RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी मैने उसके चहरे की तरफ देखा तो उसके चहरे पर उसकी जुल्फे थी मैने अपने एक हाथ
से उसकी ज़ुल्फो को उसके चहरे से हटाया तो देखा उसकी आँखें आधी बंद थी ,,,वो कुछ ठीक
नही लग रही थी मुझे,,,मदहोश हो चुकी थी वो,,,ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई नशा
किया हुआ हो,,,,उसकी हालत देख मैं भी थोड़ा गर्म हो गया लेकिन मैं कुछ कर नही सकता
था और अगर कुछ करता तो एक बार फिर सोनिया को रुसवा कर देता,,,,इसलिए मैने उसको हल्के
से आवाज़ लगाई,,,,,
सोनिया ,,,,,सोनिया,,,,,
उसने मेरी आवाज़ नही सुनी,,,,उसको कोई होश नही था,,,तभी मेरे भी होश उड़ गये ,,,उसने
मुझे एक बस देखा और अपनी हालत ब्यान करदी,,,मैं समझ गया कि ये अपने होश मे नही है
अब ,,इसके पहले मैं कुछ कहता या करता उसने मुझे एक बार देख कर अपनी आँखें बंद
करली और मेरे चहरे की तरफ बढ़ने लगी,,,,इस से पहले कुछ समझ पाता या कुछ कर पाता
उसके होंठ मेरे होंठों से सॅट गये और उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया,,,मेरा एक हाथ
उसके सर पर और एक हाथ उसके शोल्डर पर था जबकि उसके हाथ मेरी कमर की दोनो तफर से
मेरी कमर को सहला रहे थे उपर से नीचे तक,,,,वो मुझे किस करती जा रही थी लेकिन
मैं उसको किस का रेस्पॉन्स नही दे रहा था लेकिन मेरे से भी बर्दाश्त नही हुआ तो मैने
भी उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया,,,वो भी मेरे होंठों को चुस्ती जा रही थी,,
अब मेरे हाथ भी उसकी पीठ पर चले गये और मैने उसकी टी-शर्ट मे अपने हाथ घुसा दिए
और उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगा,,,,,जैसे ही उसको मेरे हाथों का एहसास उसकी पीठ
पर हुआ वो एक दम से कुछ ज़्यादा ही गर्म हो गयी और कुछ ज़्यादा ही गर्मी मे मुझे किस करने
लगी मैं भी उसका पूरा साथ देने लगा था,,,,क्यूकी मेरी हालत भी बहुत खराब हो गयी थी
तभी हम दोनो को किसी की आवाज़ सुनाई दी,,,,कोई दरवाजे पर खड़ा होके कुछ बोल रहा था
,,,,,
अगर लैला मजनू का प्यार ख़तम हो गया हो तो चलके खाना खा लो,,,ये सब बोल रही थी
कविता जिसके हाथ मे बेलन पकड़ा हुआ था और वो हँसती हुई हम लोगो की तरफ देख रही थी
कविता को देख कर मैं और सोनिया उसी तरह डर गये जैसे मैं और कविता डर गये थे जब
गाँव मे सोनिया ने हम दोनो को ऐसी हालत मे देख लिया था,,,तब कविता शरम के मारे
पानी-पानी हो गयी थी और अब सोनिया की हालत भी वैसी ही हो गयी थी,,,,,
जैसे ही सोनिया का ध्यान कविता की तरफ गया और फिर उसने खुद को मेरे उपर पाया तो जल्दी
से मेरे से हटके एक साइड पर गिर गयी और वहाँ से उठकर खड़ी हो गयी,,,अब तक कविता
हँसती हुई वहाँ से जा चुकी थी,,,,
सोनिया खुद की हालत पर क़ाबू करती हुई दरवाजे की तरफ देखने लगी,,,जब कविता वहाँ
से चली गयी तो सोनिया वापिस मॅट्रेस पर मेरे पास बैठ गयी और मुझे हल्के से थप्पड़
मारा मेरी छाती पर,,,,,
तू कभी नही सुधरेगा ना सन्नी,,,जब देखो गंदी हरकते करता रहता है,,,,
लेकिन अब मैने क्या किया,,,,अब तो जो किया तुमने किया,,,इसमे मेरी क्या ग़लती,,,
सब तेरी ग़लती है,,,टी-शर्ट क्यूँ निकाली तूने,,,मुझे खुद पर क्यूँ गिरने दिया और जब मैं
वो सब करने लगी तो तूने मुझे रोका क्यूँ नही,,,मैं बहक गयी थी होश मे नही थी लेकिन
तू तो होश मे था फिर तूने मुझे रोका क्यूँ नही,,,,क्यूँ इस मोके का फ़ायदा उठाने लगा था
तू,,,,बोल क्यूँ नही रोका मुझे तूने,,,क्यूँ बहकने दिया मुझे ,,,,वो हल्का हल्के रोने लगी
और मुझे छाती पर हल्के से मारने लगी,,,,,,,,,,बोल क्यूँ नही रोका मुझे क्यूँ करने दिया
वो सब जो करने मे मैं डरती रहती हूँ,,,,,बोल क्यूँ नही रोका सन्नी,,,क्यूँ ,,क्यूँ
मैं वो ,,मैं ,,मुझी,,,,मैं वू,,,
