RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
दोस्ती को रिश्तेदारी मे तो बदल लिया तुमने लेकिन एक पति का फर्ज़ तो नही निभा सके ना ,,कामिनी भाभी की ज़िंदगी तो
बर्बाद करदी ना तुमने,,,,,
तभी भाभी बोल पड़ी,,,,,नही सन्नी ऐसी बात नही है मेरी ज़िंदगी बर्बाद नही की सूरज ने ,,भले ही ये बच्चा पेदा
नही कर सकते लेकिन फिर भी ये मुझे बहुत प्यार करते है,,,इतना बोलकर भाभी ने सूरज को गले से लगा लिया,,,,
हाँ ये मैं जान ही गया कि ये तुमको कितन प्यार करता है,,अपने प्यार की वजह से ही तुमको अपने बाप के बिस्तर तक
पहुँचा दिया था इसने,,,,अगर प्यार करता तो रोकता अपने बाप को ये ,,,,इतना सब कुछ नही होने देता,,,,मैं हल्के गुस्से
मे बोला
सन्नी मैं चाह कर भी नही रोक सकता था,,,क्यूकी अगर रोकता तो मैं भी अपने बाप के सुख से हाथ धो बैठता,,
क्या मतलब मैं कुछ समझा नही,,,,,
सन्नी भाई जब मैं बहुत छोटा था करीब --एडिटेड-- साल का तब मेरा एक छोटा सा आक्सिडेंट हो गया था ,,उस आक्सिडेंट
मे चोट तो बहुत छोटी लगी थी मुझे लेकिन उसका दर्द बहुत बड़ा लगा था मुझे,,,,,एक मर्द की असली पहचान उसका लंड
ही होती है लेकिन मेरे लंड पर ही चोट लग गई थी,,,,तभी से मेरे लंड का विकास रुक गया था,,,बहुत एलाज़ करवाया था
मेरे बाप ने मेरा लेकिन कोई हल नही निकला ,,,आख़िर मैने ओर मेरे परिवार ने इसको किस्मत पर छोड़ दिया ,,लेकिन मैं
सब कुछ किस्मत पर नही छोड़ सकता था,,,,जब तो बचपन था तब तो इसकी ज़रूरत महसूस नही हुई लेकिन जब कॉलेज
जाने लगा ,,जवान होने लगा तो दोस्तो से सुनता रहता था कि आज उसने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चुदाई की तो उसने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ,,मैं सब कुछ सुनकर खामोश रहता था ,,मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बनी कभी ऑर किसी को गर्लफ्रेंड बना कर करता भी क्या जिस काम के लिए गर्लफ्रेंड बनाता वो काम तो फिर भी नही कर सकता था,,,,
अपने सपनो पर खुद ही मिट्टी डालने लग गया था मैं यही सोच सोच कर कि मैं जवानी के मज़े कभी नही ले सकता,,,
इतना बोलते टाइम सूरत हल्का हल्का रोने भी लग गया था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन एक दिन एक पॉर्न मूवी देखी थी गे की तब दिल किया कुछ ऐसा करने को ,मैं भी सेक्स का मज़ा लेना चाहता था लंड खड़ा नही होता तो क्या हुआ एक लंड की वजह से
मैं इस मज़े से विचलित नही रह सकता था ,,आख़िर मेरा भी दिल करता है जवानी का मज़ा लेने को,,,तभी मैने सोचा
क्यू ना किसी से गान्ड मरवाई जाए ,,देखा था लोग कैसे गान्ड मरवा कर मस्ती करते थे खुश होते थे देख
देख कर मेरा भी दिमाग़ खराब होने लगा ओर मैं इस रास्ते पर चल पड़ा,,,,
तो क्या तुम अपने दोस्तो से या,,
नही सन्नी ,,मैं मज़ा लेना चाहता था लेकिन बदनामी से भी डरता था,,,इसलिए मैने अपने ही घर मे ये सुख लेने
