RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
लेकिन जैसे ही मैने भाभी की तरफ देखा तो दंग रह गया,,भाभी ने साड़ी पहनी हुई थी और अब भाभी ने साड़ी
के पल्लू को एक साइड किया हुआ था,उनके छोटे छोटे बूब्स जो कुछ दिन मे करण की मेहनत की वजह से थोड़े बड़े
हो गये थे वो बूब्स ब्लाउस से निकलकर बाहर झाँक रहे थे,,मुझे उपर से उनके बूब्स पूरे नंगे लग रहे
थे ,,,क्यूकी उपर होने की वजह से मुझे बूब्स ब्लाउस के अंदर तक नज़र आ रहे थे और बूब्स के क्लीवेज़ की
पूरी गहराई तक मेरी नज़र जा रही थी ,,मैं अभी कुछ देर पहले हल्का होके आया था लेकिन रितिका के बूब्स देख
कर मेरे लंड ने फिर से अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था मुझे डर था कहीं भाभी की नज़र नही पड़ जाए मेरे
लंड पर लेकिन तभी कुछ ऐसा किया भाभी ने की मेरा डर मस्ती मे बदल गया और मेरी गान्ड फॅट गई,,,
भाभी ने अपनी साड़ी के पल्लू को पकड़ा और ज़मीन पर गिरा दिया और बड़े प्यार से मुझे अपने बूब्स के दर्शन
करवाने लगी ,,भाभी ने टेबल को हाथों से पकड़ा था इलसीए उनको थोड़ा झुकना पड़ा वो झुककर और भी ज़्यादा
बूब्स दिखाने लगी थी मुझे,,,,,मैने मन ही मन सोचा सन्नी बेटा अब ये तो पूरी लाइन दे रही है फिर तू क्यूँ
पीछे हट रहा है,,,,पकड़ ले साली को और ठोक दे ,,,,,लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था,,,,क्यूकी ये करण की अमानत
थी,,,अगर करण को सब पता होता और करण खुद कहता तो मुझे एतराज़ नही था लेकिन उसकी पीठ पीछे ऐसा करके
मैं दोस्ती को दाग नही देना चाहता था,,,,वैसे भी रितिका जैसा माल रोज रोज हाथ नही लगता,,,
रितिका टेबल को पकड़ कर झुकी हुई थी और उसने अपने साड़ी के पल्लू को भी ज़मीन पर फैंक दिया था अब उसके'
बूब्स पूरे नंगे थे मेरे सामने ,,मैं मस्ती मे पागल हो राह था मेरा लंड भी ओकात मे आने लगा था और
तभी रितिका ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद तक नही थी,,,उसने टेबल पर झुके हुए अपने चेहरे को मेरे लंड
के करीब कर दिया और अपने होठों से पॅंट एक उपर से मेरे लंड पर हल्की किस करदी,,मुझे लगा कि अब मैं
सच मे टेबल से गिर जाउन्गा और अगर नही गिरा तो भी भाभी गिरा के दम लेगी,,,,मैं जल्दी से टेबल के उपर से कूद
गया और जूसर को भी गिरते गिरते बड़ी मुश्किल से संभाला और फिर जूसर को शेल्व पर रखा और भाभी की तरफ पलटा
ये क्या बेहूदा हरकत थी रितिका,,,,मैने इतना बोला ही था कि रितिका मेरी तरफ बढ़ने लगी उसने मेरी आँखों मे देखा
'और मेरी तरफ बढ़ते हुए अपने हाथ अपने ब्लाउस पर रखे और सामने से अपने ब्लाउस के हुक को खोल दिया ,,,पहले
एक और फिर दूसरा,,,,2 हुक खुलते ही उसके बूब्स आधे से भी ज़्यादा बाहर निकल आए थे और मैं रितिका की इस हरकत
से दंग रह गया,,,लेकिन मुझे डर भी लगने लग था अभी कोई अगर आ जाता वहाँ तो क्या होता,,,,अगर करण आ
जाता तो क्या होता,,,वो सॉफ सॉफ समझ जाता कि क्या हो रहा है,,,,और वो मुझे कभी माफ़ नही करता ,,,
मैं थोड़ा मस्त हो गया था लेकिन फिर भी डर रहा था खुद पर क़ाबू कर रहा था,,,यी क्याअ हारकाट्त हाई
र्रितिक्काा,,,तुउम्मक्कू ष्हररामम न्हीई एयेए र्राहहीी ,,,,,,,,
रितिका मेरे पास आ गई और मेरे लिप्स पर अपनी उंगली रखते हुए बोली,,,,,,,चुप करो,,,बड़े आए शरम वाले,,तब कहाँ
थी तुम्हारी शरम जब टेबल पर खड़े होके इन बूब्स को देख रहे थे,,,,तब शरम नही आई थी क्या,,,और अब
