RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं भी हल्के गुस्से से कार की के पास गया ऑर जाके कार मे बैठ गया,,,
इतना टाइम क्यूँ लग दिया बेटा,,,
कुछ नही आंटी जी अंदर कोई बहुत पुराना दोस्त मिल गया था,,,उसी से बात करने लगा था,,,,,
मैं आंटी की तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नही देया ,,,,,,ख़ान साहब की वजह से अब मुझे कैसे भी करके अमित ऑर सुरेश का
खेल ख़तम करना था,,,,,पहले तो मैं इतना परेशान नही था लेकिन आज ख़ान साहब की वजह से मेरे अंदर की आग कुछ
ज़्यादा ही भड़कने लगी थी,,,,,,मुझे कैसे भी करके कुछ ना कुछ तो करना ही था,,,,,,
घर पहुँच कर मैने कार को घर के अंदर किया ओर सीधा करण एक रूम मे चला गया,,,,मैं आंटी की तरफ कोई
ध्यान नही दिया ओर अपना लॅपटॉप निकाल कर वो वीडियोस देखने लगा,,जिसमे अमित सुरेश ऑर उसके दोस्त एक लड़की से ज़बरदस्ती कर रहे थे,,,,मुझे लगा कि मैं ये वीडियो एक भाई को नही दिखा सकता,,चाहे ये जितना भी बड़ा सबूत क्यू ना हो लेकिन एक भाई तो शर्मसार होके ज़िते-ज़ी ही मर जाएगा,,,,नही मुझे ये वीडियो ख़ान साहब को नही देनी ,,मुझे कुछ ऑर करना होगा,,,,,मैं यही सोच रहा था तभी मुझे याद आया जब कि 1-2 वीडियोस ऑर थी जिनमे अमित ऑर उसके दोस्त बेड पर बैठ कर लड़की से बात कर रहे थे ऑर उसको अपने साथ हमबिस्तर होने को बोल रहे थे ,,,उनकी बात ना मानने पर वो लड़की को दूसरी वीडियो जिसमे लड़की अमित के साथ सेक्स कर चुकी थी वो वीडियो लोगो के मोबाइल पर बाँटने की धमकी दे रहे थे,,,,,,वो लड़की रोती जा रही थी,,,,
हाँ ये वीडियो ठीक है,,,,,,यही वीडियो दे सकता हूँ मैं,,,,,,,,ऑर कोई नही,,,,कोई भाई अपनी बेहन को ऐसी हालत मे नही देख
सकता था,,,,,,,,,,,अब मुझे आगे के प्लान के बारे मे सोचना था,,,,लेकिन दिमाग़ काम नही कर रहा था,,,,सोच सोच कर सर
मे भी दर्द होने लगा था,,,,,,
मैं वहाँ से उठा ऑर बाहर आ गया,,,लॅपटॉप को वापिस बॅग मे रख दिया,,,,,
बाहर आके सोफे पर बैठ तो देखा कि सामने टेबल पर आंटी का मोबाइल बज रहा था,,,,जब तक मैं उठाता वो फोन
बंद हो गया,,,,,,,,,,,मैं देखा तो मेरी माँ की मिस कॉल थी आंटी के मोबाइल पर,,,,ऑर लास्ट कॉल भी उन्ही की थी,,,ये टाइम तो तब था जब हम लोग माल मे थे,,,,,,,शायद तभी माँ का फोन ही आया था आंटी जी को,,,,,लेकिन माँ ने उनको फोन
क्यू किया था,,,,
अभी भूख लगी है क्या सन्नी बेटा,,,,,,,,,,
मैने आंटी की आवाज़ सुनी ऑर मोबाइल को जल्दी टेबल पर रख दिया ऑर आंटी की
तरफ देखने लगा,,,,,,,,,,,,आंटी ने चेंज करके वापिस घर वाले कपड़े पहन लिए ,,लेकिन इन कपड़ो मे भी आंटी बहुत
ज़्यादा सेक्सी लग रही थी,,,,ये एक लाइट स्किन कलर का सूट था जिसकी फिटिंग बहुत टाइट थी ऑर उपर से आंटी का भरा हुआ हल्का
मोटा जिस्म ,,सूट मे से आंटी के हर बॉडी पार्ट का नाप मुझे मिल रहा था,,,,मैं आंटी मे इतना खो गया कि भूल ही गया
अमित ऑर सुरेश के बारे मे,,,जो बात ख़ान साहब से हुई उसके बारे मे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,सही बोला है किसी महापुरुष ने औरत
चीज़ ही ऐसी है की आदमी अपनी ओकात तक भूल जाता है,,,जब कोई महरिषि अपनी भक्ति से ध्यान भटका सकता है किसी
मेनिका की खातिर तो मैं तो एक आम इंसान हूँ वो भी एक नंबर का ठर्की कमीना,,,,,,
