RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी मैं बीच मे बोल पड़ा,,,,,,दोस्त या भाई समझ के नही लेके जाना तो मत लेके जा लेकिन
एक ड्राइवर बना कर तो लेके जा सकती है ना,,,,,मैने इतना बोला और गुस्से मे उठकर वहाँ
से चला गया,,,,,क्यूकी मुझे कैसे भी करके इन लोगो के साथ जाना ही था,,,मैं इन लोगो
को अकेले भेजने की ग़लती नही कर सकता था,,,,
मैं रूम मे गया और टी-शर्ट चेंज करके बाहर आ गया,,,,वो दोनो भी खाना ख़ाके मोम के
रूम मे चली गयी थी,,
फिर वो दोनो तैयार होके आ गयी और हम लोग माल की तरफ चल पड़े,,,,मैं कार ड्राइव कर
रहा था वो दोनो पीछे बैठी हुई थी,,,सच मे ड्राइवर ही बना दिया था दोनो ने मुझे,,
फिर मुझे वो पल याद आया जब सोनिया हँसती हुई मुझे गुद-गुदि कर रही थी,,हम दोनो
बचपन से एक साथ रहते आए है,,,हँसी मज़ाक करते आए है,,,जब भी मैं रूठ जाता
तो वो बड़े प्यार से मुझे मना लेती और जब वो रूठ जाती तो मैं उसको मना लेता,,,वो
मासूम चहरे से मुझे खुश कर देती और मैं अपनी बंदरों जैसी हरकतों से उसका दिल
बहलाता,,कभी कभी दोनो एक दूसरे को गुद-गुदि करते और खूब हंसते,,,,लेकिन जबसे मेरे
दिल और दिमाग़ पर सेक्स और वसना हावी हुवे थे तबसे मेरा और सोनिया का हँसना खेलना बंद ही
हो गया था,,क्या सच मे सेक्स और वसना ने इतना बदल दिया था मुझे कि मैं अपनी ही बेहन
के साथ हँसना खेलना तक भूल गया था,,,अब तो रूठने और मनाने का खेल भी नही होता था
,,,बस एक अजीब सा रिश्ता जो बन गया था हम दोनो मे,,,
हम लोग माल मे पहुँच गये ,,,,,कार पार्किंग मे लगा कर हम लोग माल घूमने लगे,,लेकिन
आज कविता और सोनिया आगे चल रही थी जबकि मैं उन लोगो के 10-12 कदम पीछे चल रहा
था,,,,,,
तभी वो लोग एक शोरुम मे घुस गयी और मैं बाहर खड़ा रहा,,,,करीब 2-3 अवर्स तक
वो ऐसे ही शॉपिंग करती रही ,,कभी किसी शॉप मे घुस जाती तो कभी किसी शॉप मे और
मैं बस इनके बॅग्स पकड़ता रहता और पीछे पीछे चलता रहता,,,,आज तो सन्नी सच मे तू
इन लड़कियों का ड्राइवर ही बन गया है,,,,
तभी सोनिया और कविता एक शॉप मे घुसी हुई थी जबकि मैं बाहर खड़ा हुआ था तो
कविता कुछ और बॅग्स मुझे देने के लिए बाहर मेरे पास आई,,,,,,
आज घर पर वो सब क्या हुआ था सन्नी,,,,,कविता ने मेरे पास आके पूछा,,,,
पता नही कविता क्या हुआ मुझे कुछ समझ नही आया,,,,लेकिन मेरी कोई ग़लती नही थी तेरी
कसम,,,,जानता हूँ मैने कयि ग़लतियाँ की है और अब भी करता हूँ लेकिन सच मे तेरी
कसम आज मेरी कोई ग़लती नही थी,,,,,
हां हां जानती हूँ तेरी कोई ग़लती नही थी,,,सोनिया ने मुझे सब बता दिया लेकिन जाने या
अंजाने ही सही सन्नी तेरी भी ग़लती थी आज,,,,तेरी वजह से सोनिया बहक गयी थी और तूने
उसको रोका क्यूँ नही ,,,,,तुझे तो उसको रोकना चाहिए था,,,,,देख एक तो वो पहले से परेशान
है जो तुझे प्यार करने लगी है उपर से तुम दोनो का रिश्ता ऐसा है कि वो चाह कर भी
तुम्हारे साथ वो सब नही कर सकती जो हम दोनो करते है,,,उसको डर है इस दुनिया का उसको
डर है खुद का,,उसको डर है कि अगर वो कुछ ग़लत करेगी और लोगो को पता चल गया तो वो