जब मैने इनको आज़ाद कर दिया है तो अब भला कैसा शरमाना,,,रितिका ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बूब्स पर
रख दिया और अपने हाथ से मेरे हाथ को अपने बूब्स पर रखके अपने हाथ को दबा दिया जिस से मेरे हाथ मे
पकड़ा हुआ उसका बूब भी दब गया और उसके मुँह से आहह निकल गई,,,,,,,हयी री कितनी गर्मी है तेरे हाथों मे आ
सन्नी एक बार खुद मसल ना मेरे बूब्स को,,,उसने मेरा दूसरा हाथ भी पकड़ा और अपने दूसरे बूब पर रखने
लगी,,,,लेकिन तभी मैने उसको धक्का दिया और वो पीछे हो गई और मैं खुद भी उस से पीछे हो गया,,,
मैने बड़ी मुश्किल से खुद पर क़ाबू किया था,,,,दिल तो कर रहा था अभी पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू
कर दूं उसके बूब्स को लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मैं डर रहा था,,,,,,,,,,,,,,,,,
तुमको शरम नही आती क्या,,,,ये सब करते हुए,,,,कोई आ गया तो क्या सोचेगा,,,चलो बंद करो अपने ब्लाउस को
कोई नही आएगा सन्नी तू डर मत,,,,माँ और शिखा तो उपर है और करण गया है बाहर,,,,तो कॉन देखेगा हम लोगो
को,,,,
कोई देखे या नही देखे लेकिन तुम बंद करो इसको ,,,,मुझे ये सब अच्छा नही लगता,,,
क्या अच्छा नही लगता,,,,मैं या मेरा ये जिस्म ,,,,बोलो ना सन्नी,,,
तुम ऐसा मत करो प्लज़्ज़्ज़्ज़ रितिका,,,,तुम करण की वाइफ हो वो तुमसे बहुत प्यार करता है तो भला क्यूँ तुम उसको धोखा
दे रही और मुझे भी मजबूर कर रही हो उसको धोखा देने को,,,,मत करो ऐसा प्लज़्ज़्ज़्ज़
प्यार तो मैं भी बहुत करती हूँ करण से और अपनी जान से भी ज़्यादा,,,,मैं कहाँ धोखा दे रही हूँ ,,धोखा
तो तब होगा जब उसको कुछ पता चलेगा,,,,ना तुम उसको कुछ बताने वाले हो और ना मैं,,फिर भला कॉन बताएगा
उसको,,,,
कोई बताए या नही लेकिन मैं फिर भी उसको धोखा नही दूँगा,,,,ना तुमको ऐसा करने दूँगा,,,,,और कैसी लड़की
हो तुम ,,,,,एक तरफ तो करण से प्यार की हवा मे उड़ती हो और उपर से मेरे साथ वासना के समुंदर मे गोते लगाना
चाहती हो,,,कुछ तो शरम करो,,,,
मैं कोई धोखा नही दे रही किसी को,,,बस एक ज़िद्द है तुम्हारे साथ हमबिस्तेर होने की वही ज़िद्द पूरी कर रही हूँ
और मैं अपनी ज़िद्द पूरी करके ही दम लेती हूँ,,,उसने इतना बोला और मेरी तरफ बढ़ कर आ गई,,,,और इस से पहले मैं
कुछ कहता या करता उसने मेरे गले मे बाहें डालके मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे लिप्स पर किस करने लगी
लेकिन मैने खुद को संभाला और उस से दूर हो गया ,,,,
इस से पहले मैं उसको कुछ कहता मेरी नज़र पड़ी किचन से बाहर की तरफ,,,जहाँ करण खड़ा हुआ था,,,मैने
उसकी तरफ देखा तो वो गुस्से से मुझे देखता हुआ वहाँ से चला गया,,,,
मैं उसके पीछे गया और रितिका भी जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हुआ मेरे पीछे भाग कर आ गई,,,,मैं करण
के पीछे गया तब तक करण घर के बाहर खड़ी अपनी कार लेके वहाँ से चला गया,,,,मैने उसको आवाज़ भी दी लेकिन
वो नही रुका,,,
मैं वापिस पलटा तब तक रितिका भी वहाँ आ गई थी,,,,,,,,,वो भी थोड़ी परेशान हो गई थी,,,,
अब तो खुश हो तुम,,,,,अब चैन पड़ा तुमको,,,हम दोस्तो मे फुट डलवा कर,,,,वो मेरा दोस्त पता नही क्या सोच
रहा होगा मेरे बारे मे,,,,उसकी नज़रो मे गिर गया हूँ मैं,,,सब तुम्हारी वजह से हुआ है,,,
