Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:59 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील और सोनल : दोनो ही जानते थे कि कमल अच्छा लड़का है…….पर ये सब……कहीं कमल ही तो ज़िम्मेदार नही रूबी के शूसाइड अटेंप्ट का…….सवाल पे सवाल खड़े होने लगे.

सुनील : कमल जी ये वक़्त इन बातों का नही है…….अभी रूबी की हालत ठीक नही….उसे ठीक हो जाने दी जिए…एक बार उस से बात कर लूँ…फिर कोई जवाब दूँगा.

कमाल : रूबी को हुआ क्या है……खबर मिली वो हॉस्पीटलाइज़्ड है तो खुद को रोक नही पाया….

सुनील : पता नही…..वो तो ठीक होने के बाद ही कुछ पता चलेगा.

कमल सुनील से बातें कर रहा था और जयंत का दिल रो रहा था. उसकी नज़रें…..डोर पे लगे शीसे से अंदर बिस्तर पे लेटी रूबी को ही ताक रही थी.

कमल : क्या मैं यहाँ रुक सकता हूँ…जब तक रूबी को होश आता है

सुनील : जी नही…और उम्मीद करूँगा…आप रूबी से दूर ही रहेंगे जब तक मैं आपसे खुद बात नही करता. ( आवाज़ में सख्ती थी)
कमल कुछ ना बोला… बस एक नज़र आइसीयू के दरवाजे पे डाल एक ठंडी साँस छोड़ी और निकल पड़ा. जयंत भी उसके साथ हो लिया… सुनील की बात सुन ना जाने क्यूँ उसे एक सकुन सा मिला….ये जान कर कि उसने कमल को रूबी से मिलने के लिए मना कर दिया है. (दिल के दो टुकड़े हो रहे थे ---एक अपने दोस्त की व्यथा पर तड़प रहा था और एक अपने अंदर बसे प्यार के लिए जिसका वो इज़हार नही कर सकता था)

रात गुजर गयी आँखों ही आँखों में पर सुबह तक रूबी को होश नही आया.

यहाँ घर में सुबह सुमन ने अपने लिए कॉफी बनाई और फोन कर ज़बरदस्ती सोनल और सुनील को भी पिलवाई वहीं कॅंटीन से लेकर.

सवी की नींद भी खुल गयी….कुछ हल्का महसूस कर रही थी …शायद नीद की दवाई का कुछ असर अभी बाकी था.

सुमन ने उसके लिए भी कॉफी बनाई थी जो बिस्तर पे उसके पास रख दी.
सवी नज़रें चुरा कॉफी पीने लगी.
कॉफी ख़तम होने के बाद .

सुमन : सवी ये क्या ड्रामा चल रहा है.

सवी : दी …मतलब…मैं कुछ समझी नही.

सुमन : तू बच्ची नही है ….अच्छी तरहा समझती है मैं क्या बोल रही हूँ.

सवी : किसी को चाहते रहना कोई गुनाह तो नही.

सुमन : बस …..बहुत हो चक्का….तू हर उस शख्स को पाना चाहती है…जो मेरी जिंदगी में आता है…एक बार मैने बर्दाश्त कर लिया वो भी सागर की कमज़ोरी की वजह से…..अब और नही…घिन आती है मुझे तुझे अपनी बहन बोल कर.

सवी : दी ये क्या इल्ज़ाम लगा रही हो मुझ पे …मैने ऐसा क्या किया.

