Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:36 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यार यही लिखा है, 1914581" सामने व्वाले ने फिर ध्यान से देखा और जवाब दिया



"यार ग़लत है, यह 5 डिजिट का होना चाहिए...उससे ज़्यादा नही" रिकी ने सामने की ओर देखा और फिर कहा



"भाई, यहाँ यही लिखा है..." सामने वाले ने उसे जवाब दिया



"रुक.." रिकी ने सामने पड़ी पेन उठाई और हाथ पे पॅज़कोड 1914581 लिखा



"जल्दी कर, नहीं तो कोई आ जाएगा" सामने से फिर रिकी को जवाब मिला



"नहीं आएगा, जब तक मैं ना कहूँ स्नेहा यहाँ नहीं आ सकेगी..उसकी चिंता नहीं है. अब खामोश रह, मुझे सोचने दे..." रिकी ने हाथ पे पॅज़कोड लिखा और सामने वाले ने भी पॅज़कोड लिखा और कुछ सोचने लगा



"यस... गॉट इट..." दोनो ने एक साथ एक दूसरे को कहा



"चलो, दूरी होने के बावजूद भी हमारे दिमाग़ सेम हैं.. गुड गोयिंग" सामने वाले ने जवाब दिया और रिकी ने पॅज़कोड पंच किया.. एंटर का बटन दबाते ही सामने रखी चीज़ "बीएपप.." की आवाज़ के साथ खुली और रिकी की ज़रूरत की चीज़ें उसके सामने आ गयी



"ह्म्म... तो भाईसाब, आपके ज़रूरत की सब चीज़ें मेरे हाथ में आ गयी हैं.." रिकी ने सामने रखी चीज़ें उठा के फोन वाले को कहा



"ठीक है, जब मिलेंगे तब ले लूँगा और ध्यान से देखेंगे.." सामने वाले ने वॉलेट को साइड में रख के कहा



"वो सब तो ठीक है, लेकिन तू आ कब रहा है...." रिकी ने सामने वाले से फोन पे पूछा



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"ज्योति.. ज्योति...." स्नेहा ने ज्योति को उसकी बातों के बीच में रोकते हुए कहा



"यस भाभी..." ज्योति ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा



"बाकी बातें खाने की टेबल पे करो... यहाँ खड़े खड़े बातें करना, अब चलो भी..." स्नेहा जाने के लिए मूडी कि ज्योति ने उसे फिर रोक दिया



"भाभी रूको तो.." ज्योति ने उसे कहा



"अब क्या है यार.." स्नेहा ने झल्ला के कहा और ज्योति की तरफ पलट गयी... ज्योति कुछ कहने ही जा रही थी कि सामने से उसे रिकी आता हुआ दिखा



"ओके चलिए, बाकी बातें नीचे करते हैं.." ज्योति ने स्नेहा से कहा और दोनो बाहर निकलने लगी... स्नेहा तो काफ़ी आगे निकल चुकी थी जल्दी जल्दी लेकिन ज्योति धीरे धीरे कमरे के बाहर आई



"काम हो गया... गुड जॉब..." रिकी ने ज्योति से धीरे से कहा और शीना के लिए खाना लेके कमरे के अंदर चला गया. ज्योति ने उसकी बात सुनी और कुछ सोचती सोचती खाने की टेबल की तरफ बढ़ गयी



"आओ भाई.. आओ..." शीना ने रिकी को फिर घूरते हुए कहा



"गुस्से में ना देख, अब आराम से खाना खाओ, चिंता नहीं करो, रिज़ॉर्ट तुम्हारे नाम ही रहेगा.." रिकी शीना के पास बैठा और खाना खिलाने लगा



"जाओ ना झूठे, बस झूठ बोलो...है ना.." शीना ने नाराज़गी जताते हुए कहा लेकिन खाना भी खाने लगी रिकी के हाथ से...



"तुम्हारी कसम..." रिकी ने सीरीयस होके शीना से कहा



"वाह.. अब आप मुझे मारना चाहते..." शीना ने इतना ही कहा कि रिकी ने अपने हाथ से शीना के मूह पे हाथ रखा और अपनी गर्दन ना में हिलाने लगा



"प्लीज़ ऐसा नहीं कहो...तुम्हे कुछ हो मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता, ऐसे दस रिज़ॉर्ट्स मैं तुम्हारे नाम पे बना दूँगा, पर प्लीज़... कभी ऐसी बात नहीं कहना, " रिकी ने अपना हाथ पीछे किया और उसकी आँखें नीचे झुक गयी... नम तो उसकी आँखें नहीं थी, लेकिन शीना सॉफ देख सकती थी कि रिकी को बहुत बुरा लगा



"सॉरी जी... माफ़ कीजिए... मैं नहीं जानती थी आप मुझसे इतना प्यार करते हो..." शीना ने अपने हाथ से रिकी के चेहरे को उपर करके कहा



"तुम कभी नहीं समझ पाओगी कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के कहा



"अच्छा... आज आप बता ही दीजिए आप मुझसे कितना प्यार करते हैं.." शीना ने रिकी के हाथों को मज़बूती से थामे रखा और उसकी आँखों में देखने लगी... रिकी और शीना दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे, दोनो ने एक दूसरे का हाथों को ऐसे थाम के रखा था कि जैसे एक दूसरे को पकड़ के बस यहीं बैठे रहें, सारी दुनिया से बेख़बर होके, दोनो की आँखें एक दूसरे में खो गयी...



