Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:50 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अब तुम्हे क्या बताऊ कहाँ कहाँ फस गया था मैं यार..." रिकी ने फोन साइड रख के कहा और फिर स्नेहा के लिए चिल्लाने ही वाला था कि सीडीयों से आती उसकी सॅंडल की आवाज़ सुन उसकी नज़र जैसे ही उपर पड़ी, सामने से कहर धाती हुई स्नेहा को देख एक बार फिर उसे अंदर तक झटका लग गया.. स्नेहा एक ब्लॅक स्लीवेलेस्स टाइट चुरिदार में नीचे उतर रही थी, उसके काले रेशमी बाल खुले हुए, माथे पे हल्की बिंदी, और कानो में छोटे छोटे झुमके.. उसकी कमीज़ थोड़ी सी शॉर्ट थी, जिससे सामने वाले की नज़र कमीज़ से हटते ही उसकी मूसल जांघों पे जाती जो टाइट चूड़ीदार की पाजामी में क़ैद थी.. रिकी ने उपर से लेके नीचे तक नज़र घुमाई तो बीच में जो उसकी नाभि वाला हिस्सा था वो पारदर्शी था, उसमे से स्नेहा का चिकना और सपाट पेट सॉफ दिखता था.. नाभि के थोडा सा उपर उसके दो विशाल चुचे देख रिकी के मूह में पानी आने लगा, दुपट्टा ओढ़े बिना डीप कट वाली कमीज़ पहनना, स्नेहा अपने प्लान में धीरे धीरे ही सही, लेकिन कामयाब हो रही थी.. रिकी की हालत देख वो समझ गयी कि उसे थोड़ी सी मेहनत और करनी है और फिर उसका काम हो जाएगा.. स्नेहा जैसे ही रिकी के करीब आती रही, वैसे वैसे उसके बदन से आती खुश्बू रिकी को पागल कर रही थी.. वो मदहोश सा हुए जा रहा था लेकिन फिर भी उसने यह स्नेहा को नहीं जताया..




"चलिए देवर जी.. चलते हैं, आपकी भूख मिटेगी तभी तो मेरी प्यास बुझाने की ताक़त आएगी आप में.." स्नेहा ने रिकी के एक दम पास आके कहा और फिर धीरे धीरे एक एक कदम उठा कर घर के बाहर जाने लगी...




"बेंकचूद्द्दद्ड...." रिकी ने स्नेहा की मटकती हुई गान्ड देख कहा और खुद भी जल्दी से बाहर जाने लगा..




"भाभी, यहाँ नज़दीक में ही एक अछा रेस्तरॉ और बार है, वहाँ चलते हैं, बाकी सब यहाँ अच्छा नहीं है.." रिकी ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा




"जहाँ चलना है चलो.. बस ध्यान रखना, आप की भूख के बाद ही मेरी प्यास बुझेगी..." स्नेहा ने हल्का सा झुक के कहा जिससे फिर उसके चुचों की घाटी रिकी को दिखने लगी




रिकी ने बिना कुछ रिएक्ट किए अपनी आँखों पे चश्मा लगाया और आगे बढ़ने लगा...




"हाउ बोरिंग ना देवर जी.. कुछ म्यूज़िक सुनते हैं.." स्नेहा ने फिर अपने बोबे मटकाते हुए कहा और सीडी प्लेयर ऑन कर दिया




"मैं तो तंदूरी मुर्गी हूँ यार... गटका ले सैयाँ आल्कोहॉल से.." स्नेहा ने जैसे ही यह लाइन सुनी उसकी आँखों में चमक आ गयी और रिकी को देखने लगी..




"लगता है इसे भी भूख और प्यास है देवर जी..." स्नेहा ने सीडी बंद की और रिकी को देखने लगी.. रिकी जानता था कि स्नेहा उसे ही देख रही है लेकिन उसने इग्नोर करके अपना ध्यान आगे ही रखा




"हेलो मिस्टर विलसन.." रिकी ने फोन लगा के बात शुरू की




"यस मिस्टर राइचंद.. वी आर अराइविंग इन 5 मिन्स"




"मिस्टर विलसन, स्माल चेंज हियर, लेट'स मीट अट ***** रेस्टोरेंट.. वी विल हॅव लंच आस वेल अलॉंग-विथ दा डिस्कशन"




"ओके मिस्टर राइचंद, सी यू देयर" कहके विलसन ने फोन कट किया और रिकी की बताई हुई जगह पे पहुँच गया..




रिकी ने भी अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और जल्दी से उस जगह पे पहुँचने लगा.. गाड़ी से उतरते ही स्नेहा ने अपना दुपट्टा भी ओढ़ लिया ताकि कोई और उसे ऐसी हालत मे देख नियत ना खराब करे..




"मिस्टर राइचंद.." रिकी ने रेस्टोरेंट के अंदर कदम रखा कि सामने से विलसन उसके पास आता दिखाई दिया




"मिस्टर विलसन.. हाउ आर यू.." रिकी उससे मिला और स्नेहा की भी मुलाकात करवाई




"मिस्टर विलसन.. मीट स्नेहा, शी ईज़ माइ सिस्टर इन लॉ आंड दा अफीशियल ओनर ऑफ और रिज़ॉर्ट.."




"प्लेषर मॅम.. हाउ आर यू.."




"आइ आम गुड मिस्टर विलसन.. आंड डॉन'ट गो बाइ व्हाट ही सेज़, वॉटेवर ईज़ माइन, बिलॉंग्स टू हिम ऐज वेल..." स्नेहा ने हँसते हुए जवाब दिया और रिकी को देखने लगी..




"कम दिस वे प्लीज़..." विलसन अपनी टीम के साथ जहाँ बैठा हुआ था रिकी और स्नेहा को वहाँ ले गया





टेबल पे एक साइड विलसन और उसकी टीम के दो मेंबर बैठे हुए थे और दूसरे साइड रिकी और स्नेहा बैठ गये.. सबसे फॉर्मली मिलने के बाद काम की बातें शुरू हुई और मॉकटेल्स और खाने का दौर भी स्टार्ट हुआ.. रिकी इतनी देर का भूखा, खाना आते ही जल्दी से उसपे टूट पड़ा और काम को साइड रख खाने का मज़ा लेने लगा.. स्नेहा ने चुपके से मौका देखा तो सब लोग खाने के मज़े लेने में लगे हुए थे, उसने धीरे से अपनी सॅंडल्ज़ निकाली और एक पैर से साइड में बैठे रिकी के पैर को सहलाने लगी.. रिकी को जैसे ही स्नेहा के पैर महसूस हुए, उसके बदन में एक झुरजुरी सी फेलने लगी.. स्नेहा हल्के हल्के अपने पैर और उंगलियों से उसके जीन्स के उपर से ही उसको सहलाने लगी.. जैसे जैसे वक़्त गुज़रता वैसे वैसे स्नेहा के चेहरे पे मुस्कान और बढ़ती जाती यह करके.. विलसन के सामने रिकी काफ़ी सैयम से बैठा था और शांति पूर्वक उनकी बातें सुन रहा था और अपनी बातें भी कर रहा था, लेकिन उसके शरीर के अंदर आते झटके से वो सहम रहा था.. स्नेहा के पैरों का जादू भी बढ़ता जा रहा था..
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:50 PM

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