RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
करण ने गेट खोला ऑर हम अंदर चले गये ,,दीदी तो गेट के अंदर आते ही करण से लिपट गई ऑर किस करने लगी,,,,तभी
अंदर से करण की माँ की आवाज़ आई ऑर दीदी एक दम से करण से अलग हो गई ऑर थोड़ी निराश भी हो गई,,,,उसने सोचा था को करण की माँ घर पर नही होगी तो मस्ती कर लेंगे लेकिन वो तो घर पर थी,,,,इसलिए दीदी निराश हो गई,,,
हम लोग घर के अंदर चले गये ,,,शिखा भी अपने रूम से बाहर आ गई ऑर करण की माँ भी किचन से बाहर आ गई,,,
मैं तो करण की माँ को देखता ही रह गया साली एक दम मस्त माल थी,,,,पंजाबी औरत भरे हुए बदन की मालकिन साला
जो भी देखे उसको एक बार तो ज़रूर चोदने की तमन्ना करेगा,,,वही तमन्ना मैं कर रहा था,,,,,
मैने ऑर दीदी ने आंटी को ही बोला ,,,
शिखा ने पास आके दीदी की हॅग किया ऑर फिर हम सब सोफे पर बैठ गये,,,,,,
आज कैसे आना हुआ शोभा बेटी ,,तुम तो बहुत बिज़ी हो गई कभी आती ही नही,,,,
वो क्या है ना आंटी पहले कॉलेज ऑर उसके बाद बुटीक पर जाना होता है,,,टाइम ही नही मिलता कहीं आने जाने का,,,आज तो शिखा की वजह से आई हूँ,,,,,,,,,,
शिखा की वजह से,,,,वो क्यूँ बेटी ,,,,,,,,,,,क्या तुम शिखा से मिलने आई हो अपनी आंटी से नही,,,,,,,,
अरे नही आंटी ऐसी बात नही है वो शिखा बोल रही थी घर मे टाइम पास नही होता तो मैने सोचा कि क्यूँ ना इसको अपने
साथ बुटीक पे ले जाया करूँ वैसे भी ये स्टिचिंग अच्छी कर लेती है ,,मेरे साथ बुटीक पर रहेगी तो टाइम भी पास
हो जाया करेगा ऑर दिल भी बहाल जाया करेगा,,,,दीदी ने इतनी बात बोलके शिखा की तरफ हंस कर देखा,,,,,मैं समझ गया कि दोनो साथ रेखा चाहती है ,,,जब काम हुआ तो काम वरना मस्ती तो कर ही लेंगी दोनो,,,,,
हाँ ये बात तो ठीक है बेटी ,,,मैं तो खुद इसको कहती रहती हूँ कि घर से बाहर जाया करो लेकिन ये है कि मेरी सुनती ही
नही,,,बस एक फ्रेंड है उसके साथ कभी कभी बाहर चली जाती है,,,,,,,,,,,मुझे याद आया कि आंटी उसी कॉलेज वाली फ्रेंड
की बात कर रही होगी जो उस दिन शिखा दीदी के साथ आई थी,,,,,साला क्या मस्त माल थी वो ,,,एक पल के लिए सोचा उसके बारे मे तो लंड खड़ा होने लगा ऑर शिखा का ध्यान मेरे लंड पर पड़ गया,,,,,,,,
अरे मोम बातें ही करती रहोगी या कुछ चाइ कॉफी भी बनाओगी इनके लिए,,,,,,,,,,,
ओह मैं तो भूल ही गई,,,,तुम लोग बातें करो मैं चाइ लेके आती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,आंटी किचन की तरफ जाने लगी ऑर मैं
पीछे से आंटी की मटकती गान्ड देखने लगा तभी शोभा का ध्यान मेरी तरफ आ गया उसने मुझे अलका आंटी की गान्ड
की तरफ घूरते पकड़ लिया था,,,,,
दीदी ये क्या अपने मुझे बताया क्यूँ नही आप शोभा दीदी के साथ उनके बुटीक पर जाने वालो हो,,,,अब हम लोगो मस्ती
कर करेंगे,,,,,,,,करण ने उदास होके बोला,,,,,
तुम टेन्षन मत लो करण,,,बुआ यहाँ नही है ,,,,कुछ दिनो के लिए बाहर गई है अब बुटीक मे मैं ऑर शिखा ही होंगे
तुम जब चाहो आओ ऑर मस्ती करो,कोई परेशानी नही होगी,,,,,करण तो इतनी बात सुनते ही खुश हो गया,,,,