बोल ना बोलता क्यूँ नही तू,,,,,क्यू नही रोका मुझे,,,,,,वो रोती जा रही थी और बोलती जा
रही थी,,,,,,
क्यूकी मैं भी बहक गया था सोनिया,,,मुझपे खुद पर क़ाबू नही रहा तुझे अपने इतने
करीब पाके,,,,,मुझे माफ़ करदो लेकिन इसमे मेरी क्या ग़लती,,,
नही सन्नी तुझे क़ाबू मे रहना चाहिए था,,,,जब तू मेरे पास आता है मैं होश मे रहती
हूँ और तुझे रोक लेती हूँ इसलिए जब मैं तेरे पास आई तो तुझे भी मुझे रोकना चाहिए
था क्यूकी अगर हम दोनो क़ाबू से बाहर हो गये तो सब ग़लत हो जाएगा,,,,,सब कुछ ग़लत हो
जाएगा,,,,,
लेकिन मैं क्या कर सकता था,,,मेरी हालत खराब हो गयी थी,,और भला इसमे ग़लत क्या है
तू मुझे प्यार करती है और मैं तुझे प्यार करता हूँ तो इसमे ग़लत क्या है,,
ग़लत है सन्नी सब कुछ ग़लत है,,,,हम दोनो ऐसा नही कर सकते ,,,,क्यूकी मैं तुझसे
प्यार करती हूँ तेरे जिस्म से नही,, जबकि तू बस मेरे जिस्म से प्यार करता है,,जब देखो तू
मेरे जिस्म को हाँसिल करने की कोशिश करता है लेकिन मैं तुझे रोक लेती हूँ और आज जब
मैं खुद बहक गयी तो तुझे अछा मौका मिल गया अपनी हवस मिटाने का,,,मेरे जिस्म को हाँसिल
करने का,,,,,
नही नही सोनिया ये ग़लत है,,,,,तेरा जिस्म मुझे तेरे करीब आने पर मजबूर ज़रूर करता
है लेकिन मेरा प्यार तेरे जिस्म तक सीमित नही
अच्छा अगर ये बात है तो तूने मुझे रोका क्यूँ नही,,क्यूँ मुझे वो सब करने दिया,,और अगर
तेरा प्यार मेरे जिस्म तक सीमित नही तो साबित कर सन्नी,,,,साबित कर तू मुझे प्यार करता है
ना कि मेरे जिस्म को,,,,,इतना बोलकर वो रोती हुई रूम से बाहर चली गयी,,,
जबकि मैं सोचने लगा कि आख़िर मेरी क्या ग़लती उसमे जो कुछ अभी हुआ,,,इसमे तो सोनिया की
ग़लती है तो भला कसूरवार मैं कैसे हुआ,,,,,तभी मेरी नज़र गयी अपने जिस्म पर ,,मेरी
छाती नंगी थी उसपे हल्का हल्का पसीना था,,,मैं समझ गया ये मेरी ग़लती थी,,,जैसे
उसके जिस्म को देख मैं बहक जाता हूँ आज वो मुझे एसी हालत मे देख कर बहक गयी थी
,,लेकिन अब बहुत हो गया अब मुझे उस से दूर रहना होगा,,,,बल्कि अब तो उसको भी खुद से
दूर रखना होगा क्यूकी वो भी बहकने लगी है ,,,,ग़लती किसी की भी हो लेकिन नुकसान मेरा
ही होगा,,,,,मैं कोई ग़लती करके उसको खोना नही चाहता,,,,,
मैं वहाँ से उठा टी-शर्ट पहनी और फ्रेश होके रूम से बाहर निकल आया,,,,वहाँ कविता और
सोनिया बैठी हुई थी,,मैं भी एक तरफ जाके चेयर पर बैठ गया,,,,कविता ने प्लेट मे
खाना लगा दिया और मैं चुप करके खाना खाने लगा,,,,हम सब लोग चुप थे वहाँ एक
सन्नाटा सा पसरा हुआ था सारे घर मे,,,,मैं चुप करके प्लेट की तरफ देखता हुआ खाना
खा रहा था क्यूकी मेरी हिम्मत नही थी उन दोनो से नज़रे मिलने की,,,
तभी सोनिया का फोन बजने लगा और सन्नाटा टूट गया,,,,,सोनिया फोन लेके दूर चली गयी
और बात करने लगी,,,मैने देखा फोन पर बात करते हुए सोनिया के उदास चहरे पर एक
मुस्कान आ गयी थी,,,,सोनिया ने कुछ देर बात की और वापिस आके खाना खाने लगी,,,
किसका फोन था सोनिया,,,,,कविता ने सोनिया से पूछा,,,,
माँ का फोन था,,,,हम लोगो को मिलने बुलाया है और साथ मे कुछ कपड़े मँगवाए है और
बोला है शोभा दीदी के लिए कुछ नये कपड़े लेके आने को,,,,,
वाउ चल जल्दी खाना ख़ाके शॉपिंग पर चलते है वैसे भी बड़े दिन हो गये माल घूमने
नही गये हम लोग,,,,
कविता मेरे से बोली,,,,,,,,,,,सन्नी तू भी खाना ख़ाके जल्दी तैयार हो जा हम लोग माल चलते
है,,,,,
तभी सोनिया बोली,,,,नही हम दोनो चलते है,,,,इसकी ज़रूरत नही,,,,,
अरे इसको भी ले चलते है ना,,,वैसे भी इसने बोला है इसके बिना बाहर नही जाना,,इसको
तो साथ लेके जाना पड़ेगा ना,,,,,,
कोई ज़रूरत न्ही इसको साथ लेके जाने की,,,,कोई मुसीबत होगी तो हम दोनो मिलकर संभाल
लेंगे उसको,,,,इसके साथ लेके जाने की क्या ज़रूरत,,,,
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