Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:00 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
खाना आते ही सुनील ने अपना ग्लास खाली कर दिया था और सूमी को बस एक आँख के इशारे से एक और पेग बनाने को बोल दिया था……ये रात चाह कर भी शायद ये तीनो सो ना पाए… सुनील बेसब्री से सवी के फोन का इंतेज़ार कर रहा था.

‘सोनल…मेक श्योर सवी कुछ खा ले….’ वो खुद सवी को इस बारे में फोन नही करना चाहता था… कि कहीं सवी उस चुंबन का कोई ग़लत मतलब ना निकालने लग जाए. उसका मक़सद बस उसे हिस्टेरिकल अटॅक से बाहर निकालने का था और कुछ नही.

खाना ख़तम हुआ …..सवी का फोन आ गया……..रूबी का रेप नही हुआ था….पर जिस्म पे चोटों के काफ़ी निशान थे जैसे हाथा पाई करी गयी हो. अटेंप्ट टू रेप वाज़ सर्टन.

सुनील का खून खोल उठा… उसने उसी वक़्त विक्रम को कॉल करी और सारी बात से अवगत करवाया…….

और खुद ही उसे रूबी के कमरे की तलाशी लेने अगले दिन सुबह बुलवा लिया.

भूकंप आ गया था घर में.

एक बहन को उसने बचा लिया था दूसरी को……ये सोच सोच उसका दिमाग़ फटने लगा और विस्की की बॉटल उठा सीधा मुँह से लगा ली.

सोनल और सूमी दोनो उसकी तरफ लपकी…. और बॉटल मुँह से खींच ली.

‘जान से मार दूँगा उसे … जो भी हो……..’ दहाड़ उठा था सुनील. एक शेर घायल हो गया था.

‘जानू कंट्रोल करो खुद पे …….आवेश ग़लतियाँ करवाता है……..प्लीज़ जान’ सोनल उस से लिपट के बोली.

सुनील इस वक़्त इतना गुस्से में आ चुका था कि उसका चेहरा भट्टी की तरह दाहक रहा था…उसकी नसें फूल चुकी थी ….जिस्म कांप रहा था.

सुमन भी उस से लिपट गयी ‘शांत …..शांत मेरी जान…..जंग आवेश में नही लड़ी जाती …जिसने भी हमारी इज़्ज़त पे डाका डालने की कोशिश करी है – उसे उसके अंजाम तक पहुँचाएंगे…….पहले आप शांत हो जाओ जानू ….प्लीज़’

प्यार तोड़ देता है आवेश को पर जनम देता है भावनाओं को …….सुनील टूट गया ….वो धम्म से बिस्तर पे गिर गया अपने साथ दोनो को ले कर…..’मैं अपनी बहन की रक्षा नही कर पाया……डॅड ….सॉरी….सॉरी….’ वो रो पड़ा.

‘तुम्हारा कोई दोष नही है जान…प्लीज़ खुद को दोषी मत समझो’ तुम जैसा भाई तो किस्मत वालों को मिलता है …….और ये तुम ही थे ….तुम्हारी शक्ति थी उसके पीछे….जिसने रूबी को ताक़त बख्शी थी……हर वक़्त साथ तो कोई किसी के साथ नही रह पाता…पर तुम्हारा प्यार उसके साथ था…तुम्हारा दिया हुआ कॉन्फिडेन्स उसके साथ था…’ खुद को दोषी मत समझो मेरी जान सुमन उसके चेहरे को चूमते हुए बोली.

सुनील को संभालते संभालते रात के 12 बज गये……..

सुनील : सोनल वो वो लेटर ले के आ अभी

सोनल भागी रूबी के रूम की तरफ

और इसी वक़्त कमल अपने बिस्तर से उठा ….जयंत की तरफ एक नज़र डाली जो सो चुका था.
चुप चाप कमरे से बाहर निकल गया.

गर्ल्स होस्टल के अंदर कुछ देर बाद एक शख़्श घुसा पूरी तरहा नक़ाब के पीछे छुपा हुआ…….धीरे धीरे चारों तरफ देखते हुए वो एक कमरे की तरफ बढ़ रहा था…..तभी कुछ खटका हुआ और वो एक पिल्लर के पीछे छुप गया.

वॉर्डन अपने कमरे से निकली थी रात का दौरा करने.
करीब 15 मिनट बाद वो अपने कमरे में चली गयी थी ……..और वो शख़्श पिल्लर के पीछे से निकला और एक कमरे की तरफ बढ़ने लग गया जैसे कि पहले से ही जानता हो उसे किस कमरे की तरफ बढ़ना था.

