RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने वहाँ जाके देखा कि डॉक्टर की कार रेखा के घर के सामने खड़ी हुई थी ऑर घर का गेट
बंद था,,,,इसलिए मैं अपनी कार को थोड़ा पीछे झाड़ियों मे खड़ा करके खेतो के बीच से
घर के पिछले दरवाजे पर चला गया,,किस्मत अच्छी थी कि वो दरवाजा खुला हुआ था,,,मैं घर
के अंदर बड़े हल्के कदमो से गया लेकिन जैसे ही मैं अंदर जाने लगा तो मैने डॉक्टर ऑर
मामा की आवाज़ सुनी,,,,,,,
डॉक्टर--ठीक है अब मैं चलता हूँ ,,, मरीज को दवाई दे दी है ज़्यादा टेन्षन वाली बात नही है
बस हल्का बुखार है,,अभी कुछ ही देर मे ठीक हो जाएगा,,,,,
ठीक है शुक्रिया डॉक्टर,,,,,,अब आप जाइए मैं ओर दीदी खुद चले जाएँगे वापिस,,,,,
डॉक्टर--लेकिन पुष्पा देवी ने तो आपको मेरे साथ ही वापिस आने को बोला था,,,,,,
मामा--हाँ डॉक्टर लेकिन रेखा को दवाई के अलावा भी कुछ चाहिए होगा इसलिए हम लोग थोड़ी देर
बाद खुद चले जाएँगे ,,,,,,,,
डॉक्टर--ठीक है जैसे आपकी मर्ज़ी,,मैं चलता हूँ,,,,,,,,
डॉक्टर वहाँ से चला गया ऑर मामा गेट बंद करके वापिस रेखा के रूम मे चला गया,,मैं
भी हल्के कदमो से रेखा के रूम के बाहर पहुँच गया ऑर अंदर वो लोग आपस मे बातें करने
लगे ऑर मैं बाहर खड़ा सुनने लगा,,,,,,
अब तबीयत कैसी है रेखा,,,,,,,,सरिता ने रेखा से पूछा,,,,
रेखा हँसते हुए,,,,,,,,अब तो ऑर भी ज़्यादा बुरा हाल है सरिता दीदी,,,,,,
अभी डॉक्टर के सामने तो तुम बोल रही थी पहले से फ़र्क है तुमको,,अभी बोल रही हो ज़्यादा बुरा हॉल
है,,,,क्या फिर से बुला के लाउ डॉक्टर को,,,,,सरिता ने रेखा से पूछा,,,,,,,,,,,
रेखा फिर से हँसती हुई,,,,,,,,,,,,मेरे लिए डॉक्टर को नही सन्नी को बुला कर लाओ सरिता दीदी ,,,,,वही एक
है जो मेरा इलाज अच्छी तरह से कर सकता है,,,,,,,,,,,,,फिर रेखा ओर ज़ोर से हँसने लगी,,,,,,,
क्या मतलब ,,मैं कुछ समझी नही रेखा,,,,,,,,,,,
अरे दीदी तुम सब समझती हो ,,,सन्नी की वजह से तो बुरा हाल हुआ है मेरा,,,,उस दिन जब उसको अपने
साथ घर लेके आई थी तो क्या जबरदस्त चुदाई की उसने मेरी,,,,एक बार तो लगा कि जान ही निकाल देगा
मेरी ,,,इतना लंबा मूसल है उसका,,,,उसने तो सब लोगो को फैल कर दिया है,,,इतना मज़ा सुरिंदर ऑर
विशाल दोनो मिलकर नही दे पाते थे मुझे जितना इस अकेले सन्नी ने दिया है,,,,ऑर इतना दर्द भी नही
हुआ जितना उस दिन सन्नी की चुदाई से हुआ ,,,लेकिन उसी दर्द मे तो असली मज़ा आया था मुझे,,,,रेखा
हँसती रही ऑर बोलती रही,,,,,
देखा सरिता मैं नही बोलता था कि रेखा भी दीवानी हो जाएगी सन्नी के लंड की,,,,एक बार चुदाई
करके ये हाल हुआ है इसका कि दर्द से तड़प रही है फिर भी सन्नी को याद कर रही है,,,,सुरिंदर
ने सरिता को बोला,,,,,,,,
माँ--हां सुरिंदर मैं जानती थी,,इसको भी सन्नी का लंड बहुत पसंद आएगा,,,,वो है ही घोड़े का लंड
एक बार जिस औरत की चूत मे जाता है जन्नत का मज़ा देता है उसको,,,,कल रात उसने मेरी भी ऐसी
दमदार चुदाई की है कि क्या बताऊ ,,,,,पूरी रात सोने नही दिया,,,,उसके साथ चुदाई करके मज़ा
