Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:14 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अरे अरे मेरे ससुर जी... भाई से क्या बात करनी जब भाई की बहेन आपके मस्ताने लंड पे झूल रही है.." स्नेहा ने राजवीर की बात को नकारने का सोचा



"बहेन हो या बहू.. रहोगी तो रंडी ही तुम स्नेहा..." राजवीर ने भी अपने लंड को स्नेहा की गान्ड पे दबा के जवाब दिया और स्नेहा की गर्दन पे जीभ घुमा के उसे चाट लिया



राजवीर के लंड की अकड़न महसूस करके स्नेहा की सिसक सी निकली "आहहूंम्म्म...." , जब राजवीर ने यह देखा तो वो अपने जोश को थोड़ा और बढ़ाने लगा और अपने लंड को होल होल से स्नेहा की रेशमी साड़ी के उपर से ही उसकी गान्ड को घिसने लगा.. राजवीर के लंड ने हुंकार भरना शुरू ही किया कि स्नेहा मदहोश सी होने लगी थी और उसी भावना में बहकी स्नेहा ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी गर्दन को हल्के से पीछे ले गयी, राजवीर यह देख खुश होने लगा कि आज वो जितना चाहे स्नेहा को उतना तडपाएगा, राजवीर ने हल्के से अपनी जीभ उसकी गर्दन से हटा के उसके गालों पे रखी और उसके गालों को अपनी ज़बान से चाट चाट के गीला करने लगा.. स्नेहा पहले तो चाहती थी कि राजवीर प्रेम की बात को भूल जाए, लेकिन अब वो खुद भी इस मज़े में डूबने लगी थी, उसने अपनी गान्ड की रगड़ान को थोड़ा और तेज़ कर दिया जिससे उसकी साड़ी हल्के से उसको चुचों के उपर से खिसकने लगी जिसे देख राजवीर ने मौका ना गवाते हुए अपने हाथों को स्नेहा के चुचों पे रखा और हल्के हल्के से उन्हे ब्लाउस के उपर से ही सहलाने लगा



"आहाहह ससूरर जेजीईईई..." स्नेहा की आँखें बंद अभी भी बंद थी और वो बस राजवीर के कड़क हाथों और कड़क लंड के मज़े ले रही थी..



राजवीर का लंड स्नेहा के चुतड़ों की सेवा में लगा हुआ था, उसके हाथ स्नेहा के चुचों पे थे और उसकी जीभ स्नेहा के गालों पे.. स्नेहा ये तीन तरफ के मज़े में डूबी हुई थी और बस सिसक रही थी, जब की राजवीर आज फ़ुर्सत में स्नेहा के मज़े लेने के मूड में था, इसलिए उसने स्नेहा के ब्लाउस को धीरे धीरे कर खोला और स्नेहा के शरीर से अलग कर दिया.. ब्रा में आते ही स्नेहा की मस्ती और बढ़ गयी और एक ज़ोर की आवाज़ "आअहुउफफफफफफ्फ़" से राजवीर की मस्ती की नदी में डूबने को तैयार हो गयी... ऐसी तड़प देख राजवीर ने भी अपना दूसरा काम किया और अपना दूसरा हाथ ले जाके स्नेहा के दूसरे चुचे को हाथ में थामा और दोनो हाथों से स्नेहा के दोनो चुचों को हल्के हल्के मसल्ने लगा और साथ ही उसके गालों को चाटना और लंड को उसकी गान्ड पे रगड़ना जारी रखा



"आआहह ससुर जी.... उईईइ माआहहह.." स्नेहा ने बस इतना ही कहा और अपने हाथों से अपने चुचों को ब्रा के बाहर निकाल दिया और राजवीर के हाथों के उपर अपने हाथ रख के चुचों पे ज़ोर बढ़ा दिया, लेकिन राजवीर बिल्कुल उतावला नहीं था इसलिए उसने स्नेहा के हाथों को हटाया और अपने अंगूठों से स्नेहा के निपल्स को छेड़ने लगा, राजवीर के हाथों में अपने निपल्स महसूस करते ही स्नेहा के निपल पत्थर जैसे कड़क हो गये



"अहहहा....पापा उम्म्म्ममम...." स्नेहा ने फिर सिसकी भरी और अपने मूह को घुमा के राजवीर की तरफ घूम गयी... स्नेहा के चेहरे को अपने सामने देख राजवीर की आँखें भी नशे के समुंदर में डूबने लगी, स्नेहा का गोरा चिकना चेहरा, उसके चेहरे पे काम वासना सॉफ सॉफ दिख रही थी, काली ब्रा से हवा में झूल रहे उसके सफेद गोरे चुचे और उनका उभार देख राजवीर ने तुरंत निपल छोड़ दिया और अपने हाथों से उसके चुचों को ऐसे गूँथने लगा जैसा आटा गूँथा जाता है... स्नेहा ने हल्के से अपनी आँखें खोली जो काम वासना में लाल हो चुकी थी, यह पहला मौका था जब दोनो की आँखें एक दूसरे से टकराई थी, स्नेहा के चेहरे से लेके उसका पूरा शरीर काम वासना की नदी में गोते लगा रहा था, एक पल दोनो ने खुद को देखा और हल्के हल्के से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे..




