Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:17 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
हमारा कोई इरादा हनिमून का नही था…मैं सवी को अकेले में अपनी जिंदगी के बारे में सोचने के लिए वक़्त देना चाहता था …..मैने सवी से सॉफ सॉफ कह दिया था…या तो कोई जीवन साथी चुन ले या फिर मैं इसका और रूबी का कहीं और इंतेज़ाम कर दूँगा….रूबी की ज़िम्मेदारी मेरी ही रहेगी.

इस लिए हम तीन दिन के लिए मसूरी चले गयी – एक तरहा से ये फोर्स्ड हनिमून हो गया था…..

पर अभी मेरी बची कूची मर्यादा के और चिथड़े उड़ने बाकी थे…..सवी ने मेरे बारे में सोचना नही छोड़ा और सोनल कान्फरेन्स बीच में छोड़ के आ गयी …उसने सवी को ऐसी हालत में देखा और वो सब बोलते हुए सुना जो इसकी बर्दाश्त के बाहर हो गया.


सोनल बेहोश हो गयी थी ….और ये ना तो मैं बर्दाश्त कर सकता था और ना ही सुमन …हम उसी वक़्त वापस भागे….

होश में आते ही सोनल फट पड़ी…..सूमी को रंडी …छिनाल जाने क्या क्या नही बोला…..जो मैं कभी भी सुन नही सकता था….और सूमी तो पत्थर बन गयी थी…उसकी बेटी कभी उसे ऐसी गालियाँ देगी ….ये कोई माँ नही सह….सकती ……..मुझे सब सोनल को बताना ही था….और जैसे आज तुम्हें बता रहा हूँ…ऐसे ही सोनल को भी बताया था…तब जाके ये शांत हुई थी ….

सोनल की आँखें बरसने लगी….वो सुमन की गोद में सर रख रोने लगी.

सुमन : चुप हो जा पगली …ये सब होनी का किया धरा था. अब क्यूँ अपना मन मैला कर रही है.

सुनील ने आगे बोलना जारी रखा ……मैं सोचता था सोनल के दिल से मेरे लिए जो भावनाएँ जनम ले चुकी थी …वो वक़्त के साथ निकल गयी होंगी…क्यूंकी मैने कभी भी सोनल को एक लड़की की तरहा नही देखा था…मेरे लिए वो हमेशा मेरी बहन थी ..जिसके लिए मैं अपनी जान तक दे सकता था..पर मुझे नही मालूम था …मेरे ठुकराए जाने के बाद ये कुछ बोल नही रही थी पर अंदर ही अंदर ये मर रही थी.

मैने तो यही सोचा था कि सब कुछ बताने के बाद सोनल हालत को समझेगी ….मैं एक बात भूल गया था पर सूमी के जेहन में वो छाप गयी थी …इसने मुझे बेवफा बोला था जब इसने हमे पहली बार बेहोश होने से पहले फोन किया था ….सूमी इसकी वजह ढूँढने लगी ….और एक दिन सूमी के हाथ इसकी डाइयरी लग गयी…..वो पढ़ के सूमी की आत्मा तक रो पड़ी थी…उसकी बेटी इतना दर्द झेल रही थी और उसे पता ही ना था…उसने वो डाइयरी मुझे दी..पढ़ने के बाद मैं भी रो पड़ा…हम दोनो की आत्मा छलनी हो चुकी थी..पर मेरी मर्यादा मेरा पीछा नही छोड़ रही थी…इंसान हूँ…कितनी बार टूटता..पर सोनल के प्यार के आगे टूटना ही पड़ा.

मैं तब भी शायद नही टूटता सोनल को समझाने की आखरी कोशिश करता..पर शादी से पहले सूमी ने मुझ से वादा लिया था कि जब मैं 28-030 का होउंगा तो अपनी पसंद की लड़की से शादी करूँगा .....सूमी ने मुझे वो वादा याद दिलाया और उसे सोनल से अच्छी कोई लड़की ना नज़र आई जो दिल से..अपनी रूह से मुझे प्यार करती है....ऐसी लड़की तो चिराग लेके भी ढूंढता तो नही मिलती .....और मैं टूट ही गया.

