Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:37 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"खामोश हो गया ना, बेटा पहला ही कहा था मैने तुझसे, यह प्यार की बाते तेरी समझ के बाहर है..अगर इतना ही होता ना..."


"शीना..." रिकी ने अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए कहा



"क्या...फिर से बोल..." सामने वाले ने अपनी बात अधूरी छोड़ कहा, जैसे उसे विश्वास नहीं था रिकी की बात सुन



"शीना को कुछ नहीं होना चाहिए..."



"तू पागल हो गया है..."



"तुझे जवाब चाहिए था ना.. मेरा जवाब है शीना..." रिकी ने आँसुओं पे रोक लगा के जवाब दिया



"देख तू होश में नहीं है, आज स्कॉच ज़्यादा हो गयी है तेरी"



"नहीं.. बस मेरा जवाब याद रहे.. शीना.."





"क्या हुआ भाई....किसे मेरा नाम बता रहे हो आप...." पीछे से शीना की आवाज़ सुन रिकी चौंक गया और बिना कुछ बोले फोन कट कर दिया.. शीना का सामना करने से पहले रिकी ने अपने चेहरे को सॉफ किया और पलट गया



"अरेयी..तुम ऐसे..." रिकी सामने शीना को देख सर्प्राइज़ हुआ



"देखा, खा गये ना झटका.. आज दो महीने हुए हैं मेरे आक्सिडेंट को, तो आइ स्टार्टेड वॉकिंग ऑन दीज़ स्टिक्स.." शीना ने आगे बढ़ते हुए कहा.. जैसे जैसे शीना लन्ग्डाते आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उस दर्द की शिकन शीना के चेहरे पे दिखती, पर उससे कहीं ज़्यादा दर्द रिकी अपने अंदर महसूस कर रहा था.. शीना धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी कि अचानक उसकी स्टिक कहीं पे अटक गयी और वो गिरने लगी...



"शीनाअ.आ....." रिकी चिल्लाता हुआ आगे बढ़ा और शीना को संभालने लगा..



"क्या हुआ भाई..." शीना की आवाज़ से रिकी वापस होश में आया तो शीना आराम से उसके पास पहुँच चुकी थी..



"यह सिर्फ़ ख़याल था मेरा.." रिकी ने खुद से कहा



"कैसा ख़याल.. और यह आपको इतना पसीना क्यूँ आ रहा है.." शीना ने रिकी के कंधों को थाम के कहा... रिकी ने जल्दी से उसकी स्टिक्स साइड रखी और उसको सहारा देके पास बने झूले पे जाके शीना के साथ खुद भी बैठ गया



"क्या हुआ भाई.. बताओ अब... क्या ख़याल था, और इतना पसीना क्यूँ.." शीना ने रिकी के बाहों में हाथ डाला और उससे बातें करने लगी



"नहीं, नतिंग.. पसीना तो आएगा ही गर्मी में.." रिकी ने अपनी कांपति हुई आवाज़ को संभाल के कहा



"भाई.. आप कुछ छुपा रहे हो मुझसे.." शीना ने एक बहुत ही सुखी लेकिन एक ठहरी हुई आवाज़ में कहा.. इस आवाज़ में ना तो मज़ाक था ना ही हँसी, कोई भाव नहीं.. बस आँखों से आँखों को देख के सीधा फेंका गया एक सवाल जिसको जवाब के अलावा कुछ नहीं चाहिए था



"नतिंग शीना....नोट्त्त..... नोत्तीननगज्गग आइ सेड ना स्वीटी.." रिकी के मस्तक पे फिर से बल पड़ने लगे, शिकन दिखने लगी जिस पर से पसीना बहे जा रहा था..



"भाई.. व्हाट'स रॉंग हाँ...प्लीज़ हॅव दिस..आंड कम डाउन.." शीना ने अपना जूस कॅन पकड़ाते हुए रिकी से कहा.. जूस लेते वक़्त और पीते वक़्त, रिकी के हाथ भी काँप रहे थे.. शीना ने अपने स्टोल से रिकी के सर को पोछा




"भाई.. एक सेकेंड हाथ दोगे प्लीज़.." शीना ने रिकी से फिर कहा जिसके जवाब में रिकी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.. शीना ने उसका हाथ पकड़ा और अपने सर पे रख दिया



"अब बताओ, खाओ मेरी कसम के कोई बात नहीं है.." शीना ने रिकी से कहा



"शीना.... तुम्हारी इस हालत का ज़िमेदार मैं हूँ... और कोई नहीं..." रिकी ने शीना से कहा और अपना हाथ उसके सर से हटा दिया... उसके सर पे हाथ रख के उसने सच तो कहा, लेकिन हाथ हटा भी दिया



"भाई मज़ाक कर रहे हो आप.." शीना ने रिकी से पूछा जो शीना से नज़रें चुरा रहा था



"शीना, उस शाम अगर मैं घर से निकला नहीं होता तो तुम इस हालत में नहीं होती.. आज तुम बिल्कुल ठीक होती, तुम्हारे हर बढ़ते कदम का दर्द मैं महसूस कर सकता हूँ..महसूस कर सकता हूँ उस दुख को जो अभी तुम्हारे अंदर है, इस दर्द की वजह से जो वक़्त, जो पल हम साथ नहीं बिता पा रहे हो, उस रंजिश को मैं अपने अंदर तुमसे कहीं ज़्यादा महसूस कर रहा हूँ.. आंड ट्रस्ट मी, मैं हर खोए हुए पल की भरपाई करूँगा.. बस सही वक़्त का इंतेज़ार है.." रिकी झूले से उठके खड़ा हुआ और शीना को जवाब दिया



