Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-11-2019, 12:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
,,डॅड सोफे पर थे जबकि बुआ उनकी गोद मे थी अभी तक,,,इधर शोबा ने मेरे लंड को मुँह मे भरके चूसना
शुरू कर दिया था ऑर हम लोग फिर से मस्ती मे खोने लगे थे लेकिन तभी हमारी मस्ती को किसी की नज़र लग गई ऑर
शोबा दीदी का फोन बजने लगा,,,,पहले तो दीदी ने फोन नही लेना था लेकिन जब फोन लगातार बजने लगा तो बुआ
ने फोन उठाकर दीदी को दिया,,,,,,,,,,,

शोबा लो बात करो,,,,सोनिया का फोन है,,,,

दीदी ने हल्के गुस्से से मेरे लंड को मुँह से निकाला ऑर बुआ के हाथ से फोन लेके बात करने लगी,,,,फिर शोबा बात
करते करते सोफे से उठी ओर हमसे थोड़ा दूर चली गई,,,,,,करीब 2-3 मिनट बात करने के बाद वो मेरे पास आई,,,

चल उठ सन्नी तैयार हो जा ऑर मेरे साथ कविता के घर चल,,,,,,बुआ कार की चाबी देना ज़रा,,,

क्या हुआ बेटी सब ठीक तो है ना,,,कोई प्राब्लम तो नही,,,,,डॅड ने दीदी से पूछा,,,,,

नही डॅड कोई प्राब्लम नही है,,,सब कुछ ठीक है,,,,,

इतने मे बुआ उपर चली गई कार की चाबी लेने ऑर पीछे पीछे दीदी भी चली गई,,,,मैं भी उठा ऑर अपने रूम मे
चला गया,,,,अब मुझे सोनिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,,,,,,साली खुद कुछ नही करने देती ऑर जब मैं करता हूँ
खेल खराब कर देती है,,,,,ऐसी क्या मौत आन पड़ी थी जो अभी बुला लिया हमे कविता के घर पे,,,,,ऑर दीदी अकेली क्यूँ
नही चली जाती भला मुझे क्यूँ साथ लेके जा रही थी,,,,,खैर मैं तैयार हुआ ऑर नीचे चला गया,,दिल तो नही था पर क्या
करता,,,,,,,,,,,मजबूरी थी,,,,,,

नीचे दीदी पहले से तैयार होके बैठी हुई थी,,,,,,,,,बुआ ऑर डॅड अभी तक नंगे थे,,,,वो दोनो दीदी से पूछ रहे थे
कि कविता के घर मे क्या प्राब्लम है लेकिन दीदी उन लोगो को कुछ भी नही बता रही थी,,,,,मुझे बताना तो दूर की
बात थी,,,,,,,

दीदी आप अकेली क्यूँ नही चली जाती कविता के घर ,,,,,,,मेरा जाना ज़रूरी है क्या,,,,,,,,,,,,,,

तेरा जाना ज़रूरी है ऑर ज़रूरी नही भी है,,,क्यूकी मेरी एक्टिवा सर्विस के लिए गई है ऑर मुझे कार ड्राइव करनी नही आती
मेन रोड पर इसलिए तेरे को लेके जा रही हूँ साथ मे ,,,,,इस से पहले मैं कुछ ऑर बोलता या कोई कुछ बोलता दीदी
मे मेरा हाथ पकड़ा ऑर हम लोग घर से बाहर चले गये,,,,,मैने कार चलानी शुरू की ऑर हम लोग कविता के घर की
तरफ चल पड़े,,,रास्ते मे मैने दीदी से नही पूछा कि कविता के घर क्या प्राब्लम है ऑर अगर पूछता भी तो शायद
वो मेरे को कुछ नही बताती,,,,,,

हम लोग कविता के घर के बाहर पहुँचे ,,,,,,,,,दीदी कार से उतरी ऑर बेल बजाने लगी तब तक मैं कार को एक साइड मे
पार्क करके गेट तक आ गया,,,,