मैं आंटी को देख कर खो सा गया ,,,तभी आंटी मेरे पास आई,,,,,,,,,,,कहाँ खो गया बेटा,,,,बोल ना भूख लगी है या
नही,,,,
जी आंटी जी बहुत भूख लगी है ,,,जी तो करता है पेट भरके खा जाउ,,,
क्या खाना है बेटा ,,बता मुझे अभी बना देती हूँ,,,,,
मैने मन ही मन सोचा कि खाना तो आपको है आंटी जी लेकिन फिलहाल अभी किसी ऑर चीज़ से काम चला लेता हूँ,,,
जो भी आप अपने हाथों से बना दो मुझे सब चलेगा आंटी जी,,,,,लेकिन अगर बेगन मिल जाए खाने को तो मज़ा आ जाए,,
बैगन का नाम सुनके आंटी थोड़ा ज़िज़क गई,,,,,वो बैगन तो नही है बेटा ,,अब उनकी ज़रूरत नही पड़ती,,,अब तो
बिल्कुल भी नही पड़ेगी तुम जो आ गये हो,,,,
क्या मतलब आंटी जी,,,,बेगन की ज़रूरत क्यू नही पड़ती अब,,,ऑर मुझे तो बैगन बहुत पसंद है,,,,आइ लव बैगन
का भरता,,,,
अच्छा तेरे को भी बैगन अच्छे लगते है बेटा ,,मुझे नही पता था,,,,मैं तो इसलिए बोला कि ज़रूरत नही पड़ती क्यूकी करण
ही ज़्यादा बैगन ख़ाता था या शिखा ,,मुझे अच्छे नही लगते बैगन,,इसलिए तो नही लेके आई आज ,,,,वर्ना मार्केट से
ज़रूर लेके आती ,,,,
मैं आंटी की बात तो समझ गया था लेकिन अंजान बना रहा,.,,,,,,कोई बात नही आंटी जी आप फिर कुछ भी बना दीजिए,,,
मैं खा लूँगा,,,,,बस जल्दी कीजिए भूख बहुत लगी है,,,,,
ठीक है बेटा बस थोड़ी देर वेट कर अभी बना देती हूँ,,,,,इतना बोलकर आंटी जी किचन मे चली गई,,,,,मैं भी उनके पीछे
चला गया,,,,,
अरे तुम यहाँ क्यू आ गये ,,तुम बाहर बैठो आराम से मैं खाना बना कर बाहर ले आती हूँ,,,,
मैं तो देखने आया था आप क्या बनाने लगी हो,,,,,ओर वैसे अकेला बैठ कर क्या करू बाहर ,,,,,मुझे अकेले बोर नही होना
अभी तो लंच टाइम निकल गया है ईव्निंग हो गई है इसलिए अभी तेरे को पकोडे बना देती हूँ,,,ब्रेड वाले,,,,
ऑर साथ मे ऑनियन वाले भी बना देना आंटी जी मुझे बहुत अच्छे लगते है वो,,,,,,
ठीक है बेटा वो भी बना देती हूँ,,,,ऑर साथ मे कॉफी या चाइ चलेगी,,,,
मुझे चाइ अच्छी नही लगती इसलिए कॉफी ही चलेगी आंटी जी,,,
ठीक है तू रुक मैं अभी बना देती हूँ,,,,,आंटी ने ब्रेड उठाई ऑर साथ मे कुछ ऑनियन फिर शेल्व पर रखकर काटने
लगी,,,,
आप ऐसा करो आंटी जी बैसन मिला लो मैं ऑनियन ऑर ब्रेड काट देता हूँ,,,,,मेरा टाइम भी पास हो जाएगा ऑर आपकी हेल्प भी
अरे नही बेटा तेरे से अब घर का काम थोड़ी कराउन्गी,,,,,तू आराम से खड़ा रह
क्यू आंटी जी ,,,ऐसा बोलकर आप मुझे फिर से घर का मेहमान बना रही हो,,,,,लगता है आप बस बोलती हो दिल से मुझे अपना बेटा नही समझती,,,मैने जान भूज कर हल्का नाटक किया,,,
नही नही बेटा ऐसी बात नही है,तू बार बार ऐसे क्यू बोलता है,,,,,,,,,तू घर का मेहमान नही मेरा बेटा है,,,,,चल ठीक
है तू भी कुछ काम करले,,,,,,,,,,,अब खुश ,इतना बोलकर आंटी ने ब्रेड ऑर ऑनियन वाली प्लेट मुझे दी ऑर खुद बर्तन लेके
बैसन मिक्स करने लगी,,,,
कुछ देर मे ब्रेड ऑर ऑनियन कट गये बैसन भी मिक्स हो गया ऑर हम लोगो ने इधर उधर की बातें करके टाइम पास करते हुए
पकोडे ऑर कॉफी भी बना ली ऑर ऐसे ही टाइम पास करते हुए पकोडे खा भी लिए ऑर कुछ बातें भी करली,,,,लेकिन हर वक़्त
मेरा ध्यान आंटी के जिस्म के किसी ना किसी पार्ट पर टिका रहता ऑर आंटी को भी इस बता का अंदेशा हो जाता ऑर आंटी भी
जान भूज कर मुझे अपने बूब्स दिखाती थी,,,लेकिन जब वो ऐसा करती तो मैं नज़रे घुमा लेता ऑर वो हंस कर शरमा जाती,,,वो
समझती कि मैं उनसे डर रहा हूँ ....
