Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:56 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." सन्नी बैठ के आने वाले वक़्त के बारे में सोच ही रहा था कि उसके फोन की रिंग

से उसका ध्यान टूटा और वो अपने ख़यालों से बाहर आया.. भुजे हुए मन से टेबल पे रखा फोन उसने उठाया तो स्क्रीन पे

नाम देख उसका दिल बेचेन हो उठा.. अजीब सी कशमकश में था, वैसे ज्योति के कॉल का जवाब देने में सन्नी कभी इतना

नहीं सोचता था, लेकिन आज अंदर ही अंदर वो खुद से ही जूझ रहा था.. अगर कॉल उठाएगा तो क्या जवाब देगा ज्योति के

सवालों का, और अगर नहीं उठाता तो भी उससे रहा नहीं जाता.. इसी कशमकश में दो कॉल्स तो मिस हुए, लेकिन ज्योति भी कॉल पे कॉल किए जेया रही थी, तब तक, जब तक सन्नी कॉल उठा नहीं लेता..




"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." ... तीसरी बार जैसे ही रिंग बजी, सन्नी ने तुरंत ग्रीन आइकान पे अपनी उंगली

स्लाइड की और फोन को काफ़ी धीरे धीरे अपने कान के नज़दीक लाया , शायद डरा हुआ था ज्योति के आनेवाले सवालों से..

इसलिए तो फोन अपने कान के पास लाके भी उसने अपने मूह से कुछ नहीं कहा, बस सामने ज्योति के शब्दों का इंतेज़ार करने लगा.. फोन सन्नी के कान के पास ही था लेकिन सामने से भी ज्योति कुछ नहीं कह रही थी.. सन्नी धीरे धीरे फोन पे साँसें ले रहा था जिससे उसके डर का प्रतीत हो रहा था, सामने ज्योति भी बस उसकी साँसों को ही सुने जा रही थी लेकिन उसके होंठ बंद थे, उसकी साँस लेने की आवाज़ भी सन्नी के कानो तक नहीं पहुँच रही थी.. दोनो तरफ एक अजीब सी खामोशी थी.. आवाज़ थी तो सिर्फ़ सन्नी की साँसों की, जो धीरे धीरे टूट रही थी




"फूऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ..." ज्योति के फोन से पहली बार कोई आवाज़ सन्नी के कानो में पड़ी जो कि एक लंबी सी साँस

छोड़ी गयी थी, और उसके तुरंत ही बाद एक हल्की सी सिसक, जैसे कोई रोना चाहता था लेकिन अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश कर रहा था




"शीना...." सन्नी ने अपनी रुआंसी सी आवाज़ में बस इतना ही कहा कि ज्योति का फोन कट हो गया.. फोन कट होते ही सन्नी के दिल में एक आग सी लग गयी.. करीब एक साल होने आया था जब वो शीना से मिला था, आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि शीना ने फोन बिना कुछ कहे कट किया हो, लेकिन आज ऐसा होने पर सन्नी के दिल को काफ़ी तकलीफ़ हुई और वो अंदर ही अंदर बिखरने सा लगा था




"अब क्या फ़ायदा, तूने भी तो उसे रुलाया है ना, तूने भी तो उसे धोखा दिया है, फिर उसकी इस बात से कैसा दर्द.." सन्नी के मन से उसे आवाज़ आई




"लेकिन मैने उसकी भावनाओ के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया, मैने जो भी वहाँ रहके किया वो सब धोखा था, लेकिन शीना के लिए मेरी फीलिंग्स, मेरा प्यार कभी झूठा नहीं था.." सन्नी ने खुद से कहा




"ग़लत... वो प्यार तुझसे नहीं करती, वो फीलिंग्स तेरे लिए कभी नहीं थी.. वो प्यार, वो भावनाए, वो चिंता, वो सब

उसके भाई रिकी के लिए था, तू रिकी नहीं, तू सन्नी है.. भूल मत, यह रिकी का चेहरा, यह रिकी का नाम बस अब कुछ देर की ही बात है, उसके बाद तू वोही सन्नी बन जाएगा.. वोही अकेला और तन्हा सन्नी.. फिर वोही माँ बाप, फिर वोही दोस्त, जो तेरे नहीं हैं, सिर्फ़ तेरे बाप के पैसे की वजह से हैं, फिर वोही रोज़ का रोना, अकेले में बातें करना.. तू और तेरी डाइयरी फिर अकेले ही रह जाओगे..." उसके मन ने उसे फिर एक कठोर जवाब दिया




"अकेलेपन और तन्हाई से डर नहीं लगता अब.. लेकिन क्या वो प्यार, वो भावनाए, और जो भी वक़्त शीना और मैने साथ

गुज़ारा, क्या वो सब सिर्फ़ एक नाम के साथ था, एक चेहरे के साथ था, मैने तो सुना था दिल से दिल जुड़ने चाहिए, उसके अलावा कुछ मायने नहीं रखता, तो फिर आज ऐसा क्यूँ, क्यूँ मेरा चेहरा ही मायने रख रहा है, कहाँ गये वो वादे, कहाँ गयी
वो बातें जो घंटो बैठ के किया करते थे.." सन्नी झुंझलाता हुआ खुद से ही चिल्ला चिल्ला के बोलने लगा




"शीना प्लीज़ स्टॉप क्राइयिंग..." उधर ज्योति शीना को सहारा दे रही थी जो समझ नहीं पा रही थी कि उसके साथ ही ऐसा

