RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
जब तक नकली रिज़ल्ट्स का बंदोबस्त होता, तब तक, मतलब 3-4 दिन तक हम ने कन्सल्टेंट से बात की और बाहर जाने का प्रोसेस ढूँढने लगे..
"आप स्टूडेंट वीसा पे ही जा रहे हैं ना, तो भी बाहर जाने के लिए कम से कम आपको 20 लाख का बॅंक बॅलेन्स दिखाना पड़ेगा.." कन्सल्टेंट ने बाबा से कहा
"कोई बात नहीं, हम दिखा देंगे. आप काम शुरू कीजिए..." ऋतु ने बाबा से पहले जवाब दिया
"बस इतनी मदद ही है ना, और वैसे भी पैसे सिर्फ़ दिखाने हैं, भरेगा तो वो खुद ना.." ऋतु ने बाबा से कहा जो उसे घूरे जा रहा था
"यह लीजिए, कॉलेज के पेपर्स और बाकी सब डॉक्युमेंट्स की लिस्ट, आप फिल करके हमे 4 दिन में दे दीजिए, तो काम जल्दी निपट जाएगा, नहीं तो फिर दूसरे सेम में बात गयी तो 6 महीने और निकलेंगे"
"यह ले , भर दे..." बाबा ने मुझे फॉर्म देते हुए कहा
"यह कौन्से देश का कॉलेज है.." मैने ब्रोशर पे नज़र डालते हुए कहा
"लंडन, लंडन में हमारे दोस्त भी हैं, तो वहाँ रहोगे तो हमे तुम्हारी खबर मिलती रहेगी, इसलिए कॅनडा या अमेरिका कॅन्सल.." ऋतु ने जवाब दिया
"ओके.. नो प्राब्लम.." मैने फॉर्म भरना शुरू किया
"वैसे अब तक पोज़िशन क्या है, 7 दिन हो गये हैं, कितनी हार में है तू.." बाबा ने फिर रूखे अंदाज़ में कहा
"जीत में हूँ, 20000 रुपीज़, कम से कम 2 लाख तो करने हैं ना, सवा लाख की तो टिकेट है"
"टिकेट 50000 की है, " बाबा ने टीवी ऑफ करके कहा
"बिज़्नेस क्लास.. अपने पैसों से जा रहा हूँ तो सब अपने हिसाब से करूँ ना, और वैसे भी मैने खुद से वादा किया था, कि जब कभी फॉरेन जाउन्गा तो बिज़्नेस क्लास ही जाउन्गा.." मैं फॉर्म भरता रहा और उनसे बात करता रहा..
"और कॉलेज की फीस, वहाँ जाते ही तुझे सबसे पहले 2000 पाउंड्स भरने हैं, वो कहाँ से लाएगा, और हर सें में 2000 पाउंड्स, तो कैसे करता रहेगा यह सब.."
बाबा ने रूम के चक्कर लगाते हुए कहा
"आप बैठ जाओ ना, ऐसे चक्कर लगा रहे हो जैसे शेर पिंजरे में घूम रहा है अकेला अकेला" मैने हँस के कहा लेकिन बाबा का गुस्सा कम नहीं हुआ
"सॉरी, लेकिन आप मुझे जाने तो दो, मैं वहाँ पहुँच के करूँगा कुछ ना कुछ.. वहाँ काफ़ी इंडियन्स जॉब करते हैं, मैं खुद कर लूँगा, पर एक बार मुझ पे ट्रस्ट तो करो, खुद ही कहा था ना, कि अकेले जीके देखेगा तो पता चलेगा तू क्या कर सकता है क्या नहीं.. तो अब जाने दो ना, खुद करके देखना चाहता हूँ मैं.." मैने बाबा को उसकी बात याद दिलाई तो वो शांत हुआ और सोफा पे बैठ गया.. ऋतु ने भी यह देखा तो उसे समझाने लगी और मनाने लगी..