सुमन : क्यूँ तूने कुछ नही किया… जब समर तुझे सागर के नीचे लेटने को उकसा रहा था…स्वापिंग के लिए उकसा रहा था….तू फट से सागर के नीचे लेट गयी ताकि मैं मजबूर हो जाउ….क्या तूने कभी मुझे वॉर्न किया…कभी मुझे बताया कि समर के अंदर कॉन सा राक्षस छुपा बैठा है….नही…..तूने मुझे कुछ नही बताया….एक बात कान खोल के सुन ले ….सुनील ….सागर नही है…..वो थुकेगा भी नही तुझ पर …..मैने माँ को वादा किया था…तेरा ख़याल रखूँगी….इसलिए तू यहाँ है…वरना भेज दिया होता तुझे वापस मुंबई.
(सुमन इतना ज़ोर से चिल्लाई कि सवी थर थर काँपने लगी ….उसकी ज़ुबान को ताले लग गये…नज़रें झुक गयी.)

सवी : दी मैं मजबूर थी…….(हो सके तो माफ़ कर देना) वो बिलख बिलख के रोने लगी.

सुमन : खैर ये बात छोड़ … ये बता रूबी का क्या मसला है… कल उसने शूसाइड करने की कोशिश करी है.

सवी : क्य्ाआआआआअ?????????///

सुमन : लानत है तुझ पे ….अपनी वासना के चक्कर में तू ये भी भूल गयी तेरी एक जवान बेटी भी है….क्या कर रही है वो…क्या हो रहा है उसके साथ …तुझे कुछ खबर ही नही…कैसी माँ है तू री…..

सवी : नही नही….ये इल्ज़ाम मत लगाओ मुझ पे ….मैने हमेशा एक माँ और एक सहेली का फ़र्ज़ निभाया है रूबी के साथ. कल तक वो बिल्कुल ठीक थी….ऐसी कोई बात ही नही थी…मैं तो इंतेज़ार कर रही थी सुनील के वापस आने का…ताकि उसे बता सकूँ…एक लड़के ने रूबी को प्रपोज़ किया है. ये अचानक ऐसा क्या हो गया…..
अब सुमन भी चिंता में पड़ गयी….. अगर अफेर की बात है तो रूबी ने सवी को बता दिया….और सुनील से इज़ाज़त का इंतेज़ार कर रही थी…फिर ऐसा क्या हो गया.

सवी : दी वो कहाँ है..मुझे अभी जाना है उसके पास.

सुमन : ह्म्म्मआ …….चलो तुम्हारी वजह से ही मुझे यहाँ रुकना पड़ा था.

दोनो तयार हो हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़ी.

कमल और जयंत हॉस्पिटल से निकल हॉस्टिल की तरफ जा रहे थे.

जयंत : अबे तू पागल हो गया है क्या….ये कॉन सा वक़्त था शादी का प्रपोज़ल देने के लिए….जबकि तू ये भी नही जानता कि वो तुझे पसंद करती है या नही. और इस वक़्त जब उसकी ऐसी हालत है उसका ख़याल रखने की जगह तू सीधा शादी पे पहुँच गया.

कमल : और क्या करता….मैं हर वक़्त उसके पास रहना चाहता हूँ…मुझे लगा कि यही सही वक़्त है….उसके घरवाले उसका ध्यान नही रख पा रहे…उनके लिए तो सर से बला टल जाएगी …अगर मेरी शादी रूबी के साथ हो जाती है.

जयंत : पागल है तू पागल.. वो तो सुनील की भलमांसाहत थी जो तू अपने पैरों पे खड़ा है ….जानता है ना…जान देता है वो अपनी बहनों पर ….और तू सोच रहा है कि उनके सर से बला टल जाएगी. कहीं तूने ही तो……

कमाल :….एक दम विफर जाता है और जयंत का गला दबाने लगता है …..जान से मार दूँगा तुझे अगर मेरे प्यार को गाली दी ….क्या सोचता है तू उसकी ये हालत मेरी वजह से हुई है….

जयंत घबरा गया एक पल कि कमल को हुआ क्या है …..लेकिन जब उसने कमल की आँखों में झाँका तो उसे वो दोस्त नही नज़र आया ….एक वहशी हैवान नज़र आया …….और उसने कमल को खुद से अलग कर एक झापड़ रसीद कर दिया.
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