RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यह बेटा है मेरा..." ऋतु का यह कहना मेरे लिए ठीक वैसा था, बाबा से बातें हमेशा रोचक रही थी, वो हमेशा एक गाइड की तरह, बट ऋतु ने जब भी बात की, उसकी आवाज़ में एक स्नेह झलकता था, चेहरे पे एक मुस्कान.. खैर, यह सब सोचते सोचते दिन ख़तम हो गया पर चिंता वोही थी, सुबह जब उठुंगा तो कहाँ जाउन्गा कॉलेज का बोल के, प्रिन्सिपल घर पे नोटीस ज़रूर भेजेगा बट वो टेन्षन नहीं थी.. जब तक नोटीस आए, तब तक क्या करूँ.. सारी रात गेम खेल खेल के यह
सोचता रहा, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिला.. ऐसे टाइम पे गर्ल फ्रेंड का होना ज़रूरी है, फोन करके मिल तो लेती, बट अभी वो भी नहीं है, तो कुछ और सोचना पड़ेगा.. सुबह के 4 बजे जो आँख लगी सीधा 7 बजे खुली वो भी कॉल से..
"हेलो...." मैने नींद में नंबर देखे बिना कहा
"उह, सन्नी, आप सो रहे थे क्या.." सामने से एक मीठी आवाज़ ने इतना नज़ाकत से पूछा कि आवाज़ सीधा दिल के गेट पे दस्तक देने लगी
"कौन.." मैने बेड पे खड़े होके पूछा, इतनी उतेज्ना थी मानो वो आवाज़ सिर्फ़ यह कहे, कि मुझसे मिलो, तो मैं अभी दौड़के पहुँच जाउ
"उः, हम ऋतु बोल रहे हैं.. सॉरी, आपको डिस्टर्ब तो नहीं किया.." ऋतु का नाम सुन, अरमानो पे फिर से ठंडी ल़हेर आ गयी और सुस्त गिर के बेड पे वापस बैठ गया
"जी नहीं, कहिए ना, और कल तो बेटा कह रहे थे, आज आप करके बात करोगे तो कैसे चलेगा.." मैने घड़ी में टाइम देखा तो 7 बाज चुके थे
"हाहाहा, नहीं, नतिंग लाइक दट.. बट कल के हादसे के बाद घर पे कुछ हुआ तो नहीं ना, एवेरितिंग ईज़ ओके ?" ऋतु ने चिंता जनक पूछा
"हां , एवेरितिंग ईज़ गुड , प्रिंसी का लेटर आएगा तब देख लूँगा कुछ.. वैसे आपसे कुछ बात करनी थी, क्या मैं आपके घर आ सकता हूँ.." मैने बिना सोचे समझे कह दिया
"इसमे पूछना क्या लड़के, जब चाहे आ जाओ, बेटा कभी माँ से पूछ के घर पे आता है क्या..." ऋतु की आवाज़ में वोही स्नेह झलका जो मैने कल देखा था
"मैं 8 बजे तक आता हूँ.. चलिए, बाइ.."
"आराम से आना, ओके, और गुस्से में ड्राइव नही करना प्लीज़..." ऋतु ने इतना कह के फोन कट किया
"क्या ऐसा हो सकता है, मतलब ठीक है उनके एमोशन्स अलग हैं, भावनाए हैं, लेकिन फिर भी दिल को यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसी अच्छी चीज़ें मेरे साथ हो सकती हैं, कल के सीन के बाद काफ़ी हल्का महसूस हो रहा था, अजय और पंकज के साथ सारी भडास निकाल ली, कॉलेज जाने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था इसलिए अच्छा हुआ निकाला गया, ऋतु का ऐसा प्यार देख दिल को खुशी मिली, यह सब मेरी समझ में नहीं आता था, लेकिन जो चीज़ अच्छी लगे उससे डोर नहीं जाना था, अब यह सब मैने सोचना छोड़ दिया था, जो हो रहा है उसे होने दो.. फ्रेश होके मैं निकल ही रहा था कि मोम डॅड ने भी ऑल दा बेस्ट कहा एग्ज़ॅम्स के लिए
"सॉरी.. मैं कॉलेज से निकल चुका हूँ, कुछ दिन में आपको पता चल जाएगा.." मैने मन में खुद से कहा और उन्हे थॅंक्स कहके निकल गया
"शंभू काका.. एक सेकेंड आइए प्लीज़.." मैने गाड़ी अनलॉक ही की कि एक खुराफाती आइडिया दिमाग़ में आया
"हां सन्नी बाबा, कहो, कैसे हो, आज कल दिखते ही नहीं." शंभू काका ने पास आके कहा
"काका, वो सब बाद में, पहले आपको मेरा एक काम करना पड़ेगा.. सुनिए, कुछ दिन में घर पे जितनी भी पोस्ट्स आती हैं, आपको वो सब कलेक्ट करनी हैं लेटर बॉक्स से, फिर मुझे देंगे, मोम डॅड के पास नहीं पहुँचनी चाहिए.." मैने उन्हे कड़क निर्देश देके कहा
"ठीक है, वैसे भी मेरे पास एक लेटर बॉक्स की चाबी है... आज से लेके कर दूँगा, और कुछ.." शंभू काका ने बिना कुछ कहे बात मानी , वाह , कल से ऑल ईज़ वेल.. मैने खुद से कहा और बाबा के घर की तरफ चल दिया
"अरे इतना सब नहीं खाना मुझे.. मैं यहाँ खाने थोड़ी आया हूँ.." मैं बाबा के घर पहुँचा ही था कि ऋतु सबसे पहले नाश्ता खिलाने लगी
"पहले खा लो, फिर बात करना जो करनी थी.." ऋतु कहके मेरे सामने बैठ गयी और चमकती आँखों से मुझे देखने लगी
"पहले बात.. फिर नाश्ता.. मैने प्लेट साइड करके कहा.. अब बताइए, आप दोनो, व्हाई आर यू बीयिंग सो नाइस टू मी.." मैने सीधा पॉइंट पे आके कहा
"मतलब," ऋतु ने ट्विंकल आइज़ के साथ कहा
"मतलब, यह है कि.." मैने ऋतु को सब बताया जो बाबा ने मुझे मरीन लाइन्स पे बताया था..