नीलम आंटी ने गेट खोला तो दीदी को गेट पर देख कर थोड़ा डर गई,,,,,

नमस्ते आंटी जी,.,,,,दीदी ने आंटी को नमस्ते बोला,,,,,,,,,,

आंटी ने भी थोड़ी हल्की आवाज़ मे दीदी की नमस्ते की रिप्लाइ दिया ऑर गेट को ऑर ज़्यादा खोल दिया,,,दीदी घर के अंदर
चली गई ऑर जाते टाइम मुझे बाहर रुकने को बोलती गई,,,,

लेकिन दीदी के जाने एक बाद जब नीलम आंटी घर के अंदर गई तो वो गेट बंद करके नही गई,,मेरे दिल मे एक
बेचैनी थी इसलिए मोका देख कर मैं भी घर के अंदर चला गया,,,,मैने दरवाजा खोला ऑर ड्रॉयिंग रूम मे
एंटर हो गया ,,,,वहाँ सोनिया कविता ऑर कामिनी भाभी एक सोफे पर एक साथ बैठी हुई थी,,,एक साइड सिंगल सोफे पर
कविता का भाई सूरज था जबकि एक सिंगल सोफे पर दीदी जाके बैठ गई थी ,,,,नीलम आंटी किचन मे पानी लेने चली
गई थी,,,,,,मेरे अंदर आते ही सब लोगो का ध्यान एक बार मेरी तरफ आया,,,,कविता ऑर उसकी भाभी कामिनी ने तो मुझे
देख कर जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया लेकिन सोनिया मुझे गुस्से से देखने लगी थी,,,,ऑर साथ ही कविता
का भाई सूरज भी मुझे अजीब नज़रो से देखने लगा हालाकी वो भी थोड़ा गुस्से मे लग रहा था,,,,तभी शोबा दीदी ने
मुझे बाहर जाने को बोला,,,,,,,,,,,

सन्नी तुम बाहर मेरा वेट करो मैं अभी आती हूँ थोड़ी देर मे,,,,,दीदी ने मुझे एक तरह से ऑर्डर दिया था इसलिए
मैं वहाँ से बाहर जाने लगा ,,,,तभी मैने एक बार फिर से कविता ऑर उसकी भाभी कामिनी की तरफ देखा तो मुझे
कुछ ठीक नही लगा ,,,उनके चहरे बहुत उदास थे ऑर वो अभी भी रो रही थी ऑर देखने से ऐसा लग रहा था जैसे
उनको मारा भी गया था क्यूकी उनके गाल बहुत लाल हो गये थे ऑर उनके गोरे रंग पर मांर पीट के निशान सॉफ-सॉफ
नज़र आ रहे थे,,,,मैं समझ गया कि इनके घर मे कोई सीरीयस प्राब्लम चल रही है मैं जानना तो चाहता था
लेकिन दीदी ने मुझे बाहर जाने को बोल दिया था इसलिए मुझे कुछ ख़ास पता नही चल सका,,,,मैं गुस्से मे घर से
बाहर चला गया,,,अगर शोबा को मुझे घर से बाहर ही रखना था तो अपने साथ क्यू लेके आई,,,कार ड्राइव करने के लिए
अपना ड्राइवर बनाने के लिए,,,,,मैं गुस्से मे था लेकिन थोड़ी टेन्षन भी थी ,,,,,

खैर मैं घर से बाहर निकला ,,,गर्मी बहुत थी इसलिए कार स्टार्ट करके एसी ऑन करके आराम से बैठ गया लेकिन आराम कहाँथा मेरे को दिल मे तो बेचैनी बढ़ने लगी थी इस बता को लेके कि आख़िर मसला क्या है कविता के घर मे ,,,,जब देखो वोरोती ही रहती है ऑर आज तो उसकी भाभी भी रो रही थी,,,मैं अभी यही सब सोच रहा था कि कविता के घर का गेट
खुला ऑर उसका भाई सूरज बाहर निकला वो बड़े गुस्से मे लग रहा था ऑर बड़ी तेज़ी से चलता हुआ मेरी कार के पास से
गुजर कर सामने खड़ी एक कार मे बैठ कर वहाँ से चला गया ,,,,,,,लेकिन जाते टाइम वो गुस्से ऑर अजीब नज़रो से मुझे
देखता हुआ गया,,,लगता है घर का महॉल ठीक नही है ,,,,,,,,,,,