बर्दाश्त नही कर पाएगी,,तुम दोनो एक दूसरे को प्यार करते हो ये ठीक है लेकिन ये समाज
ये लोग इस बात को नही समझ सकते ,,,,तू प्लज़्ज़्ज़ दूर रहा कर उस से अगर वो तेरे करीब
आए तो उसको दूर कर दिया कर,,,प्लज़्ज़्ज़ सन्नी बोल करेगा ना ऐसा,,,बोल सन्नी,,,प्ल्ज़्ज़ मेरी
खातिर ,,,देख मैं उसकी बेस्ट फ्रेंड हूँ और मैं उसको ऐसे परेशान नही देख सकती,जब
तक तो तू उसके करीब जाने की कोशिश करता था तब तक तो ठीक था लेकिन अब वो भी तेरे
जिस्म से आकर्षित होने लगी है अब उसको ज़्यादा ही डर लगने लगा है,,,,,बोल तू उसको दूर
कर देगा जब भी वो तेरे करीब आएगी,,,,बोल सन्नी,,,,,,,,
मैं कविता की बात समझ गया,,,,ठीक है कविता,,,,मैं उसके करीब नही जाउन्गा और अगर
वो करीब आई तो उसको भी खुद से दूर कर दूँगा,,,,मैं उसको प्यार करता हूँ उसके लिए
कुछ भी कर सकता हूँ ,,,,कभी उसको हर्ट नही कर सकता फिर चाहे ग़लती मेरी हो या
उसकी,,,,,,
कविता ने हँसके मेरे गालों पर एक किस की और वापिस उसी शॉप मे चली गयी,,,
फिर कुछ देर बाद उनकी शॉपिंग ख़तम हुई और हम लोग माल से चलके पार्किंग की तरफ आने
लगे,,,,,मैं उन लोगो के बॅग्स पकड़ कर उनके पीछे पीछे ड्राइवर बनके चल रहा था,,अब
मैं उन लोगो से कोई 4-5 कदम की दूरी पर था,,,,वो दोनो कुछ बात कर रही थी,,,
सोनिया------तूने बात की सन्नी से,,,
कविता------ हां बाबा करली बात,,,,वो सब समझ गया है,,अब वो तेरे पास नही आएगा और
अगर तू उसके पास गयी तो तुझे भी खुद से दूर कर देगा,,,लेकिन मैं परेशान हो गयी हूँ
तुम दोनो से,,,,जब प्यार करते हो तो वो सब करने मे ग़लत क्या,,,,,
सोनिया-----तू तो सब जानती है कविता फिर क्यूँ पूछ रही है,,,,,तुझे पता है हम लोग
ऐसा नही कर सकते,,,,अगर लोगो को पता चल गया तो क्या होगा,,,,,कितनी बदनामी होगी तू
सोच ज़रा ..हम लोगो का रिश्ता हम लोगो को ऐसे करने की इजाज़त नही देता तो भला मैं
कैसे,,,,,,
तभी मैं तेज़ी से आगे बढ़ गया और सोनिया का हाथ पकड़ लिया,,,,वो एक दम से पीछे पलट
गयी मेरी तरफ और हैरानी से देखने लगी,,,,
तुझे इन लोगो की परवाह है ,,क्या इनकी वजह से तू मेरे से प्यार नही कर सकती,,,मैने
इतना बोला तो कविता बीच मे बोली,,सन्नी छोड़ सब देख रहे है,,,
नही कविता तुम बीच मे नही बोलोगि ,,,,ये मेरी और इसकी बात है,,,,,
तभी सोनिया गुस्से से बोली,,,,मेरा हाथ छोड़ सन्नी सब देख रहे है,,,,,,
मुझे परवाह नही इनकी सोनिया,,,,,और तू कब्से परवाह करने लगी लोगो की,भूल गयी मेरी
बाइक के पीछे बैठकर कैसे पागलो की तरह हँसती थी तू,,,कैसे बारिश मे बीच सड़क
पर बच्चों की तरह खेलती थी,,,कैसे हर जगह मेरे साथ खुल कर मस्ती और मज़ाक करती
थी,,,तब तो तुझे परवाह नही होती थी लोगो की,,,,तो भला मुझे प्यार करने की बात पर
तुझे लोगो से डर क्यूँ लगने लगा,,क्यूँ इतनी परवाह होने लगी लोगो की,,,लोग आज देखेंगे
कल बात करेंगे और परसो सब भूल जाएँगे,,,,मुझे इनकी परवाह नही कि ये क्या बोलते है
या क्या सोचते है,,,और तेरे को प्यार करने के लिए मुझे इन लोगो की इजाज़त लेने की ज़रूरत
