Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:47 PM,
#98
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी धीरे धीरे गरम होने लगी – अह्ह्ह्ह --- उफ़फ्फ़ उसकी सिसकियाँ निकलने लगी ----- उसे रात की बात याद आ गयी --- फिर से ऐसा ना हो जाए --- सुनील उसे मस्त ही इतना कर देता है कि वो दुनिया भूल जाती है – उसका हाथ अपने आप सुनील के लंड पे चला गया – अपनी टाँगें उसने फैला दी और सुनील को अपने उप्पर खींचने लगी --- सुनील भी रात से प्यासा था – उसने भी देर नही लगाई और जैसे ही उसके लंड ने सूमी की चूत को छुआ उसने ज़ोर का धक्का लगा दिया…………..हहाआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मेमममममममाआआआआआ


सूमी की चीख निकल गयी ….. डाल दो – एक बार में डाल दो – बार बार दर्द मत दो

सुनील ने भी ताबड़तोड़ दो धक्के लगाए और सूमी के अंदर पूरा समा गया.

आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सूमी फिर चीखी उसकी आँखें दर्द के मारे उबल पड़ी --- आँसुओं की लड़ी बह निकली

सुनील अब रुक गया – सूमी की चूत ने उसके लंड को कस के पकड़ लिया था…. अहह वो भी सिसक उठा था.

सुनील ने सूमी के निपल चूसने शुरू कर दिए और धीरे धीरे सूमी को आराम मिलने लगा …. अभी भी उसकी चूत सुनील के लंड को झेलने लायक नही हुई थी.

सूमी ने सुनील को कस के खुद से चिपका लिया ताकि वो हिले नही…… काफ़ी देर तक सुनील उसके निपल चूस्ता रहा और उसके उरोज़ मसलता रहा तब कहीं जा के सूमी फिर से गरम होने लगी और मचलने लगी …. अपनी कमर हिला उसने सुनील को इशारा किया कि उसका दर्द कम हो चुका है और सुनील धीरे धीरे उसे चोदने लग गया. सूमी भी उसी ले में अपनी गान्ड उछाल रही थी.

सूमी की चूत की गर्मी सुनील को पिघला रही थी और उसके धक्के तेज होने लगे …. दो जिस्म एक दूसरे में पिघलने को तयार हो चुके थे … दिल के तार दिल से बँध चुके थे….. मस्ती के मारे सूमी की सिसकियाँ निकल रही थी…

तेज और तेज फाड़ दो आज मेरी चूत… आहह उफफफफफ्फ़ उम्म्म्मम यस यस फास्टर ….. फक मी हार्ड……

सुनील का जिस्म पसीने से भर चुका था … टॅप टॅप बूंदे सूमी पे गिर रही थी …. लेकिन जिस्म में बढ़ती कामग्नी उसे रुकने नही दे रही थी…..
पागलों की तरहा दोनो के जिस्म एक दूसरे से टकराने लगे .

आआहह और तेज मैं आने वाली हूँ……..

सुनील भी मंज़िल के करीब पहुँचने वाला था……… कुछ ही पल्लों में दोनो एक दूसरे से जोंक की तरहा चिपक गये और झड़ने लगे……… झाड़ते हुए दोनो ही उस असीम आनंद को महसूस करने लगे …. जो किस्मत से ही मिलता है.

ढोँकनी की तरहा दोनो की साँसे फूल चुकी थी….. जिस्म पसीने से तरबतर हो चुके थे…. लेकिन चेहरे पे खुशी ही खुशी थी.
ऐसे ही चिपके हुए दोनो सो गये.

उधर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अगले दिन कमल जल्दी ही हॉस्टिल से निकल गेट पे खड़ा हो गया – उसे इंतेज़ार था रूबी का ---- एक बार उस से मिल अपने दिल की बात करना चाहता था………बस एक मोका ….. अंजाम चाहे कुछ भी हो … देवी का प्रसाद मिले… या फिर क्रोध…….. जिंदगी में पहली बार किसी लड़की ने उसकी भावनाओं की जगाया था.

जयंत ने उसे रात भर काफ़ी समझाया था कि रूबी को भूल जाए अच्छी से अच्छी लड़कियाँ उसके पीछे पड़ी रहती थी जिनपे वो घास तक नही डालता था – उनमें से कोई पसंद कर ले … पर कमल अपने दिल के हाथों मजबूर हो गया था…. उसे सिवाय रूबी के कोई दिखता ही नही था.

रूबी अपनी सहेली के साथ जब गेट में घुसने लगी उसकी नज़र कमल पे पड़ी --- दोनो की फिर आँखें चार हुई ----- कमल जो कहना चाहता था कह नही पाया और रूबी भी सर झुका अंदर चली गयी. कमल बस उसे जाते हुए देखता रहा.

ये तो कमल ने कोई ग़लत हरक़त नही करी थी – इसलिए बचा हुआ था वरना सुनील के दोस्त जिनपे उसने अपनी गैर हाजरी में रूबी की ज़िम्मेदारी सोन्पि थी वही उसका कांड कर डालते.

अपनी क्लास में पहुँच रूबी कमल के बारे में सोचने लग गयी - उसका मूड नही था क्लास अटेंड करने का इसलिए वो कॅंटीन मे जा के बैठ गयी…. आज कमल का दिल भी नही कर रहा था क्लासस अटेंड करने का वो भी कॅंटीन में चला गया… अपने ख़यालों में गुम उसने देखा ही नही कि रूबी भी कॅंटीन में बैठी हुई है.

