Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:17 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सालों तक यूँ ही चलता रहा……..लेकिन बात तब की है जब मैं सोनल को बचाते वक़्त ज़ख्मी हो गया था. मेरे ठीक होने के बाद ही इनका टाइम था या फिर डेले किया गया था…इनका पर्सनल हॉलिडे गोआ में हुआ.

एक दिन मैं बहुत उदास था….सुमन की बहुत याद आ रही थी…ये वो दिन था जब सोनल ने अपने प्यार का इज़हार किया था मुझ से…मेरे पैरों के तले ज़मीन निकल गयी थी…उस वक़्त मुझे अपनी माँ की सख़्त ज़रूरत थी..मैने फोन कर दिया…..लेकिन मुझे नही मालूम था कि ये फोन मुझे एवरेस्ट से उठा के सीधा पटल में फेंक देगा……उस दिन मुझे पता चला कि ये स्वापिंग करते हैं….और मैं सागर का नही समर का बेटा हूँ….और समर उस वक़्त सुमन को मुझे सेक्स लेसन्स देने की बात कर रहा था…….ज़मीन तक फट गयी थी मेरे लिए……शायद मैं अगले दिन खुद को ख़तम ही कर डालता ….पर सोनल से बहुत प्यार करता था मैं…एक भाई की तरहा…एक बार उसे उठाने की कोशिश करी गयी थी ….मेरे ना होने के बाद तो कुछ भी हो सकता था…मैने आत्म हत्या करने से खुद को रोक लिया ….पर मैं 24 घंटे अंगारों पे लोटने लग गया.

अगले दिन ये अपना बाकी का हॉलिडे कॅन्सल कर वापस आ गये. और सुमन मुझे खजुराहो ले गयी. समर की बातों में आ मुझे और भी जहन्नुम में धकेलने के लिए.

सुमन …..सुनील का फोन आने के बावजूद भी समर ने मुझे नही छोड़ा वो मेरे साथ सेक्स करता रहा…मुझ से बात करनी मुश्किल हो गयी और फोन मेरे हाथों से छूट गया….तब मैने यही सोचा था कि फोन बंद हो गया….उस दिन समर मुझे सुनील को सेक्स लेसन्स देने के लिए ज़ोर डालने लगा…यहाँ तक कि उसने रोल प्ले भी शुरू कर दिया खुद सुनील बन गया….और मैं बहकति चली गयी …..ऑर्गॅज़म्स के वक़्त मुझे सुनील ही दिखाई देने लगा ….अगले दिन पता चला कि सुनील ने सब सुन लिया है …मेरी जान निकल गयी…सुनील तो मेरी हर धड़कन का हिस्सा था…ऐसा बेटा नसीब वालों को ही मिलता है…इसकी हालत का अंदाज़ा में लगा सकती थी …इसलिए फटाफट वापस आई और अगले दिन ही इसे अपने साथ खजुराहो ले गयी…थे सिटी ऑफ सेक्स टेंपल्स…..मेरी जिंदगी में कोई सच्चा दोस्त नही था…मैने सुनील को ही अपना दोस्त चुना….एक वक़्त ऐसा भी आता है कि माँ बाप अगर बच्चों के दोस्त ना बने तो बच्चे गुमराह हो जाते हैं…मैने इसे सेक्स लेसन्स देने शुरू किए…लेकिन हर पल मैने देखा किस तरहा ये खुद से लड़ रहा है….इसको जो संस्कार मैने और सागर ने दिए थे वो हर बार आड़े आ रहे थे….और यहाँ बात उल्टी ही हुई ….यहाँ कोई बच्चा गुमराह नही हो रहा था…यहाँ एक माँ गुमराह हो चुकी थी…..और ये बुरी तरहा भाड़क गया…इसने मुझे ये अहसास दिलाया कि हम सब समर के हाथों की कठपुतली बन चुके थे जिससे वो अपनी मर्ज़ी से इस्तेमाल कर रहा था.

सुनील : और तब डॅड (सागर) के दो एसएमएस आए ….एक वो जो तुमने डॅड को भेजा था ….सेव मी अंकल.
एक डॅड का : रीप्लेस मी इन सुमन’स लाइफ और एक वो एमएमएस जो रमण ने तुम्हें भेजा और तुमने डॅड को.
यही वजह थी डॅड को अटॅक आया और वो नही बचे….क्यूंकी तुम उनकी बेटी थी….तुम्हारा शोसन होता रहा और एक बाप ये सच्चाई झेल नही पाया.

(आज रूबी को पता चला कि उसका प्यारा अंकल …अंकल ही नही उसका बाप भी था…और उसकी मोत के पीछे उसका भी हाथ था…..बिलख बिलख के रोने लगी वो)



सविता ….सब को भूख लग रही होगी ….मैं नाश्ता लेके आती हूँ……

सुमन : चल मैं भी साथ चलती हूँ…जल्दी काम निबट जाएगा

ये दोनो ब्रेकफास्ट बनाने निकल पड़ी और सुनील ….रूबी को चुप करने लग गया.

रूबी का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था…..मेने अपने अंकल को मार डाला…मेरी वजह से उनकी मोत हुई…और आप आज बता रहे हो….क्यूँ किया मेरे साथ ऐसा….वो वो मेरे पापा थे….मेरे पापा थे वो…ओह गॉड ….आज समझ में आया क्यूँ वो डॅड से भी ज़यादा मुझ से प्यार करते थे…मैं जब भी परेशान होती थी..उनके पास ही जाती थी………कम से कम एक बार तो उनके आखरी दर्शन करवा देते. क्यूँ किया ऐसा मेरे साथ…


तब तक सवी और सूमी भी आ गये नाश्ते का समान लेकर.