"सन्नी, बच्चे अपना ख़याल रखना.. और पहुँच के ही फोन करना समझा.." ऋतु एरपोर्ट पे काफ़ी एमोशनल हो रही थी
"फोन कैसे करेगा, सिर्फ़ डेढ़ लाख थे भाई साब के पास, उसमे से भी सवा लाख की टिकेट, अब सिर्फ़ 25000, मतलब वहाँ के सिर्फ़ 300 पाउंड्स, उसमे कैसे गुज़ारा करेगा.." बाबा ने ऋतु से कहा
"सन्नी, तू पैसे की चिंता ना कर, मैं दे दूँगी तुझे, बस अपना ख़याल रखना.." ऋतु ने फिर मेरे हाथ को थाम के कहा
"अरे आप चिंता नहीं कीजिए, और पैसे मैं खुद कुछ ना कुछ कर लूँगा.. आप लोगों ने इतनी मदद की क्या वो कम है, डॉक्युमेंट्स से लेके पोलीस वेरिफिकेशन और उसके बाद यह प्रोसेस इतना जल्दी निपटाना, इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता आपसे.." मैने आखरी बार ऋतु को गले लगाया और अपने बोरडिंग गेट की तरफ बढ़ने लगा..
बाबा अभी भी गुस्सा था लेकिन गेट के पास से पलटा तो उसकी आँखें भी नम थी,
"एक सेकेंड प्लीज़.." मैने सेक्यूरिटी गार्ड से कहा और वापस जाके बाबा से गले लग गया
"अपना ख़याल रखना लड़के... कहीं भी परेशानी हो, तो दिल से याद करना, बाबा वहाँ मौजूद होगा.." बाबा ने रुआंसी सी आवाज़ में कहा
"अब छोड़ो भी, इतना सेंटी ना मारो, रोज़ फोन करूँगा आपको भी, मैने बाबा से अलग होते हुए कहा और फिर ऋतु के गले लगा
"आइ विल मिस यू... अम्मी..." मैने ऋतु के कान में कहा जिसे सुन ऋतु फुट फुट के रोने लगी पर मुझे जाने के लिए कहा और वहीं खड़े रहके मुझे दोनो लोग जाते हुए देखने लगे..
"फेवव... अब यह लोग मोम डॅड को समझा सके तो गुड है, नहीं तो फिर कोई प्राब्लम ना हो.." मैने खुद से कहा और बोरडिंग अनाउन्स्मेंट का इंतेज़ार करने लगा
"10 जोड़ी कपड़े, 25000 रुपीज़.. कोई ऐसी हालत में लंडन नहीं जाता.. पर आज तक मेरे साथ सब अबनॉर्मल ही हुआ है, तो यह भी सही है
"लंडन..... हियर आइ कम...."
