Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:36 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
दूर कहीं एक घना सा जंगल था, जंगल से होते हुए कहीं एक कोने में एक सुंदर बहता सा झरना, झरने का पानी मानो दूध सा सफेद है.. एक लड़की उछलती खेलती जंगल से होते हुए झरने के पास दौड़ती हुई आ रही थी.. सुनहेरे खुले बाल, सफेद रंग की ड्रेस, कानो में दो छोटे छोटे झुमके, नाक में बाली और इतनी खूबसूरत, मानो जैसे कोई हाथ लगाए तो मैली हो जाएगी.. दौड़ती दौड़ती वो लड़की झरने के पास पहुँचती है और जैसे किसी से छुपने के लिए कुछ जगह ढूँढ रही थी.. हस्ती मुस्कुराती वो झरने के पीछे एक विशाल पेड़ के पास जाके खड़ी हो जाती है और मटकती आँखों से किसी को खोजती है और फिर अपनी प्यारी सी हसी हँसने लगती है.. उसे देख के नहीं लग रहा था के वो किसी से डरी हुई है इसलिए चुप रही है, पर वो जिससे छुप रही थी वो दूर दूर तक कहीं नहीं दिख रहा था.. जंगल में अब आवाज़ थी तो बस झरने से पानी गिरने की और कुछ पन्छियो की जो शाम ढलते वक़्त अपने घरों को वापस लौट रहे थे... कुछ देर में लड़की हस्ती हुई बार बार पेड़ के पीछे से निकलती और हँसती हँसती फिर छुप जाती, लेकिन जैसे ही अंधेरा होने लगा, लड़की की हँसी की आवाज़ कम होती गयी और उसके चेहरे पे झरने की पानी की बूँदों की जगह पसीना आने लगा था.. लड़की चिंतित होके
पेड़ के पीछे से निकली और आगे आके इधर उधर देखने लगी... घने जंगल के बीचो बीच इतनी शांति में किसी को भी डर लग सकता है, यह तो फिर भी एक कमसिन मासूम सी लड़की थी..



"तुम हो इधर..." लड़की ने ज़ोर से पुकारा और यह पंक्ति पूरे जंगल में गूँज उठी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया



"तुम कहाँ गये हो...." लड़की ने फिर से ज़ोर से पुकारा लेकिन इस बार भी कोई जवाब नहीं... लड़की ने इधर उधर देखा तो बाहर जाने का रास्ता ना मिलने पर उसके चेहरे से बहता पसीना उसके मस्तक से लेके उसके होंठों पे आ रहा था.. अभी लड़की बीचो बीच खड़ी ही थी कि अचानक पीछे से एक हॅटा कट्टा आदमी, जो देखने में तो सामान्य व्यक्ति जैसा ही लग रहा था, लेकिन इरादे उसके शैतान के थे.. धीरे धीरे चुपके चुपके कदम बढ़ते हुए वो आदमी उस लड़की की तरफ आ रहा था और लड़की की पीठ उसकी तरफ होने से वो आराम से उसके पास आता जा रहा था.. लड़की से बस एक कदम दूर वो आदमी खड़ा रहा और धीरे धीरे अपने दोनो हाथ आगे बढ़ाता चला... लड़की इतनी चिंता में थी कि उसे इस चीज़ का बिल्कुल भी आभास नहीं हुआ, जब तक लड़की को पता चलता तब तक वो दोनो हाथ उसकी कमर में पहुँचे और उसे हवा में उठा के उसे झुलाने लगे..



"ओह्ह्ह्ह......छोड़ो मुझे.... छोड़ो..." लड़की ने पहले आँखें बंद करके चिल्लाया और फिर एक नज़र पीछे की तो अपने प्रेमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गयी और एक लंबी गहरी साँस छोड़ी..



"उम्म्म. .. चलो छोड़ो मुझे..." लड़की ने उसके हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन उसके मज़बूत हाथ टस से मस नहीं हुए



"छोड़डूऊ मुझे... चलो नीचे उतारो..." लड़की ने थोड़ा चिल्ला के कहा तो लड़के ने भी हँसते हुए उसे नीचे उतारा और उसके चेहरे को देख के हँसता ही रहा



"बड़ा मज़ा आता है ना मुझे सताने में.." लड़की ने शिकायत की लड़के से जो अभी भी उसके चेहरे को देख हँसे जा रहा था



"एक तो इतना सताते हो और उपर से हँसते जा रहे हो.. तुम्हे मेरी कोई परवाह नहीं है..." लड़की ने रूठ के मूह फेर दिया और लड़का उसके पीछे जाके मनाने लगा... जब वो लड़की नहीं मानी तो लड़के ने धीरे से उसकी कमर में अपने दोनो हाथ सरकाए और हल्के हल्के उसकी नाभि सहलाता रहा... लड़के की इस हरकत से लड़की ने आँखें बंद कर ली और अपनी पीठ उसकी बाहों में टिका दी.. कुछ ही देर की इस हरकत से लड़की मदहोश होने लगी और आँखें बंद कर अपने हाथ पीछे ले जाके लड़के के बालों में घुमाने लगी...