क्यूँ हुआ




"ज्योति..." शीना ने आँसुओं से लड़के सिसक के उसे देख कहा




"व्हाई डिड ही...." शीना इतना ही बोल पाई कि फिर उसके आँसू उसके चेहरे से बहने लगे




ज्योति को समझ नहीं आ रहा था वो शीना से क्या कहे, हर स्थिति में दिमाग़ से काम लेने वाली ज्योति आज दिल के सहारे मजबूर थी, बात ही ऐसी थी, वो जानती थी कि शीना और रिकी (सन्नी) एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं, और उसकी निशानी उसे अभी ही दिखी, जब उसके फोन से शीना ने स्पीकर मोड रख सन्नी को कॉल किया तो एक सिसक से ही सन्नी ने शीना को पहचान लिया




"शीना.. लुक अट मी प्लीज़.." ज्योति ने शीना को कंधे से पकड़ अपनी तरफ मोड़ा और उसकी आँखों में देखने लगी जो रो रो के लाल सुर्ख हो चुकी थी, लेकिन वो खामोश होने का नाम ही नहीं ले रही थी..




"शीना.. प्लीज़ कीप क्वाइयेट, मैं जो कहने जा रही हूँ उसके लिए तेरे दिमाग़ और तेरे दिल का साथ होना बहुत ज़रूरी है.. प्लीज़ खुद पे काबू रख," ज्योति ने उसको हिम्मत देना चाही और उसको पानी पिलाने लगी.. अभी ज्योति कुछ कह ही रही थी कि उसके मोबाइल पे एक एसएमएस आया




"प्लीज़ टेक केयर ऑफ हर, अगर कुछ भी हो, ज़रा सा भी स्ट्रेस लगे तो डॉक्टर ईज़ अवेलबल, ही विल बी देयर इन आ मिनिट.. बस, इसका ध्यान रखना प्लीज़.. आइ बेग यू.." सन्नी का यह एसएमएस पढ़ ज्योति के दिमाग़ पर आज दिल हावी होने लगा, लेकिन मोबाइल रख उसने फिर अपना ध्यान शीना की तरफ किया जिसके आँसू थम चुके थे, लेकिन वो रोने की सिसकारियाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही थी..




"शीना.. मैं किसी की साइड नहीं ले रही, और ना ही मैं इतनी मज़बूत हूँ कि यह सब इतनी आसानी से पढ़ रही हूँ, लेकिन यह सब सोचते वक़्त, यह सब पढ़ते वक़्त, अभी कुछ देर पहले जो तेरी बात हुई, इन सब से क्या तू खुद नहीं देख सकती उसका प्यार,

भूल गयी तू वो हर बार तुझे कहता था, कि तू किसी भी हालत में उसे अकेला नहीं छोड़ेगी, मैं शायद कठोर साउंड
करूँ, लेकिन शीना क्या तूने उससे प्यार सिर्फ़ इसलिए किया था कि उसकी शकल उसका नाम, भाई जैसा था.. मानती हूँ कि हम ने उसकी असली शकल अब तक देखी भी नहीं, लेकिन तू अपने दिल से पूछ, क्या तेरा प्यार इतना कमज़ोर है कि नाम या शकल बदलने से वो टूट जाएगा, मैं फिर कह रही हूँ.. मैं उसकी साइड नहीं ले रही, जितने सवाल तेरे मन में हैं, उससे कहीं ज़्यादा सवाल मेरे मन में भी हैं, लेकिन मेरे आँसू नहीं निकल रहे, और तेरा दिल टूटा है, हम दोनो में बस यही फरक है..

यह जानते हुए भी कि तू अभी शायद कभी उसकी ना हो पाएगी, उसके बाद भी वो तेरा ख़याल रखना चाहता है.. मुझे उसके
प्यार पे कोई शक़ नहीं है शीना.. तू अपनी शकल बदल दे, अपना नाम बदल दे, वो तब भी तुझे अकेला नहीं छोड़ेगा,

मुझे उसपे इतना यकीन है.." ज्योति ने अपने दिल की बात कही और फिर शायद उससे जवाब की उम्मीद पाने में उसकी आँखों में ही देखती रही




"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." सन्नी का फोन फिर बजा और इस बार कॉलर का नाम देखते ही उसने ज़रा भी देर नहीं की कॉल उठाने में, ऐसा ही तो होता था, शीना के कॉल को वो एक रिंग में रिसीव करता था और आज भी... सन्नी ने वैसा ही किया




"शीना... मैं जानता हूँ तुम्हारे मन में कई सारे सवाल हैं, शायद तुम मुझसे नफ़रत भी करोगी यह सब पढ़ के, लेकिन
प्लीज़ तुम अपना ख़याल रखो, मेरे लिए तुमसे ज़्यादा कुछ और ज़रूरी नहीं है.. यह ऐसा वक़्त है जब मुझे तुम्हारे साथ होना चाहिए, तुम्हारे पास होना चाहिए.. लेकिन मेरी किस्मत को यह मंज़ूर नहीं है.." सन्नी ने फोन उठा के जवाब दिया और शीना के लफ़्ज़ों का इंतेज़ार करने लगा, लेकिन शीना और ज्योति स्पीकर पे उसकी आवाज़ सुन खामोश हो गये थे..
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:56 PM

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