नही ,,,,इनको पूछने की ज़रूरत नही कि मैं किस से प्यार कर सकता हूँ और किस से नही
मुझे भी लोगो की परवाह नही है सन्नी,,,लेकिन हम दोनो का रिश्ता ऐसा है कि मुझे डर
लगता है ,,,किसी को पता चल गया तो,,,,बहुत बदनामी होगी,,,मैं तो शरम से मर ही
जाउन्गी,,,,
तेरे मेरे रिश्ते का मैं कुछ नही कर सकता सोनिया,,,,,लेकिन इन लोगो का कर सकता हूँ
अच्छा क्या कर सकता है तू इन लोगो का,,,,,,मुझे भी तो पता चले,,इतनी क्या हिम्मत तेरी
जो तुझे लोगो की परवाह नही होगी,,,,,
तभी मैं कुछ नही बोला और अपने हाथ मे पकड़े बॅग्स को ज़मीन पर रखकर आगे बढ़ कर सोनिया
के कस कर अपने जिस्म से चिपका लिया और उसके होंठों पर किस करने लगा,,,,सब लोगो का
ध्यान मेरी और सोनिया की तरफ था,,,,मैं उसको खुद से चिपका कर किस करता जा रहा था
सोनिया के हाथ मे जो बॅग्स पकड़े हुए थे वो ज़मीन पर गिर गये थे,,,,,
कुछ देर बाद हम दोनो अलग हुए,,,,वो हैरान होके मुझे देखने लगी और ऐसी ही हालत थी
कविता की,,,,,मैने जो किया उसका मुझे भी होश नही था मैं खुद भी अपनी हरकत पर
हैरान हो गया
तभी मैं बोल पड़ा,,,,,देख है किसी को परवाह कि हम क्या कर रहे है,,,,कुछ पल उन
लोगो ने देखा और अब देख सब लोग अपने-अपने रास्ते चल दिए ,,,,
सोनिया कुछ नही बोली और बस जल्दी से वहाँ से भाग गयी,,,,,
तभी कविता ज़मीन पर पड़े हुए बॅग्स को उठाने लगी ,मैने भी उसकी हेल्प की और हम दोनो
बॅग्स उठकर पार्किंग की तरफ चल पड़े,,,,,,,ये क्या किया तूने सन्नी,,,,पागल हो गया था
क्या,,,,,वो बेचारी पहले से परेशान थी और अब तूने ये सब कर दिया वो भी माल मे सबके
सामने,,,,पता नही क्या हालत होगी बेचारी की,,,,,क्या हो गया था तुझे,,,,
पता नही कविता,,,,तुम दोनो की बातें सुनी तो रहा नही गया,,,आख़िर मुझे प्यार करने मे
वो लोगो से क्यूँ डर रही है,,,,जबकि मैने कभी नही देखा उसको लोगो की परवाह करते हुए
,,हालाकी मैं कभी कभी डर जाता था लोगो के सामने खुल कर हँसने मे तो सोनिया मुझे
हिम्मत देती थी और बोलती थी कि लोगो की परवाह मत करो खुल कर हँसो भाई,,,लोगो की
परवाह करने लगे तो लोग साँस लेना भी मुश्किल कर देंगे,,,,बस यही सोचते हुए मेरा
दिमाग़ खराब हो गया था,,,
मैं समझ सकती हूँ सन्नी लेकिन तुझे उसकी हालत पर तरस खाना चाहिए थे,,,पता नही
क्या बीत रही होगी उसपे,,,,,वैसे तेरी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी,,,,सोनिया को किस वो
भी माल मे इतने लोगो के सामने,,,मान गयी तेरी हिम्मत को,,,तेरी जगह कोई और होता तो अब
तक अल्लाह हो प्यारा हो गया होता,,,,कविता ने इतना बोला और हँसने लगी,,,
हिम्मत तो मेरी उस दिन कॉलेज मे भी थी तुझे किस करने की,,,लेकिन तू ही डर कर भाग
गयी थी वरना तुझे भी कॉलेज के सामने किस करने से मैं डरता नही,,,,
जानती हूँ तू है ही पक्का पागल,,,देख आज तेरे पागलपन ने क्या कर दिया,,,,मुझे तो बड़ा
तरस आ राह है सोनिया पर,,,,,इतनी बात करके कविता हँसने लगी और मैं भी हल्के से
मुस्कुरा दिया,,,,
हम लोग पार्किंग मे गये तो देखा सोनिया कार से कुछ कदम दूर खड़ी हुई थी ,,,उसने मुझे