"ह्म्म्म , अब जब तुम सब जानते ही हो, फिर भी कोई सवाल रह गया है दिल में ?" ऋतु ने हँस के जवाब दिया
"नहीं, ऐसा नहीं है.. पर हां, जैसे कल पोलीस स्टेशन में आप ने कहा, कि आप मेरी माँ हो, लेकिन मैने अब तक आप को माँ कहा तो नही, तो आपको बुरा नही लग रहा, " मैं एमोशनली इतना स्ट्रॉंग नहीं था, इसलिए शायद ऋतु से डाइरेक्ट कह दिया
"मॅटर ऑफ हार्ट्स यू सी... वेरी कॉंप्लिकेटेड..." ऋतु कुछ जवाब देती उससे पहले पीछे से बाबा ने जवाब दिया
"वैसे कभी सेम लाइन सुन के बुरा नहीं लगा, मेरा हाथ थोड़ा कमज़ोर है क्या अँग्रेज़ी में.." बाबा मेरे पास बैठ गया
"आप भी ना, सन्नी, कोई बात नहीं.. तुम लोग बातें करो.." ऋतु कहके निकल गयी
"तो अब, क्या करेगा.. कॉलेज जाना है तो भेज सकता हूँ, " बाबा ने मेरे हाथ में कुछ पेपर्स देके कहा.. मैने उसके हाथ से पेपर्स लिए तो देखता ही रह गया
"यह तो मेरी मार्क शीट है..." मैने एक नज़र डाली और फिर ध्यान से देखा
"जो एग्ज़ॅम मैने दी नहीं, उसकी मार्क शीट है यह.." मैने फिर देखा
"और मेरे इतने मार्क्स नहीं आते, मैं तो 50 % से आज तक उपर नहीं गया स्कूल में भी.." मैने फिर पेपर रख कहा
"वो सब छोड़, अगर कॉलेज नहीं जाएगा तो घर पे कुछ दिखाना तो पड़ेगा.. और घर पे कैसे बताएगा.." बाबा ने फिर पेपर उठा के कहा
"वो सब सोच लिया है, घर पे प्रिंसी का नोटीस पहुँचेगा ही नहीं, फिलहाल छुपा लूँगा.. बाद में देखेंगे आगे..." मैने नाश्ता खाते हुए कहा
"ठीक है, तो मतलब कॉलेज नहीं जाना चाहता..." बाबा ने फिर पूछा
"नहीं, अभी मैं कुछ सीखना चाहता हूँ, सच कहूँ, आपके साथ काफ़ी कुछ सीखा है मैने, मतलब अभी सोचता नहीं हूँ ज़्यादा, जैसे कल, कल का मुझे कोई दुख नहीं है, अभी ऐसे ही रहना चाहता हूँ..." मैने फिर बाबा से कहा और एक नज़र उसको देखा और फिर खाने पे लग गया
"एक काम करता हूँ, मोम डॅड को बोलता हूँ शाम को, के फ्रेंड्स के घर रहूँगा एग्ज़ॅम्स तक.. आपके साथ रहूं कुछ दिन तो ओके ना, " मैने बाबा से पूछा जो मुझे घूरे जा रहा था
"कोई प्राब्लम नहीं है, अगर इन्हे होगी तो यह घर के बाहर निकलेंगे.." ऋतु ने जवाब दिया और फिर बाबा को नाश्ता परोसा
"ठीक है, जब तुम दोनो को कोई दिक्कत नहीं तो मैं कौन हूँ.." बाबा ने मज़किया अंदाज़ में कहा और फिर बातें करने लगा
|