करीब 30 मिनट के बाद फिर से गेट खुला ऑर सामने सोनिया ,,,,शोबा ऑर नीलम आंटी थी जबकि मैने देखा कि
पीछे कविता ऑर उसकी भाभी भी खड़ी हुई थी,,,,,उन लोगो ने अपने चेहरे को दुपट्टे से कवर किया हुआ था लेकिन
उनकी नम आँखें मुझे अभी भी नज़र आ रही थी ऑर आँखों से बहने वाले आँसू भी,,,,

शोबा दीदी थोड़े गुस्से मेथी शायद ,,एसी ऑन होने की वजह से मैने कार के शीशे नीचे नही किए थे इसलिए
मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था,,,,लेकिन नज़र सब कुछ आ रहा था,,,,,

मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कविता का कोई लफडा है किसी से ,,,कोई बाय्फ्रेंड या कुछ ऐसा ही,,ऑर उसकी भाभी भी
उसकी हेल्प करती होगी इश्स काम मे इसलिए उसकी भाभी को भी मार पड़ी होगी,,,,,

शोबा दीदी हल्के से गुस्से मे थी जबकि नीलम आंटी बार बार शोबा दीदी के सामने हाथ जोड़ रही थी शायद वो किसी
बात के लिए दीदी ने माफी माँग रही थी,,,,,तभी मैने देखा कि शोबा दीदी ने अपने फोन से कोई नंबर डाइयल किया
लेकिन जल्दी से नीलम आंटी ने दीदी के हाथ मे मोबाइल पकड़ लिया ऑर डिसकनेक्ट कर दिया ,,,ऑर फोन वापिस दीदी को
देते हुए फिर से हाथ जोड़के माफी माँगने लगी थी ऑर दीदी अपनी उंगली दिखा दिखा कर गुस्से मे बात कर रही थी
शायद वो नीलम आंटी को कोई चेतावनी दे रही थी किसी बात के लिए खबरदार कर रही थी तभी तो नीलम आंटी
हाथ जोड़ कर खड़ी हुई थी दीदी के सामने,,,,,नीलम आंटी की आँखें भी इस टाइम नम थी ,,,,,,

फिर दीदी कविता ऑर उसकी भाभी कामिनी को बड़े प्यार से हग करके मिली ऑर सोनिया को साथ लेके कार की तरफ आ गई,,,,वोदोनो कार मे बैठ गई जबकि नीलम कविता ऑर उसकी भाभी हमे बाइ बोलके जल्दी से अंदर चली गई,,,,दीदी मेरे
साथ बैठ गई ऑर सोनिया पीछे की सीट पर,,,मैं दीदी से कविता के घर की प्राब्लम के बारे मे बात तो करना चाहता
था लेकिन पीछे की सीट पर सोनिया बैठी हुई थी ऑर उसके सामने दीदी चाह कर भी मेरी बात का कोई जवाब नही देती
इसलिए मैं चुप चाप से कार चलाता हुआ घर की तरफ आने लगा,,,,घर पहुँचने तक हम मे से किसी ने कोई बात
नही की लेकिन जब हम घर पहुँचे तो कार से उतरकर सोनिया ने दीदी को हग किया अपनी बाहों मे ऑर थॅंक्स बोलने
लगी,,,,,,,

शुक्रिया दीदी जो कुछ भी आज अपने किया मेरे कहने पर,,,सोनिया दिल से दीदी को थॅंक्स बोल रही थी,,

अरे पगली इसमे थॅंक्स की क्या बात ये तो मेरा फर्ज़ था ओर वैसे भी मेरी जगह कोई भी होता तो ऐसा ही कहता ऑर ऐसा ही करता,,,,,

जानती हूँ दीदी माँ और भाभी कब्से एसा ही करने की सोच रही थी लेकिन कविता ने मुझे मना किया हुआ था ऑर सबसे
बड़ी बात कि उसकी भाभी भी ऐसा वैसा कुछ नही करना चाहती थी सोनिया अभी अपनी बात कर रही थी कि मेरे कार मे
से बाहर निकलते ही उसने अपनी बात को बीच मे रोक दिया ऑर शोबा दीदी को फिर से थॅंक्स बोला,,,,

