Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:51 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यार माफ़ कर दे.. वो भी हो गया , " रिकी अंदर ही अंदर खुद से कहने लगा और सामने वाली की बातें सुनाई ही नहीं दे रही थी उसे




"हेलो....हेल्ल्लू... अबे, अबे मर गये क्या..... हेल्ल्लूऊ..." सामने वाले की चीखने की आवाज़ सुन रिकी होश में आया




"हां, बोल बोल, वो कुछ सोच रहा था.." रिकी ने होश में आके कहा




"कुछ सोचना भी नहीं ज्योति के लिए समझा, अब सुन, शीना से कुछ नहीं कहना फाइनल.. उसको क्या कहके घुमाना है वो तू सोच ले,आइ एम शुवर तेरे दिमाग़ में कुछ ना कुछ आ चुका होगा.."






"भाई..... ठक्क ठक्क... यू आर फाइन ना..." बाहर से शीना दरवाज़े को पीटने लगी




"अबे, बाइ बाइ.. " रिकी ने आगे बिना कुछ सुने फोन रखा और दरवाज़ा खोल दिया




"थॅंक गॉड यूआर फाइन.." शीना ने सामने रिकी को देख कहा जो उसे देख मुस्कुरा रहा था




"मुझे क्या होगा.." रिकी ने शीना के लिए रास्ता बनाया और शीना भी अंदर आके बैठ गयी




"अब बताओ, क्या हुआ.. बताते बताते आधे में चले आए यहाँ, यूआर स्केरिंग मी आ लॉट.. प्लीज़ बताइए क्या हुआ.." शीना ने रिकी को अपने पास बुला के पूछा




"शीना, पहले पूरी बात सुनना.. कुछ भी रिएक्ट नहीं करना बीच में..ओके" रिकी ने शीना की आँखों में देख कहा




"ओके.. स्टार्ट करो अब, यूआर किल्लिंग मी वित युवर साइलेन्स.." शीना ने दाँत पीसते हुए कहा




"शीना, कल सुबह को मैं जब महाबालेश्वर के लिए निकल रहा था, तब ज्योति ने पापा और चाचू के सामने सब को सजेस्ट किया कि भाभी को भी एक बार रिज़ॉर्ट दिखा लेना चाहिए, अगर उन्हे कुछ कहना है किसी भी चीज़ को लेके तो उनकी राय भी ले लेनी चाहिए.. मैने कुछ नहीं कहा ऐसा, बट पापा ने ज्योति की बात को सही कहा और भाभी को मेरे साथ भेज दिया, भाभी ने सब देखा और विलसन से बात भी करी आगे के बारे में.. तो कल दोपहर जब हम ने बात की कि भाभी कहाँ है, तो वो उस वक़्त महाबालेश्वर में ही थी मेरे साथ, हम लोग उस वक़्त खाना खा रहे थे.. और अभी भाभी मेरे साथ लौटी, आइ आम रियली सॉरी कि मैने तुम्हे यह फोन पे नहीं बताया, पर अगर फोन पे बताता तो शायद तुम गुस्सा होती मुझसे, नाराज़ होती और बात नहीं करती, बट शीना प्लीज़ ट्रस्ट मी, मेरा कोई इंटेन्षन नहीं था तुमसे झूठ कहने का, सही वक़्त नहीं लगा इसलिए उस वक़्त नहीं बताया.. बट सबसे पहले आके तुमसे यह बात करना सही समझी, मैं घबरा गया था कि कहीं तुम नाराज़ ना हो मुझसे इसलिए यह सब हुआ.. शीना आइ आम रियली रियली सॉरी कि मैने झूठ कहा , प्लीज़ माफ़ कर दो.. प्लीज़ माफ़ करो यार, कुछ तो बोलो.. बोलोगि नहीं तो कैसे पता चलेगा कुछ.." रिकी की आँखों में नमी आने को ही थी




"बीच में बोलने को मना किया है, फिर कैसे बोलूँगी.. और मुझे पता है, कि भाभी वहाँ थी, सो रिलॅक्स करो.." शीना ने इतरा के मूह घुमा के जवाब दिया जिसे सुन रिकी का दिमाग़ गुल हो गया, हां उसने आधा सच बताया था लेकिन फिर भी स्नेहा उसके साथ थी यह जानने के बाद भी शीना इतनी शांत, उससे एक झटका लगा




"रिलॅक्स किया कि नहीं, अब बताऊ मुझे कैसे पता चला ?" शीना ने फिर कॅषुयल वे में कहा और रिकी की आँखों में देखने लगी जो हल्की सी नम होने को थी




"ओह्ह्ह यार... भाई आप ना, यूआर वेरी इनोसेंट.." शीना ने रिकी के सर को पकड़ा और उसे गोद में सुला दिया.. शीना की गोद में आते ही रिकी ने भी अपनी आँखें बंद की और उससे लिपट गया