कमरे के पास पहुँच ….वो नॉक करता है …..एक लड़की की आवाज़ निकलती है …..जिसे सुन अंदर का शख़्श दरवाजा खोल देता है ये बोलते हुए तू तो कल आनेवाली थी……….उसी वक़्त उसके मुँह पे एक टेप चिपक जाती है ----नक़ाब वाला उसे अंदर धकेल घुस जाता है ……दरवाजा बंद होता है ….फिर एक घिनोना काम शुरू होता है कि उपरवाला भी ये सोचने पे मजबूर हो जाता है …..मैने इंसान क्यूँ बनाया ……जाते जाते वो शख़्श उस लड़की की छाती पे एक चाकू से के खोद के चला जाता है.

वो लड़की अधमरी सी पड़ी कोस रही थी उस घड़ी को ---जिस घड़ी उसे लड़की के रूप में जनम लेना पड़ा…….

यहाँ…….इस दोरान सोनल वो लेटर ले आई थी और सुनील को थमा दिया ……….सुनील उसे पढ़ने लग गया

जैसे जैसे वो उस लेटर को पढ़ता गया उसके मुँह में क़ुनैन की गोलियाँ घुलती चली गयी अभी उसने दो पेज ही पढ़े थे कि उस लेटर को फेंक दिया……और सोचने लग गया ------ये लेटर नही हो सकता ……रूबी की हालत का कारण ……सवी ने अटेंप्ट तो रेप बताया था.

सुमन ने वो लेटर उठा लिया और पढ़ने लग गयी……

‘आपके लिए कॉफी ………’ बहुत ही हिचकिचाते हुए सोनल बोली….

सुनील बस उसे थाम उसके पेट से अपने चेहरे को लगा लिया…जैसे एक बच्चा दौड़ता हुआ आके अपनी माँ से चिपकता है ….ये लेटर और अटेंप्ट टू रेप ….पागल हो गया था सुनील…..

सुमन वो लेटर पढ़ती चली जा रही थी और उसके चेहरे पे किसी के लिए गृहण के भाव उत्पन्नर होते हुए गहरे होते जा रहे थे.

तभी सवी का फोन आता है ……रूबी होश में आ गयी थी.

सुमन वो लेटर फेंक देती है और तीनो हॉस्पिटल की तरफ रवाना हो जाते हैं.

क्या था ये लेटर जो पढ़ते हुए सुनील फेंक देता है और सुमन के चेहरे के भाव बदलते रहते हैं.



रास्ते में सुनील विक्रम को फोन कर देता है …..जो इस वक़्त आए फोन से पहले खुंदक में आता है फिर जब …..सुनील की दहाड़ से नींद खुलती है तो वादा कर हॉस्पिटल के लिए रवाना हो जाता है.

रूबी बस सुनील से ही मिलना चाहती थी….होश में तो पहले ही आ चुकी थी…पर उसका अवचेतन मश्तिस्क चेतन मश्तिस्क पे हावी हो रहा था…..एक जंग लड़ रहा था वो…रमण…कमल…सुनील के बीच….किसकी होना चाहती थी वो……ये फ़ैसला लेना उसे बहुत कठिन लग रहा था…..सारे तर्क वितर्क चलते रहे और अंत में उसकी आँखें खुली होंठों पे एक ही नाम था सुनील…….

सब हॉस्पिटल पहुँच गये….तब तक रूबी को आइसीयू से शिफ्ट कर दिया गया था…..सवी उसके पास ही थी…लेकिन रूबी उस से कोई बात नही कर रही थी….उसे इंतेज़ार था….केवल एक का….उसका सुनील….जो फ़ैसला उसके अवचेतन मस्तिष्क ने लिया था…..वो उसकी रूह की आवाज़ थी….वो अपने मोहसिन को पहचान चुकी थी….एक डर था उसके अंदर कहीं उसका मोहसिन उसे ठुकरा ना दे….झूठी जो हो चुकी थी वो…मुरझा चुकी थी…और मुझाए हुए फूल देवता के चरणों में अर्पित नही किए जाते….क्या उसका देवता उसे नया जीवन…नयी आस देगा…क्या वो उसे कबूल करेगा…या छोड़ देगा….अनदेखी राहों में भटकने के लिए …जहाँ चील कौवे तयार बैठे हैं उसका माँस नोचने के लिए…..

रूबी के दिल से एक आवाज़ निकल रही थी अपने सुनील के लिए


बिन पुच्छे मेरा नाम और पता
रस्मों को रख के परे
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे

बिन पुच्छे मेरा नाम और पता
रस्मों को रख के परे
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे


बिन कुछ कहे, बिन कुछ सुने
हाथों में हाथ लिए
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे

हे.. बिन कुछ कहे, बिन कुछ सुने
हाथों में हाथ लिए
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे

आँखें दरवाजे पे टिकी हुई थी........उसके इंतेज़ार में.

