Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:52 PM,
#76
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन अपने गहनो से परेशान होने लगी ….. सुनील को ये समझते देर ना लगी उसने चुंबन तोड़ा और सुमन को बिठा धीरे धीरे उसके गहने उतारने लगा. बस हाथों की चूड़ीयाँ और पैरों की पायल रहने दिया.

सुमन देख रही थी कितने प्यार से और आराम से गहने उतार रहा था – कोई जल्दी नही थी उसे – कोई उतावलापन नही था.

रात धीरे धीरे सरक रही थी- दिलों की धड़कन बढ़ चुकी थी – जिस्म मिलने को आतुर थे – रूह – रूह के अंदर समाना चाहती थी – पर ये दो तो हर पल को जी रहे थे – हर लम्हे को अपनी यादों में सॅंजो रहे थे.

बादलों से अठखेलियाँ करता चाँद भी खिड़की से किरने फेन्क ता हुआ छुप छुप के इन्हे देख रहा था और खुद को भाग्यशाली समझ रहा था इस अबूतपूर्व मिलन का एक साक्षी बनने का.

गहने उतार सुनील सुमन की गोद में सर रख लेट गया.

‘आज तुम्हें तुम्हारा सागर पूरा का पूरा वापस मिल गया – सुनील अब अपना वजूद मिटा देगा बस तुम्हारा सागर बन के रहेगा’
सुमन ने फट से सुनील के लफ़्ज़ों को रोका.

‘ना…..ना….. वो कल की बात थी आज मैं अपना अतीत भुला चुकी हूँ ….. मुझे बस सुनील चाहिए – मेरा सुनील…. और कोई नही’

सुनील उसकी आँखों में झाँकने लगा जहाँ उसे अपने लिए प्यार और सिर्फ़ प्यार नज़र आया.

सुनील ने अपनी बाँहें सुमन की गर्देन में डाल दी और उसको अपनी तरफ झुकने लगा.

सुनील के होंठ कुछ कह रहे थे मगर निशब्द …… और कितना तर्साओगि…… सुमन के होंठ सुनील के होंठ से जा मिले और दोनो के बीच गुफ़्तुगू शुरू हो गयी.

बड़े प्यार से दोनो एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे – थोड़ी देर बाद सुमन की गर्देन में झुके रहने की वजह से दर्द होने लगा – जिसकी एक झलक उसकी आँखों में उभरी पर उसने उफ्फ तक ना की.

उसकी आँखों में झाँकता हुआ सुनील उस झलक को समझ गया और उसने अपने हाथ सुमन की गर्देन से हटा चुंबन तोड़ दिया.

आहह सुमन सीधी हो अपनी गर्देन इधर उधर हिलाने लगी. और सुनील उठ के उसकी गर्देन का मसाज करने लग गया कुछ ही पलों में सुमन की गर्देन का दर्द गायब हो गया.

दोनो लेट गये और एक दूसरे को देखने लगे.

‘थॅंक्स’ सुमन बोली क्यूंकी पलों में ही उसकी गर्दन में उभर रहे दर्द को सुनील ने दूर कर दिया था.

‘अब मैं कहूँगा – ये मेरा फ़र्ज़ था – धत्त….. छोड़ो इन दकयानूसी बातों को --- दो प्यार करनेवाले सिर्फ़ प्यार करते हैं – ये थॅंक्स वंक्स के चक्कर में नही लगे रहते…… इन बातों से ईगो जनम लेने लगती है जो आगे जा कर बहुत परेशान करती है … मुझे ये सब हमारी जिंदगी में नही चाहिए. कल कभी किसी बात पे थॅंक्स बोलना भूल गये तो मन में ग़लत भावनाएँ आने लगती है….. सो स्टॉप दिस नोन-सेन्स’

सुमन हैरानी से उसे देखने लगी. क्या ये वही सुनील था… अपनी उम्र से कितना आगे निकल गया था. आज उसे सागर पे गर्व होने लगा कितनी अच्छी चाय्स थी उसकी --- उसकी जिंदगी में फिर से बाहर लाने के लिए सही आदमी चुना था उसने.

