RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"सन्नी..." शीना के मूह से उसकी आवाज़ सुन, उसकी आवाज़ से अपना नाम सुन, सन्नी के दिल को जो सुकून मिला था, वो काफ़ी था उसके बहते आँसुओं को रोकने के लिए
"सन्नी... क्या तुम मेरी बात का सच सच जवाब दोगे.." शीना ने मुश्किल से अपनी आवाज़ पे कंट्रोल रख पूछा
"शीना, आज तक मैने जो भी झूठ कहे तुमसे, वो कभी अपनी मर्ज़ी से नहीं थे.. सच जवाब ही दूँगा, अब तुमसे झूठ बोलने
का मेरे पास कोई कारण नहीं है..." सन्नी की आवाज़ में एक अजीब सी कसम्कस थी
"सन्नी, मैने तुमसे झूठ कहा था... मैं प्रेग्नेंट नहीं हूँ.." शीना ने भारी मन से कहा, जिसे सुन ज्योति का सर तो
चकरा ही गया, लेकिन सन्नी के दिल के टुकड़े हुए, या यूँ कहें उसके साथ अब उसका दिल भी बिखर चुका था
"मैने तुमसे इतने झूठ कहे, तो तुम्हारा एक झूठ भी सह लूँगा.. लेकिन...." सन्नी अपने आँसुओं को रोकने लगा और फिर कहने लगा
"लेकिन.. यह झूठ क्यूँ शीना.." सन्नी का दर्द शीना भी महसूस कर रही थी लेकिन वो भी मजबूर थी
"मैं बस यह देखना चाहती थी, कि तुम कहीं मजबूरी में तो मुझसे प्यार नहीं कर रहे, मैं बस यह देखना चाहती थी कि
अगर कभी ऐसी कठिन परिस्थिति आई तो तुम मेरे साथ खड़े रहोगे कि नहीं.." शीना ने एक साँस में तो यह सब कहा
लेकिन ज्योति का हाथ पकड़ वो भी बिलख रही थी
"मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा शीना.. तुमसे दूर जाउ भी तो कहाँ, दिल में हमेशा तुम्हारी ही तलाश थी, हर रोज़,
हर वक़्त, हर एक पल में बस यही सोचता हूँ, काश हमारी मुलाक़ात ऐसे ना हुई होती.. तुमसे दूर होके भी मैं हमेशा
तुम्हारे पास रहूँगा शीना, मैं हमेशा ही जीने का मकसद ढूंढता था, आज वो मकसद, वो वजह तुम में दिखी है
मुझे.." सन्नी ने खुद को और अपने मन को सैयम में रखा और उसे जवाब दिया
सन्नी का जवाब सुन शीना ने बिना कुछ कहे फोन कट किया और ज्योति के कंधे पे सर रख रोने लगी..
"आइ टोल्ड यू शीना.. ख़ामाखा झूठ कहा कि तू प्रेग्नेंट नहीं है, मैने कहा था तुझसे उसका जवाब नहीं बदलेगा.. मे बी तू
उसकी आँखों में नहीं देख पाई अब तक, पर मैने हमेशा देखा, उसकी आँखें हमेशा तुझे ढूँढती, उसका दिल तेरे पास
ही रहने का होता.. आज भी वो कहाँ है तूने उससे पूछा ही नहीं, लेकिन वो हर एक घंटे में तेरे लिए फोन और एसएमएस किए जा रहा है.. देखने का नज़रिया बदल शीना, वो तेरी दुनिया में आया, और तुझे खुश रखा, हमेशा उसने वोही किया जो
तूने उससे कहा, यहाँ तक कि ताऊ जी तो उसे प्रॉपर्टी दे चुके थे, लेकिन उसके दिल में तेरे लिए हमेशा प्यार ही है, इसलिए
बिना कुछ सोचे समझे उसने वोही प्रॉपर्टी तुझे लौटा दी.." ज्योति बोलती रही और शीना उसे ध्यान से सुनती रही
"आज की शाम, जब उसने तुझे गले लगाया रिज़ॉर्ट के बाहर , तू भूल गयी उसने तुझे क्या कहा था..." ज्योति ने शीना के
चेहरे को अपने हाथ में थामा और बड़े प्यार से उसे याद दिलाने लगी सन्नी के वो शब्द
"मैं चाहता हूँ यू शुड फील सेफ वित मी.. आंड आफ्टर मी...." ज्योति के याद दिलाने पे शीना के कानो में यह शब्द गूंजने
लगे
"आज जब उसे तेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, तब तू उसे अकेला छोड़ने का नहीं सोच सकती शीना.. मे बी मैने कभी प्यार
