Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 11:58 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
माँ ने इतना बोला और मुझे रेखा और मनोहर के पास ले गयी,,,,,मैं माँ से बहुत सवाल
करना चाहता था लेकिन माँ ने मना कर दिया था,,,और वैसे भी मैं रेखा और मनोहर के
पास पहुँच गया था इसलिए माँ से कुछ नही पूछ सका,,,,,

मैने रेखा और मनोहर को शादी की बधाई दी और जाके एक चेयर पर बैठ गया,,,रेखा
मुझे बड़ी मस्ती से देख रही थी लेकिन मैने उसकी तरफ कोई ध्यान नही दिया,,डॅड और
विशाल भी मुझे मेरे एग्ज़ॅम्स के बारे मे पूछ रहे थे लेकिन मैं किसी टेन्षन मे था
पता नही क्या जवाब देता गया मैने उनको कुछ नही पता मुझे,,,मेरे दिमाग़ मे बहुत सवाल
थे लेकिन किसी का जवाब नही मिला था अभी तक मुझे,,,

मैं वहाँ से उठा और एक तरफ जाके अकेला खड़ा हो गया और हवेली को देखने लगा,,उस हवेली
मे 3 तरफ रूम्स बने हुए थे और एक तरफ था बड़ा सा दरवाजा बीच मे बहुत बड़ा आँगन
था जिसमे सब लोग बैठे हुए थे,,,,,वो सब लोग शादी शुदा जोड़े के पास बैठकर कोई
रीत रिवाज पूरे कर रहे थे,,,,सब लोग एंजाय कर रहे थे,,,,यहाँ तक कि सोनिया
और कविता भी सीमा के साथ बातें करते हुए एंजाय कर रही थी,,,,सोनिया को शायद कुछ
पता नही था इस सब के बारे मे इसलिए वो ज़्यादा टेन्षन नही ले रही थी,,,लेकिन मुझे
बहुत टेन्षन हो रही थी,,,,घुटन सी होने लगी थी,,,,मैं जल्दी से चलता हुवा हवेली
के बाहर आ गया और खुली हवा मे साँस लेने की कोशिश करने लगा,,,मुझे अभी भी थोड़ी
घुटन हो रही थी इसलिए मैं वहाँ से आगे की तरफ चल पड़ा,,,


मैं टेन्षन मे पता नही किस तरफ जा रहा था मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,मैं
जिस रास्ते भी जाता वहाँ पर लोग मिल जाते मुझे,,,और वो लोग मुझे राम-राम छोटे मालिक
,,कोई बोलता प्रणाम छोटे मालिक,,,,,,मैं कुछ समझ नही पा रहा था,,इसलिए जल्दी
से वहाँ से भाग कर खेतो के बीच चला गया,,,,वहाँ पर कोई नही थी,,बहुत शांति
थी वहाँ ,,,मैं टेन्षन मे एक पैड के नीचे बैठ गया और जो सब भी हो रहा था उसके
बारे मे सोचने लगा,,,,,,,

क्या झगड़ा चल रहा था चाचा और माँ के बीच,,,सीमा क्यूँ नही गयी चाचा के घर और
वो चाचा को घटिया इंसान क्यूँ बोल, रही थी,,,ये हवेली माँ की थी तो माँ ने हम लोगो
को कभी बताया क्यूँ नही,,,मेरा दिमाग़ फटा जा रहा था इसलिए दिमाग़ को आराम देने के लिए
मैं पेड़ के नीचे लेट गया और सर भारी हो गया था मेरा इसलिए आँख लग गयी थी,,


जब उठा तो शाम हो गयी थी,,अंधेरा होने लगा था,,ठंड लगने लगी थी शायद इसलिए
मेरी आँख खुल गयी थी,,,मैं वहाँ से उठा और हवेली की तरफ चलने लगा,,,


हवेली पहुँचा तो देखा बाहर आँगन मे कोई नही था,,तभी एक रूम मे मुझे कुछ आवाज़
सुनाई दी,,,मैं उस रूम मे गया तो देखा सभी लोग वहीं बैठे हुवे थे,,,,गाँव का
कोई नही था बस सभी घर वाले ही थे वहाँ पर,,,



तभी डॅड उठे और मेरे पास आ गये,,,,,,,कहाँ चले गये थे तुम सन्नी,,,कितनी टेन्षन
हो गयी थी हम लोगो को,,,,बता कर नही जा सकता था क्या,,,,मुझे कुछ समझ नही आ
रहा था ,,,,रूम मे बैठा हर शक्स मेरी तरफ देख रहा था,,,कविता और सोनिया कुछ
उदास लग रही थी,,,,तभी मेरा ध्यान गया माँ की तरफ जो मेरी हालत समझ गयी थी,,वो
जानती थी मैं टेन्षन मे हूँ ,,बहुत सवाल है मेरे दिल मे,,,,लेकिन माँ ने मना किया था
इसलिए मैं कुछ पूछ भी नही सकता था,,,