"उम्म्म्ममाहाहहहहहा ससुर जीएआहह.....उम्म्म्ममम उफफफ्फ़........" स्नेहा राजवीर के होंठों को चुस्ती हुई बोलने लगी, इतने में राजवीर ने अपने हाथों को उसकी ब्रा के स्ट्रॅप पे रखा और ब्रा हटा के उसके पहाड़ी चुचों को ब्रा की क़ैद से आज़ाद कर दिया, स्नेहा के चुचे राजवीर की छाती में धसे जा रहे थे.. दोनो एक दूसरे को चूम रहे थे, राजवीर ने अपने हाथ स्नेहा की कमर पे रखे और उसे पकड़ के धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा, जिससे स्नेहा की चूत वाला हिस्सा राजवीर के लंड पे घिसने लगा



"अहाहा..मेरे हरामी ससुर अहहहहाहा...बेटी चोद साले उफफफ्फ़....." स्नेहा ने अपने होंठों को अलग किया और आनंद से अपनी गर्दन पीछे कर दी, जिससे उसके चुचों का उभार राजवीर की आँखों के सामने आया और राजवीर ने भी बिना वक़्त गँवाए उसके चुचों को अपने मूह में भरा और एक एक कर चूसने में लग गया.. जब एक निपल उसके मूह में होता तो दूसरा उसके अंगूठे में और स्नेहा इस आनंद की शीत ल़हेर में बहने लग गयी, अभी राजवीर ने कुछ भी नहीं किया था और स्नेहा झड़ने को आ गयी थी



"आआहा ससुर जी.... हाँ और ज़ोर से अहहहा यस प्लीज़ आहहाहा.... पापा अहहाहा मैं आ रही हूँ अहाहहा...." स्नेहा राजवीर के मूह को अपने चुचों पे दबाने लगी और उसके बालों में हाथ घुमाने लगी...



"अहहाहा हां पापा अहहाहा हाआँ आइए अहहहाहा चुसिये अपनी बहू अहहाहा के चुचे अहहहः चुचियों को अहाहाा...अहहहाहा नूऊऊओ" स्नेहा झड के चिल्लाने लगी , लेकिन राजवीर अभी भी अपनी उसी हरकत में लगा हुआ था..




"अहहाहा मेरे भडवे बाप सहहहाहा...." स्नेहा ने अपनी गर्दन आगे की ओर जंगली जैसे राजवीर के होंठों को चूसने लगी... काफ़ी देर तक होंठों को चूस के स्नेहा उसकी गोद से उठी और अपने साड़ी का पेटिकोट उतार के अपनी कच्छि में आ गयी.. राजवीर बस उसकी चूत की लकीर को ही देखता रहा जो बिल्कुल गीली लग रही थी, स्नेहा आगे बढ़ी और राजवीर की जीन्स के बटन पे हाथ रख के उसे खोल दिया और नीचे खिसकाने लगी... राजवीर की जीन्स उतर गयी और देखते ही देखते स्नेहा ने उसके बॉक्सर को भी उसके शरीर से अलग कर दिया.. राजवीर का लंड स्नेहा की आँखों के आगे ऐसे खड़ा था जैसे किसी को सलामी दे रहा हो



"उम्म्म अहहाहा...." स्नेहा ने अपने होंठों पे जीभ फेरी राजवीर के लंड को देख के.. स्नेहा एक हाथ अपने चुचे पे ले गयी और उसे हल्के से दबा दिया और दो कदम पीछे चली गयी.. राजवीर के सामने स्नेहा अब सिर्फ़ पैंटी में थी, जिसे देख राजवीर ने भी अपनी शर्ट उतार दी.. राजवीर की चौड़ी छाती पे हल्के घुंघराले बाल, उसके अब और नीचे सबसे अहेम चीज़, उसका सलामी देता हुआ लंड देख स्नेहा की लाल आँखें चमक उठी और देखते ही देखते वो राजवीर के सामने धीरे धीरे अपने बदन को हिलाने लगी और पोले डॅन्स की आक्टिंग करने लगी, स्नेहा जब भी पीछे घूमती, तो अपनी गान्ड को किसी रंडी की तरह मटका देती और फिर आगे पलट के अपने चुचों को अपने ही हाथों से मसल्ति.. धीरे धीरे स्नेहा अपनी पैंटी को हल्के हल्के नीचे खिसकाने लगी और राजवीर को तड़पाने के लिए फिर उपर कर लेती... तड़पाते तड़पाते स्नेहा ने धीरे धीरे कर अपनी पैंटी उतार दी और उसे राजवीर की तरफ हवा में उछाल के फेंक दी, जिसे राजवीर ने कॅच किया और अपनी नाक से उसकी चूत की महक लेने लगा..