"सॉरी भाई, शायद आपकी बात की शुरुआत में ही बता देना था आपको, बट आप सॉरी बोलते वक़्त इतने क्यूट लग रहे थे ना.. तो मैने सोचा थोड़ा और देखूं आपको सॉरी कहते हुए भी हहिहिहिहह्ी.." शीना ने हँस के कहा और रिकी के चेहरे को उपर किया तो उसकी आँखों की नमी भी अब जाती रही




"रोते वक़्त भी बड़े डॅशिंग लगते हो आप बाइ गॉड..." शीना ने रिकी के चेहरे को अपने हाथों में थामा और उसके मस्तक को चूम लिया




"आइ हेट यू नाउ.." रिकी ने मज़ाक में कहा और शीना से चिपक गया




"हाहहाहा.. अच्छा सुनो, आप जैसे ही बात बताते बताते आधे में आए तब ज्योति ने फोन किया उसकी रिज़ल्ट बताने के लिए, बट आपको देख मैं भी परेशान थी तो वो समझ गयी कि सम्तिंग ईज़ ट्रबलिंग मी, तो उसने ज़ोर दिया और मैने बता दिया.. तो आपका नाम सुनते ही उसने कहा, कि भैया और भाभी कब आए ? और भैया का रिज़ल्ट क्या आया.. रिज़ल्ट तो मैने नाही बताई, पर भाभी के बारे में सुनते ही मैने उससे पूछा तो उसने सब बताया जो अभी आपने मुझे बताया.. मैं उसपे गुस्सा हुई कि उसने भाभी को आपके साथ क्यूँ भेजा, फिर वो भी समझाने लगी कि भाभी को बुरा नही लगे आंड ऑल दट नॉनसेन्स, अब जब उसपे गुस्सा हुई तो आप पे क्यूँ करूँगी.." शीना ने यह सब रिकी से एक साँस में कह दिया और फिर थोड़ा रुक गयी




"आप तो मेरी जान हो जी..." शीना ना आँख मार के कहा और रिकी से गले लग गयी.. रिकी के दिल को इतना सुकून मिला वो सोच भी नहीं सकता था कि शीना उससे नाराज़ नही हुई.. रिकी ने आधा सच बताना ही बेहतर समझा, इसलिए आगे बिना कुछ कहे शीना का हाथ पकड़े वहीं बैठा रहा




"अच्छा अब बताओ, रिज़ल्ट ऐसी क्यूँ आई आपकी.." शीना ने फिर से रिकी को झींझोड़ना शुरू किया, अब क्या जवाब देता रिकी यही सोचने लगा और शीना से नज़रें चुराने लगा...




"बताओ, नज़रें नहीं चुराओ.. मैने अब तक किसी से नहीं कही आपकी रिज़ल्ट, बट ऐसा क्यूँ आया रिज़ल्ट पहले बताओ, फिर डिसाइड करूँगी, कि मोम डॅड को बतानी है कि नहीं" शीना ने टिपिकल बहेन के आवाज़ में रिकी से जवाब माँगा.. ऐसा लग रहा था कि बच्चे की चोरी पकड़ी गयी और बहेन को जवाब दे रहा हो..




"शीना, हुआ यूँ था आक्च्युयली कि, 3र्ड सेमिस्टर से पहले.. मैं हॉस्पिटल में अड्मिट हुआ था.." रिकी ने नज़रें झुका के कहा, क्यूँ कि वो आँखों में देख के झूठ नहीं बोल सकता था




"व्हाट... क्यूँ, क्या हुआ था, और हम सब को तो बताया नहीं था, आंड व्हाई.. और रोज़ तो बात करते थे हम.. फिर कैसे.. ओह माइ गॉड, वाज़ सम्तिंग सीरीयस..." शीना ने इतने सारे सवाल एक दम पूछ लिए कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था वो क्या कहे, क्या नहीं




"रिलॅक्स.. वो दरअसल हुआ यूँ था कि, कॉलेज में कुछ लोगों ने अचानक हमला कर दिया था हम पे.. हमारी कॉलेज टीम फुटबॉल कप जीती थी, इसलिए उनके सपोर्टर्स ने हमे मारना और अटॅक्स करना शुरू किए, मैं अकेला था उस दिन, इसलिए कुछ नहीं कर पाया.. उस की वजह से क्लासस नहीं अटेंड हुए तो वहाँ अटेंडेन्स के मार्क्स कम हुए, और लेक्चर्स मिस तो सब नोट्स बनाने रह गये.. इसलिए यह हुआ, और 3र्ड सेमिस्टर के बाद अग्रिगेट ड्रॉप हो गया, 4थ सेमिस्टर में भी मुश्किल से बेस कवर किया, तभी जाके इतने मार्क्स आए.. मैने तुम सब को बताया नहीं क्यूँ कि आप लोग भी परेशान होते.. बट कभी नहीं सोचा था कि इस तरह पता चलेगा तुम्हे.." रिकी का चेहरा अभी भी नीचे था..