शोबा दीदी भी समझ गई कि सोनिया मेरी वजह से चुप कर गई थी,,,,,

फिर वो दोनो घर की तरफ चल पड़ी ऑर शोबा ने बेल बजाई ,,,,,करीब 5 मिनट बाद आके बुआ ने दरवाजा खोला
मैं समझ गया था कि अंदर डॅड ऑर बुआ का प्रोग्राम चालू था इसलिए दरवाजा खोलने मे टाइम लगा बुआ को,,
इस बात का शोबा दीदी को भी पता था इसीलिए उन्होने एक बार ही बेल बजाई थी जबकि सोनिया तो बेल पर हाथ रखके ही खड़ी हो गई थी,,,,,ऑर दरवाजा लेट खुलने से थोड़ा गुस्सा भी हो गई थी ,,,,

अरे आ गये तुम लोग,,,,इतनी जल्दी वापिस आ गये,,,,बुआ ने अपने बाल ठीक करते हुए बोला

हम तो जल्दी आ गये बट आप लोग भी दरवाजा खोलने जल्दी आ जाया करो,,,सोनिया ने थोड़े गुस्से ऑर रूखेपण से बुआ
की बात का जवाब दिया ऑर जल्दी से घर के अंदर चली गई,,,,

इस से पहले कि बुआ कुछ बोलती सोनिया अंदर चली गई ओर शोबा ने भी बुआ को चुप रहने को बोला ,

फिर मैं ओर दीदी भी अंदर चले गये,,,,,,,

उस दिन कुछ ख़ास नही हुआ सारा दिन,,,,डॅड ऑर बुआ तो हम लोगो के घर आते ही अपने अपने काम पर चले गये
शोबा भी बुआ के साथ चली गई,,,,,,,,मैं नीचे बैठ कर सारा दिन टीवी देखता रहा ऑर सोनिया अपने रूम मे रही
सारा दिन,,,,,,दोपेहर का खाना भी मैने खुद ही बना कर खाया था,,,,,वो तो महारानी अपने रूम से ही नही निकली
थी ऑर ना ही उसने खाना खाया था,,,,

शाम को करीब 5 बजे घर की बेल बजी ऑर मैने दरवाजा खोला तो सामने कविता थी,,,वैसे मैं उसको पहचान
तो नही पाया था क्यूकी उसने पूरे फेस को कवर किया हुआ था दुपपट्टे से ऑर आँखों पर भी चश्मा लगा हुआ था
लेकिन उसकी आवाज़ से मैं उसको पहचान गया,,,,

मैने उसको हाई बोला ऑर उसने भी मुझे हाई बोला,,,,,

सोनिया कहाँ है सन्नी,,,,,उसकी आवाज़ अब उदास नही लग रही थी

वो आपने रूम मे है कविता,,,मैने इतना बोला ही था कि वो अंदर आके उपर सोनिया के रूम की तरफ चली गई,,

मेरा भी दिल किया कि उन लोगो के रूम मे बाहर जाके सुनू तो सही कि आख़िर सारा मसला क्या है,,,,इसलिए मैं भी
उपर की तरफ चल पड़ा अभी मैं सोनिया के रूम के दरवाजे के पास पहुँचा था कि मैने सोचा कि सोनिया कविता
को रूम मे बैठने को बोल रही थी ऑर खुद उसके लिए चाइ बनाने को बोल रही थी,,,,,

तुम आराम से बैठो कविता मैं चाइ लेके आती हूँ,फिर बात करते है दोनो,,,,

सोनिया रूम से निकली तो मैं रूम मे चला गया सोनिया जाते टाइम मुझे देख कर गई थी लेकिन मैने उस से नज़रे नही
मिलाई ऑर चुप चाप रूम मे चला गया,,,,जहाँ कविता सर से दुपट्टा ऑर आँखों से चस्मा उतार कर बैठी हुई थी,,,

वो अब रो तो नही रही थी लेकिन उंसकी आँखों मे हल्की नमि ऑर चहरे पर उदासी अभी भी थी,,,

मैं अंदर गया तो उसने मुझे देख कर अपने चहरे को नीचे झुका कर दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मैं चुप चाप
से अपनी अलमारी से ऐसे ही कुछ समान लेने लग गया,,,,,

तुम उदास ऑर रोती हुई अच्छी नही लगती कविता,,,,,मैने बहाने से बात शुरू करने की कोशिश की,,,,