सूमी ने रूबी को गले से लगा लिया….बस कर गुड़िया….ये सब होनी का खेल है ….क्या करता ये तेरा भाई उस वक़्त …..सोच इसकी क्या हालत हो रही होगी ….जिस समर की ये शकल नही देखना चाहता था..तेरी वजह से वहाँ गया और तुझे यहाँ लेके आया…सवी को तब पता चला समर मुझ से क्या करवाना चाहता था…और ये भी साथ चली आई ……इतना मत कोस अपने भाई को.

रूबी हिचकति रही और कुछ देर बाद गमगीन चेहरा लिए चुप चाप बैठी रही …….उसके मन से ये बात निकल ही नही रही थी …की सागर की मोत में उसका हाथ है.

सब ने चुप चाप नाश्ता किया…..

सुनील ने फिर बोलना शुरू किया….’वक़्त गुजरने लगा …मैं तुम्हें और सवी को यहाँ ले आया था….तुम्हारा यहाँ अड्मिशन करवा दिया…तब मैं रमण से मिला …मिलना नही चाहता था पर अपने एक दोस्त की वजह से मिलना पड़ा…वो उस वक़्त हॉस्पिटल में अड्मिट था….मैने उसे बस इतना कहा ….कि तुम्हारी जिंदगी में कभी दुबारा कदम रखने की कोशिश ना करे….और अगर वो सच में तुमसे सच्चा प्यार करता है तो तीन साल बाद मिले ….तब तक तुम्हारी डिग्री भी पूरी हो जाएगी …तुम अपना भला बुरा समझने लगो गी ….तब अगर तुम और रमण दोनो एक साथ जिंदगी गुज़ारना चाहोगे तो में बीच में नही आउन्गा.

सुनील कुछ देर रुका रूबी का रियेक्शन देखने के लिए …पर उसने नज़र तक ना उठाई……..सुनील ने फिर बोलना शुरू किया…..

सुमन धीरे धीरे खुद को मारती चली गयी…उसके मन में जीने की आस ख़तम होती चली गयी ….ये मुझ से बर्दाश्त ना हुआ….हम दोनो ही खुद से लड़ रहे थे….डॅड के आखरी हुकुम को ले कर……मैं दो तरफ़ा खुद से लड़ रहा था…मुझे सूमी से प्यार हो गया था…वो पहली औरत है जिसने मुझे चुंबन का अहसास कराया था…पर मैं अपनी मर्यादा में जकड़ा हुआ था….सुमन भी अपनी मर्यादा में जकड़ी हुई थी ….ये फ़ैसला लेना इतना आसान नही था…..एक माँ एक बेटे की पत्नी बने और एक बेटा अपनी माँ का पति बने….जब तुम दोनो बाहर गये हुए थे कुछ दिनो के लिए तब मर्यादा की दीवारें टूट गयी मैने डॅड के हुकुम को मान लिया और उनको सूमी की जिंदगी में रीप्लेस कर दिया…. तब भी एक बार सुमन के अंदर बसी माँ बिलबिला उठी थी…लेकिन मैं उसकी माँग भर चुका था….दूसरी बार अपना सिंदूर पोंछने की उसमे हिम्मत ना हुई…..क्यूंकी उसका मतलब था मेरी मोत…..और हम इस बंधन में बँध गये.

सोनल उस वक़्त बंगलोर गयी हुई थी. सुमन ने दुल्हन का रूप ले लिया था…..हमने सोचा यही था कि सबके आने पर जब तक मेरी डिग्री पूरी नही हो जाती …तुम्हारी और सोनल की शादी नही हो जाती…ये रिश्ता हर एक से छुपा के रखेंगे…दिन के उजाले में सुमन मजबूर हो कर विधवा का ही रूप रखेगी. .पर होनी को कुछ और मंजूर था.

सवी अगले दिन टपक पड़ी और सूमी को दुल्हन के रूप में देख बुरा भला कहने लगी ….तब हमने सवी को डॅड के उस एसएमएस के बारे में बताया ….जिसमे डॅड ने लिखा था…रीप्लेस मे इन सुमन’स लाइफ……सवी ने मुझे जीजा के रूप में स्वीकार कर लिया.

पर इस जीजा साली के रिश्ते में वो कुछ और भी खोजने लगी….साली आधी घरवाली …को वो सच करने पे तुल गयी ….और ये मैं कभी मंजूर नही कर सकता था…..मुझे ऐसा लगा जैसे कोई भुंचाल आ गया हो……सूमी को भी ये मंजूर नही था….कि हमारे बीच ऐसा कोई भी रिश्ता बने…

रूबी के लिए एक न्यूक्लियर बॉम्ब से कम नही था…जिस भाई पे वो खुद आसक्त हो गयी थी..उसकी माँ भी उसी भाई पे आसक्त है……वो कुर्सी से उछल ही पड़ी थी और फटी आँखों से सवी को देखने लगी……

सवी के लिए भी ये एक बॉम्ब से कम नही था..कि उसके दिल की बातें उसकी बेटी के सामने खुल जाएँगी.

सवी को समझ नही आया कि क्या करे….सुनील इस तरहा उसे बेनकाब करेगा रूबी के सामने …ये तो ख्वाब में भी नही सोचा था….(अभी वो ये नही जानती थी कि रूबी भी सुनील पे आसक्त है) ….अगर सुनील ने ऐसा ही करना था तो उस चुंबन का क्या मतलब है जो उसने हॉस्पिटल में किया था…आख़िर सुनील चाहता क्या है…..

सुनील ने सवी पे ध्यान नही दिया और आगे बोलता रहा…..
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