RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
ग़लती हो गई सरिता दीदी अब तो माफ़ करदो अब मेरी ज़ुबान नही खुलगी कभी भी किसी के भी आगे,,,,इतने
दिनो बाद इतना मज़ा आया है अब मज़े को खराब मत करो ना प्लीज़ मैं अपनी ग़लती की माफी मांगती हूँ
अब तो माफ़ करदो,,,,,,,,,,सन्नी तुम ही कुछ बोलो अपनी माँ को
मैने माँ के शोल्डर को पकड़ा ऑर माँ के फेस को देखते हुए,,,,माँ अब कोई टेन्षन नही है आप
बेफ़िक्र रहो मैं कुछ नही पूछने वाला आपसे आपका जब दिल करे तब बता देना ,,,अभी तो मज़ा करो
ना मैं वैसे भी आपके साथ मज़ा करने ही यहाँ आया हूँ ,,कल भी आपके साथ आना था लेकिन अपने मेरे
साथ आने से मना कर दिया इसलिए मैने कार की वाइयर निकाल दी थी सोचा कार स्टार्ट करने के बाद शायद आप लोग
मुझे अपने साथ रेखा के पास ले आओ लेकिन आप नही लेके आए,,,आज भी मैं आप लोगो के पीछे इसलिए आया
क्यूकी मेरा दिल बहुत कर रहा था आपसे ऑर रेखा से चुदाई करने को मैं कोई फालतू सवाल जवाब करने नही
आया यहाँ,,,,,,,,,,
माँ--बेटा तू कुछ नही पूछेगा लेकिन ये रेखा की ज़ुबान केँची की तरह चलती है कुछ भी बक देती है ये,,
रेखा--अब नही बोलूँगी सरिता दीदी एक बार माफ़ करदो मुझे,,सरिता माँ से माफी माँगे लगी,,,,
माँ--पहले भी एक बार माफ़ कर चुकी हूँ तेरे को लेकिन तेरी वजह से ,,,,,,,,माँ एक दम से फिर चुप हो गई
माँ गुस्से मे थी लेकिन फिर भी अपने वर्ड्स पर कंट्रोल करना खूब आता था उनको गुस्से मे भी अपने
मुँह से कोई बात नही निकलने दे रही थी वो,,,,,,ये बात अच्छी थी माँ की लेकिन मुझे टेन्षन होने लगी थी
माँ की बातें सुन कर क्यूकी वो बातें अधूरी थी ,,,,,
मामा--अरे बेहन एक बार माफ़ कर्दे रेखा को आगे से कोई ग़लती नही करेगी लेकिन माँ कोई बात नही सुन रही थी
इसलिए मैने जल्दी से आगे बढ़ के माँ के लिप्स को अपने लिप्स से जाकड़ लिया ऑर किस करने लगा मेरी इसी हरकत
से रेखा ने माँ की पीठ पर से माँ के ब्लाउस को खोलना शुरू कर दिया कुछ ही देर मे माँ का ब्लाउस
वापिस चद्दर पर पड़ा हुआ था ऑर माँ ने मस्ती मे मुझे किस करना शुरू कर दिया था,,,
माँ ने मेरे से अलग होके कुछ बोलने की कोशिश की,,,,,,,,,,
सन्नी--अब कोई कुछ नही बोलेगा माँ ,,,आप टेन्षन फ्री हो जाओ ऑर मस्ती करो इतना बोलकर मैने माँ को वापिस
किस करना शुरू कर दिया माँ भी मस्ती मे आके किस का रेस्पॉन्स अच्छी तरह से देने लगी थी,,,,
मेरी बातों से शायद माँ की टेन्षन कम हो गई थी लेकिन माँ की अधूरी बातों से मेरी टेन्षन पहले
से ज़्यादा बढ़ गई थी,,,,
खैर उस दिन हम लोगो ने एक बार फिर से चुदाई का खेल शुरू कर दिया था ,,कभी मामा ने माँ को
ऑर मैं रेखा को छोड़ा तो कभी मामा ने रेखा को ओर मैने माँ को छोड़ा,,,,,,,,तो कभी कभी मैने
ऑर मामा ने मिलकर माँ को तो कभी मिलकर रेखा को छोड़ा उस दिन हम शाम के 7 बजे तक चुदाई करते
रहे,,,,
