Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:19 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील खड़ा हो गया और रूबी के सामने ज़मीन पे बैठ गया. ‘मुझे बहुत खुशी है तुम सवी की इतनी चिंता करती हो….और सच कहूँ तो बेटियाँ होती ही ऐसी हैं…बेटों से ज़यादा चिंता बेटियों को होती है माँ बाप की….पर तेरे सोचने का तरीका ग़लत है गुड़िया…..तेरा जो लॉजिक है उस हिसाब से तो इस घर की सभी औरतों को प्यार देने का जिम्मा मेरा है …..प्यार देने से मैने कब मना किया…पूछले अपनी माँ से क्या मैं उस से प्यार नही करता…..प्यार का मतलब जिस्मानी संबंध नही होता…..बिना जिस्मानी संबंध के दो इंसानो में जो विश्वास का रिश्ता होता है …एक दूसरे का जो आदर होता है…एक दूसरे के लिए जो चिंता होती है….वो होता है सच्चा प्यार ……अगर उस प्यार में जिस्मानी भूख शामिल हो जाए …तब वो प्यार पवित्र नही रहता ….पाप का समावेश हो जाता है उसमे ….क्या तू चाहती है तेरा भाई पाप के रास्ते पे चले…हर वक़्त गुनाह करे और फिर तडपे …कि ये गुनाह मैने क्यूँ किया……अपने मन की सभी खिड़कियाँ खोल….और पहचान प्यार क्या होता है…..तब तुझे अपने भाई की बात समझ में आएगी.’

सुनील उठ के खड़ा हो गया …….’इन्सेस्ट ईज़ नोट दा वे ऑफ लाइफ हनी ….रेर्ली इट बिकम्स नेसेसिसिटी इन दा लाइफ ऑफ टू इंडिविजुयल्स लाइक इट हॅपंड बिट्वीन मी आंड सूमी आंड देन मी आंड सोनल ….इट डज़ नोट मीन तट आइ शुड हॅव इन्सेस्ट रिलेशन्स वित माइ एंटाइयर फॅमिली. और रिलेशन्स गॉट देयर ऑरिजिन फ्रॉम लव फॉर ईच अदर ….इट वाज़ माइ लव आंड रेस्पेक्ट फॉर डॅड तट फोर्स्ड मी टू वेंचर इंटो इट …..इफ़ इन्सेस्ट ओरिजिनेट्स ऑन अकाउंट ऑफ बॉडी हंगर …देन इट’स क्राइम….थिंक ओवर इट.’

इतना कह सुनील सूमी के कमरे में चला गया….सोनल और रूबी को हॉल में छोड़.


सुनील के जाने के बाद सोनल …रूबी के पास जा के बैठ गयी ….’अपने भाई की बात समझ में आई कुछ ……अपने आप को देख किस तरहा नफ़रत करती है तू रमण से आज ……क्यूंकी उस रिश्ते की बुनियाद एक दूसरे के लिए प्यार नही था…बस जिस्मानी भूख थी……क्या मिला उस रिश्ते से ….अंत में दर्द …क्यूंकी तू इतनी बड़ी नही थी …कि इन बातों की मार्मिकता को समझ पाए…दूसरे वहाँ महॉल ही ऐसा था …जो जिस्मानी भूक को बढ़ावा देता था…ना कि रिश्तों के बीच निस्चल प्रेम की स्थापना करता था….तूने हम तीनो से वादा लिया है….और हम तीन अब अलग नही हैं…एक जान तीन जिस्म हैं…दीदी को आने दे आराम से उनसे पूच लेना ……जो वो कहेंगी हम दोनो को मंजूर होगा ….अब चल आराम कर ….शायद शाम को हॉस्पिटल जाना पड़े’

रूबी ने एक ठंडी साँस भरी और सर झुकाए अपने कमरे में चली गयी और सोनल सुनील के पास.