तभी डॅड फिर से बोले,,,बोल ना सन्नी कहाँ चला गया था तू,,,कितना डर गये थे हम
लोग,,बता कर नही जा सकता था क्या ,,,,कहाँ चला गया था बोल ना,,चुप क्यूँ है,,,

मैने फिर देखा रूम मे हर किसी का ध्यान मेरी तरफ ही था,,,सब परेशान थे,,,

तभी मैं मज़ाक मे बोल पड़ा,,,,अरे आप सब लोग इतने परेशान क्यूँ हो,,,मैं तो बस बाहर
घूमने गया था,,,पहली बार यहाँ आया तो दिल किया बाहर घूमने को,,,आप सबको तो
पता है जब भी मैं नयी जगह जाता हूँ खांसकार गाँव मे तो घूमने का बहुत दिल करता
है मेरा,,,,और वैसे भी जब मैं आया बहुत लोग थे यहाँ मैं थोड़ा डर गया था इतने
लोगो को देख कर इसलिए ताजी हवा खाने और गाँव मे घूमने के लिए मैं बाहर चला
गया था,,,घूमते हुए कब शाम हो गयी पता ही नही चला,,,


घूमने ही जाना था तो बता कर नही जा सकता था,,,,देख सब कितने परेशान हो गये थे
,,,सोनिया तो रोने लगी थी कि पता नही तू कहाँ चला गया है,,,,कभी तो अकल से काम
लिया कर,,,,

मैने सोनिया की तरफ देखा तो उसकी आँखें नम थी और कविता की भी,,,

सौररी सौरी सौरी गाइस ,,में किसी को तंग नही करना चाहता था इसलिए बिना बोले ही
चला गया था,,,अपनी ग़लती की माफी माँगता हूँ मैं आप लोगो से,,,प्लज़्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर
दो आप सब लोग,,,मैने अपने कान पकड़े और ज़मीन पर बैठ गया,,,,ये देखकर सब लोग
हँसने लगे जो अभी कुछ देर पहले काफ़ी परेशान लग रहे थे,,,

सब लोग खुश हो गये थे लेकिन माँ मुझे अजीब नज़रो से देख रही थी,,,वो समझ गयी
थी कि मैं परेशान हूँ,,,,तभी मैने कविता और सोनिया की तरफ देखा तो वो दोनो भी
मुझे अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,खांसकार सोनिया,,,,क्यूकी उस से मेरी हालत छुपती
नही थी कभी,,,हो ना हो उसको भी पता चल गया था कि मैं कुछ परेशान हूँ,,,



तभी मेरे पीछे से विशाल और मामा अंदर आ गये,,,आ गये सन्नी तू,,,,पता नही कहाँ
कहाँ तलाश किया तुझे,,,कहाँ चला गया था,,,,मैं तो परेशान हो गया था,,,,


सौरी विशाल भाई,,,मैं ज़रा घूमने गया था बाहर और घूमता हुआ कुछ दूर निकल
गया था,, सौररी भाई,,,,

चल कोई बात नही अब तो आ गया तू,,,,लेकिन दोबारा बिना बोले कहीं मत जाना तू,,,समझ
गया,,,

जी भाई,,समझ गया,,,,

फिर मैं विशाल के साथ जाके एक सोफे पर बैठ गया ,,,सीमा मामी और गीता भुआ हम लोगो
के लिए खाने पीने का समान ले आई और सब लोग भी खाना खाने लगे,,,,खाना खाते हुए
सब लोगो ने हँसी मज़ाक शुरू कर दिया,,,,जो रूम अभी तक चुप-चाप था उसमे फिर से
मस्ती शुरू हो गयी थी,,,,



लेकिन कोई था जो उदास आँखों से मुझे देख रहा था,,,वो थी सोनिया जो खाना खाती हुई
मेरी तरफ ही देख रही थी,,,और उसी के साथ कविता भी नम आँखों से खाना खा रही
थी लेकिन ध्यान मेरी तरफ़ ही था उसका भी ,,,,सॉफ पता चल रहा था वो दोनो रो कर
हटी थी,,

खाना खाने के बाद सब लोगो अपने अपने रूम मे चले गये,,,,रात काफ़ी हो गयी थी,,और वैसे
भी सर्दी का मौसम था,,,रेखा अपने पति मनोहर के साथ चली गयी एक रूम मे,,एक रूम
सीमा और केवल का हो गया,,,,माँ और डॅड भी अपने रूम मे चले गये,,,जबकि विशाल को मामा
'के साथ और शोभा को भुआ के साथ रूम शेयर करना था,,,,कविता और सोनिया एक रूम मे थी

,,,,मैं किसी के साथ नही रहना चाहता था,,,हालाकी भुआ और शोभा ने मुझे बोला भी
था उनके साथ सोने को लेकिन मैं अकेला रहना चाहता था,,