नहीं किया किसी से भी, लेकिन इतनी दुनिया ज़रूर देखी है कि असली प्यार को पहचान सकूँ.. तूने सोचा कि अगर उसका काम प्रॉपर्टी हासिल करना था तो वो भी तुझे वापस दे दी, तो जिसके लिए वो काम कर रहा है, जब उसे पता चलेगा यह, तो क्या होगा सन्नी का.." ज्योति की इस बात से शीना के दिल में दफ़न हुई एक बात उसके होंठों पे आ गयी
"विकी भैया की मौत का ज़िम्मेदार भी यही है ज्योति.." शीना ने ज्योति की आँखों में देख कहा जिसे सुन ज्योति के कानो से जैसे खून निकलने वाला हो, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने क्या सुना
"शायद.. मैं खुद श्योर नहीं हूँ पर ज्योति.." ज्योति को हैरान देख शीना फिर बोली
"मतलब.. तू कहना क्या चाहती है आख़िर..." ज्योति के दिल की धड़कनें भी तेज़ हो चुकी थी, लेकिन शीना को यूँ देख वो
भी समझ नहीं पा रही थी कि शीना को खुद अपनी बात पे यकीन है कि नहीं..
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"सर.."
"हां सन्नी... ठीक है तू लड़के, आज कितने दिन बाद फोन किया.." बाबा ने एक ठंडी साँस लेके कहा
"वक़्त आ गया है.. आप तैयार हैं ना.." सन्नी ने एक दम धीमी सी आवाज़ में कहा
"हां लड़के, तू फ़िक्र ना कर, मैं तेरे साथ हूँ.." बाबा ने आश्वासन देते हुए कहा सन्नी को
"उस रात मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आई... पता नहीं बाबा ने क्रिकेट के बारे में क्यूँ पूछा.. क्या करवाएँगे वो, वैसे
तो उसकी बात से सॉफ था कि वो क्रिकेट बेट्टिंग करवाएगा, लेकिन डर मुझे इस बात का है कि इसमे भी अगर वो हार गया तो मैं उससे सामना कैसे करूँगा." ज्योति और शीना ने डाइयरी फिर पढ़ना शुरू की
वैसे तो रात को नींद कम ही आती थी मुझे, सोने के नाम पे बस 2 घंटे भी सो लूँ तो पूरे दिन में एनर्जी कम नहीं
रहती, लेकिन जब भी नींद आती तो वो सुबह 5 के बाद कभी भी आती थी, फिर वो चाहे 6 हो या 7.. अभी इस वक़्त तो 6
बजे हैं, अगर अभी नींद आई तो 9 बजे बाबा से नहीं मिल पाउन्गा, और नहीं मिल पाया तो..
नहीं मिल पाया तो क्या, क्या होगा.. बाबा थोड़ी मुझे मार डालेगा, या एक लाइन में कहूँ तो वो टोटली इग्न्नोर कर देगा इस
बात को, क्यूँ कि वो एमोशनल बंदा है सेम मेरे जैसा, लेकिन मैं इतना उत्सुक क्यूँ हूँ उससे मिलने को, यह बार बार सोचता
रहा मैं, लेकिन इसका जवाब नहीं ढूँढ पाया..
"अरे सन्नी.. गॉट अप सो अर्ली सन.." पापा की आवाज़ से मैने डाइयरी से चेहरा उपर किया तो वो मेरे सामने खड़े थे वो भी एक दम तैयार होके
"कहीं जा रहे हैं डॅड, सो अर्ली.." मैने घड़ी देखी तो अभी 7 बजने वाले थे
"यस.. मीटिंग है, क्लाइंट को नाराज़ नहीं कर सकता, सी यू.." कहके डॅड जल्दी से निकले
अभी कुछ दिन पहले ही मैने कहा था सुबह को वॉक करने चलें, तो यह कहके मना किया था कि रात को काफ़ी लेट हो जाता है ऑफीस से, इसलिए सुबह उठ नहीं सकता, और आज इतनी जल्दी ऑफीस...
"वाह डॅड.. " मैने फिर खुद से कहा और डाइयरी बंद कर अपने लिए कॉफी बना के पीने लगा..
"वैसे तू सोया क्यूँ नहीं रात को.." बाबा और मैं जब उसकी लॅंड क्रूज़र से उतरे तो सीधा मुझसे सवाल पूछा
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