"इस आपके प्यार के सुरूर में मैं..कुछ ऐसा कर जाउन्गा
बन कर खुश्बू..हवा में फेल जाउन्गा...
गर भूलना चाहोगे मुझे तो भूल ना पाओगे...
साँस लोगे तो मैं आपके दिल में उतर जाउन्गा.."



रिकी की कही यह चन्द पंक्तियाँ, सीधे ज्योति के दिल में उतर गयी... उसे बिल्कुल भी होश नहीं था कि वो कहाँ है..वो बस आँखें बंद किए उस वक़्त को, उस पल को अपने ज़हेन में हमेशा हमेशा उतारने की लिए कोशिश कर रही थी...कुछ देर दोनो यूही बैठे रहे.. कहते हैं कि लड़कियों को बातें करने वाले , उन्हे हसने वाले लड़के ज़्यादा पसंद आते हैं.. वैसे तो शीना भी यह सोचती थी कि उसे भी ऐसा लड़का पसंद आएगा, लेकिन रिकी की खामोशी भी उसके दिल से बातें करती थी.. रिकी के मूह से निकला एक एक अल्फ़ाज़ भले ही उसके चेहरे पे हँसी लाए या ना लाए, लेकिन उसके दिल को ज़रूर खुश करता था.. रिकी के साथ होते हुए शीना को किसी बात की फ़िक्र नहीं रहती थी, रिकी पे उसे खुद से ज़्यादा भरोसा था.. शीना की आँखें बंद देख रिकी से रहा नहीं गया और उसके हाथ को अपने होंठों के पास लाके उसे हल्के से चूम लिया.. रिकी के लबों को अपने हाथों पे महसूस करके शीना के चेहरे पे एक मुस्कान तैर गयी, उसकी आँखे अभी भी बंद ही थी लेकिन यह हसी देख रिकी समझ गया कि शीना को यह पसंद आया..



"क्या हुआ.. अब तो आँखें खोलो..." रिकी ने उसके चेहरे को अपनी हथेली में थाम के कहा



"भाई, 2 मिनट्स..." शीना ने रिकी के हाथों को फिर पकड़ लिया और आँखें बंद ही रखी... जब तक शीना की आँखें बंद थी, तब तक रिकी मंद मंद मुस्कुराते हुए उसे ही देखे जा रहा था... अंत में शीना ने एक लंबी साँस ली, जैसे किसी की महक ले रही हो. और अपनी आँखें खोली... आँखें खोलते ही रिकी को सामने देख उसके चेहरे की मुस्कान और बढ़ गयी...



"अवववव भाई... आइ लव यू आ लॉट...." शीना ने अपनी बाहें खोल के कहा और रिकी को गले लगा लिया



"आइ लव यू टू स्वीटी... बट हुआ क्या, वो तो बताओ.. आँखें बंद करके क्या देख रही थी..' रिकी ने शीना के हाथों को पकड़ के कहा



"मैने एक मस्त खूबसूरत सपना देखा भाई..." शीना ने अपनी चुलबुली हँसी के साथ जवाब दिया



"अच्छा, मुझे भी बताओ, पता तो चले कि क्या देखा.." रिकी ने अपनी कोहनी बेड पे टिका दी और शीना को सुनना चाहा



"मैने देखा कि...." शीना ने इतना ही कहा कि रिकी का फोन बज उठा



"ओफफफ्फ़...आपका फोन यार.." शीना ने गुस्से से रिकी को देखा



"एक मिनिट यार.. रुक जाओ.." रिकी ने शीना को कहा और फोन पे नंबर देख के चोकन्ना हो गया



"शीना, एक मिनट प्लीज़... दिस ईज़ अर्जेंट.." रिकी ने फोन आन्सर करते हुए कहा और कमरे के बाहर निकल गया



"हां बोलो.." रिकी कमरे के बाहर आ गया लेकिन शीना को वो सामने देख सकता था, जो बैठे बैठे उसे फ्लाइयिंग किस भेज रही थी



"तुझे पहले ही कहा था इन सब से बच के रहना.." सामने से उसे जवाब मिला, यह लाइन इतनी कठोर आवाज़ में कही गयी थी कि रिकी सहम गया



"मैने तुझसे क्या कहा था..लेकिन तू हमेशा मेरी बात को भूल जाता है.." सामने से फिर उसे जवाब मिला लेकिन इस बार आवाज़ में थोड़ी नर्मी थी



"मुझे याद है..." रिकी ने बस इतना ही कहा और सामने बैठी मासूम शीना को देख के उसकी आँखें लाल होने लगी



"शीना या यह काम.. आज मुझे तेरा जवाब चाहिए..." सामने वाले ने फिर उसे सवाल पूछा.. यह सवाल सुन रिकी की आँखों के सामने कुछ ऐसे मंज़र आ गये जिन्हे याद करके वो अंदर ही अंदर बिलखने लगा, उसका दिल रोने लगा..लाल सुर्ख हो चुकी आँखें अब धीरे धीरे नम होने लगी थी..



"शीना या यह काम... जवाब दे मुझे.." सामने वाले की आवाज़ फिर कड़क हो गयी



"यह काम..." रिकी ने दिल पे पत्थर रख के जवाब दिया और अपनी आँखों से बह रहे आँसुओं को समेटने की कोशिश करने लगा



"ग्रेतत्त्त्त्तह... राइचंद'स में से कोई भी नहीं बचेगा... शीना भी नहीं... याद रखना..." सामने वाले ने रिकी से कहा और फोन कट कर दिया
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