RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"चाचू.. मेरी नज़र से सामने की तरफ देखो.. रणजी ट्रोफी नहीं.. नयी लाइन है बिज़्नेस की... वो भी बिना बीसीसीआइ कमिशन के.." रिकी ने अपना हाथ सामने की तरफ करते हुए कहा
रिकी और राजवीर दोनो सामने देखने लगे... राजवीर को यकीन नहीं हो रहा था कि रिकी ऐसी चीज़ सोच सकता है, लेकिन फिलहाल खुद को ठिकाने पे लाते हुए उसने रिकी से पूछा
"सॉफ सॉफ कहो रिकी.."
"चाचू जैसा कि आपने कहा और बीसीसीआइ के सो कॉल्ड बाप ने भी कन्फर्म किया, उन लोगों को बिल्कुल नहीं पड़ी कि रणजी में क्या होता है.. तो क्यूँ ना हम डाइरेक्ट प्लेयर्स से बात करके फिक्स करें.. " रिकी ने राजवीर से सीधे और सरल शब्दों में कहा
"यह उतना आसान नहीं है रिकी जितना तुम समझ रहे हो.." राजवीर ने बात को हसी में उड़ाते हुए कहा
"आइए चाचू, मैं आपको लाइव डेमो दिखाता हूँ.." रिकी ने राजवीर से कहा और ना चाहते हुए भी रिकी के साथ उसे जाना पड़ा... मैं स्टॅंड्स से होते हुए, दो फ्लोर नीचे टीम्स के ड्रेसिंग रूम बने हुए थे.. ड्रेसिंग रूम तक पहुँचने से पहले रिकी ने अपना बीसीसीआइ का कार्ड उतार दिया और राजवीर से भी वोही करने को कहा..
"यह तो ड्रेसिंग रूम है रिकी.. अगर हम पकड़े गये तो.." राजवीर ने इतना ही कहा कि रिकी आगे की बात सुने बिना सामने कुछ प्लेयर्स से मिलने चला गया
"ओह, तो वो कहाँ मिलेगा अभी.." रिकी ने एक प्लेयर से पूछा
"वो तो पीछे नेट प्रॅक्टीस में होगा, लेकिन आप कौन.." उस प्लेयर ने रिकी से पूछा
"मैं यह हूँ..." रिकी ने अपना कार्ड जेब से निकालते हुए दिखाया
"ओह.. सॉरी सर, वो पीछे हैं.." उस प्लेयर ने चुपचाप जवाब दिया और रिकी को वहाँ जाने का रास्ता बताया
राजवीर चुपचाप खड़ा यह सब देख रहा था और रिकी के पीछे पीछे चलता रहा... मैं ग्राउंड और स्टॅंड्स के पीछे, क्रिकेटर्स के लिए अलग प्रॅक्टीस पिचस थी जहाँ कुछ क्रिकेटर्स काफ़ी पसीना बहा रहे थे.. कोई बोलिंग में, कोई बॅटिंग में, कोई ड्रिल में, कोई कॅच में...
"मिस्टर जोशी..." रिकी ने एक बंदे को देख के कहा जो इस वक़्त अपने स्ट्रेट ड्राइव की प्रॅक्टीस में लगा हुआ था.. यूँ रिकी की आवाज़ सुन उस खिलाड़ी ने नज़र घुमाई तो सामने रिकी को देख एक पल के लिए तो खामोश रहा, लेकिन जब रिकी ने इशारे से उसे बुलाया तो वो सहमा सा उसके पास बढ़ने लगा
"यस...आप कौन हैं... और आप यहाँ क्या कर रहे हैं... सेक्यूरिटी..." वो चिल्लाया ही कि रिकी ने उसे खामोश रहने का इशारा किया
"मिस्टर जोशी, यह ज़रूरी सवाल नहीं है कि मैं कौन हूँ, इस वक़्त ज़रूरी यह है कि मैने आपको ही क्यूँ बुलाया और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी यह है कि मैं आपके लिए क्या क्या कर सकता हूँ.."
"सीधा सीधा बोलो..."
"मिस्टर जोशी.. कल आपकी मॅच है गुजरात से..."
"हां है, तो उसका क्या..."
"मैं चाहता हूँ तुम वो मॅच हार जाओ.."
"क्या बकवास है... सेक्यूरिटी, प्लीज़ कम हियर.." जैसे ही जोशी फिर चिल्लाया, उसके आस पास खड़े कुछ दूसरे खिलाड़ी उसके पास आने लगे, लेकिन रिकी ने अपना बीसीसीआइ का कार्ड हवा में लहरा के उन्हे दिखाया, जिसे देख वो लोग पीछे हो गये..
"तुम बीसीसीआइ से ही..."
"नहीं.. यह कार्ड ड्यूप्लिकेट है.. लेकिन यह सिर्फ़ मैं जानता हूँ.. तुम खुद सोच लो अब क्या करना है..." रिकी की बात सुन जोशी ने कुछ नहीं कहा
"तुम ओपनिंग आते हो ना...तुम्हारे लिए 50 लाख.. बाकी के बॅट्समेन के लिए 20-20 लाख"
"मतलब.."
"मतलब, पहले के टॉप 5 बॅट्समेन का स्कोर 40 से उपर नहीं होना चाहिए... और गुजरात के पहले 5 बॅट्समेन का स्कोर 400 से उपर होना चाहिए"
"मैं यह सब नहीं कर सकता..."