हाँ करण फिर जब दिल करे तब मस्ती काने आ जाना तुम,ऑर वैसे भी मैं भी तो शिखा को इसलिए लेके जा रही हूँ अपने
साथ ताकि ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड कर सकूँ इसके साथ,,इतना बोलके दीदी ने शिखा के बूब्स को मसल दिया ऑर हल्की किस भी करदी शिखा के लिप्स पर,,,,,,
क्या करती हो शोभा माँ आ जाएगी,,,,,दीदी आंटी का नाम सुनते ही जल्दी से शिखा से दूर हो गई,,,,
अरे वो स्टिचिंग मशीन कहाँ है शिखा उसको कार मे रखवा दो,,,,
करण तुम जाओ सन्नी के साथ ऑर मेरे रूम से स्टिचिंग मशीन उठा कर कार मे रख दो,,,,,
मैं ऑर करण उठकर दीदी के रूम मे गये ऑर स्टिचिंग मशीन उठाकर कार मे रखके वापिस आ गये,,,,तब तक अलका आंटी
भी चाइ लेके आ गई थी,,,,हम लोगो ने चाइ पी ऑर कुछ इधर उधर की बातें की फिर वापिस घर की तरफ आ गये,,,
ये सब क्या हो रहा था सन्नी,,,,दीदी ने मेरे से पूछा,,,,,
क्या- क्या हो रहा था दीदी,,,,,मैं कुछ समझा नही,,,,
तुम अलका आंटी की गान्ड को इतना क्यूँ घूर रहे थे,,क्या अब तुम्हारी नज़र उनकी गान्ड पर है,,,,
मैं हँसने लगा,,,,,,सही सोचा अपने दीदी,,,,,,,क्या आप कुछ हेल्प कर सकती हो इस बारे मे,,,,
तू सच मे बहुत बड़ा कमीना है सन्नी किसी को तो बख्स दे अब,,,,,,,,,,
क्या करूँ दीदी आंटी की मस्त मोटी गान्ड देख कर लंड मे तूफान उठने लग जाता है ऑर मैं कॉन्सा अकेला हूँ जो उनकी
गान्ड देख रहा था आप भी तो घूर रही थी उनकी गान्ड को,,,,आप क्या सोच रही हो मैने आपको नोटीस नही किया था
जब आप चाइ पी रही थी तब भी आंटी के बड़े बड़े बूब्स को घूर रही थी आप,,,,
दीदी हँसने लगी,,,,,क्या करूँ मेरे भाई मैं भी तेरी बेहन हूँ ,,,आज जबसे माँ के बड़े बड़े बूब्स मुँह मे भरके चूसे
है तबसे बड़े बूब्स अच्छे लगने लगे है ऑर मोटी मस्त गान्ड भी तभी तो अलका आंटी की तरफ घूर रही थी मैं,,,,
तो कुछ करो ना दीदी,,,,,,,,,कोई प्लान बनाओ ताकि हम मस्ती कर सके आंटी के साथ ऑर उनको भी अपने खेल मे शामिल कर सके फिर वक़्त रहते कारण ऑर शिखा को भी शामिल कर लेंगे उनकी माँ के साथ मस्ती करने के लिए,,ऑर उसके बाद करण ऑर शिखा कोई टेन्षन नही होगी वो जब चाहे अपने घर मे मस्ती कर सकते है,,,,ऑर वैसे इस काम के लिए करण भी तैयार है उसका भी दिल करता है अपनी माँ की गान्ड मारने को लेकिन वो डरता है अपनी माँ से ऐसी बात करने से ,,,,,
अच्छा तो करण भी तेरी तरह पक्का कमीना है जो अपनी माँ की गान्ड लेना चाहता था,,,,,इतना बोल कर दीदी हँसने लगी फिर कुछ सोचने लगी,,,,,,,,,,,,,देख सन्नी अगर बात होती शिखा को तैयार करने की तो मैं हेल्प कर सकती थी लेकिन अलका आंटी को तैयार करना मेरे बस की बात नही इसके लिए तुझे किसी ऑर की हेल्प की ज़रूरत है,,,,
किसकी दीदी,,,,,,,,,,,,,कॉन करेगा मेरी हेल्प,,,,
तू टेन्षन मत ले तेरा काम हो जाएगा ,,तुम ऑर करण मिलकर अलका आंटी की चुदाई कर सकते हो ,,बाद मे मैं ऑर शिखा भी मिलकर उसकी माँ के साथ मस्ती कर सकते है,,,,,मैं तो कुछ नही कर सकती लेकिन कोई है जो हम दोनो की हेल्प कर सकता है,,,