भी बहुत आता है लेकिन डर भी बहुत लगता है,,कभी कभी तो रंडी से भी बुरी चुदाई करता है मेरी
लेकिन दर्द के साथ एक मीठा मज़ा भी देता है,,,,,
रेखा--हाँ सही कहा सरिता दीदी,,,,
दीदी की लगती ,,,,तूने कुछ बका तो नही उसके सामने चुदाई करते टाइम,,,,वैसे भी तेरी ज़ुबान बहुत
ज़्यादा चलती है,,,,कहीं कुछ बता तो नही दिया सन्नी को,,,,,सरिता थोड़े गुस्से मे बोली,,,,,
रेखा--नही दीदी ,,,,,मैने कुछ नही बताया ,,,लेकिन थोड़ा बहुत मुँह से निकल गया,,,उसकी चुदाई मे एक अजीब
सी मस्ती ऑर मदहोशी थी कि मेरी ज़ुबान खुद ब खुद चलने लगी,,,,
तेरी चूत की तरह तेरी ज़ुबान को भी कभी चैन नही मिलता,,,सरिता फिर से गुस्से मे बोली,,,,,कहीं
मस्ती मे तेरी ज़ुबान ने सारा भेद तो नही खोल दिया,,,,,,,
रेखा--नही-नही दीदी मैने ज़्यादा कुछ नही बोला उसको,,,बस थोड़ा बहुत ही बताया था,,,,,वैसे दीदी तुम इतना
डरती क्यूँ हो,,,जब विशाल को सब पता है तो एक ना एक दिन सन्नी को भी पता तो लगना ही है,,,,,
माँ--जानती हूँ कि सन्नी को भी एक ना एक दिन सब पता चलना है लेकिन एक टाइम आने पर,,,,विशाल को भी
जब थोड़ी अकल आई थी तभी बताया था मैने उसको,,,,सन्नी अभी बच्चा है,,,नया नया जवान हुआ है
ऑर जवानी की मस्ती मे है लेकिन फिर भी बच्पना नही गया उसका अभी तक,,,,उसको सब कुछ बता तो
दूँगी लेकिन सही टाइम आने पर,,,,,
रेखा--उसका सही टाइम जब आना है तब आना है दीदी,,लेकिन अपना तो सही टाइम आ गया,,,
फिर रूम मे शांति हो गई,,लेकिन कुछ पल के लिए,,,,
माँ--ये क्या कर रही है पगली,,,अभी तो तुझे बुखार है फिर भी मस्ती चढ़ रही है तेरे को,,,,
रेखा--क्या करूँ दीदी चूत मे आग लगी हुई है,,,सोचा था सन्नी ये आग भुजा देगा लेकिन उसने तो इस आग
को भुजा कर ऑर भी ज़्यादा भड़का दिया है,,,
माँ--लेकिन तुझे तो बुखार है पगली,,,,,
रेखा--कैसा बुखार दीदी,,,,वो तो सुरिंदर ने मुझे फोन करके बोला था कि डॉक्टर आ रहा है इसलिए
मैने बगल मे प्याज दबा लिया था,,,,,,रेखा इतना बोलकर ज़ोर से हँसने लगी,,,,
बहुत तेज है तू रेखा कामिनी,,,,, माँ ने कहा
तभी फिर से रूम मे खामोशी हो गई,,,
मैने हल्का सा आगे होके देखा तो रेखा माँ के लिप्स को अपने लिप्स मे भरके किस कर रही थी तभी
माँ ने रेखा को धक्का दिया,,,,,,,,,,,,,,मैं तो देख कर दन्ग रह गया था,,,,मैने अपनी माँ को
कभी किसी औरत को किस करते नही देखा था,,ये मेरा पहले तजुर्बा था कि मैं अपनी माँ को किसी
औरत को किस करते देख रहा था,,,इतने ही पल मे मेरे लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था,,,,,
माँ--थोड़ा सबर कर पगली,,,,इतनी भी क्या जल्दी है,,,,
रेखा--जल्दी नही दीदी बहुत जल्दी है,,,सन्नी ने ऐसी आग लगा दी है कि पूछो मत,,,अब ऑर इंतेज़ार नही होता
चलो ना मस्ती करते है,,,,,
माँ--ठीक है बाबा लेकिन यहाँ नही,,,वही चलते है अपनी हमेशा वाली जगह पर,,,
रेखा--ठीक है तो चलो दीदी ,,,,इंतजार किस बात का कर रही हो,,,
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