देखा और मेरी तरफ पीठ करली,,,मैं उसके करीब से चलके कार के पास पहुँच गया और
बॅग्स को कार की पिछली सीट पर रखने लगा,,,कविता सोनिया के पास खड़ी होके उस से बात
कर रही थी,,,,,तभी मैने देखा कोई हम लोगो की तरफ़ देख रहा था,,,मुझे उसका फेस
नज़र नही आया लेकिन उसके सर पे कॅप लगी हुई थी और आँखों पर भी चंश्मा था,,,मैने उसकी
तरफ देखा तो वो वहाँ से चला गया,,,,,,
तभी कविता मेरे पास आई,,,,,,,जा सन्नी तू ही मना उसको,,,मेरी तो बात ही नही सुन रही
,,,,,बोल रही है तुम दोनो जाओ वो खुद चली जाएगी माँ के पास,,,,
मैं सोनिया की तरफ चलने लगा तभी मैने देखा एक कार बड़ी तेज़ी से चलती हुई सोनिया की
तरफ आ रही थी,,,,,,मैं तेज़ी से चलके उसकी तरफ जाने लगा,,,,कविता ने भी सोनिया को
ज़ोर से आवाज़ लगाई और कार मे बारे मे बताया ,,,,वो कार तेज़ी से सोनिया की तरफ आ रही थी
कविता की आवाज़ से सोनिया पीछे की तरफ पलट गयी और खुद की तरफ आती हुई तेज कार को देख
कर डर गयी और ज़ोर से चीखने लगी,,लेकिन वो कार नही रुकी और सोनिया की तरफ बढ़ती आ
रही थी,,,,,,कार उस से कुछ ही दूर थी कि मैने भाग कर सोनिया को अपनी बाहों मे
भर लिया और पकड़ कर रास्ते से दूर ले गया ,,,,मेरे ऐसा करते ही सोनिया मेरी बाहों मे
आ गयी और कार तेज़ी से चलते हुए पार्किंग से बाहर चली गयी,,,,,मैने देखा तो ड्राइवर ने
कॅप पहनी हुई थी,,,,मुझे कुछ शक हुआ लेकिन अब क्या कर सकता था कार वहाँ से जा
चुकी थी,,,,
तभी मैने सोनिया की तरफ देखा तो वो रो रही थी,,,,बहुत ज़्यादा डर गयी थी वो,,,मैने
उसके आँसू सॉफ किए तो उसने मेरे चहरे को देखा और ज़ोर ज़ोर से रोती हुई मेरे गले लग
गयी,,,,,,
अरे पगली रो क्यूँ रही है,,,,,,देख मैं हूँ ना तेरे पास,,,कुछ नही हुआ चल चुप कर
,,,,,
तभी कविता भी भाग कर हम दोनो के पास आ गयी,,,,,कों था वो सन्नी,,,,कार मे कॉन
था,,तूने देखा उसको,,,,,
मुझे शक तो था कि ये अमित और सुरेश मे से कोई हो सकता था लेकिन मैं उसको पहचान
नही पाया,,,,,,और मैं कविता और सोनिया को डराना भी नही चाहता था,,,,,,
अरे कोई नही होगा कोई मनचला,,,अमीर बाप का शराबी बेटा,,,,मैने ये बात बोल कर उनके
दिल से तो डर ख़तम कर दिया लेकिन मुझे डर था कहीं वो लोग मेरी बेहन या मेरी फॅमिली
को हर्ट नही करे दोबारा,,,,
सोनिया अभी भी रो रही थी और मेरे गले से चिपकी हुई थी,,,,,,,,
अरे अब रोना बंद का छुटकी गुड़िया ,,देख तेरा भाई तेरे पास है,,,,कुछ नही होने देगा
तेरा भाई तुझे,,,,,,,,,
मैं जानती हूँ भाई,,,,तू मुझे कुछ नही होने देगा,,,,बहुत प्यार करता है ना मेरे से तू
एक मैं ही पगली हूँ जो तेरे प्यार को समझती नही,,,,लेकिन मैं मजबूर हूँ सन्नी,,बहुत
मजबूर हूँ,,,,,इतना बोलकर वो कविता के पास चली गयी और कविता उसको चुप करवाते हुए
कार की तरफ ले गयी,,,,,
मेरा दिल तो किया कार जल्दी से भगा कर बाहर ले जाउ लेकिन अब कोई फ़ायदा नही होगा अब तक
तो वो कार पता नही कहाँ पहुँच गयी होगी,,,,
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