सुनील भागता हुआ अंदर कमरे में घुसा…..जैसे ही उसकी नज़रों से रूबी की नज़रों चार हुई ….एक आस …एक प्रार्थना….एक इल्तीज़ा उसकी आँखों में सॉफ सॉफ देखी उसने…..पर उनको उसने ग़लत समझा….वो उन्हें एक भाई के लिए समझ रहा था….

सुनील उसके पास जा के बैठ गया……क्यूँ किया तूने ऐसा…..कॉन था वो…….इस भाई का ज़रा भी ख़याल नही आया……देख अपनी माँ को……बिखर गयी है वो……..

रूबी ने अपनी नज़रें सवी की तरफ करी जैसे कह रही हो…हमे अकेला छोड़ दो. सवी बाहर चली गयी.

सुनील ……..कॉन था वो…..

रूबी ….ने अपनी बाहें फैला दी……….अपने मोहसिन को अपनी बाँहों में समेटने के लिए…….

सुनील उठ के उसके उपर झुक गया और रूबी ने उसे अपनी बाँहों के घेरे में ले लिया…..कितना सकुन मिला था उसे…..उसके होंठ धीरे से बस इतना ही बोले……’आपको छोड़ के कैसे जाती…..आ गयी ना वापस……डर गयी थी….मेरा देवता इस झूठे फूल को स्वीकार करेगा या ठुकरा देगा.’

सुनील हिल गया….ये एक बहन नही बोल सकती…..वो फटी आँखों से रूबी को देखने लगा…….उसे अपने कानो पे जैसे भरोसा ही उठ गया…….बहुत ही सर्द भरी आवाज़ निकली उसके मुँह से……कॉन था वो…

‘अंधेरा था…उसने नक़ाब ओढ़ा हुआ था….मेरे मुँह पे टेप चिपकाने की कोशिश करी…पर किसी तरहा मैं भाग निकली..शायद उस वक़्त आप थे मेरे साथ …पता नहीं कहाँ से ताक़त आई मुझ में और उसके चुंगल से निकल भागी…घर पहुँची किसी तरहा…..तो रमण का लेटर मिला…..वो पढ़ने के बाद जीने की इच्छा ही ख़तम हो गयी……क्यूँ किया उसने मेरे साथ ऐसा….क्यूँ किया मेरे साथ प्यार का ढोंग….बस मेरा जिस्म पाने के लिए ….और छलनी कर दिया मेरी आत्मा को’ बिलख बिलख के रोने लगी…..

सुनील उस से अलग हुआ उसके माथे को चूमते हुए बोला…..तेरा भाई आ गया है…सब ठीक कर देगा….अभी तू सदमे में है ….इसलिए उत्पाटांग सोच रही है…..खैर ठीक हो जा फिर बात करेंगे….

तब तक विक्रम भी आ गया और रूबी का ब्यान लेके चला गया….रूबी ने रमण के लेटर वाली बात छुपा ली…थी….लेकिन विक्रम ने उस वक़्त कुछ नही बोला…..बस दिमाग़ में एक शक़ ले कर चला गया….लॉट के फिर आने के लिए.

सुमन…..सोनल….सवी तीनो अंदर आ गये थे जब विक्रम अंदर आया था. सुनील कमरे से बाहर निकल गया…..उसके कदम बाहर निकल रहे थे और रूबी का दिल रो रहा था….ये मुरझाया हुआ फूल उसके देवता ने ठुकरा दिया था.

कमरे से बाहर सुनील निकल हॉस्पिटल के बाहर जा खड़ा हो गया…..रूबी के अल्फ़ाज़ उसके कानो में गूँज रहे थे और वो तड़प रहा था….ऐसा क्यूँ हो रहा था उसके साथ….घर की सभी औरतें उसे ही क्यूँ पसंद करने लगी थी……आख़िर ऐसा क्या था उसमे ……अपना फ़र्ज़ को निष्ठापूर्वक निबाने का मतलब ये तो कभी नही होता कि वो उनके दिलों में इस तरहा बस जाए …कि उन्हें कोई और दिखे ही नही….ये कॉन सा खेल खेला जा रहा था उसके साथ…क्यूँ बार बार उसकी मर्यादा के सामने चुनोतियाँ आ कर खड़ी हो जाती थी….अगर रमण ने उसका दिल तोड़ा तो इसका मतलब ये तो नही कि उसे जोड़ने की ज़िम्मेदारी भी उसे ही उठानी पड़े…..दिमाग़ फटने लग गया उसका…….कुछ देर बाद सोनल भी उसे ढूँढते हुए बाहर आ गयी.

