RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन की हालत ऐसी थी कि वो उसी वक़्त उसके पीछे भाग नही सकती थी सुहागन के रूप में……..रोना छूट गया उसका और मजबूर हो उसने सोनल को फोन कर डाला.
जिस वक़्त सुमन ने सोनल को फोन किया था …उस वक़्त तक रूबी सोनल का दिमाग़ खा खा कर सो चुकी थी …..सोनल को भी नींद नही आ रही थी … कुछ उसे परेशान कर रहा था..पर वो कुछ क्या था वो समझ के भी वो समझना नही चाहती थी …पर जब सुमन का फोन आया तो उसने सिर्फ़ इतना कहा मैं आती हूँ ……और एक नज़र रूबी पे डाल चुप चाप कमरे से बाहर निकल गयी …..
सुमन के कमरे में पहुँची तो सुमन को रोते हुए पाया ………..
‘क्या हुआ …वो कहाँ हैं ….आप रो क्यूँ रही हो ….’
सारी बात सुनने के बाद …..’आप भी ना…खुद ही उन्हें दावत दी और खुद ही नकार दिया ……अब गुस्सा नही करेंगे तो क्या करेंगे …….आपकी प्राब्लम बताऊ ……वो कोई बच्चे नही हैं जितना हम सब का दिमाग़ दौड़ता है वो उसके आगे का सोचते हैं …….और अब आप भूल जाइए कि आप उनकी माँ हैं ……आप सिर्फ़ और सिर्फ़ उनकी बीवी हैं …….परेशान मत होइए मना के भेजती हूँ उन्हें अगर मुझ से भी नाराज़ ना हों तो…..चियर अप दीदी …ये तो विवाहिक जीवन में होता ही रहता है’ सुमन के होंठों पे छोटा सा चुंबन जड़ वो सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी और सुमन सोचने लगी उसने क्या ग़लती करी………
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वहाँ रमण और मिनी जब घर पहुँचे ……आप बैठिए मैं खाना तयार करती हूँ…..
‘खाना आज बाहर से मंगवा लेते हैं …..बस मेरे पास रहो’ रमण फोन कर किसी रेस्टोरेंट को ऑर्डर कर देता है ………मिनी उसके पास ही बैठी गयी....
………..रमण उसकी गोद में सर रख लेट जाता है ………’आज भी इस बात पे यकीन नही होता …मुझ जैसे गलिज़ आदमी को तुमने पसंद कर लिया ….और पसंद ही नही किया …मुझे उपर से नीचे तक बदल दिया’
‘आप बुरे तो कभी थे ही नही …आपके हालत ही ग़लत थे ……और जब कोई आदमी ग़लत हालत में पालेगा ….तो ग़लत ही बनेगा ना ……लेकिन देखो आप कैसे कोयले की ख़ान में से हीरा बन के बाहर आए ‘
‘मैने बहुत पाप किए हैं मिनी …..जिस बहन का मुझे रक्षक बनना था …जिसकी राखी की लाज को सलामत रखना था …मैं उसका ही भक्षक बन गया और तो और अपनी दूसरी बहन को भी ग़लत नज़रों से देखने लग गया ……….मुझे तो नर्क में भी जगह नही मिलेगी ‘
‘देखना वो दोनो आप को माफ़ कर देंगी एक दिन …..मैं एक बार सब से मिलना चाहती हूँ ….हाथ जोड़ के माफी माँग लूँगी …..देखना सब ठीक हो जाएगा’
‘ये नही हो सकता ….मुझे आज भी सुनील की वो दहक्ति हुई निगाएँ याद हैं …..वो एक भाई की थी ….जो मैं कभी नही बन सका……मैं कभी उन आँखों का सामना नही कर पाउन्गा’
‘तो क्या आप कभी मम्मी जी से भी नही मिलेंगे …..आप बेटे हैं उनके…..आपको उनकी ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए….सब कुछ आप सुनील भाई पे छोड़ देंगे ……अब तो अंकल भी नही उनके साथ…..ज़रा सोचिए ….आप से छोटे हैं वो और अकेले जिंदगी के तूफान से लड़ रहे हैं…..शर्म नही आती आप को …कुछ बुरा भला ही कहेंगे ना ….,है तो आपके अपने ‘
‘तुम नही समझोगी ‘
‘मुझ से बेहतर कॉन समझे गा जी आप को …….और इतना तो समझ ही चुकी हूँ …….आपके घरवाले हीरा हैं हीरा …जिनकी कदर आप नही समझते ….’