"अववव... आइआम सो सॉरी टू हियर दिस, अभी ठीक हैं ना बट, कोई ज़्यादा चोट तो नहीं लगी थी.." शीना ने चिंता में आके पूछा




"हाः... अभी आइआम फाइटिंग फिट..." रिकी ने चेहरा उपर उठाया और हँसी दे दी




"यस, वैसे भी मैने आपकी पूरी बॉडी अंदर से भी देखी हुई है, कहीं कुछ नहीं दिखा मुझे.." शीना ने आँख मार के कहा और दोनो हँसने लगे



प्यार में थोड़ा झूठ तो चलता है.. वैसे भी ऐसा झूठ जो किसी को नुकसान नहीं पहुँचाए तो वो झूठ खराब नहीं होता, आंड मैं अगर सच बता देता तो शीना रूठ जाती,

रूठ क्या जाती, हमेशा के लिए छोड़ देती, फिर मैं अकेला जीके क्या करता... वैसे भी ख़ालीपन है, अब इन हसीन लम्हों को ना संभाल सकूँ तो और मुश्किल हो जाएगा जीना मेरे लिए तो.. शीना ही तो मेरी ज़िंदगी में वो रोशनी बनके आई है जिसने मेरी ज़िंदगी में फेले हुए अंधेरे को मिटा दिया है.. अब अगर मेरी आँखें कुछ देखना चाहती हैं तो शीना का प्यारा सा चेहरा जिसपे हमेशा हँसी ही रहती है, हन कभी कभी गुस्सा करती है लेकिन उस गुस्से में भी एक मासूमियत रहती है, रहता है एक प्यार , कभी ख़त्म ना होने वाला प्यार.. दिल हमेशा कहता है के जब जब शीना मेरे पास बेती हो तो उसका हाथ पकड़ के हमेशा उसे अपने सीने से लगाए रखूं, कभी डोर ना जाने दूं..

मेरा मन हमेशा सुनना चाहता है उसकी आवाज़, उसकी वो सुरीली आवाज़ जिसे सुन मैं अपने सब दुख भुला देता हूँ, उसकी आवाज़ में भी वोही मासूमियत, एक दम बचों जैसी और जब गुस्सा करे तो आवाज़ एक दम कड़क लेकिन मिठास वोही..




"भाई..."




अभी यह लिख रहा हूँ और तब भी उसकी आवाज़ सुनाई दे रही है.. क्या जादू है शीना का, मैं सही में बहुत खुश नसीब हूँ कि शीना मेरी ज़िंदगी में ऐसे आई.. रिकी ने लिखना जारी रखा अपनी डाइयरी में




"भाई... हेलो....." शीना ने थोड़ा ज़ोर से पुकारा जिससे रिकी को होश आया और सामने देखा तो शीना खड़ी थी उसके लिए कॉफी लेके




"ओह..." रिकी ने सिर्फ़ इतना कहा और अपनी डाइयरी बंद कर छुपाने लगा




"छुपा क्या रहे हो.. मुझे भी दिखाओ, क्या क्या लिखते हो आख़िर आप.." शीना ने उसके पास बैठ के कहा और उसे अपनी कॉफी पकड़ा दी




"हहा, नहीं, नतिंग लाइक दट.. छुपाउन्गा क्यूँ, डाइयरी ही तो है.." रिकी ने बात को घुमाने की कोशिश करते हुए कहा




"हां वोही तो भाई, डाइयरी ही तो है.. दिखाओ..." शीना ने हाथ आगे बढ़ा के कहा




"अभी नहीं, सही वक़्त पर दूँगा मैं तुम्हे.." रिकी ने बड़े प्यार से कहा




"वैसे भाई, डिजिटल ज़माने में है, 2015 शुरू होने वाला है इन वन मंत, और आप आज भी ऐसे मनुअल लिखते हो काग़ज़ पे.. ओल्ड फॅशंड हाँ" शीना ने हल्के से कहा




"अरे, डिजिटल डाइयरी में लिखने में वो मज़ा कहाँ जो पेज और पेन में है.. बट वो नहीं डिसकस करना मुझे फिलहाल.." रिकी ने अपनी कॉफी सीप करते हुए कहा




"ओके.. आंड व्हाई डू यू राइट.. लिखते वो लोग हैं जिनके पास कोई सुनने वाला नहीं होता, काग़ज़ पे दिल की बात उतारना सही है जनाब, लेकिन अगर आपका साथी है तो काग़ज़ और कलम की क्या ज़रूरत.." शीना ने एक शोख अदा से कहा
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