मैने क्या किया,,,,जो किया तुमने किया,,,,ना तुम ऐसे ज़िद्द करते और ना मैं इतना सब कुछ करती,,,,एक बार मान जाते
मेरी बात तो क्या हो जाता,,,,अब तुम्हारी वजह से करण पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा,,,
सब सही सोच रहा होगा,,,पता नही मेरे बारे मे क्या क्या ग़लत सोच रहा होगा,,,तुझे अगर इतनी ही आग लगी हुई थी'
तो बता देती करण को सब कुछ और फिर आती मेरे पास,,,,,फिर बताता तुझे कि आग कैसे भुज्ती है,,,,फिर बताता तुझे
की चुदाई किसको कहते है,,,,मैं गुस्से मे पता नही क्या क्या बोल गया,,,मुझे ये भी होश नही था कि मैं घर
के बाहर गेट पर खड़ा हुआ हूँ,,,,
लेकिन उसको कोई फ़र्क ही नही पड़ा रहा था,,,,,,
तो अब आ जाओ ना अंदर और बता दो चुदाई क्या होती है,,,मुझे भी तो पता चले कितना दम है तेरे मे,,,उसने
इतनी बात शरमाते हुए बोली लेकिन बिना किसी डर के,,,,
पहले वो परेशान लग रही थी लेकिन अब उसकी बातों से लग रहा था उसको करण से डर नही कोई,,,उसको कोई परेशानी
नही किसी बात की,,,,मुझे इस बात से और भी ज़्यादा डर लगने लगा क्यूकी ये औरत थी और करण की पत्नी भी,,कहीं
इसने करण की नज़रो मे खुद को सही साबित करने के लिए मुझे और भी ज़्यादा गिरा दिया करण की नज़रो मे तो क्या होगा
मुझे बहुत डर लगने लगा,,,
तुमसे तो बात करना ही बेकरार है,,इतना बोलकर मैं वहाँ से चल पड़ा अपनी बाइक की तरफ और मैं अपने मोबाइल से
करण को फोन भी किया लेकिन उसने फोन पिक ही नही किया,,,,,मैने बहुत परेशान हो गया था,,,मैने बार बार
करण का फोन ट्राइ किया लेकिन उसने रेस्पॉन्स ही नही दिया,,,फिर उसका फोन ही स्विच ऑफ हो गया,,,मैं घर आ गया
था ,,मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था ,,,,बहुत गुस्सा आ रहा था रितिका पर,,,,उसकी वहज से आज अपने दोस्त की नज़रो
मे गिर गया था मैं,,लेकिन फिर मुझे खुद पर भी गुस्सा आने लगा,,,,रितिका की ज़िद्द थी एक बार मेरे साथ चुदाई
करने की तो भला मैने उसकी चुदाई क्यूँ नही की,,,,पहले ही उसकी चुदाई कर देता तो आज ये सब नही होता,,,भला
करने की सोच रहा था और खुद का नुकसान कर लिया,,,,,
वो कहते है ना (खाया पिया कुछ नही ग्लास तोड़ा बारा आना),,,,,,वही हुआ मेरे साथ,,,,पहले रितिका की चुदाई कर
लेता तो चूत भी मिल जाती और किसी को पता भी नही चलता ,,,,ना मैं बताता करण को ना ही रितिका,,,,सब कुछ हो भी
जाता और किसी को कुछ पता भी नही चलता,,,,,आज कुछ हुआ भी नही और शहर मे शोर हो गया था,,,,करण ने ऐसी
हालत मे देख लिया था मुझे और रितिका को कि अब उसको मेरे पर यकीन नही होने वाला था,,,,,उसके कहने पर अगर
मैं उसकी वाइफ से चुदाई करता तो ठीक था क्यूकी मैं उसकी बेहन और माँ को भी तो चोदता था,,लेकिन उसके बारे मे
करण जानता था ,,,,लेकिन आज जो कुछ रितिका के साथ हुआ उसके बारे मे करण अंजान था,,,उसको कुछ पता नही था और
आज पता चला तो सब कुछ ख़तम हो गया,,,
वो बरसो का यकीन तोड़ दिया था मैने ,,,हलकी मेरी कोई ग़लती भी नही थी,,,,,,मैं काफ़ी टाइम से उसका फोन
ट्राइ कर रहा था ताकि उस से बात कर सकूँ लेकिन अब उसका फोन भी स्विच ऑफ हो गया था,,,,,
मैने घर का गेट खोला और अंदर चला आया ,,,मैं बहुत परेशान था लेकिन तभी मेरी परेशानी और भी ज़्यादा बढ़
गई थी,,,,घर का गेट तो ठीक था लेकिन घर के मेन डोर का लॉक,,,???
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