की कोशिश की ऑर कामयाब भी हो गया,,,,
क्या मतलब अपने ही घर मे,,,,,,,क्या तुमने अपनी गान्ड अपने बाप से मरवाई थी,,,,,
हाँ सन्नी ,,,मैं अक्सर डॅड के साथ सोता था एक रात डॅड के लंड को हाथ मे लेके मसल्ने लगा लेकिन डॅड बुरा मान
गये ,,,लेकिन जल्दी ही मेरी बातें सुनकर मेरे पर तरस आ गया उनको ऑर उन्होने मुझे खुश करना शुरू कर दिया,,ये
बात मेरी माँ भी जानती थी ,,,,पहले पहले तो उनको इस सब पर गुस्सा आया उन्होने डॅड से बहुत झगड़ा भी किया था इस
बात को लेके लेकिन जब उनको पता चला कि मैं बदनामी से डरता हूँ इसलिए घर मे ही चुदाई का सुख ले रहा हूँ तो
उनको फिर कोई एतराज़ नही हुआ ,,क्यूकी वो भी समझ गई थी कि मैं जवानी के मज़े लेना चाहता हूँ ऑर अगर ये मज़ा
मुझे घर से नही मिला तो मैं बाहर मुँह मारना शुरू कर दूँगा ऑर इस सब से पूरे परिवार के बदनाम होने का
ख़तरा था,इसलिए माँ ऑर पापा मेरी बात मान गये थे,,,,ऑर डॅड को भी ये बात मैने हो बोली थी कि वो मेरी बीवी से सेक्स
करे ताकि मुझे एक बच्चा मिल जाए,,,,,पहले तो कामिनी ने सॉफ मना कर दिया था लेकिन जल्दी ही वो मेरी बात मान गई थी,,,,
अच्छा अगर कामिनी अपनी मर्ज़ी से मानी थी तो कुछ टाइम पहले तुम लोगो के घर पर झगड़ा क्यूँ हुआ था,,,जिस की सज़ा कामिनी के साथ साथ कविता को भी मिली थी,,,,
सूरज ऑर कामिनी एक दूसरे की तरफ देखने लगे,,,,रूम मे कुछ देर सन्नाटा रहा,,,,,,फिर सूरज बोला,,,,
मेरे बाप को लड़का चाहिए था सन्नी लेकिन हर बार लड़की ही पेदा होने लगी थी कामिनी के पेट मे ,,,,डॅड ने अबॉर्षन
करवा दिया था कामिनी का ,,लेकिन इस बार कामिनी ने अबॉर्षन से मना कर दिया था कविता ने भी इसका साथ दिया था,,इसलिए घर पर झगड़ा हुआ था,,,,झगड़ा ख़तम करने के लिए तुम्हारी बेहन शोभा भी आई थी ,,ऑर जब शोभा कामिनी को कमरे मे बैठ कर समझा रही थी कि वो किसी गैर मर्द से सेक्स करले ताकि उसको एक लड़का मिल जाए तो मैं बाहर खड़ा इनकी बातें सुन रहा था ऑर मैने ही शोभा को बोला था कामिनी क लिए तुमको राज़ी करने को ,,क्यूकी मेरे घर वाले ना तो बच्चा अडॉप्ट करना चाहते थे ना ही किसी गैर मर्द से कामिनी को सेक्स करने देते ,,,,
लेकिन इस बार तो मैने सेक्स किया है ,,,अगर तुम्हारे बाप को पता चल गया कि ये बच्चा उसका नही किसी ऑर का है तो क्या होगा,,,,
नही ऐसा नही हो सकता सन्नी ,,क्यूकी जिस रात तुम लोगो ने बुटीक पर अपना काम किया था उस से अगले दिन ही मैने
डॅड को यहाँ बुला लिया था ये बोलकर कि कामिनी सेक्स के लिए तैयार है ,,ताकि मेरे बाप के पास शक़ करने की गुंजाइश ही ना रहे,,,,
अभी मैं कुछ ओर बात करने ही वाला था कि भाभी ने बीच मे टोक दिया,,,,,
अब क्या बातें लेके बैठ गये तुम दोनो,,,क्यू बोर कर रहे हो ,,इतनी मुश्किल से तो जवानी के मज़े लेने शुरू किए है
मैने ऑर तुम लोग बातों मे टाइम वेस्ट कर रहे हो,,,,,चलो ना कविता के आने से पहले एक बार ऑर करते है,,,,,