मैं एक रूम मे जाके बिस्तेर पर लेट गया,,,,लेकिन टेन्षन की वजह से मुझे नींद नही आ
रही थी,,,,काफ़ी देर बिस्तेर पर लेटा हुआ करवटें बदलता रहा लेकिन नींद का दूर तक कोई
नाम-ओ-निशान नही था,,,फिर उठा और बाहर आँगन मे आके बैठ गया,,,सर्दी बहुत थी लेकिन
फिर भी मैं बनियान और शौरट्स मे ही बाहर आके बैठ गया,,,अभी कुछ सोच ही रहा था
कि मेरी पीठ पर किसी का हाथ लगा,,,पलट कर देखा तो वो कविता थी,,,,


इतनी रात को बाहर क्या कर रहे हो तुम सन्नी,,,,उसने मेरे पास आके बैठते हुए मेरे से
सवाल किया,,,,,


कुछ नही कविता,,,बस नींद नही आ रही थी इसलिए बाहर आके बैठ गया,,,नयी जगह
है ना ,,,अड्जस्ट करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था ,,,,,

हां हां वो तो ठीक है लेकिन कुछ पहन तो लेता,,,,ये बनियान मे ही बाहर क्यूँ आ गया
,,इतना सर्दी है ,,,,,,तुझे सर्दी नही लग रही क्या,,,


इस से पहले मैं कुछ बोलता कविता ने अपने उपर लिया हुआ कंबल मेरी पीठ पर दिया और
मेरे से चिपक कर बैठ गयी,,,,

मैं जानती हूँ सन्नी तुम कुछ परेशान हो,,,तू मेरे से झूठ नही बोल सकता और अगर बोले
भी तो मैं तेरी आँखों मे सब सच जान लेती हूँ,,,,जानती हूँ कोई बात तुझे परेशान
कर रही है,,,


नही नही कविता ऐसी कोई बात नही है,,,,तुम ग़लत समझ रही हो,,,,मैं तो नयी जगह
पर आके थोड़ा परेशान हूँ बस ,,वैसे कोई बात नही है,,,,

तभी कविता ने मेरी तरफ बढ़ते हुए अपना सर मेरे शोल्डर पर रख दिया,,,,मैने बोला
ना सन्नी तू मेरे से झूठ नही बोला सकता,,,,,,,,,तू अगर सच नही बोलना चाहता मेरे से
तो कोई बात नही लेकिन कम से कम झूठ तो मत बोल,,,जबकि तुझे पता है मैं तेरा
झूठ एक पल मे पकड़ लेती हूँ,,,

मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,क्यूकी जैसे सोनिया मुझे बहुत अच्छी तरह जानती
थी वैसे ही कविता भी उतनी ही अच्छी तरह से मुझे जानती थी,,,,मैं इन लोगो से चाह
कर भी झूठ नही बोल सकता था और अगर बोलता तो पल भर मे मेरा झूठ पकड़ा जाता,,



अछा कविता जी झूठ नही बोलता मैं,,,हाँ मैं कुछ परेशान हूँ और तुझे अभी कुछ न्ही
बता सकता,,,,,लेकिन तू पहले मुझे ये बता कि तू इतनी रात यहाँ क्या कर रही है,,,


मैं तो वॉशरूम जाने के लिए रूम से बाहर आई थी तुझे यहाँ देखा तो तेरे पास आ गयी

हवेली मे किसी भी रूम मे बाथरूण अटॅच नही था,,,,,हवेली के पीछे की तरफ बाथरूम
बना हुआ था,,,,,

तभी मैं उठा और कविता भी उठ गयी,,,,हम दोनो हल्की हल्की बात करते हुए गलियारे मे
से गुजर कर बाथरूम की तरफ जाने लगे,,,,,,गलियारे से गुजर कर राइट साइड बाथरूम
था और लेफ्ट साइड सीढ़ियाँ थी छत पर जाने के लिए,,,,बाथरूम के पास लाइट जल रही थी
जिसकी हल्की रोशनी सीढ़ियों पर भी थी,,,हम दोनो एक ही कंबल मे चलते हुए गलियारे से
गुजर रहे थे ,,तभी कविता बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मैने उसका हाथ पकड़
लिया और उसको अपने साथ सीढ़ियों की तरफ ले गया,,,,


मैं उसके साथ एक ही कंबल मे था इसलिए थोड़ा गर्म हो गया था.,,,मैने उसका हाथ पकड़ा
और सीढ़ियों की तरफ ले गया,,,क्यूकी बाथरूम की तरफ कोई भी आ सकता था लेकिन सीढ़ियों
पर किसी के आने का डर नही था,,,8-10 सीडिया चढ़ने के बाद एक टर्न था फिर आगे की
तरफ सीढ़ियाँ जाती थी,,,,,जहाँ पर टर्न था वहाँ कुछ जगह थी खड़े होने के लिए

मैं कविता को लेके वहीं खड़ा हो गया,,,,,अभी भी हम दोनो एक ही कंबल मे थे,,,,

सन्नी प्ल्ज़्ज़ जाने दे मुझे बाथरूम जाना है,,,,,


अच्छा अगर बाथरूम ही जाना था तो मेरे पास क्यूँ आई थी तू,,,
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 07-16-2019, 11:58 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,465,326 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,400 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,217,650 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,798 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,632,623 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,063,964 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,922,315 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,962,012 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,995,109 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,468 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 12 Guest(s)