अब सुनील ने सोनल की तरफ देखा …कि वो खुद अपने दिल की बात बोले जो उसने डाइयरी में लिखी थी.

इस दौरान रूबी सवी को घूरती जा रही थी…उसका बस चलता तो फट पड़ती….पर सुनील ने उसे रोक रखा था…जब तक सारी बात ख़तम नही होती …तब तक उसे चुप ही रहना था…और वो बस आँखे फाडे….कानो में बॉम्ब फुट हुए महसूस कर बस सुनती जा रही थी…और हर पल उसके अंदर सुनील के लिए इज़्ज़त बढ़ती जा रही थी.

सोनल : आज मेरी जिंदगी में खुशियाँ ही खुशियाँ हैं …मुझे मेरा प्यार मिल गया….और इस प्यार को मुझे सोपने वाली और कोई नही मेरी प्यारी दीदी हैं (सुमन के गले लगते हुए)

(रूबी देख रही थी कैसे रिश्ते बदले कैसे दो औरतें एक की हो के रह गयी और इतना प्यार आपस में ….काश वो एक झूठी पत्तल ना होती तो आज अपने देवता के चरणों में बिछ जाती और अपनी जिंदगी की गुहार लगती…..रो पड़ा उसका दिल…..काश वो सागर के साए तले पनपती …काश उसका शोसन ना होता…….दिल तक रोते हुए हिचकियाँ लेने लगा)


मैने कभी इन्हें किसी और नज़र से नही देखा था…मुझे इस बात पे हमेशा गर्व होता था…मुझे कितना प्यारा भाई मिला है….यकीन के साथ कह सकती हूँ….किसी का भी भाई इनकी तरहा नही होगा…ये अपने आप में एक मिसाल हैं……ये छोटे होते हुए भी एक चट्टान की तरहा हर वक़्त मेरी हिफ़ाज़त करते रहे.


वो दिन आज भी जब मेरी आँखों के सामने आता है..मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं…किस तरहा घायल होने के बाद भी ये मेरी हिफफज़त के लिए लड़ते रहे…और मुझे बचा के निकाल लाए…वरना मैं कब की लुट गयी होती…और ऐसा होता तो आज जिंदा भी ना होती…उस दिन ये मेरे हीरो बन गये थे…मेरे दिल में ये वो जगह ले चुके थे जो मैं पहचान नही पाई थी…क्यूंकी कभी लड़कों में इंटेरेस्ट नही रखा था..इसलिए जब किसी लड़के से प्यार हो जाता है …इस बात का मुझे ना कोई अहसास था ना कोई समझ ….हां उसी दिन से मैं इन्हें प्यार करने लग गयी थी…पर इस प्यार को मैने बहुत देर बाद समझा.

बुरी तरहा से ज़ख्मी हुए थे ये…हाथ में प्लास्टर ,टाँग में प्लास्टर, सर ज़ख़्मों से भरा हुआ…जिस्म का कोई हिस्सा भी ना बचा था जहाँ इन्हें चोट नही आई थी….
मेरी जान पे बनी रही जब तक ये होश में नही आए थे …तब एक बहन ही रोती थी अपने भाई के लिए….लेकिन जब ये घर आए …तो इनकी सपंगिंग का जिम्मा मैने लिया…किसी और को इनकी सेवा कैसे करने दे सकती थी……तब मुझे अहसास हुआ इनकी बॉडी देख …पूरा बांका छैल छबीला था मेरा भाई…..दिल में प्यार की कोंप्लें फूटने लगी थी..पर मैं पहचान नही पाई थी…
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-19-2019, 01:17 PM

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