‘ तो तुम क्या चाहती हो…मैं उनके सामने जाउ और गालियाँ सुनू’
‘हां एक बार नही ..हज़ार बार सुनो और मुझे भी सुनवाओ’ मिनी रो पड़ी
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यहाँ सोनल ….सुनील के दरवाजे को खटखटा रही थी ….’खोलिए ना….प्लीज़….देखो ऐसे नाराज़ नही होते …..प्लीज़ खोलो ना……खोलिए नही तो शोर मचा दूँगी हां ‘
सुनील कोई जवाब नही देता….
‘मैं रो पड़ूँगी और वो भी रो रही है…खोलो ना….प्लीज़….’
सुनील फिर भी नही खोलता….कैसे खोलता…पूरी बॉटल जो नीट चढ़ा गया था गुस्से में’
सोनल कुछ देर खटखटाती रही और फिर रोती हुई सुमन के पास चली गयी….
सोनल जब कमरे में घुसी तो सुमन रो रही थी……सोनल उसके गले लग रोने लगी…..’क्यूँ मना किया आपने उनको…..अपना हक़ तो माँग रहे थे…….’
‘तू तो जानती है कितने दिनो से कॉलेज मिस हुआ है…..अगर करने देती तो रात भर नही छोड़ते और फिर सुबह जल्दी कैसे उठते….क्या मेरा दिल नही करता कि उनकी बाँहों में रहूं……’
‘अब आप ही उन्हें सुबह मनाना…लगता है पी के लूड़क गये हैं….इतना गुस्सा क्यूँ आता है उनको….’
‘सारी ग़लती मेरी है …..एक बार कर लेते तो उनको थोड़ा सकूँ मिल जाता…मैं भी कितनी गधि हूँ’
दोनो बातें करते करते एक दूसरे के आँसू पोंछते हुए सो गयी.
रात करीब 12बजे का ही समय था….आज भी कमल अपने कमरे से बाहर निकला ….जयंत सो चुका था….
एक साया फिर लड़कियों के हॉस्टिल की तरफ बढ़ रहा था…………उसने फिर एक लड़की के कमरे को खटखटाया ……और फिर घृणात्मक कार्य हुआ …उसका लड़की का रेप कर फिर उसकी छाती में के गोद कर वो जैसे आया था वैसे गायब हो गया.
शायद उसे पहले से ही मालूम था कि वो लड़की अपने रूम में अकेली होगी ….. ……..ये साया कहाँ से आया और कहाँ गायब हुआ पता ही ना चला..
जब कमल अपने कमरे में पहुँचा तो हाँफ रहा था …जैसे कहीं से भाग की आ रहा हो…अंधेरे में वो टेबल से टकराया…और जयंत की नींद खुल गयी उसने लाइट जला डाली ….स्विच उसके बेड के पास था….कमल को देखा जो अभी हाँफ रहा था……
‘क्या हुआ हाँफ क्यूँ रहा है…कहीं गया था क्या तू …..’
‘वो बस नींद नही आ रही थी तो बाहर चला गया था….पता नही कहाँ से चमगडाह आ गये तो भाग के आना पड़ा….’
जयंत का माथा ठनका….ये कुछ छुपा रहा है……..इस वक़्त वो कुछ ना बोला….चुप चाप लेट गया…..पर इस वक़्त रात को ये कहाँ गया था…और चमगडाह तो यहाँ है ही नही …क्यूँ झूठ बोल रहा है …..
जयंत ने अब कमल पे रात को भी निगरानी रखने का फ़ैसला कर लिया.