कॉन है वो मुझे भी तो बता दो दीदी,,,,,,
आज नही कल बताउन्गी तेरे को,,,,,,थोड़ा सबर करो,,,
मैने दीदी से फिर पूछा लेकिन दीदी कुछ नही बोली,,,,,फिर ना मैने कोई बात की ऑर ना दीदी ने हम लोग ऐसे ही घर आ गये लेकिन मैने दीदी की तरफ देखा तो ऐसा लग रहा था वो कुछ सोच रही है,,,,
हम लोग घर पहुँच गये ,,,,,,
मैं कार को घर के अंदर करके मेन डोर तक चला गया जबकि दीदी कार से उतर कर किसी को फोन करने लगी,,,,
मैने बेल बजाई तो मामा ने आके दरवाजा खोला ऑर वापिस पलट कर अंदर चला गया मैं दीदी की तरफ देखा कर दीदी को बुलाने लगा तभी दीदी ने फोन कट करके मुझे अंदर जाने को बोला ,,,,मैं अंदर जाने लगा तो दीदी ने फिर किसी का नंबर डायल किया ऑर बात करने लगी,,,खैर मैं घर के अंदर चला गया ऑर हाथ मुँह धोके डाइनिंग टेबल पर आ गया
माँ खाना लगा चुकी थी ,,,मामा पहले से वहीं बैठा हुआ था ऑर सोनिया भी ,,,,,,मैने सोनिया की तरफ कोई खास ध्यान नही दिया ऑर जाके मामा की साथ वाली चेयर पर बैठ गया,,,,कुछ देर मे मामा ने सारा खाने का समान टेबल पर रख दिया ऑर खुद भी हमारे साथ बैठ गई,,,2 मिनट बाद शोभा दीदी भी अंदर आ गई ,,,,,,,,,,हम सब खाना खाने लगे ऑर बातें करने लगे ,,लेकिन शोभा ऑर मामा बार बार एक दूसरे की तरफ़ देख रहे थे ,,,,दोनो के जिस्म मे आग लगी हुई थी,,लेकिन अभी कुछ नही कर सकते थे बस एक दूसरे को देख कर ही मन शांत कर रहे थे,,,
खाना ख़त्म होने के बाद सोनिया उपर आने रूम एम चली गई जबकि माँ ऑर शोभा बर्तन किचन मे रख कर माँ के रूम मे चली गई,, मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया ,,,
माँ ऑर शोभा रूम मे जाते ही किस करने लगे,,
बेटी अभी कुछ मत कर जो करना है कल सुबह करते है,,,,माँ उसको मना कर रही थी लेकिन शोभा है कि माँ की बात ही नही सुन रही थी,,,
सुबह क्यू माँ अभी क्या है,,,,
बेटी अभी सोनिया हाँ ना घर पर,,,,,,,,,तो माँ उसको भी शामिल कर लेते है खेल मे ,,,फिर तो कोई टेन्षन नही होगी,,,,
अच्छा कॉन करेगा उसको राज़ी ये खेल खेलने के लिए,,,किसके मे है इतनी हिम्मत ,,,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,,
ये सन्नी है ना माँ ये कोशिश करेगा,,,,,इतना बोलकर माँ ऑर शोभा हँसने लगी,,,
मेरी तो गान्ड ही फॅट गई ये सुन कर,,,,
अरे बेटी क्यू इस मासूम को मरवाना है सोनिया के हाथों ,,जब तेरी बुआ ऑर मामा कुछ नही कर सके तो ये क्या कर लेगा,,,,
मैं हैरान हो गया ,,,,,,मामा ऑर बुआ ने कोशिश की थी सोनिया को खेल मे शामिल करने की लेकिन कब,,,,
ये क्या बोल रही हो माँ ,,,,मामा ऑर बुआ ने कब कोशिश की सोनिया को शामिल करने की अपने साथ,,,,,
तभी मामा अंदर आ गया,,,,,,बेटा मैने कोशिश नही कि बस कोशिश करने ही वाला था ऑर हिम्मत जुटा रहा था लेकिन जो कुछ देखा वो देख कर हिम्मत जुड़ने से पहले ही टूट गई,,,,
ऐसा क्या देखा मामा ,,,,,,,,,
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