रही …दोनो लड़कियों को कुछ सकुन मिला और वो अपनी पढ़ाई में लग गयी..

मिनी सब का नाश्ता तयार कर रही थी..उसके चेहरे पे जो मुस्कान रहती थी…वो गायब हो चुकी थी…जब से सोनल ने खुल के उसे सुनील से दूर रहने को कहा था..तब से एक तड़प और भी ज़यादा गहरी हो गयी थी उसके दिल-ओ-दिमाग़ में …अभी वो कुछ ऐसा नही करना चाहती थी कि उसे घर से जाना पड़े …..वो इतना गुम्सुम हो गयी कि रमण से भी अब खुल के बात नही करती थी…बस अपने ख़यालों में खुद से ही बात करती थी…


सवी के घर से इस तरहा जाने से घर के महॉल में उदासी आ गयी थी …सुमन ने बड़ी मुश्किल से लड़कियों को संभाला था..सोनल को समझ नही आ रहा था कि खुश हो या उदास …एक तरफ उसे इस बात की खुशी थी कि कम से कम एक तो गयी जो सुनील के पीछे पड़ती रहती थी…दूसरी तरफ वो इस बात से परेशान और उदास भी थी की अकेली कहाँ गयी होगी ..किस हाल में होगी …आख़िर थी तो मासी ….खुशी का पलड़ा कम हो गया और रिश्ते का दर्द उभरने लगा ….उसने ये कभी नही चाहा था कि सवी अकेली घर से कहीं चली जाए ..जाना ही था तो रमण के साथ जाती आख़िर उसका बेटा या तो उसके पास होता…लेकिन होनी के खेल निराले होते हैं..कोई नही जानता..कल क्या होगा….अब तो बस यही दुआ कर सकती थी..कि जहाँ भी हो वो ठीक हो …और जिंदगी का सही रास्ता चुने.

आज जो हुआ ….उसकी वजह से तीनो कॉलेज नही जा सके …रूबी और कविता को किसी तरहा सुमन ने पढ़ाई की तरफ मोड़ दिया था…पर सुनील बहुत डिस्टर्ब था…वो कह कुछ नही रहा था…पर वो इतना शांत था जैसे कोई बारूद फटने से रोक रहा हो…उसकी ये शान्ती देख सोनल घबरा रही थी..सुनील अच्छी तरहा जानता था कि सवी ऐसी हरकत नही कर सकती थी ..जब तक कोई ऐसी बात ना हो गयी हो जो वो बर्दाश्त ना कर पाई हो…घर की एक औरत इस तरहा घर छोड़ के चली जाए ये वो बर्दाश्त नही कर सकता था…और ये वाक़या सोनल के वापस आने के 24 घंटे के अंदर हो गया था….क्या सोनल ने कुछ कहा सवी से जिसे वो बादश्त नही कर पाई ….उसके दिमाग़ में रात को हुई सोनल की बातें घूमने लगी जो उसने सुमन से करी थी.
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सवी सीधा मुंबई उतरी …अपने घर गयी …पड़ोसियों से उसे चाभी मिल गयी थी …अपने कमरे में गयी …अपनी छुपी हुई सेफ खोली और उसमे से अपने गहने..चेकबुक, कॅश ले कर …चाबी फिर पड़ोसियों को देकर निकल पड़ी …किसी ऐसी जगह जहाँ उसे कोई नही जानता हो …..शायद एक नयी जिंदगी शुरू करने …अपने पास पूरे परिववार में से उसने दो तस्वीरें रखी थी…एक सुमन और सुनील की ….दूसरी तरवीर काफ़ी पुरानी थी जिसमे वो खुद थी ..सागर था और गोद में खेलती हुई रूबी थी..

घर से सीधा वो एरपोर्ट गयी और एक फ्लाइट पकड़ ली……..आज भी उसके पास वो नंबर था …जिससे वो सुनील से कभी भी बात कर सकती थी…ये नंबर सुनील ने उसे तब दिया था जब वो रूबी और सवी को लेकर देल्ही आया था…ये नंबर सिर्फ़ और सिर्फ़ एसओएस में ही इस्तेमाल करना था ….पता नही उस वक़्त सुनील के दिमाग़ में क्या चल रहा था…शायद वो समर की तरफ से उल्टा सीधा कुछ रिक्षन एक्सपेक्ट कर रहा था इसलिए उसने एक नया नंबर लिया था और ये नंबर सिर्फ़ सवी के पास था…जो कभी भी किसी मुसीबत में फस गयी तो इस्तेमाल कर सुनील को बता सकती थी की क्या मुसीबत है उस पर.
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