कविता ने मेरी तरफ देखा ऑर फिर से नज़रे झुका ली,,,,,मैं उदास नही हूँ सन्नी बस वो घर पे कोई,,,,

उसने अभी बोलना शुरू किया था हल्की आवाज़ मे तो मैने उसकी बात को बीच मे ही रोक दिया,,,,घर पे सबके कोई ना
कोई प्राब्लम होती रहती है लेकिन रोने से उसका हल नही निलकलता ,,हर प्राब्लम का डॅट के मुक़ाबला करना चाहिए,,,,,इतने
बोलते हुए मैं बेड पर उसके पास जाके बैठ गया ,,उसने अपने चहरे को ऑर नीचे झुका लिया मानो जैसे उदासी मे वो
ज़मीन मे धसती चली जा रही थी,,,,,

ऑर वैसे भी खूबरूरत लड़की के मासूम ऑर क्यूट फेस पर मुस्कान अच्छी लगती है ना कि आँसू,,,,,इतना बोलके मैने उसके
चहरे को अपने हाथ से उपर उठाया तो देखा कि उसके चारे पर मांर के निशान थे ,,,उसकी खूब पिटाई हुई
लगती थी,,,,,,,,उसने मेरी तरफ़ देखा ऑर फिर से चहरे झुकाने की कोशिश की लेकिन मैने उसके चहरे को उसकी चिन से
पकड़ा हुआ था ,,,,,

घर मे सबके प्राब्लम होती है सन्नी मैं जानती हूँ,,,,ऑर रोने से कोई प्राब्लम सॉल्व नही होती ये भी जानती हूँ
हर प्राब्लम का डटके मुक़ाबला करने से ही प्राब्लम हल होती है ,,लेकिन देखो मेरी तरफ ,,मैने प्राब्लम से लड़ने
की कोशिश की तो मेरा ये हाल हुआ उसने अपने चेहरे की तरफ इशारा करते हुए बोला ऑर रोने लगी,,,ओर रोते रोते मेरे
शोल्डर पर सर रख लिया मैने भी उसको चुप करवाने के लिए ऑर दिलासा देने के लिए उसके सर पर हाथ रखा,,,,,,

देखो कविता मैं नही जानता कि तुम्हारे घर मे क्या प्राब्लम चल रही है ऑर मैं जानना भी नही चाहता,,वो तुम
लोगो की आपस की बात है,,,,लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि तुमने शोबा दीदी को उसके बारे मे बता दिया है अब शोबा
दीदी तुम्हारी पूरी हेल्प कारगी,,,लेकिन अगर मेरे लिए कोई काम हुआ तो बताने से डरना नही मैं भी तुम्हारी हेल्प के लिए
तैयार हूँ हमेशा ,,आख़िर हम लोग इतने पुराने दोस्त है ,,,,,मेरा हाथ उसको समझाते हुए उसके सर से उसकी पीठ पर
चला गया लेकिन मेरा कोई ग़लत इरादा नही था ,,,मैं तो अपनी दोस्त को रोते हुए दिलासा देने की कोशिश कर रहा था लेकिनफिर भी ना जाने क्यूँ मेरा हाथ पीठ पर लगते ही कविता के मुँह से अह्ह्ह्ह निकल गई ऑर उसके दोनो हाथ जो मेरे शोल्डर पर थे वो थोड़ा मजबूती से कस गये मेरे शोल्डर पर,,,तभी मैने उसके सर को पकड़ा ऑर पीछे किया
तो देखा कि उसकी आँखो मे आँसू तो थे लेकिन एक अजीब चमक भी थी ऑर चहरे पर हल्की खुशी थी जो शायद
मेरे दिलासा देने की वजह से आई थी उसके चहरे पर,,,,,मैने अपने एक हाथ को उसके गाल पर उसकी आँख से नीचे रखा
ऑर उसके आँसू पोछने लगा ,,वो हल्की मुस्कान से मुझे देखने लगी मेरा हाथ उसके गाल पर था ओर तभी मुझे
किसी के खांसने की आवाज़ सुनाई दी ,,,

