Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मेरे साथ चाइ पियोगे... सन्नी" उसने अपनी कड़क आवाज़ में पूछा




"देखिए सर, मैं माफी चाहता हूँ, वो मैं कुछ सोच रहा था और पता नही कैसे.." मैं उसे समझाने की कोशिश कर रहा था और वो मुझे सुने जा रहा था




"सन्नी, मैने यह सब पूछा भी नहीं और तुम जवाब दे रहे हो.. जिस चीज़ का सवाल है, उसका जवाब दो.. चाइ पियोगे के नहीं.." बाबा ख़ान की भूरी आँखें देख एक बार डर लगने लगा




"ठीक है सर.." मैने सिर्फ़ इतना कहा और अपनी गाड़ी में बैठने लगा




"उधर नहीं, इधर.. मेरी गाड़ी में.." बाबा ख़ान ने कहा और फोन करने लगा किसी को




"हां उस्मान, जल्दी गाड़ी के पास आ.." बाबा ख़ान ने फोन रखा और मुझे सहमा हुआ देख कहा




"डरने की ज़रूरत नहीं है.."




"जी भाई.." एक दूसरे आदमी ने बाबा ख़ान से कहा




"उस्मान, यह मेरा दोस्त है सन्नी, इसकी गाड़ी ले और मेरे पीछे आ.." बाबा ने मेरे हाथ से चाबी छीन उसे दी और खुद अपनी गाड़ी में जाके बैठ गया.. ऐसी सिचुयेशन देख मेरी हालत खराब हो गयी थी, पता नहीं साला ध्यान कहाँ था कि इसकी गाड़ी को ठोका, आगे से बेन्चोद गाड़ी चलाना बंद, लेकिन अब क्या करूँ.. डॅड को फोन करूँ, नहीं , फिर उन्हे हज़ारो एक्सप्लनेशन देने पड़ेंगे.. अगर यह मुझे गाड़ी में कहीं बिठा के ले गया और पीछे से इसके उस्मान ने मेरी गाड़ी कहीं और भगा दी तो, डॅड को क्या कहूँगा.. अरे वो सब छोड़, इसने मुझे कुछ किया तो.. मेरे मन में ना जाने कितने ख़याल एक साथ आ रहे थे




"सन्नी.." बाबा ने चिल्ला के बुलाया और मजबूरन मुझे उसके साथ बैठना पड़ा, उसकी गाड़ी में


मुंबई फ़ोर्ट जिसे अब लोग दलाल स्ट्रीट के नाम से भी पुकारने लगे हैं, साउत मुंबई का काफ़ी पुराना एरिया है, पोर्चुगीज़ लोगों ने अपना ज़माने में अपने हिसाब से दुनिया की सबसे उम्दा कारीगरी करवाई थी.. तभी तो उनके जाने के बाद भी किसी ने वहाँ की शकल को बदलने की तकलीफ़ नहीं उठाई थी.. लंबी लंबी दीवारें जिन्हे देख पुराना ज़माना याद आ जाए, उस एरिया में काफ़ी सारे ईरानी रेस्टोरेंट्स थे.. यहाँ के ईरानी रेस्टोरेंट की चाइ और बन मस्का और खीमा पाव, पूरे इंडिया में फेमस है.. कोई भी एक बार अगर आता है मुंबई तो उसे यहाँ इन सब को चखने के लिए आना ही पड़ता है..




"दो चाइ, और दो मुस्का बन.." बाबा ने एक आदमी को ऑर्डर दिया और अपने तीन मोबाइल टेबल पे निकाल के रखे.. पठानी के उपर का बटन लूस किया जिससे उसके गले में चमकती सोने की भारी चैन भी मुझे दिखी, हाथ आगे बढ़ाया और टेबल पे रखा जिससे उसकी कलाईयों पे बँधा ब्रेस्लेट और उंगलियों में तीन गोल्ड की अंगूठियाँ भी मुझे दिखी




"इतना गोल्ड.. गर्मी नहीं होती बेन्चोद पहेन के, खोता शो ऑफ बीसी.." मैने फिर खुद से कहा और अपने हाथ और गले पे हाथ फेरा जो खाली थे, और मुझे ऐसे ही पसंद थे, नो गोल्ड, नो डाइमंड..




"सिगरेट लोगे.." बाबा ने अपनी आँखों से डार्क रेड चश्मा उतार के पूछा




"भाई, चाबी.." उस्मान ने उसके पास आके कहा और बाबा ने चाबी मुझे पकडाई..




"थॅंक्स.." मैने चाबी लेके एक लंबी साँस ली.. चलो अच्छा है, कुछ भी नहीं हुआ, मैने फिर खुद से अंदर ही अंदर कहा




"सिगरेट लोगे कि नहीं.." बाबा ने फिर चुटकी बजा के पूछा




"जी.. जी नहीं, प्लीज़, थॅंक यू.." मैने अपने ख़यालों से बाहर आके जवाब दिया और बाबा ने भी उस्मान को वहाँ से जाने का इशारा कर दिया




"तुम जानते हो मैं तुम्हे यहाँ क्यूँ लाया सन्नी.." बाबा ने मुझे देख कहा, मैं अभी भी अपने ख़यालों में खोया हुआ था




"सन्नी..." बाबा फिर चुटकी बजा के मुझे होश में लाया




"सॉरी सर.. वो मैं.."




"जानता हूँ, समझता हूँ तुझे... तभी तो तुझे यहाँ लाया.. डरने की ज़रूरत नहीं है, तेरी गाड़ी सेफ है, तू सेफ है.. क्या तुझे अब भी डर लग रहा है.." बाबा ने कुर्सी पे टेका देके कहा और मैं सोचने लगा कि बात तो इसकी सही है.. वैसे नुकसान तो मैने इसका किया था लेकिन फिर भी अब तक इसने मुझे कुछ कहा नहीं है..




"नहीं सर.. ऐसा नहीं है.." मेरी घबराहट थोड़ी सी कम हुई थी




"ख़ान साब बोल.. सर बहुत इज़्ज़त वाला शब्द है, और बाबा तू बुला नहीं सकता.." बाबा ने अपनी भूरी लाल आँखों से मुझे देख कहा




"ओके.. ख़ान साब.."




"तू जानता है, जब पहली बार मुझसे भी कोई ऐसे ही मिला था, मैने उसे अपना आखरी नाम नहीं बताया था.. आज तूने पुराने दिन याद दिलवा दिए.." बाबा ने सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना के कहा और हमारा ऑर्डर भी आ गया




"सन्नी.. अब बता , क्या मसला है तुझे.." बाबा ने अपनी सिगरेट फेंकी और मेरी आँखों में देखने लगा




"मतलब, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है सर.. आइ मीन, ख़ान साब.. मैं बिल्कुल ठीक हूँ.." मैने हकला के जवाब दिया




"तेरी उमर कितनी है, और क्या करता है तू..सच सच बताना" बाबा ने चाइ की चुस्की लेते हुए कहा




"मैं 21 साल का हूँ और मीठी बाई जूनियर कॉलेज में हूँ.. हां एक साल फैल हुआ था, तभी अब तक जूनियर्स में हूँ, नेक्स्ट एअर जूनियर्स क्लियर होगा.." मैने उसे सच बताना बेहतर समझा, वैसे फैल होने पे गर्व नहीं था मुझे, लेकिन कहता के 21 साल का हूँ और जूनियर्स में हूँ, तो वो फिर कॅल्क्युलेट करके कहता कि अब तक जूनियर्स में क्यूँ, इसलिए सामने से उसे सब बता दिया
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:55 PM

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