"अहहहा.. मेरे चोदु ससुर की थरक नयी उँचाई पे है आज तो.." स्नेहा ने दो कदम आगे बढ़ के कहा



"क्या करूँ, आज मेरी बहू की रंडी पन्ति भी तो एक अलग ही उँचाई पे है.." राजवीर ने बैठे बैठे ही जवाब दिया और स्नेहा की कच्छि को अपने लंड पे लपेट दिया




"हाहाहा... हां, उम्म्म्म...." स्नेहा राजवीर के पास आई और नीचे झुक के उसके लंड पे हाथ फेरने लगी...राजवीर ने भी अपने हाथ को स्नेहा के बालों में डाला और उसे सहलाने लगा.. स्नेहा इशारा समझ गयी और झुक के राजवीर के टट्टों को चूसने लगी और हाथों से लंड को उपर नीचे करने लगी..



"अहहहा...उम्म्म स्लूर्र्रप्प्प आहाहहहहा.... अहहहः उम्म्म्म उम्म्म अहहाहा....स्लूर्र्रप्प्प अहहहा..." स्नेहा टट्टों को चुस्ती और राजवीर की आँखों में देखते देखते लंड को भी हिलाती रहती, राजवीर आराम से बस स्नेहा के बालों में हाथ फेरता और उसकी चुसाइ का मज़ा लेता...


"उम्म्म उम्म्म अहहहा स्लूर्रप्प्प्प्प अहहाहा.... चाचा जीए अहहाहहहहह अहाहौमम्म्मममम अपने भतीजे की अहहहाहा उम्म्म ससलुर्र्रप्प्प्प अहाहा...बीवी को अहहहा उईईईईई ओमम्म्मम..चोद्ते हो अहहहहा..... " स्नेहा अटक अटक के बोलती और चुसाइ के मज़ा लेती और देती.. स्नेहा ने धीरे धीरे से शुरू कर अपने हाथों की गति को बढ़ाया और ज़ोर ज़ोर से राजवीर के लंड को हिलाने लगी और उपर नीचे हो रहे उसके टट्टों को मूह में लेके कुतिया की तरह काटने लगी... जब राजवीर को लगा अब वो नहीं रुक पाएगा तो उसने स्नेहा को उपर अपने पास खींचा और उसके होंठों को चूसने लगा...




"अहाहहा तू तो मेरी भतीजी है ना अहाहहा... मेरी शीना रानी अहाहहा उम्म्म्मम सस्सूउप्प्प्प्प्प्प अहाहाआ....." राजवीर स्नेहा के होंठों पे ऐसा टूटा जैसे स्नेहा कहीं भागी जा रही थी, और उसके इस जंगलीपन में स्नेहा ने भी उतना ही साथ दिया.. होंठ चूस्ते चूस्ते राजवीर ने स्नेहा को अपनी गोद में उठाया और पास पड़े बिस्तर पे फेंक दिया




"अहाहा धीरे ना चाचू अजाहहहा.." स्नेहा ने किसी रंडी जैसी अदा में कहा... बिस्तर पे गिर के स्नेहा ने बिना देर किए अपनी टाँगें खोली और अपनी भीगी हुई लाल चूत का दाना राजवीर के आँखों के सामने प्रदर्शित कर दिया.. राजवीर ने लपक के अपनी जीभ को उसकी भीगी हुई चूत पे रखा ही था के स्नेहा दूसरी बार झड गयी..





"अयाया फुक्ककककक....." स्नेहा चिल्लाई और राजवीर भी उसका पूरा पानी पीने लगा...




"अहहहा सक मी ना चाचू अहाहहा.. शीना अहहहाहा ही तो हूँ मैं अहहहाहा.." स्नेहा ने राजवीर के चेहरे को अपनी चूत में धसाते हुए कहा और राजवीर भी कुत्ते की तरह उसकी चूत को चाटने में लग गया..





"अहाहहा..मेरी शीना रानी अहाहा स्लूर्र्रप्प्प अहहहा.... चाचू से चुदवाती है अहहहहा..... मेरी रंडी भतीजी अहहहाहा स्लूर्र्रप्प्प्प्प उम्म्म्मममम..." राजवीर का आपा खोने लगा था, वो फिर उतावलेपन में आ गया था अब





"हां चाचू अहहहहा... अपनी भतीजी को अहहहहाहा अनूऊऊऊ चोदो ना जीभ से ही अहहहा... कैसी लगी अहहहहा मेरी चूत चाचू आपको अहाहहाहा...." स्नेहा आँखें बंद किए हुए मज़े ले रही थी और अपने हाथों से अपने चुचों को मसल रही थी


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