हॉस्पिटल में सवी की हालत काफ़ी सुधर गयी थी..उसे आइसीयू की ज़रूरत नही थी..इसलिए सुमन ने उसे एक रूम में शिफ्ट करवा दिया….और उसके पास ही बैठी रही.

सवी : दीदी एक बात कहूँ….

सुमन : एक नही दस बोल लेना पर अभी आराम कर …नही तो मैं यहाँ से चली जाउन्गि.

सवी …बस एक बात सुनलो…..रूबी बच्ची है ….उसकी बात का बुरा मत मानना.

सुमन …..वो बच्ची अब बड़ी हो गयी है…उसे अपनी माँ का दर्द महसूस होता है …बस उसका रास्ता ग़लत है …..समझ जाएगी कुछ और वक़्त के बाद. ----बस अब कोई और बात नही जब तक घर नही पहुँचते.

रूबी अपने कमरे में जा के लेट गयी और सुनील की बातों को सोचने लगी….वह क्या संस्कार हैं भाई के …..कोई मरे …पर इनकी मर्यादा …इनका साथ नही छोड़ती ….और एक वो हरामज़ादा रमण था….वो होता तो अब तक माँ को नीचे लिटा चुका होता जाने कितनी बार…….मेरी भी क्या किस्मेत है…प्यार भी हुआ तो ऐसे आदमी से …जो मेरा दूसरा भाई है…पर क्यूंकी मैं झूठी हो चुकी हूँ तो मैने अपने लिए तो कुछ नही माँगा…अपनी माँ के लिए ही तो माँगा था…अब तो रिश्ते बदल चुके हैं…और जीजा –साली के रिश्तों में बहुत कुछ होता है…फिर भाई क्यूँ इनकार कर रहे हैं….इतना भी क्या अच्छा होना….मैं जानती हूँ माँ इन्हें पसंद करती है….अगर ये जिद्दी हैं तो मैं भी जिद्दी हूँ……जान दे दूँगी…पर माँ को उनका हक़ दिला के छोड़ूँगी….आज नही तो कल मेरी बात भाई को माननी पड़ेगी…इतनी ही मर्यादा का पालन करते हैं तो अपने वादे को पूरा करें….कह रहे थे इन्सेस्ट तब ही होता है जब दो इंसान में प्यार होता है…क्या वो तब भाभी से प्यार करते थे जब भाभी को अपनाया था…एक तरफ़ा ही थाना….ऐसे ही माँ का प्यार भी एक तरफ़ा है…फिर उसे क्यूँ नही अपनाते…मैं कॉन सा कहती हूँ कि शादी करो…बस कुछ सकूँ माँ को देदेंगे तो कॉन सा पहाड़ टूट जाएगा….आने दो बड़ी भाभी को…देखती हूँ..कैसे मुकरते हैं.

शाम को सुनील ने फोन किया सुमन को ….तो सुमन ने आने के लिए मना कर दिया और सुबह आने के लिए बोला तब तक सवी डिसचार्ज हो जाएगी.

सोनल ने रात का खाना तयार किया और रूबी को बुला लिया…रूबी बहुत सीरीयस थी …कोई बात नही कर रही थी…सुनील ने जब बात करने की कोशिश करी तो फट पड़ी ….भाई आप अपनी मर्यादा सम्भालो ..कोई जिए या मारे ..आपको क्या …आने दो बड़ी भाभी को तब बात करूँगी……

बारूद फट गया सुनील के लिए …छलनी छलनी हो गया वो ….कितना समझाने की कोशिश करी रूबी को ….पर शायद वो समझने को तयार नही थी…..सुनील ने आगे बात नही करी चुप चाप खाना खाया और कमरे में चला गया….इस बार सोनल भी चुप रही…रूबी की बात में जो आक्रोश छुपा था उसे वो पहचान गयी थी….पर क्या करें अब इस हालत में ….दिमाग़ फटने लग गया उसका…
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-19-2019, 01:19 PM

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