सुनील की मुद्रा बता रही थी की वो किसी गहरी सोच में है.

‘आप यहाँ क्यूँ आ गये…..चलिए अंदर’

‘तुम सूमी को बुला लाओ……घर चलते हैं….सवी रुक जाएगी रूबी के पास हम सुबह फिर आ जाएँगे’

सोनल कुछ देर सुनील को देखती रही सॉफ पता चल रहा था….वो लड़ रहा था अपने आपसे. एक ठंडी सांस छोड़ते हुए वो अंदर चली गयी सूमी को बुलाने के लिए.
फिर तीनो घर की तरफ निकल पड़े. सूमी ने भी ये नोट कर लिया था कि वो कुछ सीरीयस है ….कुछ सोच रहा है….शायद रूबी पे किसने अटॅक किया था उसके बारे में सोच रहा हो.

रास्ते में कोई बात नही हुई.

घर पहुँच तीनो बिस्तर पे ढह गये. सुनील की आँखों से नींद कोसो दूर जा चुकी थी…

सोनल उसके साथ चिपक गयी ….’क्या बात है….जब से रूबी से मिले हो बहुत ही टेन्षन में लग रहे हो…एक ना एक दिन तो पकड़ा जाएगा वो आदमी जिसने रूबी के साथ जबरदस्त करने की कोशिश करी’

‘बात ये नही है यार ….बात कुछ और है…..’

‘ऐसी क्या बात हो गयी….अगर ये बात नही है तो’

सुनील सोनल को देखने लगा और उसके वक्षों पे अपना सर रखते हुए बोला ……वो बेवकूफ़ अपनी माँ की तरहा मुझे पाने की तमन्ना कर रही है’

कककककक्क्क्ययययययययययाआआआआअ ?????? सोनल के साथ साथ सुमन भी चीख पड़ी.

‘हां मुझे अपना देवता मानने लगी है…….उफफफफफ्फ़ उसका ये पागलपन जल्दी ठीक करना होगा …….’

सोनल और सुमन …जो अब तक उठ के बैठ गयी थी वो सुनील को देख रही थी.. तभी सुमन झुकी और अपने होंठ उसके होंठों से सटा एक छोटा सा चुंबन करते हुए बोली…..आप परेशान मत हो…..सब ठीक हो जाएगा…..हम समझा देंगे उसको.

तीनो लेट गये पर नींद तीनो की गायब हो चुकी थी…..तीनो ही सोच रहे थे कि रूबी को कैसे समझाएँ.

सोनल को अपने दिन याद आ गये …..कितना समझता था सुनील उसको …..पर वो अपने दिल के हाथों मजबूर हो चुकी थी….तड़पति रही पर सुनील को प्यार करना उसे चाहना ना छोड़ा…..अगर यही हाल रूबी का है तो….तो…..आगे वो सोच ना सकी……वो अपना प्यार किसी से बाँट नही सकती थी….सूमी की बात और थी….और सबसे ज़यादा उसे तकलीफ़ हो रही थी ये सोच के कि इस वक़्त उसके सुनील को कितनी तकलीफ़ हो रही होगी.

सुमन का भी कुछ ऐसा ही हाल था……रूबी को मजबूर कर सकते थे कि वो सुनील से दूर रहे…पर उसके दिल से सुनील को कैसे निकालें….जब वो अपना प्यार सवी से बाँटने को तयार ना हुई तो रूबी का तो सवाल ही नही उठता…..उसे बस एक ही रास्ता नज़र आया……रूबी को सुनील से दूर करना ही पड़ेगा…..ना सुनील उसकी नज़रों के सामने होगा….ना उसके दिल में सुनील के प्यार की जड़ें गहरी होंगी…..पर कैसे दूर करें….उसके करियर का भी सवाल है….दिमाग़ फटने लगा उसका.

सुनील सोचते सोचते फ़ैसला ले चुका था….उसे खुले शब्दों में रूबी को ना करना होगा…..कि उसके बारे में सोचना छोड़ कोई और अच्छा जीवन साथी चुने…..एक बार तो कमल भी उसके दिमाग़ में आया……..पर जिस तरहा कमल ने प्रस्ताव रखा था….वो सुनील की नज़रों में गिर चुका था. अभी बस उसके दिमाग़ को उसके करियर की तरफ मोड़ना ही उसे अंत में ठीक लगा.
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-19-2019, 01:00 PM

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