"अहहाहाहहा..उम्म्म्ममम......" लड़की ने हल्की सी सिसकारी निकाली जिसे सुन लड़के ने अपने सर को हल्का सा नीचे किया और उसकी गर्दन पे अपनी जीभ धीरे धीरे कर फेरने लगा और अपनी गरम गरम साँसें उसपे छोड़ने लगा



"आअहुफफफ्फ़........" लड़की इस बार फिर सिसकी और पीठ घुमा के अपना चेहरा लड़के सामने कर दिया, लड़की की आँखें अभी भी बंद थी लेकिन उसकी साँसें काफ़ी तेज़ हो चुकी थी.. लड़का हल्के से मुस्कुराया और लड़की के चेहरे पे गिर रही उसके ज़ुल्फो की लाटो को अपनी उंगली से हटा के उसके सुंदर से चेहरे को देखने लगा... लड़की की साँसें अभी थम
चुकी थी, लेकिन आँखें बंद थी और होंठ सूखे और खुले... लड़का थोड़ा सा आगे हुआ और अपने होंठों को लड़की के होंठों के पास ले गया.. दोनो के बदन बिल्कुल तप चुके थे, उनकी गरम साँसें बयान कर रही थी कि वो आज रुकना नहीं चाहते थे..



"फिर..." रिकी ने शीना से पूछा जब वो कुछ देर खामोश रही..



"फिर आपने टोक दिया और मेरा सपना टूट गया.." शीना ने जवाब दिया और अपना सूप पीने लगी



"मैने कब टोका..." रिकी ने आँखें घुमा के पूछा



"अभी थोड़ी देर पहले, जब मैं आँखें बंद करके यह सब देख रही थी तो बीच में टोकने लगे, और फिर जब आगे बढ़ रही थी तो आपका फोन आ गया.. फोन आया तो ना ही मैने आगे कुछ देखा और ना ही आपके कॉल ने बोलने दिया.." शीना ने अपने सूप को लबालब पीते हुए कहा



"क्या यार... इट वाज़ सो प्रेटी... आइ मस्ट से यू हॅव आ वेरी स्ट्रॉंग इमॅजिनेशन हाँ..." रिकी ने शीना के हाथ से चम्मच लिया और उसे अपने हाथ से सूप पिलाने लगा.. दोनो बातें करते करते खाना खाने लगे और काफ़ी मस्ती मज़ाक भी करने लगे...



"ह्म्म्मन.. हो गया खाना, बुलाओ ज़रा उस दासी को और कहो यहाँ से यह सब ले जाए.. अभी हमे आराम करना है.." शीना अपने हाथों को सर के पीछे ले गयी और टेका लेके कहा



"शीना.... चिल, मैं रख के आता हूँ..." रिकी ने बर्तन उठा के कहा और नीचे जाने के लिए मुड़ा ही कि शीना ने उसे रोक दिया



"भाई... आप आगे की बात नहीं सुनना चाहोगे..." शीना ने एक हल्की सी मुस्कुराहट से कहा जिसे सुन रिकी पीछे घूम गया और शीना को देख मुस्कुराने लगा



"नहीं, सुन के मज़ा नहीं आएगा..." रिकी ने साइड टेबल पे प्लेट्स रखी और शीना की तरफ फिर बढ़ गया



"फिर... कैसे आएगा मज़ा..." शीना ने अंजान बनते हुए पूछा...



"उम्म्म्म....अब वो तो इमॅजिन करने में या आक्च्युयली में करके ज़्यादा मज़ा आएगा" कहते कहते रिकी शीना के पास बैठ गया और अपना चेहरा शीना के चेहरे के पास ले गया



"इमॅजिन करने की एनर्जी अब मुझ में नहीं है.. आगे आप की मर्ज़ी है..." शीना ने कहा और हल्के से उपर उठा के अपने चेहरे के साथ अपने होंठों को भी रिकी के और करीब ले गयी.. शीना और रिकी की आँखें मिलते ही वो दोनो एक दूसरे में डूब गये और दोनो अपने अपने हाथ एक दूसरे के बालों में लेके सहलाने लगे... देखते ही देखते दोनो के होंठ मिल गये और दोनो धीरे धीरे कर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे

"उम्म्म्मम भाइईईईयाहह...उम्म्म्म......." शीना हल्की हल्की सिसकारी निकलने लगी



"ओहाहहह शीना.....आइ हॅव बीएन उम्म्म्मम अहाआहहह क्रेविंग अहहहाहा फॉर यू हनी अहहहहूंम्म्मम.....यस सक इट आआहहा हार्डर ना आहह..." शीना और रिकी दोनो अपने चुंबन में ऐसे खोए हुए थे कि उन्हे पता ही नहीं चला के उनके सामने स्नेहा खड़ी रहके उन्हे ही देख रही थी.. स्नेहा शीना के कमरे में प्लेट्स लेने आई थी, लेकिन सामने का नज़ारा देख उसके कदम वहीं जम गये.. रिकी और शीना के चुंबन को देख पहले तो स्नेहा सहम सी गयी, लेकिन फिर अगले ही पल थोड़ा पीछे जाके कमरे के बाहर छुप गयी और चोरी चोरी उन्हे देखने लगी...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:36 PM

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