Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:51 PM,
#73
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील कॉफी का एक सीप लेता है ' अहह मज़ा आ गया ---- आज पहली बार कॉफी इतनी अच्छी लगी ---- अब हर बार ऐसे ही चाहिए'

'धत्त!!!' बिना अपनी कॉफी पिए बाहर भाग गयी और दीवार से सट अपनी तेज होती हुई सांसो को संभालने लगी

'अरे सुनो तो कहाँ भाग रही हो - अकेले नही पियुंगा'

'बेशर्म - बदमाश आज तंग कर के ही रहेगा' बुदबुदाती है और मुस्काती हुई वापस कमरे में आ जाती है

'हाई कॉन ना मर जाए इनकी इस अदा पे कत्ल भी करते हैं और हाथ में तलवार भी नही'

सुमन को तो यूँ लगा जैसे शर्म के मारे ज़मीन में ही गढ़ जाए -- दोनो गाल --- लाल टमाटर से ज़यादा लाल हो गये, दिल की धड़कन बढ़ गयी .

इनकी इस चुहलबाजी में बेचारी कॉफी भाप छोड़ती छोड़ती ठंडी होती रही और तरसती रही कब उसे इनके प्यारे मुँह का स्वाद मिलेगा.

वक़्त थम गया था दोनो एक दूसरे को देख रहे थे. दिलों की धड़कन बढ़ गयी थी और अगर कोई नापता तो बराबर ही मिलती, साँसे अपने उफ्फान पे आने लगी - जिस्म लरजने लगे .

'सूमी!!!!!' सुनील ने पुकारा.

वो यादें वो लम्हें जो सागर के साथ गुज़ारे थे ताज़ा हो गये --- जब सुनील के मुँह से ये सुना - जो सागर और सिर्फ़ सागर ही इस्तेमाल करता था.

सुमन की आँखों में आँसू आ गये.

सुनील सब समझ रहा था - वो अपनी उम्र से काफ़ी आगे निकल गया था एक ही रात में.

'अब ये आँसू क्यूँ!!'

'नही समझोगे - खुशी के हैं'

'अच्छा इधर आओ' सुनील ने अपना अधिकार जताते हुए कहा.

सुमन खिचि चली गयी और उसके पास जा के धड़कते दिल से खड़ी हो गयी.

सुनील ने उसका हाथ थाम उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गेसुओं ( बालों ) को सूंघने लगा.

सुमन के अरमान सिसकने लगे - प्यार की ये अनुभूति उसे पहले कभी नसीब नही हुई थी --- कयि बार उसका रेप हुआ था ---- (हर वक़्त औरत सेक्स नही चाहती -- कुछ वक़्त चाहती है - अपने दिल में बसी भावनाओं को बताने का - कुछ मीठी मीठी बातें करने का---लेकिन मर्द कुछ सेकेंड बात करने के बाद जब सीधा औरत के उपर चढ़ जाता है - तो ये रेप नही तो क्या है --- शादी शुदा जिंदगी में भी काई बार एक पति अपनी पत्नी का रेप कर डालता है)

'ऐसे ही प्यार करोगे ना जिंदगी भर'

'तुम सिखाती रहना - मैं करता रहूँगा -- प्यार क्या होता है -- ये तुमने ही तो सीखाया है'

सुमन के मन का मयूर नाचने लगा - दिल करने लगा पाँवों में पायल बाँधे और थिरकने लगे. गगन की वादियों में उड़ के सारी दुनिया को बता दे --- आज उसे सच में प्यार मिल गया.

सुनील उसके गेसुओं में ऐसा खोया कि अपनी सुध बुध भी भूल गया और सुमन अपनी आँखें बंद किए इन पलों को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगी.

काश वक़्त भी इनके प्यार को देख यहीं थम जाता - पर उसे तो चलना था - आगे बढ़ना था -- टिक टिक टिक सेकेंड की सुई आगे बढ़ रही थी --- लेकिन ये दोनो - इस पल को जीने की कोशिश कर रहे थे. ये नही चाहते थे कि वक़्त आगे बढ़े - रोक के रखना चाहते थे उसे --- पर ये मुमकिन कहाँ था---- टन- टन- टन दीवार पे लगी घड़ी ने बता दिया एक घंटा गुजर चुका है.

सुमन होश में आई -- मन ही मान मुस्काती हुई खुद से बोली - हाई राम दीवाना कर दिया है.

सुनील तो अब भी खोया हुआ था सुमन के बालों में अपने चेहरे को घुसाए हुए.

सुमन ने उठने की कोशिश करी तो सुनील ने उसे फिर रोक दिया.

'छोड़ो ना प्लीज़ --- बहुत काम करना है --- और रेडी हो जाओ - मैं नाश्ता तयार करती हूँ'

मजबूरन सुनील को सुमन को छोड़ना ही पड़ा --- कैसे होते हैं ये पल --- जब दिल कुछ चाहता है - पर करना कुछ और पड़ता है.

अब जिंदगी के प्राइम मिनिस्टर का ऑर्डर मिल गया तो सुनील बाथरूम में घुस गया.

और सुमन गुनगुनाती हुई नाश्ता तयार कर रही थी अपने साजन के लिए---
मिल गये मिल गये आज मेरे सनम
मिल गये मिल गये आज मेरे सनम
आज मेरे जमी पर नही हैं कदम
आज मेरे जमी पर नही हैं कदम

नाश्ते के बाद सुमन ने सुनील को एक लिस्ट दी कुछ समान लाने के लिए और खुद ब्यूटी पार्लर चली गयी - आज उसे फिर से सजना था सवरना था - अपने साजन के लिए.

सुनील सामान ले के घर पहुँच गया - सुमन अभी तक नही आई थी - करीब घंटे बाद सुमन आई तो ..... उसे देख सुनील के होश उड़ गये .....बेमिसाल हुस्न....

'छू लेने दो नाज़ुक होंठों को...
कुछ और नही है जाम हैं ये'

दिल पुकारने लगा - और सुमन घबराने लगी - कहीं सुनील अभी ही ना टूट पड़े उसपे.

सुनील के माथे पे किस कर के बोली - आज लंच और डिन्नर बाहर से मंगवा लेना --- और जब तक मैं मिस कॉल ना दूं - तुम ना मुझे देखोगे ना ही मेरे करीब आने की कोशिश करोगे .

अभी जा के पढ़ने बैठ जाओ - शाम को ये ड्रेस पहन लेना' एक माँ का हुकुम और एक पत्नी की कामना दोनो ही शामिल थे. सर झटकता हुआ सुनील अपने कमरे में चला गया. एक एक पल उसके लिए गुज़रना मुश्किल हो रहा --- कब होगी शाम.... कब ...कब.
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