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अगले दिन सुबह सुनील की नींद जल्दी खुल जाती है….अपने पास पड़ी खाली बॉटल देखता है और रात की सारी बातें याद आने लगती है….किस तरहा वो गुस्से से सुमन के कमरे से बाहर निकला था……..
ग़लती किसकी ………अपने आप से तर्क वितर्क करता है…..तो ग़लती उसे अपनी ही ज़यादा लगती है…….दुखी हो जाता है …….कि उसने अपनी सुमन को रुला दिया….फटा फट तयार होता है ……उसके कुछ कपड़े उसके ही रूम में रखे होते हैं दुनिया को दिखाने के लिए…पर उनमे कोई अच्छी ड्रेस नही होती…ऐसे ही कामचलाऊ घर पहनने वाले होते हैं….वो उनमे से ही कुछ पहन लेता है और सीधा सुमन के कमरे में झाँकता है……..जहाँ अभी सुमन और सोनल दोनो ही सो रही थी….घड़ी पे नज़र पड़ती है….अभी सुबह के 5 ही बजे थे…….हॅंगओवर से उसका सर भन्ना रहा होता है….कसम खा लेता है…कभी नीट नही पिएगा और इतनी ज़यादा तो कभी नही चाहे मूड कितना भी ऑफ क्यूँ ना हो.
किचन जा कर तीन कॉफी तयार करता है और सुमन के कमरे में चला जाता है…….
कॉफी साइड टेबल पे रखता है और सुमन के पास जा के बैठ जाता है…गालों पे आँसू सुख चुके थे और उनके निशान सॉफ सॉफ दिख रहे थे….तड़प उठता है और उसके गालों को चाटने लगता है……सुमन थोड़ा कुन्मूनाती है…..और सुनील धीरे से अपने होंठ उसके होंठों पे रख देता है……..नींद में ही सुमन की बाँहें उसके गले का हार बन चुकी थी……सुनील धीरे धीरे सुमन के होंठों का रस चुराने लगता है और कुछ देर में सुमन की आँख खुल जाती है…वो कस के सुनील से चिपक जाती है.
सुनील ….अपने होंठ अलग करता है ….उसकी आँखों में देखता है और….’सॉरी’ बोलने वाला होता है …कि सुमन उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर देती है.
दोनो फिर अलग होते हैं………..और एक साथ ही दोनो के मुँह से निकलता है….’गुड मॉर्निंग डार्लिंग’
फिर सुनील उसे कॉफी का कप पकड़ता है और बिस्तर के दूसरी तरफ जा वो सोनल पे झुक जाता है…..
सोनल जाग चुकी थी और इंतेज़ार कर रही थी….सुबह के उस पहले मीठे चुंबन का ….जिसके बाद ही वो अपनी आँख खोलती …..सुनील के होंठ जैसे ही उसके होंठों को छूते हैं…..वो लिपट जाती है सुनील से…..इनके बीच की नाराज़गी बस इतनी ही देर की होती है…एक चुंबन उस नाराज़गी को …..दूर कर देता है……ऐसा है इनका प्यार …….सोनल और सुनील एक दूसरे में खो जाते हैं…..और किसी की नज़र उन दो आँखों पे नही पड़ती जो इन्हे देख रही थी….और आँसू बहा रही थी…..बेधयानी में सुनील ने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था….
रूबी बहुत खुश थी….सोनल की शादी की फोटोस देखती देखती पता नही कब सो गयी थी…सुबह जल्दी ही उठ गयी…और सोचा कि आज सबको कॉफी पिलाकर सर्प्राइज़ देगी…..खास कर अपने भैया को…रोज तो कभी सुमन और कभी सविता ही मॉर्निंग टी/कॉफी बनाती थी…और आज वैसे भी जल्दी उठ गयी थी..फ्रेश हो कर वो नीचे आई तो देखा सुनील किचन से कॉफी बना के बाहर निकला और सुमन के कमरे में घुस गया….वाह क्या बात है भैया की सुबह सुबह खुद ही कॉफी बना के आंटी को देने चले गये.
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