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"ज्योति.. शीना के वॉर्डरोब में उसके कपड़ों के नीचे देयर ईज़ आ गन हिडन... तुम्हारी पूरी फॅमिली को यहाँ हाज़िर रहना पड़ेगा किसी भी वक़्त, लेकिन अगर तुम यह सब बिना किसी को चोट पहुँचाए ख़तम करना चाहती हो, तो जब मैं तुम्हे फोन करूँ, तब तुम दिए गये अड्रेस पे शीना के साथ पहुँच जाना, क्यूँ कि इस चीज़ को ख़तम शीना के हाथ से ही होना पड़ेगा.. सन्नी.." सन्नी का यह एसएमएस पढ़ ज्योति को समझ नहीं आया कि यह सब क्यूँ हो रहा है और सन्नी आख़िर करना क्या चाहता है.. डाइयरी पढ़ते पढ़ते अभी शीना भी समझ चुकी थी कि उसके साथ जो भी हुआ है वो ग़लत हुआ है, खेला गया है उसके जज़्बातों के साथ, लेकिन जब भी सन्नी की बातें उसके ज़हेन में आती , उसका दिमाग़ कमज़ोर पड़ जाता.. शीना फिलहाल तो खामोश थी, शायद उसकी आँखों में अब आँसू बचे ही नहीं थे बहने के लिए, और दिल तो उसका टूट ही चुका था, लेकिन फिर भी टूटे ही दिल को समेट के शीना ने उसे मज़बूती देने की कोशिश की थी और डाइयरी को पढ़ रही थी
"एक्सक्यूस मी.." शीना ने सिर्फ़ इतना ही कहा और वॉशरूम में चली गयी.. शीना के जाते ही ज्योति दबे पावं उसके वॉर्डरोब की तरफ गयी और हल्के हाथों से उसे ओपन करने लगी.. वॉर्डरोब ओपन होते ही सामने रखे कपड़े देख ज्योति ने अपना हाथ नीचे किया और इधर उधर घुमाने लगी, ज़्यादा देर नहीं लगी उसे गन ढूँढने में.. गन हाथ में आते ही, ज्योति ने जब उसका वेट चेक किया तो काफ़ी हेवी थी.. यह वोही गन थी जो सन्नी ने उसे महाबालेश्वर में दी थी उसके डिफेन्स के लिए, उसके बाद सन्नी ने जान बुझ के वो गन उससे वापस नहीं ली और आज के दिन के लिए बचा के रखी थी.. एर गन नहीं, यह असली गन थी और उसके अंदर की गोलियाँ भी असली थी.. ज्योति वेट चेक करके भाँपने लगी कि यह गन असली है कि नहीं, लेकिन जब उसे आभास हुआ कि शीना बस बाहर निकलने को है तो ज्योति ने बेड के पास ड्रॉयर पे रखे शीना के बॅग पे नज़र डाली, ज्योति ने जल्दी से वो गन बॅग के सबसे नीचे वाली चैन में डाल दी और जल्दी से बेड पे बैठ गयी..
"गन लोडेड ही है अब तक, तो उससे ज़्यादा छेड़खानी नहीं करना, और जब तुम लोग यहाँ पहुँचो तब शीना को बताना गन के बारे में.. और, सबसे ज़रूरी बात.. मेरे कहने पे ही वो गन चलाएगी, मेरा एक इशारा और उसकी एक गोली.. गोली सिर्फ़ और सिर्फ़ कंधे पे लगनी चाहिए.. समझी" सन्नी ने दूसरा एसएमएस किया ज्योति को
"तुम्हे क्या लगता है, शी ईज़ आ प्रोफेशनल शूटर.. यह सब इन्स्ट्रक्षन्स दे कैसे रहे हो, आख़िर तुम लोग चाहते क्या हो, और अगर मारना ही है हम सब को तो ख़तम कर दो ना.. यह नया नाटक क्यूँ हैं आख़िर.. " ज्योति ने गुस्से में तिलमिलाके जवाब दिया
"तुम जब यहाँ आओगी तब सब बता दूँगा तुम्हे.." सन्नी ने फिर जवाब दिया
"ना ही मैं आउन्गि, और ना ही शीना आएगी..." ज्योति ने फिर गुस्से में जवाब दिया
"अगर तुम लोग नहीं आओगे, तो तुम्हारा पूरा खानदान मारा जाएगा.." सन्नी ने फिर यह जवाब दिया जिसे पढ़ ज्योति के चेहरे पे पसीना बहने लगा
"क्या हुआ... इतना पसीना क्यूँ.." शीना की इस आवाज़ से ज्योति चौंक गयी और हड़बड़ा कर मोबाइल साइड में रख दिया
"क क क क ... कुछ नाहि... कुछ भी तो नही.." ज्योति ने हकला के जवाब दिया और फिर से अपने हाथ में डाइयरी ले ली
"यह पढ़ना अब ज़रूरी नहीं है.." शीना ने निराश होके जवाब दिया
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