RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"रूको भाया, मुझे चेक करने दो बॅंक में कितना है.. पर इंग्लेंड की जीत का तो बता छोरे.." सेठ ने अपने हाथ में कॅल्क्युलेटर लेके कहा
"इंग्लेंड से आपको क्या फरक पड़ेगा, आप तो ऑस्ट्रेलिया पे लगा रहे हैं ना.." रिकी ने फाइनली अपनी बात समझाई उसको
"होशयार से छोरे, ठीक है, 10 करोड़ लगा दो इंग्लेंड पे पूरी सीरीस के लिए.." सेठ ने फाइनली रिकी की बात मानी
"ओके, समझिए 30 करोड़ आपके, अच्छा वैसे स्कोर लाइन पे लगाएँगे क्या, आइ मीन कितने मार्जिन से जीतेगी..उसपे" रिकी ने फाइनली अपना मोबाइल निकाला और कुछ स्मस'स पढ़ने लगा
"उसका क्या रेट है भाया.."
"उसका कोई रते नही, वैसे यह बेट हम नहीं लेते, ओबेरॉय ही खेलना चाहता है आपसे.. उसका कहना है इंग्लेंड 4-1 से सीरीस जीतेगी.. इस्पे वो 10 करोड़ खेलना चाहता है.."
"4-1, छा... मेरी ऑस्ट्रेलिया इतनी कमज़ोर नहीं है.. 3-2 से लेगी इंग्लेंड, लगा दो, और वो ओबेरॉय को बोलना उसके पैसे 3 दिन में दे दूँगा यह जो अभी हारा"
"कोई बात नहीं सेठ, उसे हम ने अपनी तरफ से दे दिए, आप हमारे पुराने दोस्त हैं, आप हमे दे दीजिए , कोई बात नहीं 7 या 8 दिन की..ठीक है चलिए मैं ओबेरॉय को बोल देता हूँ यह 10 करोड़ वाली भी.."
"ओके भाया, राम राम.." उस सेठ ने कहा और फोन कट कर दिया
"अब यह क्या नया माजरा है भाई.. " राजवीर ने उसे अपने हाथ की छुरी दिखाते हुए कहा
"ओह, सॉरी, लाइए, मैं कट कर दूँगा.." रिकी ने उसके हाथ से छुरी लेके कहा
"वो सब ठीक है, पर यह नये स्कोर लाइन का क्या निकाला अब.. और कभी उस सेठ को पता चला ओबेरॉय के बारे में तो मुसीबत हो जाएगी.." राजवीर ने उसे कड़क आवाज़ में कहा
"नहीं होगा कुछ भी चाचू, 5.6 करोड़ यह आए हैं हमारे पास.. आपने एक बात नोटीस की है कभी, सेठ हमेशा ऑस्ट्रेलिया की मॅच पे ऑस्ट्रेलिया ही लेता है, बस इसी का फ़ायदा है, सीरीस में उसे मैने मजबूर किया कि इंग्लेंड पे लगाए, ताकि उसे ऐसा ना लगे कि हम सिर्फ़ उसको हरवाना चाहते हैं, लेकिन अब उसकी कमज़ोरी का फ़ायदा भी तो उठाना पड़ेगा, इसलिए मैने यह स्कोर लाइन वाला किया.. इंग्लेंड 4-1 से ही जीतेगी,उसके 10 करोड़ ओबेरॉय को, यानी हमे मिलेंगे, सेठ को 30 करोड़, उसमे से तकरीबन 16 करोड़ हमारे, मतलब सेठ और हम दोनो जीतेंगे इस सीरीस में, किसी को कोई दुख नहीं.." रिकी ने सब्जी काटते हुए कहा
"तुम बहुत कुछ बहुत जल्दी सीख गये हो रिकी..." राजवीर ने रिकी को देख कहा और वहाँ से निकल के फिर अमर के पास जाके बैठ गया
"अरे बताओ भाई.. क्या बनाया है, आज तुम्हारे हाथ का भी ख़ाके देखें.." अमर के साथ सब डाइनिंग टेबल पे बैठे हुए थे और उसने सामने से आते रिकी को देख कहा जो कुछ बट्लर्स के साथ खाने की ट्रे आगे लेके आ रहा था
"पता नहीं डॅड, कैसा होगा, वैसे मेरा इन्षुरेन्स फुल है भाई, आइम रेडी तो टेक दा रिस्क हिहिहीही.." शीना ने मज़ाक में रिकी से कहा
"चिकन कॉर्मा, दाल फ्राइ, रोटी, पनीर आंड सम नाचोस टू गो वित, और डिज़र्ट में वाइट फोरेस्ट केक.." रिकी ने शीना को देख कहा
"उम्म्म यूम्मम यूम्मम भाई, जल्दी खिलाओ, वेरी हंग्री.." शीना ने अपनी आँखों को गोल गोल घुमा के कहा
"यह सब हमारे लिए, दिस ईज़ फॉर यू.. क्लियर चिकेन सूप, और उसके बाद खिचड़ी और एंड में एक नीम का पत्ता.." रिकी ने उसके पास बैठ के कहा, जिसे सुन वहाँ बैठे सब लोग खिलखिलाने लगे और शीना ने मूह फुलाने की आक्टिंग की
"ठीक है ठीक है, अब अपने हाथ से खिलाओ" शीना ने बनावटी गुस्से में कहा और रिकी भी उसके पास बैठ गया और उसे अपने हाथ से खिलाने लगा