रूबी की नज़र उसपे पड़ गयी थी जब वो कॅंटीन में एंटर हुआ था--- उसने सोचा ये तो पीछा करने लग गया है … पर जब कमल सर झुकाए कॅंटीन के एक कोने में जा के बैठ गया तो रूबी हैरान रह गयी …. पल भर को तो उसे अपने हुस्न की बेइज़्ज़ती महसूस हुई …. फिर वो मुस्कुरा उठी… और कमल को देखने लगी …. जो यहाँ हो कर भी यहाँ नही था.

कमल कुर्सी पे पीछे टेक लगा के बैठ गया आँखें बंद कर ली उसकी कुर्सी के बिल्कुल सामने खिड़की थी जिससे ठंडी ठंडी हवा आ रही थी....... अपने आप ही उसके होंठ बुदबुदाने लगे ... आवाज़ पूरी कॅंटीन में गूंजने लगी --- बहुत दर्द था उस आवाज़ में

ओ हो हो
ओ हो हो ओ हो ओ हो
ओ हो हो हो
ओ हो हो ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो

ये हवा ये हवा ये हवा
ये फ़िज़ा ये फ़िज़ा ये फ़िज़ा
है उदास जैसे मेरा दिल मेरा दिल मेरा दिल
आ भी जा आ भी जा आ भी जा -2

आ के अब तो चाँदनी भी जर्द हो चली हो चली हो चली
धड़कानों की नर्म आँच सर्द हो चली हो चली हो चली
ढाल चली है रात आ के मिल आ के मिल आ के मिल
आ भी जा आ भी जा आ भी जा

राह में बिछि हुई है मेरी हर नज़र हर नज़र हर नज़र
मैं तड़प रहा हूँ और तू है बेख़बर बेख़बर बेख़बर
रुक रही है साँस आ के मिल आ के मिल आ के मिल
आ भी जा आ भी जा आ भी जा

ओ हो हो
ओ हो हो ओ हो ओ हो
ओ हो हो हो
ओ हो ओ हो हो हो हो हो हो


कमाल का गीत गूँज रहा था और रूबी के दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी... ये दर्द भरी आवाज़ उसे अपनी तरफ खींच रही थी .... रूबी कुर्सी से उठ कमल के सामने जा के बैठ गयी.

कॅंटीन में सन्नाटा छा गया – कुछ स्टूडेंट्स जो बैठे हुए थे उनकी बातें भी बंद हो गयी – रूबी कमल के सामने बैठी बस उसे देख रही थी – ना चाहते हुए भी वो रमण और कमल की तुलना करने लगी – कमल के बारे में जितना उसने सुना था उसके हिसाब से वो रमण के एक दम विपरीत था. ये लड़कियों से दूर रहता था और रमण की जिंदगी में बहुत सी लड़कियाँ आई थी जिन्हें रमण इस्तेमाल कर छोड़ देता था बस जब से वो रूबी से जुड़ा था उसने किसी और लड़की की तरफ नही देखा था – लेकिन उस दिन जब रमण के मुँह से सोनल का नाम निकला --- रूबी को यही लगा कि बस अब रमण का दिल उससे भर चुका है – बहुत तकलीफ़ हुई थी रूबी को.

कमल की बंद आँखों के पोर से आँसू टपकने लगे तो रूबी ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख थोड़ा दबा दिया और अपना हाथ तुरंत हटा लिया.

कोमल हाथों के स्पर्श पाते ही कमाल ने आँखें खोली तो सामने रूबी को देख खिल उठा.

‘तुम यहाँ !!!’

‘पहले तो ये लड़कियों की तरहा आँसू बहाने छोड़ो … मैं आपकी इज़्ज़त करती हूँ … इसलिए कह रही हूँ … सम्भल जाइए …. ये कांटो भरा रास्ता मत चुनिए…. मैं ऐसी लड़की नही जो बाय्फ्रेंड बनाती फिरे …. मेरी जिंदगी का फ़ैसला मेरा परिवार करेगा ….. और मैं आपके काबिल भी नही हूँ’ रूबी ने कह कर अपना सर झुका लिया.


‘मुझे खुद नही पता कि मैं इस रास्ते पे क्यूँ चल पड़ा. बहुत रोकने की कोशिश करी थी खुद को …. पर नही रोक पाया…. बस प्यार करने का गुनाह कर बैठा….. अब आगे जो भी किस्मेत में हो …. सब को सबकुछ तो नही मिल जाता …. पर मुझे इंतेज़ार करना आता है …. मेरी तरफ से तुम्हें कभी कोई तकलीफ़ नही होगी… कभी तुम्हारे रास्ते में नही आउन्गा….लेकिन तुम्हें प्यार करना और तुम्हारी कामना करना नही छोड़ सकता … अपनी आखरी सांस तक भी नही…’ ये कह कर कमल उठ के चला गया .

रूबी उसे जाते हुए देखती रही.

रूबी भी उठ के हॉस्टिल में अपने कमरे में जा कर लेट गयी और कमल के बारे में सोचने लगी.... आख़िर में उसने यही फ़ैसला लिया कि - सब कुछ सुनील को बता देगी - जैसा वो कहेगा ..... वैसे ही करेगी.

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