"सोच लो, रणजी की एक मॅच का 25000 रुपया कितने दिन तक चलेगा... तुम लोग ज़िंदगी भर इंटरनॅशनल खेलने की फिराक में रहते हो, तुम में से जो कुछ लोग बीसीसीआइ के बाप के तलवे चतोगे वो इंटरनॅशनल पहुँचोगे, बाकी के क्या करोगे.. कभी सोचा है, मैं तुम्हे यह ऑफर दे रहा हूँ जो आज तक इंटरनॅशनल खिलाड़ी को भी नहीं दी... और तुम तो बहुत अच्छे बॅट्समेन हो, सुना है कि तुम्हारे दूसरे साथी को इंटरनॅशनल में मौका मिलने वाला है.. वो मौका जो तुम्हारा था.. अगर यह सच हो गया तो सोचा है क्या करोगे..." रिकी की बात सुन जोशी कुछ सोचने लगा..
"इंटरनॅशनल खेलके भी तुम अपनी माँ के वो कंगन नहीं छुड़ा पाओगे जो उसने तुम्हे यहाँ पहुँचने के लिए गिरवी रखे हैं.. और इंटरनॅशनल पहुँचने के लिए कितनी बार अपनी बीवी को बीसीसीआइ के बाप के नीचे सुलाओगे हाँ.." रिकी की यह बात सुन जैसे जोशी खड़े खड़े ही मर गया हो
"मैं सब जानता हूँ, तुम्हारी बीवी माँ बनने वाली है ना..उसका क्या करोगे, खर्चा कहाँ से लाओगे.." रिकी ने अपना आखरी वार किया और जोशी के जवाब का इंतेज़ार करने लगा
"इतना नहीं सोचो, अगर मैं चाहूं तो तुम्हे इंटरनॅशनल भी पहुँचा सकता हूँ, वो भी जिस देश से तुम चाहो.. और अगर मना करोगे, तो मैं कुछ नहीं करूँगा, लेकिन तुम भी जानते हो, तुम सिर्फ़ टॅलेंट के बलबुत्ते पे यहीं के यहीं रहोगे.."
"मैं यह सोच रहा हूँ कि ब्लर्स को भी तो कुछ देना पड़ेगा, साथ ही फीलडरर्स को...तभी 400 स्कोर होगा.." जोशी ने फाइनली जवाब दिया
"हाहाहा.. आइ लाइक दिस हाँ.... रूको, 2 मिनट.." रिकी ने जवाब दिया और फोन किया
"हेलो... हां जी, मैं बोल रहा हूँ.. मैने वो ओबेरोई से बात की पर वो 5 लाख रुपया पर ऋण बोल रहा है..जी, नहीं मेरी कोई सेट्टिंग रणजी में नहीं है नहीं तो मैं अभी आपको बता देता...जी, फिकर किस बात की है.. नेक्स्ट मॅच में आप जो कहेंगे हम वो करेंगे, अभी ओबेरोई को जवाब देना है पहले वो बता दें...यस.. ओके, डन... आंड डोंट वरी, आप की जीती हुई रकम से मेरी कोई कमिशन नहीं जाएगी.. इतने पुराने क्लाइंट हैं आप, आपका यह फ़ायदा तो कर ही सकते हैं...बाइ..." रिकी ने फोन कट किया और जोशी को देखने लगा
"तुम्हारे 50 लाख.. और बाकियों के लिए 20-20 लाख... गुजरात के पहले 5 बॅट्समेन का स्कोर अब 450 चाहिए..." रिकी ने हाथ बढ़ा के कहा
"हो जाएगा..लेकिन वो बीवी वाली बात.."
"अरे, प्लीज़ फिकर नही करो.. मैं दोस्त बना के काम करने में मानता हूँ... एक इंसान दूसरे इंसान की मदद करे, इसी से दुनिया चलेगी..." रिकी ने हाथ बढ़ा के कहा और वहाँ से निकलने लगा
"और हां...एक बात तो मैं भूल ही गया.. आधा अड्वान्स आपके लॉकर में रखवा दिया है... एंजाय दा गेम बडी..."
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"तो रिज़ॉर्ट का काम कैसा चल रहा है.."
"ठीक है, जैसा सोचा था उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत बनवाया है शीना ने"
"देख फिर लड़की देख के फिसल रहा है तू..."
"फिसल नहीं रहा, बस कह रहा हूँ, उसकी डिज़ाइन वाज़ वेरी नाइस"
"मुझे डिज़ाइन से क्या लेना देना..बस रिज़ॉर्ट चाहिए और कुछ नहीं"
"पर वो तो स्नेहा को देने को कहा था ना तूने"
"स्नेहा भी हमारी ही है"
"एंड में तो तू सब को मार ही देगा ना..क्या अपना क्या पराया"
"हाहाहा..."
"जवाब नहीं दिया तूने..एंड में तो सबको मार देगा ना"
"तुझे कुछ नहीं होगा..."
"शीना को कुछ नहीं होना चाहिए.."
"तू फिर सेम बात कर रहा है..मैने पहले ही कहा था तुझे इन चीज़ों से सावधान रहने को"
"मेरी बात का जवाब दे"
"तू खुद को ज़िंदा देखना चाहता है कि शीना को.."
सामने वाले की यह लाइन सुन रिकी खामोश हो गया..अलग अलग ख़याल आ रहे थे उसके दिमाग़ में..
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