Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:14 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"लीजिए.." स्नेहा ने रिकी की तरफ पेपर बढ़ाए ही थे कि रिकी ने फिर कहा



"चाचू, विटनेस पे साइन कर लीजिए आप भी प्लीज़..." रिकी ने पेपर्स राजवीर के आगे रख के कहा



"अरे मैं कैसे, भाई साब से ले लो.." राजवीर ने अमर की तरफ देखते हुए कहा



"ठीक है यार तुम कर लो... एक ही बात है.." अमर ने बड़े कॅष्यूयली कहा और रिकी उससे भी साइन लेने लगा...



"डन चाचू, बस दो साइन्स ही हैं.." रिकी ने पेपर्स अपने पास रख के कहा



"भाभी.. कंग्रॅजुलेशन्स, रिज़ॉर्ट आपका है, जैसा आपको बनवाना है, जैसा आप को चाहिए, वैसा करवाईए तो हमे ज़्यादा खुशी होगी.." रिकी ने स्नेहा को बधाई दी और उसे हाथ मिलाया



"नही नही देवर जी.. वो तो आप के हिसाब से ही बनेगा.. साथ मिलके काम करने में जो मज़ा है, वो अकेले में कहाँ.." स्नेहा ने रिकी के हाथों पे अपने हाथ दबा के कहा जिसे रिकी ने इग्नोर किया और वहाँ से निकल के शीना को न्यूज़ देने गया



"पता नही, यह लड़का क्या कर रहा है.." सुहसनी ने ज़ोर से यह बात कही जिसे स्नेहा और राजवीर के साथ अमर भी सुन गया लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा और पेर पटक के सुहसनी अपने कमरे की तरफ निकल गयी



"राजवीर, तुम्हारा क्या कहना है... रिकी ने सही किया..." अमर ने राजवीर में अपना समर्थन खोजना चाहा



"पता नहीं भाई साब, कुछ फ़ैसलों के लिए सही या ग़लत सोचा नहीं जाना चाहिए.. रिकी ने कुछ सोचा होगा तो वो उसकी सोच है, और ज़रूरी नहीं हर किसी की सोच एक सी हो.. देखते हैं, आगे जाके पता लग ही जाएगा हमे यह फ़ैसला सही है या नहीं.." राजवीर ने अमर को हँस के जवाब दिया जिसे सुन अमर फिर एक असमंजस में पड़ गया




"ह्म्म, तो गिफ्ट दे दी भाभी को आपने आख़िर.." शीना ने रिकी की बात सुन के उसकी बात का जवाब दिया



"शीना, डॉन'ट वरी.. एक फ़ैसला तो मैं ले सकता हूँ ना.." रिकी ने सरलता से शीना का जवाब दिया



"ठीक है, आप को जो ठीक लगे, अब जब काम कर दिया तो मुझे बताने भी क्यूँ आए.. " शीना ने अपनी बात कह के मूह फेर लिया



"शीना... मेरे लिए हुए फ़ैसले का साथ नहीं दोगि.." रिकी ने उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमा के पूछा



"भाई, अब पटाओ नहीं, दिस वाज़ नीडलेस, इतने ज़्यादा एमोशनल कब से हुए आप.." शीना का बनावटी गुस्सा कम होने लगा था वो रिकी ने भी देख लिया



"नो मोर डिस्कशन ऑन दिस, बस हां या ना कहो.." रिकी ने हँस के शीना से पूछा



"क्या कहूँ... अब हो गया तो रहने देते हैं, हां या ना नहीं कहूँगी मैं.." शीना का बचा कुचा गुस्सा भी पिघल गया



"चलो अब मैं जाउ.." रिकी ने आगे बढ़ के शीना के मस्तक को चूम के कहा



"कहाँ.." शीना ने एका एक अपना सर उठा के रिकी को देखा और फिर अगले ही पल उसे याद आया