मैने ऑर कविता ने दरवाजे की तरफ़ देखा तो वहाँ सोनिया खड़ी हुई थी हाथ मे चाइ की ट्रे लेके ऑर मेरी तरफ गुस्से
से देख रही थी,,,,,तभी कविता एक दम से पीछे हट गई ,,,,मैं भी जल्दी से बेड से उठा ऑर सोनिया के करीब से गुजर
कर रूम से बाहर आ गया,,,,लेकिन ज़्यादा दूर नही गया ऑर वहीं रुक कर उनकी बाते सुनने की कोशिश करने लगा,,,,,


ये ब्लॅकी क्यू आया था यहाँ,,,,सोनिया ने हल्के गुस्से से कविता से पूछा,,,,,,

वो तो बस ऐसे ही मुझे रोते देख कर दिलासा दे रहा था ,,,,,कविता ने स्लो आवाज़ मे उसकी बात का जवाब दिया,,,

तूने उसको कुछ बताया तो नही,,,,,,सोनिया फिर से गुस्से मे थी,,,,,,

नही बाबा कुछ नही बताया मैने उसको,,,,मैने तो सिर्फ़ तेरे को बताया था ऑर किसी को नही,,,,शोबा दीदी को भी तूने
ही बताया था मैने नही,,,,,,

शोबा दीदी को बताना ज़रूरी था वो बड़ी है हमसे,,,ऑर उन्ही की वजह से अब प्राब्लम भी दूर हो जाएगी,,,देखा नही
तेरी माँ आज कैसे माफी माँगने लगी थी दीदी से,,,,,

हाँ ये बात तो है सोनिया ,,,,शोबा दीदी की वजह से अब कुछ हालत तो ठीक हुई है घर की,,,भाभी भी खुश है जो
शोबा दीदी आज घर आई थी,,,,उनके जाने के बाद माँ ने मेरे से ऑर भाभी से भी माफी माँगी थी,,,,अब वो कुछ नही
कहेंगी मुझे ऑर भाभी को,,,,लेकिन डॅड ,,,,

कविता बोल ही रही थी कि सोनिया बीच मे बोल पड़ी,,,,,,तू टेन्षन मत ले अगर तेरे डॅड ने कुछ गड़बड़ की तो शोबा दीदी
को बता देंगे वो सब संभाल लेंगी,,,,,तू अब टेन्षन मत ले बस जल्दी चाइ पी ,,फिर स्टडी करते है वैसे भी कई
दिन से बुक खोल कर नही देखी तूने,,,,ऑर मैं भी गाओं गई हुई थी,,,,,,,

उन लोगो ने इतनी बात की ऑर फिर रूम मे सन्नाटा हो गया,,,,शायद वो चाइ पीने लगी थी,,,मैं कुछ देर वहीं रुक गया
ताकि पता चल सके कि बात क्या है,,,,,उसके बाद अगर कोई आवाज़ आई भी थी रूम से तो वो जस्ट स्टडी के टॉपिक पर थी

इसलिए मैं वहाँ से नीचे चला गया ,,,,,,ऑर वापिस टीवी देखने लगा,,,,लेकिन एक चीज़ ने मुझे परेशान कर दिया था,,,
वो थी कविता के मुँह से निकली अहह जब मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे,,,तब कुछ टाइम के लिए वो रोना भूल गई थी
ऑर मेरा ध्यान भी उसकी नाम आखों से हट गया था,,,एक पल क लिए वासना हावी हो गई थी मेरे पे लेकिन सोनिया हर बार ग़लत टाइम पर आती थी,,,कमिनि कहीं की,,,,ना खुद कुछ करती है और ना मुझे करने देती है,,,,,

उस रात भी कोई प्रोग्राम नही बना क्यूकी दीदी बुआ ऑर डॅड थक गये थे दिन भर की चुदाई से जो उनलोगो ने बुआ
के बुटीक पर जाके की थी,,,,,

नेक्स्ट डे मैं ऑर कारण कॅंटीन मे बैठे हुए थे,,,,,आज स्टडी करने का मन नही था वैसे भी हम लोग स्टडी
करने नही बस टाइम पास करने आते थे कलाज मे ऑर सारा दिन कॅंटीन मे ही टाइम पास करते थे,,,,हम लोग
की लास्ट टेबल पर एक कॉर्नर मे बैठे हुए थे,,,,,,,,,,,,,,,

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