हम लोग खाने के टाइम से लेट हो गये थे,,माँ तो जाने को बोलती रही लेकिन मैं मामा ऑर खास कर
रेखा का दिल नही भर रहा था चुदाई से इसलिए हम लोग लेट हो गये,,,
रात को जब वापिस घर आए तो मैने कार को नये घर मे लगा दिया ऑर फिर फ्रेश होके चाचा के घर
चला गया,,,
तब तक माँ रसोई मे जाके खाना तैयार करने लगी थी ऑर चाची रसोई मे माँ के पास खड़ी होके माँ
की हेल्प कर रही थी,,,,,,
मैं भी रसोई मे चला गया ,,,ऑर जाते ही मुझे झटका लगा,,,,,अरे ये क्या मामा आज रसोई मे खड़ा हुआ
माँ ऑर चाची जी की हेल्प कर रहा है,,,,ऑर सब्जी बना रहा है,,,,मैं तो दंग रह गया कि जो बंदा हर
टाइम चरस के नशे मे रहता था कोई काम नही करता था आज वो रसोई मे खाना बना रहा है ,,
फिर मुझे लगा कि आज शायद लेट हो गये थे हम लोग इसी वजह से मामा उन लोगो की हेल्प कर रहा था
चाची--बेटी जल्दी कर आज वैसे भी खाना पकने मे देर हो गई है,,,,,
माँ--ग़लती हो गई चाची जी वो मैं ,,,,,,,,,,
माँ कुछ बोलती इस से पहले मैं बोल पड़ा,,,,,,,,,,,,,चाची जी मेरी वजह से लेट हुए है हम लोग माँ ऑर
मामा तो कब्से बोल रहे थे वापिस घर आने को लेकिन मुझे गाओं मे घूमना था इसलिए थोड़ा लेट
हो गये,,,,,,
चाची ने मेरे सर पे हाथ फेरा,,,,,,कोई बात नही बेटा एक दिन हम बूढ़े लोग खाना लेट खा लेंगे
तो कोन्सि आफ़त आ जाएगी,,इतना बोलकर चाची हँसती हुई किचन से बाहर चली गई,,,,,
तभी माँ ने मुझे कुछ बर्तन दिए ऑर बोला की मैं बाहर टेबल पर बर्तन सेट करके लगा दूं बाद
मे माँ आके खाना लगा देगी लेकिन मेरे बर्तन पकड़ने से पहले ही सोनिया ने माँ के हाथ से बर्तन
पकड़ लिए ऑर कुछ बोले बिना जल्दी से बाहर आके टेबल ऑर चारपाई को सेट करके टेबल पर बर्तन रख दिए
ऑर माँ भी खाना लेके बाहर आ गई सोनिया उनकी हेल्प करने लगी जब तक चाची भी आके वहाँ बैठ गई ऑर
मामा भी रसोई से बाहर आके हाथ धो कर हमारे पास आ गया था,,,,
हम सब लोग खाना खाने लगे अभी मैने खाने का एक नीवाल मुँह मे डाला था कि खुश हो गया साथ
मे थोड़ा हैरान भी रह गया,,,,,क्यूकी आज सब्जी बहुत स्वाद बनी थी ऑर ये सब्जी मामा ने बनाई थी
अरे सुरिंदर बेटा आज तो तूने बहुत अच्छी सब्जी बनाई है ,,मज़ा आ गया,,,चाची ने भी एक नीवाला मुँह मे
डालते ही मामा की तारीफ करनी शुरू करदी,,,,तभी सोनिया भी हैरानी से मुँह खोलके मामा की तरफ देखने
लगी,,,,,,,,,,,,,,
चाची क्या सच मे सब्जी मामा ने बनाई है,,,,,,,,सोनिया हैरान होके पूछ रही थी,,,
चाची--हाँ बेटी आज सब्जी तेरे मामा ने बनाई है ,क्यू अच्छी नही लगी क्या,,,,
सोनिया--नही नही चाची जी सब्जी बहुत टेस्टी है मैं तो हैरान इसलिए हूँ क्यूकी आज तक कभी मैने मामा के
हाथ की सब्जी नही खाई थी ऑर खाती भी कैसे मामा ने कभी बनाई होती तो ही खाती ना,,,,
चाची--अरे बेटी तेरा मामा शुरू से ही आलसी है जब दिल करे तब ही कुछ काम करता है,,,,इतना बोलते ही चाची