"ओह यस... शिट यार, हां महाबालेश्वर, वीकेंड है..." शीना ने उदास होके कहा



"इसमे उदास क्यूँ.. आइ विल बी बॅक जल्दी, डोंट वरी" रिकी ने शीना के हाथों को अपने हाथ में लेते हुए कहा



"क्या खाक...ऐसे जवाब नहीं दो, आइ नो सनडे ईव्निंग तक आओगे.. फ्राइडे ईव्निंग से लेके सनडे ईव्निंग... दो दिन आप दूर होगे यार, प्लीज़ नही जाओ ना..." शीना ने मासूम सा चेहरा बना के कहा



"ठीक है, नहीं जाता, एनितिंग फॉर माइ प्रिन्सेस.." रिकी फिर शीना से गले लगने लगा



"ओह हेलो, चलो निकलो... आंड प्लीज़ देखना सब जैसा हम ने सोचा है वैसा ही बने..अगर कुछ भी उल्टा हुआ ना, ज्योति को छोड़ो, पहले आपको कच्चा खा जाउन्गी मैं..हिहीही" शीना की हसी छूट गयी और फिर रिकी भी अलविदा कहके महाबालेश्वर की तरफ निकल गया




"राजिवर, वैसे तुम्हे क्या लगता है, रिकी ने यह सब क्यूँ किया.." स्नेहा ने राजवीर से पूछा जब दोनो होटेल हिल्टन में मिले... जब से उनके शारीरिक संबंध बने तब से यह लोग घर पे कम और होटेलो में ज़्यादा चक्कर काटने लगे थे



"वो ठीक है, पर पहले ससुर जी, फिर चाचू और अब सीधा नाम.. और कितना नीचे लाओगी मुझे" राजवीर ने जवाब दिया



"अब तो तुम्हारे लंड के नीचे आ गयी हूँ मेरे राजा.. इज़्ज़त और कितनी करूँ.. जवाब दो ना, ऐसा क्यूँ किया होगा रिकी ने.." स्नेहा मुद्दे से भटकना नहीं चाहती थी



"पता नहीं, रिकी की सोच रिकी ही जाने, लेकिन तुम्हे तो खुश होना चाहिए, इतनी जयदाद की तुम अकेली मालकिन..क्या करोगी इन सब पैसों का.." राजवीर ने स्नेहा को अपनी गोद में खीचते हुए कहा और स्नेहा भी हसी खुशी उसकी गोद में जाके बैठ गयी




"उम्म्म, बस पूरा दिन यही करते रहो.." स्नेहा ने राजवीर से सिसक के कहा जब उसने अपनी गान्ड पे उसका खड़ा लंड महसूस किया



"तू चीज़ ही ऐसी है मेरी बहू रानी... अब मैं क्या करूँ तू ही बता.." राजवीर ने अपना एक हाथ उसके चुचों पे रख के कहा और उन्हे प्यार से सहलाने लगा



"ओह मेरे चोदु ससुर.. ज़रा रूको भी.. और मैं अकेली कहाँ, मेरा भाई भी तो है मेरे साथ..उसका ध्यान भी तो मैं ही रखूँगी" स्नेहा ने राजवीर के हाथों को अपने चुचों पे ज़ोर से दबा दिया



"अरे, हां वो है कहाँ आज कल.. आता नहीं क्या तुमसे मिलने.. " राजवीर की यह बात सुन स्नेहा को समझ नहीं आया कि वो क्या जवाब दे



"एक काम करो, लगाओ उसे फोन, बात तो कर लूँ, भाई साब है कहाँ आज कल.." राजवीर ने फिर स्नेहा से कहा जिसे सुन स्नेहा के दिमाग़ में ख़तरे की घंटियाँ बजने लगी