इतना सुनकर सूरज खुश हो गया ओर मेरे करीब आने लगा,,,,,,,
नही सूरज भाई आप मेरे करीब मत आओ प्लीज़ मेरे को ऐसा कोई शॉंक नही है,,,,
जानता हूँ सन्नी ,,,मैं तेरे करीब नही आउन्गा,,,मुझे तो बस तेरा ये मूसल चाहिए ,,,कभी अपने हाथ में कभी
अपने मुँह मे तो कभी अपनी गान्ड मे इस से ज़्यादा मैं कुछ नही चाहता ,,,ऑर अगर तू मुझे खुश नही करेगा तो
कामिनी भी तेरे हाथ नही आएगी,,,,इतना बोलकर कामिनी ऑर सूरज दोनो हँसने लगे,,,,
ठीक है सूरज भाई ,,,मैं अपना लंड आपके हाथ मे दूँगा मुँह मे दूँगा गान्ड मे भी दूँगा लेकिन प्लीज़ मेरे को
टच करने की या कुछ ऑर करने की कोशिश मत करना ,,,मुझे वो सब अच्छा नही लगता,,,,,
ठीक है सन्नी ,,,मैं सिर्फ़ तेरे लंड को टच करूँगा ओर किसी पार्ट को नही,,,,,,,ये बात सूरज हँसते हुए मज़ाक मे
बोल रहा था ऑर कामिनी भी हस्ती जा रही थी,,,,,
उस दिन मैने सूरज की खूब गान्ड मारी ,,,दिल तो भाभी की गान्ड मारने का भी था लेकिन भाभी ने किसी ऑर दिन का वादा
किया क्यूकी आज वो चाहती थी कि मैं सूरज को ही खुश करूँ,,ऑर ये ज़रूरी भी था ,,,,क्यूकी अगर मैं भाभी से सेक्स
करना चाहता था तो सूरज को खुश करना ज़रूरी था वैसे भी अब ना तो भाभी को कोई टेन्षन थी ऑर ना किसी बात का
डर क्यूकी सूरज भी हमारे साथ शामिल हो गया था इस खेल मे,,,,,
आज कविता के आने से पहले मैने 3 बार सूरज की गान्ड मारी ,,,वो तो लट्तू हो गया था दीवाना बन गया था मेरे लंड
का ,,भाभी भी खुश थी ऑर मैं भी अब हम रोज मिल सकते थे,,,क्यूकी उनके सास ससुर चले गये थे अब वापिस नही
आने वाले थे जब तक उनका ससुर रिटाइर नही हो जाता ,,,,ऑर कविता भी कॉलेज चली जाती थी ,,,,रही बात सूरज की तो उसका
अब कोई डर नही रह गया था मुझे ऑर भाभी को,,,,,,अब कविता के कॉलेज से आने से पहले मैं रोज चुदाई कर सकता
था भाभी की,,,,,यही सोच सोच कर दिल खुश हो रहा था मेरा,,,,
कविता के आने से पहले मैं कामिनी भाभी ऑर सूरज को अलविदा बोलकर चला गया था,,,,मैं बाइक पर घर जा रहा था
ऑर आज जो कुछ भी हुआ था कामिनी भाभी ऑर सूरज के साथ उस सब के बारे मे सोच रहा था,,,,मुझे आज कामिनी भाभी
की गान्ड मारनी थी लेकिन मुझे सूरज की गान्ड मारने को मिल गई थी,,,,पर इस से कोई फरक नही पड़ा मुझे क्यूकी सूरज
की गान्ड भी भाभी की गान्ड की तरफ काफ़ी टाइट थी,,,,फ़र्क बस इतना था जहाँ भाभी ने आज तक कोई असली लंड नही लिया
था गान्ड मे वही सूरज अपने ही बाप का लंड लेता था गान्ड मे इसलिए उसकी गान्ड थोड़ी खुली हुई थी फिर भी मेरे
मूसल के लिए सूरज की गान्ड एक दम सील पॅक गान्ड की तरह थी ,,,मुझे सच मे बहुत मज़ा आया था सूरज की गान्ड
मार कर ऑर उसको लंड चुस्वा कर ,,,उसको लंड चूसने का अच्छा हुनर था ,,,आज तक कभी किसी ने मेरा लंड इतनी मस्ती ऑर
मज़े से नही चूसा था जितना सूरज ने,,,,यहाँ तक कि मेरी बुआ ,,,शोभा ,,,मेरी माँ ऑर तो ऑर रेखा ने भी इतना मज़ा नही
