Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:55 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल की छोटी सी कुलबुलाती हुई चूत सुनील को बुला रही थी … आओ ना क्यूँ इतने दूर हो.. देखो कितना रस जमा कर रखा है सिर्फ़ तुम्हारे लिए…
सुनील सोनल की चूत पे झुकता चला गया….. और जैसे ही सुनील के होंठों ने ने उसकी चूत को छुआ…. सोनल का जिस्म लरज उठा.

उउउफफफफफफफ्फ़ श्श्श्श्श्श्श्शुउउउउउउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्नीईईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल सोनल ज़ोर से सिसक पड़ी जब सुनील की ज़ुबान उसकी चूत पे अपना नृत्य करने लगी.

सुनील ने उंगलियों से सोनल की चूत को खोला और अपनी ज़ुबान घुसा दी…. आग भड़क गयी सोनल की जिस्म में…. अहह क्यूँ जला रहे हो…….. उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सुनील ने तेज़ी से अपनी ज़ुबान को आनंद बाहर करना शुरू कर दिया और सोनल का सिसक सिसक के बुरा हाल होने लगा.

आह्ह्ह्ह उउफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममम ऊऊऊऊ आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईई

सुनील ने ज़ुबान बाहर निकल ली और एक साथ दो उंगलियाँ अंदर घुसा दी.

आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई दर्द के मारे सोनल चीख उठी. सुनील तेज़ी से अपनी उंगलियों के करतब दिखाने लगा और साथ ही उसकी क्लिट पे ज़ुबान फेरने लगा.

कुछ ही पलों में सोनल का दर्द गायब था और उसकी जगह आनंद भरी तरंगों की बरसात होने लगी थी उसके जिस्म में.

सोनल तेज़ी से अपने दूसरे ऑर्गॅज़म की तरफ बढ़ रही थी की सुनील रुक गया. वो फट से उठा और अपना शॉर्ट उतार डाला उसका लंड खुली हवा में चैन की साँस लेने लगा.

सोनल लग भाग चीख पड़ी … रुक क्यूँ गये जान कुछ करो ना… उफ़फ्फ़ अब नही सहा जा रहा… अहह माआ क्यूँ तडपा रहे हो… आँसू आ गये सोनल की आँखों में बदन नागिन की तरहा लहराने लगा.

सुनील उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके नितंबो के नीचे एक तकिया रख दिया… सोनल की चूत उपर उठ गयी ….. सोनल को समझते देर ना लगी कि आगे क्या होनेवाला है और कल का ध्यान आते ही उसके हाथ तकिये के नीचे चले गये और जेल्ली की ट्यूब उसके हाथ में आ गयी.

‘सुनिल्ल्ल्ल्ल…..आगे कुछ ना बोल पाई और ट्यूब उसकी तरफ सरका दी

सुनील ने ट्यूब उसके हाथ से ली और उसकी चूत में जेल्ली भरने लग गया फिर अपने लंड पे भी अच्छी तरहा लगा अपना लंड उसकी चूत से रगड़ने लग गया.

अहह सुनिल्ल्ल्ल्ल अब और मत तडपाओ

सुनील ने अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत पे सेट किया और उसपे झुक उसके होंठों को अपने क़ब्ज़े में ले ज़ोर का झटका लगा दिया … बिलबिला उठी सोनल जिस्म तेज तेज झटके खाने लगा आँखें उबल पड़ी आँसू की धार बह निकली और उसकी चीख सुनील के मुँह में दब के रह गयी… एक सलाख उसके अंदर घुस चुकी थी. सुनील के लंड का सुपाडा अंदर घुस चुका था. सुनील ने फिर झटका लगाया और थोड़ा लंड अंदर और घुसा के रुक गया.

उसके हाथ सोनल के निपल्स को मसल्ने लगे.

कुछ देर बाद सुनील ने उसके होंठों को आज़ाद किया और उसके आँसू चाटने लगा.

अहह सुनिल्ल्ल्ल्ल धीरे…. बहुत दर्द हो रहा है… और नही सह पाउन्गि --- वो रोते हुए बोली.

कुछ नही होगा मेरी जान बस थोड़ी देर का ही दर्द है… मैं हूँ ना.

सुनील उसके निपल चूसने लग गया. और सोनल को धीरे धीरे राहत मिलने लगी ……उसकी उत्तेजना जो दर्द के मारे शांत हो गयी थी फिर से अपना सर उठाने लगी.

सुनील ने उसके दोनो उरोज़ सख्ती से पकड़ लिए और एक तेज झटका मारते हुए उसकी सील को तोड़ कर कुछ और अंदर घुस गया.

म्म्म्मामममममममममममाआआआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गगगगगगगगाआआआआयययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मगममममाआआआआआआआआआअ

सोनल ऐसे चीखी जैसे चाकू से उसकी चूत को चीर दिया गया हो….. ये चीख इतनी तेज थी कि दूसरे कमरे में सो चुकी सूमी हड़बड़ा के जाग गयी कुछ पल लगे उसे समझने में कि हुआ क्या .. फिर मुस्कुरा के लेटी रही.

‘ ओह नही प्लीज़ निकालो …. ओह माँ … मर जाउन्गी मैं… सोनल बिलखते हुए चीखने लगी.

सुनील का लंड उसकी चूत में फस चुका था ..चूत की दीवारों ने उसे कस के पकड़ लिया था कि कहीं और ज़यादा कोहराम ना मचा दे.


‘बस मेरी रानी बस हो गया’… जब कि अभी आधा ही लंड अंदर घुसा था.

सुनील उसे चूमता रहा ….. उसके निपल मसलता रहा… उसके आँसू चाट्ता रहा और सोनल का जिस्म फड़कता रहा.

कुछ देर बाद सोनल शांत हुई … दर्द अभी भी हो रहा था पर कम हो चुका था.

अहह बहुत दर्द देते हो… मेरी जान ही निकाल दी …. बहुत गंदे हो तुम…

अभी पूरा दर्द तुमने झेला ही कहाँ है जान…

नही नही और नही अब तो बिल्कुल ही मर जाउन्गि.


कुछ नही होगा.

प्लीज़ आज के लिए मान जाओ ना…. नही सहा जाएगा … कसम से….

सुनील उसके होंठ चूसने लग गया और उसके निपल साथ साथ मसलता रहा… कुछ देर बाद सोनल की कमर में हरकत हुई … उसकी चूत थोड़ा ढीली पड़ गयी थी.

सुनील को लग रहा था जैसे भट्टी के अंदर अपना लंड घुसा दिया हो . जो पिघलने की कगार पे था.

सुनील ने अब धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया.

आह्ह्ह्ह माआ धीरे … प्लीज़ धीरे….

दर्द के लहरें बार बार उठ रही थी… कुछ ही देर में सोनल को इस दर्द में मज़ा आने लगा.

तीव्र तेज दर्द अब एक मीठे मीठे दर्द का रूप ले चुका था.
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