"वैसे भाई, हाउ वाज़ युवर एग्ज़ॅम.." शीना ने रिकी से पूछा, जब सब लोगों ने खाना ख़तम किया, रिकी और राजवीर उसे उपर ले आए .. राजवीर तो उसे छोड़ चला गया लेकिन रिकी वहीं बैठा रहा और उसे बाल्कनी में ले आया.. रिकी ज़मीन पे ही बैठा रहा और दोनो बातें करने लगे
"इट वाज़ ओके यार, बाकी 3 हैं, अब वो भी अच्छे जायें तो ओवर.. फिर नो मोर एग्ज़ॅम्स.." रिकी ने जवाब दिया लेकिन अपनी आँखें समंदर पे ही रखी थी
"आंड.." शीना ने इतना ही कहा के फिर रिकी का फोन बज उठा
"अर्र्घ.... उठा लो पहले इसे.." शीना ने चिढ़ के कहा
"चिल मार ना स्वीटी.. हेलो, हां ज्योति पहुँच गयी.." रिकी ने फोन उठा के कहा
"यस भैया, कुछ देर पहले, विलसन के साथ अभी साइट पे जा रही हूँ, फेन्सिंग के काम के लिए भी सब लोग आ गये हैं, आज वो निपटा के फिर शाम को विलसन के साथ डिज़ाइन फाइनल कर देंगे.." ज्योति ने जवाब दिया
"व्हाट डू यू मीन डिज़ाइन फाइनल करनी है, इस्न'त इट फाइनल, वाइ चेंजस ?" रिकी ने रिक्ट किया उसकी बात पे
"भैया, नो चेंजस, जस्ट दा माइनर चेंजस इन मेटीरियल इफ़ रिक्वाइयर्ड.. लाइक सोफा कुशान्स, ड्रेप्स आंड ऑल दीज़ थिंग्स.. विलसन ने कहा है 995 नो चेंजस रिक्वाइयर्ड, शायद ही 1 % कुछ चेंज होगा.. समझे.." ज्योति ने उसे ठंडा करते हुए कहा
"ओह, यस, फाइन देन... वेट, शीना वांट्स टू टॉक टू योउ" रिकी ने कहा और फोन शीना की तरफ बढ़ाया
"व्हाट..क्या बात करूँ.." शीना ने सिर्फ़ होंठ हिलाते हुए रिकी से पूछा जिसके जवाब में रिकी ने फोन उसके हाथ में थमा दिया
"हाई ज्योति... एग्ज़ॅम कैसा था तुम्हारा, आंड यह क्या बात है के घर पे ही नहीं आई, " शीना ने मजबूरी में बात शुरू की
"अरे आइ वाज़ गेटिंग लेट, इसलिए.. आंड भैया के साथ ही थी, एनीवेस, अब प्लीज़ गुस्सा ना हो, आंड आर यू फाइन, " ज्योति ने अपने सामने रखे पेपर पे कुछ ड्रॉ करके कहा
"यस, आइ म फाइन, होप्फुली यह 6 मंत का पीरियड जल्दी से कम हो जाए, चलो, तुम काम कर लो, शाम को बात करते हैं "
"यस, बाइ, टेककेर" कहके ज्योति ने फोन कट किया
"क्या यार, अब बहेन से एग्ज़ॅम के बारे में तो पूछ सकती हो ना" रिकी ने फोन लेते हुए कहा
"वो ठीक है, डिज़ाइन चेंज की क्या बात थी.." शीना ने पूछा और रिकी ने उसे सब बताया जो ज्योति ने उसे कहा
"यह लो स्नेहा, पेपर्स.." राजवीर ने स्नेहा को फोन करके घर के बाहर बुलाया था, दोनो इस वक़्त ताज के कॉफी शॉप में थे
"अरे वाह, बहुत जल्दी है आपको अपने भाई को मरवाने की, दोपहर को हमारी बात हुई, और 6 घंटे में पेपर्स रेडी" स्नेहा ने पेपर्स हाथ में लेते हुए कहा और उन्हे ध्यान से देखने लगी
"ह्म्म, ठीक है.. कहे मुताबिक ही हैं, पर इसकी ट्रू कॉपी करवा दीजिएगा फिर देना मुझे, मैं नहीं चाहती कि कल मैं यह पेपर्स लीगली पेश करूँ तो पता चला कहीं और भी आपने प्रॉपर्टी की दूसरी कॉपी बनाई हुई है..." स्नेहा ने उसे पेपर्स वापस देते हुए कहा
"हाहहाआ, मैं जानता था तुम यह पॉइंट ज़रूर निकालोगी, लेकिन इतनी भी जल्दी क्या है बहू रानी... पहले ज़रा शाम का एक एक जाम तो अपने हाथ से पिलाओ, ट्रू कॉपी भी करवा लेंगे..." राजवीर ने अपने होंठों पे जीभ फेरते हुए कहा
"हाहहा, मेरे चोदु ससुर में इतनी थरक, क्या बात है... आइए, रूम बुक्ड है.." स्नेहा ने उसे जवाब दिया और दोनो हाथों में हाथ थामे वहाँ से रूम की तरफ बढ़ गये
"हाए, अब यूँ दारू लाओगी तो काम कैसे चलेगा बहू रानी.." सामने से आती हुई स्नेहा को देख राजवीर ने कहा जो बिस्तर पे नंगा लेटा हुआ था, और उसका लंड अभी से सीलिंग को देख रहा था
|