दिया था मुझे लंड चूस्ते टाइम जितना मज़ा आज सूरज को लंड चुस्वा कर आया था,,,,,मेरे लिए ये न्या तजुर्बा था जो बहुत
ही बढ़िया था,,,,हालाकी मुझे थोड़ा अजीब भी लग रहा था क्यूकी मेरा टेस्ट ऐसा नही था,,,,लेकिन उसकी गान्ड मारने का
टेस्ट मुझे बहुत अच्छा लगा ओर मुझे ये सब भी फील नही हुआ कि मैं किसी औरत की नही मर्द की गान्ड मार रहा हूँ
हालाकी सूरज मर्द नही था लेकिन वो औरत भी तो नही था बट उसकी गान्ड का मज़ा किसी भी औरत की गान्ड से कम नही था,,,,,
हल्की मस्ती ऑर मज़े से सब बातें सोचता हुआ मैं घर आ गया,,,घर की बेल बजाई तो माँ ने आके दरवाजा खोला ,,,
अरे माँ इतनी जल्दी आ गई तुम,,,करण चला गया क्या,,,,
तभी माँ ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,धीरे बोल सोनिया नीचे ही बैठी हुई है,,,,,माँ थोड़ा डर कर बोल रही थी,,,
सोनिया का नाम सुनके मैं भी डर गया ,,,क्यूकी अगर सोनिया घर आ गई थी तो कविता भी अब तक घर पहुँच चुकी
होगी,,,मैं ठीक टाइम से ही निकल आया था वहाँ से वर्ना पंगा हो जाना था,,,,
अच्छा करण कहाँ है माँ,,,,
,वो थोड़ी देर पहले ही गया है,,,,सोनिया के आने के बाद,,,,जब कविता सोनिया को छोड़ कर वापिस
घर गई तो करण भी कुछ देर बाद चला गया,,,,,
अपने घर गया क्या वो,,,,
नही बुटीक पर गया है ,,,क्यूकी मामा शोभा ऑर शिखा वहीं है,,,बोल रहा था अब वहीं मस्ती करेगा फिर रात को
शिखा को लेके घर चला जायगा,,,,,
ऑर मामा शोभा के साथ वापिस आएगा या वहीं रहेगा,,,,,,मैने हँसते हुए बोला
उनका मुझे नही पता,,,,घर आते है या वहीं रुकते है रात को,,,माँ भी भी हल्के मुस्कुराते हुए मेरी बात का
जवाब दिया,,,,
फिर मैं अंदर आ गया,,,सोनिया सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी,,,मैं सीधा उपर अपने कमरे मे चला गया ऑर फ्रेश
होके कपड़े चेंज करके नीचे आ गया,,,,मैं नीचे आके सोफे की तरफ बढ़ा ही था कि सोनिया गुस्से से वहाँ से उठी ऑर
उपर की तरफ़ चली गई,,,
माँ ने ये देखा तो हँसने लगी,,,,,लगता है तुम दोनो का झगड़ा अभी तक ख़तम नही हुआ,,,,सोनिया कुछ नही बोली ऑर
उपर आने कमरे की तरफ चली गई,,,मैं वहीं सोफे पर बैठ गया ओर टीवी देखने लगा,,,उसके बाद कुछ खास नही हुआ,,
रात की खाना खाने क टाइम पर शोभा आ गई वो बहुत खुश थी आज पूरा दिन मस्ती जो की थी मामा के साथ,,,फिर जब हम
लोगो ने खाना खा लिया तो उसके 10-15 मिनट बाद मामा भी आ गया ,,,,माँ ने मामा को खाना दिया ओर इतनी देर मे
सोनिया ऑर शोभा अपने अपने रूम मे चली गई थी,,,,
उस रात को ज़्यादा कुछ नही हुआ,,,,क्यूकी सब लोग दिनभर की चुदाई से थके हुए थे,,,,माँ करण के साथ मस्ती करती
रही सारा दिन,,,मामा शिखा ऑर शोभा के साथ बिज़ी रहा ओर मैं सूरज की गान्ड मारता रहा,,,,,रात को किसी की हिम्मत
नही थी चुदाई करने की इसलिए इसके बारे मे किसी ने कोई बात भी नही की,,,,सब लोग अपने अपने कमरे मे जाके सो गये,,
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