हँसने लगी ऑर साथ मे हम सब भी,,,,,,लेकिन जब भी काम करता है तो दिल लगा कर करता है ऑर ख़ासकर
खाना तो बहुत दिल लगा कर बनाता है लेकिन जब भी मूड करे तब,,,,,
लेकिन चाची घर पे तो कभी मामा ने कुछ नही बनाया खाने के लिए,,,,सोनिया ने चाची को बोला
अरे बेटी बोला ना जब इसके दिल करे तब ही बनाता है ,,,,,,,
मैं हैरान था कि माँ चुप थी लेकिन चाची बोल रही थी जैसे चाची माँ से बेहतर जानती हो मेरे
मामा को,,,,मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था एक तो दिन के टाइम माँ की अधूरी बात ने मुझे टेन्षन
मे डाल दिया था ऑर अब चाची की बातों ने टेन्षन को ऑर ज़्यादा बढ़ा दिया था,,,
खैर मैं टेन्षन को भूल कर मजेदार सब्जी का लुफ्त उठाने लगा था ऑर आज तो मैं कुछ ज़्यादा ही
खाना खा गया था,,,ऑर यही हाल बाकी सब का था ,,,सब लोग खाना खाते हुए मामा की तारीफ कर रहे थे
जबकि मामा खुद चुप चाप खाना खा रहा था,,,,,,,,मैं सोचने लगा कि एसा आलसी बंदा जो एक वर्ड
बोलकर सबको थॅंक्स नही बोल पा रहा उसने रसोई मे जाके इतनी स्वादिष्ट सब्जी कैसे बनाई होगी,,,,
रात को खाना ज़्यादा खा लिया तो नये घर की छत पर जाके कुछ टहलने लगा था ताकि खाना थोड़ा नीचे
हो ऑर मैं जाके आराम से सो सकूँ क्यूकी मुझे नीचे हाल मे सोना था जहाँ बहुत गर्मी थी पेट फुल
भरा होने की वजह से भी नींद नही आएगी इसलिए कुछ सैर करने उपर आ गया था,,,,,अभी सैर करने ही
लगा था कि सोनिया भी उपर आ गई ऑर आते ही मुझे देख कर मेरे से थोड़ा दूर चली गई ऑर सैर करने
लगी मैने देखा कि उसके हाथ मे उसका मोबाइल था जिस पे वो किसी से चॅट कर रही थी ,,,,मैने उसकी तरफ
ज़्यादा ध्याना नही दिया ओर सैर करके थोड़ी देर मे वापिस नीचे आके लेट गया,,,,,,पेट भरा होने की वजह
से कब नींद आ गई पता नही चला,,,,,,,
सुबह उठा ऑर नीचे रूम मे गया सोनिया वहाँ नही थी ,,,मैं बाथरूम मे गया ऑर फ्रेश होके चेंज
करके बाहर आ गया बाहर आके देखा तो बेड पर बॅग पॅक करके रखा हुआ था ये बॅग तो सोनिया का था ,,
शायद वो वापिस जा रही थी लेकिन क्यूँ ,,कहीं मेरी वजह से ,,,,मुझे डर लगने लगा था क्यूकी अगर वो मेरी
वजह से वापिस जा रही थी मेरे लिए मुसीबत थी,,,,,
खैर मैं वहाँ से चाचा जी के घर चला गया ,,,,,सब लोग चाचा जी के रूम मे बैठ कर बातें कर रहे
थे मैं भी वहाँ जाके बैठ गया,,,,,,,
अच्छा हुआ बेटा आज तू जल्दी उठ गया ,,मुझे लगा आज भी कहीं देर से ना नींद खुले तेरी,,,,अब तू बैठ ऑर मैं
तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ इतना बोलके माँ रूम से बाहर चली गई,,,इस से पहले मैं कुछ बोलता चाचा जी
बोलने लगे,,,,,,,,,,,
अभी तो आए हो तुम लोग ऑर अभी चले जाओगे ,,,कुछ दिन ऑर रुक जाते अपने चाचा का पास थोड़ा ऑर दिल बहल जातामेरा,,,चाचा जी ने मेरा हाथ पकड़ कर बोलते हुए मुझे अपने सीने से लगा लिया,,,,मैं कुछ समझ नही पा
रहा था ,,,,,
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