"सही वक़्त.. मतलब.. ओफफो भाई, क्या वक़्त वक़्त लगा रहे हो, सब ठीक है.. मैं बिल्कुल ठीक ही हूँ, कहो तो अभी आपको एक किक मारके दिखाऊ.." शीना ने आँख मारके कहा.. शीना की यह बात सुन रिकी के चेहरे पे मुस्कान तैर गयी और उसने शीना के खूबसूरत और मासूम चेहरे को अपने दोनो हाथों में गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे थाम के उसके मस्तक को चूमा



"अववव.... आप जानते हो, आप की इस हरकत पे बड़ा प्यार आता है मुझे.." शीना ने अपने लाल चेहरे को झुका के रिकी से कहा



"चलो खाने चलें..और अभी ऐसे ही चलोगि, बेड रेस्ट ओवर..." रिकी ने शीना को फिर सहारा देके खड़ा किया



"हां...आाू... " शीना हल्के से कराही दर्द को महसूस करके....



"ओह्ह... हां भाई, अभी डॉक्टर ने कहा आइ नीड टू स्टार्ट वॉकिंग नाउ..आंड अच्छा ना, विल बी फिट सून.." शीना ने रिकी के कंधे को पकड़ा और दोनो धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे



"भाई.. एक ज़रूरी बात पूछनी थी.. रूको दो मिनिट.." शीना ने रिकी से कहा तो रिकी रुक गया और आँखों से कुछ पूछा



"बता रही हूँ रूको..बैठने दो.." शीना ने हास के जवाब दिया और दोनो फिर नीचे बैठ गये



"हां.. यह ठीक है, अब बताइए.. सब ठीक है ना.. आइ मीन, वो भाभी वाली बात जो थी, विकी भैया की डेत..आपने कुछ इंक्वाइरी की" शीना की इस सवाल की उम्मीद रिकी को बिल्कुल ना थी.. उसे लगा वक़्त जाते जाते शीना शायद सब भूल जाएगी, लेकिन आज यह अचानक, सवाल सुन रिकी स्तब्ध रह गया..



"बताओ ना, क्या सोच रहे हो..." शीना ने फिर रिकी को कहा



"सब ठीक है शीना, विकी भैया की डेत की इंक्वाइरी की, मैं खुद कमिशनर अंकल से मिला..उन्होने बताया कि यह आक्सिडेंट ही है.. मैने उन्हे स्नेहा भाभी के बारे में भी बताया, इसलिए पिछले दो महीनो से पोलीस उनपे भी नज़र रख रही है, हाला कि यह बात डॅड नहीं जानते.. कल शायद मिलने जाउन्गा कमिशनर अंकल से, वो भी कह रहे थे कि उन्हे कुछ डाउट नहीं लगा अब तक.. इसलिए एयह वाच रखना भी बंद करना पड़ेगा अब" रिकी ने बात को संभालते हुए कहा



"ओह... " रिकी का ज्वाब सुन शीना ने बस इतना ही कहा और फिर किसी सोच में डूब गयी..



"लेकिन भाई, जो मैने सुना, उसका क्या.." शीना ने फिर वोही सवाल खड़ा किया



"जानता हूँ शीना, लेकिन दो महीने से भाभी ने ऐसा कुछ नहीं किया जिसपे हम शक कर सकें.. पोलीस को भी ऐसा कुछ नही मिला, और रही फोन कॉल्स की बात, तो हमने उनका नंबर चेक किया और साथ ही पोलीस ने भी देखा, बट नतिंग.. तो अब बताओ कैसे करें आगे" रिकी ने बड़े ही शांति से शीना को जवाब दिया, क्यूँ कि वो जानता था कि एक चूक और शीना फिर देख लेगी उसके बिहेवियर को



"ह्म्म्मर..." शीना ने फिर इतना ही कहा और सामने की ओर देखने लगी..



"अभी चलें अंदर.. पहले तुम ठीक हो जाओ, फिर कुछ करेंगे, मैने कुछ सोचा है, तुम्हारे ठीक होते ही हम वो करेंगे.." रिकी ने शीना का हाथ थाम के कहा.. बदले में शीना सिर्फ़ मुस्कुराइ और रिकी के साथ अंदर चली गयी..




उधर अंधेरी में स्थित इरीटा मारता, प्रेसिडेन्षियल सूयीट में राजवीर और स्नेहा अपने ही नशे में डूबे हुए थे.. स्नेहा ने बड़े अच्छे से फाँस रखा था राजवीर को, राजवीर भी किसी नौ सीखिए की तरह स्नेहा में डूबता जा रहा था.. दिन रात जब चूत चाहिए होती तब स्नेहा उसके करीब ही होती..



"चियर्स मेरे चोदु ससुर..." स्नेहा ने दो जाम बनाए और एक राजवीर को थमा दिया



राजवीर ने बिना कुछ कहे ग्लास ले लिए और जाम पीने लगा..
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:37 PM

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