उधर रिकी शाम ढलते ढलते महाबालेश्वर पहुँच गया, सब से पहले जाके साइट पे देखा तो काम चालू हो चुका था और रात को कुछ नुकसान ना हो इसलिए कुछ आदमी वहाँ सेक्यूरिटी के लिए रखे गये थे.. यह सब देख रिकी को अच्छा लगा और मुस्कुरा के महाबालेश्वर वाले घर की तरफ निकल गया... वहाँ पहुँचने के सबसे पहले नज़र उसने सेक्यूरिटी गार्ड्स की तरफ डाली.. शीना के हमले के बाद घर के बाहर तीन गार्ड्स थे, दो गार्ड्स पीछे की तरफ थे और दो गार्ड्स उपर टेरेस पे खड़े रहते, क्यूँ कि शीना का हमलावर बाहर से अंदर नहीं घुसा था, तो सीधी बात है कि उपर से ही आया होगा.. इसलिए ज्योति के वहाँ आने से पहले ही रिकी ने यह सब बंदोबस्त करवाया था.. टेरेस पे नियुक्त दो गार्ड्स नीचे सुबह को उतरते और शाम होने से पहले वापस उपर चले जाते, और इसी बीच घर पे कोई मौजूद हो तो हर एक घंटे में एक गार्ड हर एक फ्लोर के चक्कर लगाएगा..



"गुड ईव्निंग सर..." सेक्यूरिटी गार्ड ने रिकी को सलाम ठोकते हुए कहा



"ह्म्‍म्म, ऑल गुड..." रिकी ने आस पास नज़र घूमाते हुए कहा और एक नज़र उपर भी देखा



"यस सर, डॉन'ट वरी..आप के मुताबिक ही हम पहरा दे रहे हैं" सेक्यूरिटी गार्ड ने बड़े ही कड़क अंदाज़ में जवाब दिया



"ओके, और जो उपर टेरेस वाले हैं उन्हे भी नीचे बुलाओ.." रिकी ने अपना मोबाइल निकाला और कुछ देखने लगा.. नीचे खड़े सेक्यूरिटी गार्ड ने उपर वालों को फोन किया और नीचे आने को कहा.. 1 मिनिट भी नहीं हुआ था कि तीनो के तीनो रिकी के सामने खड़े थे



"कुछ अजीब हरकत दिखी तुम्हे इन दिनो" रिकी ने तीनो से पूछा



"नो सर, ऐसा कुछ नहीं है..जब से हम यहाँ आए हैं, सब कुछ सामान्य है..." एक गार्ड ने आगे आके जवाब दिया



"ह्म्‍म्म्म, ठीक है.. एक काम करिए , आप तीनो और पीछे जो दो लोग हैं, उन्हे आप बुला लीजिए, आप चाहें तो आज छुट्टी पे जा सकते हैं, सनडे आइए आप लोग, तब तक मैं हूँ यहाँ" रिकी ने उन्हे देख फिर आस पास नज़र घुमाई और उनसे बात करने लगा..



कुछ ही देर में पाँच सेक्यूरिटी गार्ड उसके सामने आए और उससे इजाज़त लेके निकलने लगे..



"अरे रुकिये, घर जाओगे तो खाली हाथ जोगे क्या..यह लो, कुछ लेते हुए जाओ घर वालों के लिए" रिकी ने उन लोगो के हाथ में कुछ पैसे दिए और खुद अंदर चला गया



रिकी ज्योति को इनफॉर्म करके नहीं आया था, इसलिए अंदर जाके उसे सर्प्राइज़ करने का सोचा.. मैं हॉल में एंट्री लेते ही किचन के ठीक पास वाले कमरे की लाइट्स जल रही थी, जिससे रिकी ने अंदाज़ा लगा लिया कि ज्योति उधर होगी.. रिकी धीरे धीरे चल के दरवाज़े के पास पहुँचा तो देखा दरवाज़ा बंद था, लेकिन लॉक्ड नहीं था.. उसने हल्के से दरवाज़े को धकेला और सर्प्राइज़ चिल्लाने ही वाला था कि सामने का नज़ारा देख के उसके होश ही उड़ गये
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:14 PM

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