Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:47 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ओके बन्नी.. मैं कुछ देर में वहाँ पहुँचुँगी अभी.. काम ख़तम है या कुछ बाकी है.." ज्योति ने फोन आन्सर करते हुए कहा.. बन्नी वोही लड़का है जिसको ज्योति ने कुछ महीने पहले एक काम सौंपा था, जगह.. अभी तक पता नहीं...




"ओके मॅम.. वी आर ऑलमोस्ट डन, बस एक बार आप आके देख लो, अगर कुछ चेंज करने हैं तो अभी वी विल डू इट, इसके बाद कुछ चेंज नहीं कर पाएँगे.." बन्नी ने पेपर पे कुछ डिज़ाइन बनाते हुए कहा




"ओके, मैं एक- दो घंटे में पहुँचती हूँ.. तब तक तुम निकल जाओ, मैं कॉल करूँगी तब आ जाना उधर..ओके.. ?"




"ओके मॅम.. सी यू.." बन्नी ने कहके फोन कट किया और चुपके से वहाँ से निकल गया जहाँ वो अभी अपना बताया हुआ काम कर रहा था




"ज्योति... रिकी और शीना को बुला लाओ, और तुम भी आओ खाना खाने.. और वो स्नेहा से भी पूछ लो, खाएगी के नहीं.." सुहसनी ने ज्योति को सीडीयों से आवाज़ लगाई और किचन में चली गयी..




"ओके ताई जी..." ज्योति ने जवाब दिया और सबसे पहले स्नेहा के कमरे की ओर बढ़ गयी




"भाभी... खाना....." ज्योति ने दरवाज़ा खोल के जैसे ही स्नेहा को आवाज़ दी, वो थोड़ी सी हैरान हो गयी..




"भाभी.. क्या हुआ..." ज्योति ने आगे बढ़ के स्नेहा से पूछा जो बेड पे बैठी बैठी आँसू बहा रही थी.. ज्योति के यूँ अचानक आने से स्नेहा ने अपने चेहरे को घुमा लिया ताकि वो देख ना सके उसे रोते हुए, लेकिन तब तक ज्योति ने स्नेहा के चेहरे पे उसके टपकते आँसू देख लिए थे..




"भाभी.. प्लीज़ टेल मी.. क्या हुआ, आप रो क्यूँ रही हैं.." ज्योति स्नेहा के पास जाके बैठ गयी और उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा लिया




"नतिंग... क्क्क... क्या हुआअ..." स्नेहा ने सूबक के जवाब दिया




"भाभी, डिन्नर के लिए बोलनी आई हूँ, बट उससे पहले प्लीज़ बताइए ना क्या हुआ.." ज्योति को भी चिंता होने लगी थी स्नेहा को यूँ अचानक रोता देखा




"नतिंग...तुम चलो.. मैं आती हूँ..." स्नेहा ने फिर रुआंदी सी आवाज़ में जवाब दिया




"बट भाभी...आप..." ज्योति आगे कुछ कहती उससे पहले स्नेहा बाथरूम में चली गयी और ज्योति के मन में सवाल छोड़ गयी..




"क्या हुआ भाभी को... अचानक, ऐसे तो कभी उन्हे नहीं देखा.." ज्योति ने खुद से कहा और बे मन वहाँ से उठ के रिकी और शीना को बुलाने गयी..




"यूआर स्टिल 90% फिट समझी... सो धीरे धीरे चलो, और कूदने का तो सवाल ही नहीं है.." रिकी ने शीना से कहा जो अपने ठीक होने पे काफ़ी खुश थी.. 6 महीने के बेड रेस्ट की सलाह थी, पर शीना ने एक महीना जल्दी रिकवर कर लिया..




"आइ आम 90%... सेज़ हू मिस्टर राइचंद..." शीना ने अपनी बड़ी सी स्माइल के साथ रिकी से पूछा




"सेज़ यू आर डॉक स्वीटहार्ट... हॅम्स्ट्रिंग में अभी भी मोच है हल्की.." रिकी ने फिर उसे जवाब दिया और उसे पकड़ने के लिए खड़ा हुआ..




"उफफफ्फ़... यह आपका डॉक्टर, यह आपकी दवाइयाँ... कहाँ थी मैं और आज कहाँ हूँ हाईन्न... आज मैं चल सकती हूँ, भाग सकती हूँ, नाच सकती हूँ.. और आप क्या कर सकते है... हाईंन्न्न्.." शीना आज बड़े ही सुहाने मूड में थी जिसकी वजह से तरह तरह की आक्टिंग करके खुश हो रही थी..




"तुम नाच सकती हो.. किसने कहा ऐसा.." रिकी भी शीना को ऐसे देख काफ़ी खुश था लेकिन उसे तंग करने के लिए यह सब कर रहा था..




"ओफफ्फ़.... अब आओ.. मैं दिखाऊ.. गिव मी युवर हॅंड प्लीज़.." शीना ने अपना हाथ आगे बढ़ाने को कहा जिससे रिकी ने वोही किया..




"ऐसे नहीं.. उपर ले जाओ.. हां ऐसे, नाउ . मी..." शीना ने उसके हाथों को पकड़ा और हल्की सी गोल घूम के, बॉल डॅन्स के स्टेप में गोल घूम के उसकी बाहों से चिपक गयी




"सी...." शीना ने चमकती आँखों से रिकी के जिस्म से चिपकते हुए कहा... शीना को अपने इतना करीब पाकर रिकी काफ़ी खुश था, उसकी इस मासूमियत की वजह से ही रिकी उसे चाहता था, स्थिति चाहे जो भी हो, शीना किसी गुड़िया की तरह हमेशा चमकती रहती और मुस्कुराती रहती..




"देखा.. कहो भी.." शीना ने फिर रिकी से कहा जो उसकी आँखों में देखते जा रहा था..




"यूआर ब्यूटिफुल...." रिकी ने अपना हाथ शीना के बालों में ले जाके कहा और उसके मासूम चेहरे को देखने लगा




"आइ नो.. बट..."




"हे गाइस... आप लोगों का खााना.." ज्योति शीना की बात पूरी होने से पहले ही कमरे के अंदर बिना नॉक किया आ गयी और दोनो को ऐसे देख आँखें चुरा ली..




"ओह.. आइ आम सॉरी.. बट वो डिन्नर..." ज्योति ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा के कहा और बाहर जाने लगी..




"ओईए... बहेन मेरी... वापस आ..." शीना ने रिकी से अलग होते हुए उसे पुकारा और उसकी तरफ बढ़ने लगी..




"क्या हुआ.. वापस क्यूँ जा रही है.." शीना ज्योति के पास गयी और उसका हाथ पकड़ के अंदर ला दी




"सॉरी.. मुझे नॉक करना था.. अगेन सॉरी.." ज्योति ने जवाब में कहा




"अब तू सब जानती है, सब क्लियर है, अपने बीच नो पर्सनल गरज.. फिर भी ऐसी फॉरमॅलिटी..यार, भाई, आप ही देखो इसे.." शीना ने बेड पे बेत कहा, लेकिन ज्योति अभी भी कुछ सोच रही थी, जो रिकी ने उसके चेहरे को देख भाँप लिया..




"ज्योति... प्लीज़ बैठ जा..." रिकी ने धीरे से उसके कंधे पकड़ते हुए कहा
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:47 PM

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