अभी डिन्नर को बस 1-2 अवर्स रहते थे इसलिए आंटी भी अपने रूम मे चली गई ऑर मैं भी करण के रूम मे चला गया
रात को मैं बेड पर लेटा हुआ था तभी आंटी मुझे रूम मे बुलाने आई,,,,बेटा डिन्नर तैयार है आ जाओ,,,,,आंटी अभी
उन्ही कपड़ो मे थी ,,,,
ठीक है आंटी जी आप चलो मैं अभी आया,,,,,
मैं बाहर डाइनिंग टेबल पर आया तो आंटी वहीं बैठ कर मेरी वेट कर रही थी,,,,मैं भी जाके आंटी के सामने वाली चेयर पर
बैठ गया ,,,
आंटी ने मेरे लिए प्लेट तैयार की ऑर मेरी तरफ बढ़ा दी,,,मैने प्लेट मे देखा तो खाना बस थोड़ा सा ही रखा हुआ था,,,थोड़ी
सी दाल थोड़े से चावल,,,थोड़ी सी सब्जी,,,,,मैं प्लेट की तरफ देख कर मन ही मन हँसने लगा,,,,लगता है आंटी ने ग़लती से अपनी
प्लेट मुझे पास करदी थी,,,,क्यूकी मेरी सेहत के हिसाब से मुझे ऐसी 8-10 प्लेट की ज़रूरत थी,,
मैने प्लेट की तरफ ध्यान किया ऑर खाना खाने लगा,,,खाना खाते टाइम मेरा ध्यान आंटी की तरफ था जो खुद खाना खाती
हुई मेरी तरफ ऑर मेरी प्लेट की तरफ देख रही थी,,ऑर हल्के से शरमा ओर मुस्कुरा भी रही थी,,,मेरा प्लेट मे जितनी सब्जी थी वो
तो 2 मिनट मे ही ख़तम हो गई ओर जैसे ही आंटी का ध्यान मेरी प्लेट पर आया तो उन्होने जल्दी से सब्जी वाला बोवल उठाया ऑर
कुछ बोले बिना ही जल्दी से उठकर खड़ी हो गई ऑर मेरी प्लेट मे सब्जी डालने लगी,,,मैने देखा कि आंटी कुछ ज़्यादा ही झुक गई
थी टेबल पर ,,उनके बड़े बड़े बूब्स मुझे आधे से भी कहीं ज़्यादा नज़र आ रहे थे,,,मेरा ध्यान उनके बूब्स की तरफ
था वो सब्जी डालने मे कुछ ज़्यादा ही टाइम लगा रही थी लेकिन मुझे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था मैं तो उस हसीन
नज़ारे को देख कर मदहोश हो रहा था,,अब आंटी जितना मर्ज़ी टाइम ले ,,
तभी आंटी सब्जी डालके वापिस चेयर पर बैठ गई,,ऑर मुझे देख कर हँसने लगी,,,उनको भी पता था मैं उनके बूब्स देख रहा
था लेकिन उनको भी इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था,,,
मैं वापिस खाना खाने लगा ऑर तभी 2 पल बाद मेरी दाल वाली कटोरी खाली हो गई ,,इस से पहले मैं आंटी को बोलता आंटी फिर
से उसी अंदाज़ मे उठी ऑर मेरी कटोरी मे दाल डालने लगी,,इस बार आंटी फिर पहले की तरह झुक कर दाल डाल रही थी ऑर मुझे
अपने बड़े बड़े बूब्स के दर्शन करवा रही थी,,,मैं भी बेझिझक उनके बूब्स को घूर रहा था,,खाना खाते टाइम ही मस्ती
मे मेरा लंड उछलने लगा था ,,,,दिल कर रहा था अभी आंटी को पकड़ कर डाइनिंग टेबल पर नंगी करके लेटा दूं ऑर खाने की
जगह इनका स्वाद चखना शुरू कर दूं,,,,लेकिन जल्दबाज़ी से माँ ने रोका हुआ था मुझे,,,,
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