इतनी मेचुरिटी तो सागर में भी नही थी.

सुनील थोड़ा उठा और सुमन पे झुक गया उसकी गर्देन को चाटने लगा – अहह सुमन सिसक पड़ी, और फिर से उन वादियों में घूमने की तैयारी करने लगी जिसका रास्ता सिर्फ़ सुनील जानता था.

उसकी गर्देन को चूमते हुए जब सुनील का हाथ सरकता हुआ उसके उरोज़ तक पहुँचा – तड़प उठी सुमन और उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया.

सुनील धीरे धीरे सुमन की गर्देन को चाट्ता हुआ नीचे की तरफ आने लगा और अपनी ज़ुबान उसके क्लीवेज पे फेरने लगा. मचलने लगी सुमन ….. एक एक कर वो सुमन के जिस्म में छुपे संगीत को जगा रहा था… एक एक सुर अपना राग अलापने लगा था….इस लज़्ज़त को अपने अंदर समेटने के लिए सुमन की आँखें अपने आप बंद हो गयी और वो प्यार से सुनील के बालों में हाथ फेरने लगी.


काफ़ी देर तक सुनील सुमन के क्लीवेज को चूमता रहा वहाँ अपनी ज़ुबान फेरता रहा – सुमन को समझ नही आ रहा था कि आज हो क्या रहा है उसके साथ – फोर प्ले तो पहले भी हुआ था उसके साथ पर इतनी धीरे धीरे जैसे फूल की एक एक पत्ती को सूँघा जा रहा हो – कभी नही हुआ था ऐसा उसके साथ.

ये लज़्ज़त – ये आनंद- उसके लिए बिल्कुल एक नया अहसास था.

सुमन मचलने लगी नागिन की तरहा बल खाने लगी और उसकी पायल छनकने लगी.

सुनील ने सुमन को थोड़ा उपर उठाया और उसकी चोली की डोरी खोल दी. सुमन के जिस्म से उसकी चोली अलग हो गयी और नेट वाली ब्रा में छुपे उसके उन्नत उरोज़ और कड़े निपल सुनील को अपनी तरफ खींचने लगे पर सुनील तो उनकी सुंदरता में खो गया.

पर्वत की तरहा उसके सख़्त हुए निपल ब्रा से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे सुनील ब्रा के उपर ही अपने चेहरे को उसके उरोज़ पे रगड़ने लगा और उसके हाथ सुमन के पेट को सहलाने लगे.

आह म्म्म्मीमाआ सुमन की सिसकियाँ बुलंद होने लगी- उसकी तड़प बढ़ने लगी दिल कर रहा था कपड़ों के बंधन से मुक्त हो जाए पर हाई री लज्जा कुछ करने नही देती थी और बदन में आनंद की लहरें उफ्फान लेने लगी थी . सुमन ने सुनील के सर को अपने उरोज़ पे दबा डाला ‘ ओह्ह्ह म्माआआ’ अपनी सिसकी से सुनील को कहने की कोशिश कर रही थी कि बस कर दो आज़ाद मुझे कपड़ों के बंधन से.


सुनील --सुमन के दोनो उरोज़ पे कभी चुंबन बरसाता और कभी उसकी क्लीवेज में चेहरा घुसा उसके जिस्म की सुगंध का आनंद लेने लगता.

सुमन को अपना लेनहगा अब बोझ लगने लगा था उसकी मंशा को समझते हुए सुनील ने उसके लेन्ह्गे के बँध खोल दिए और उठ के उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया अब सुमन का कामुक बदन सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में था – सुनील जिस तरहा उसे देख रहा था सुमन को शर्म आने लगी और अपने चेहरे को को अपने हाथों से ढक लिया.
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