RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"लेकिन मुझे पता चल गया डॅड, और एक बात.. क्या मम्मी को आपके और ताई जी के बारे में पता था..." ज्योति ने एक दम कड़क अंदाज़ में पूछा
"नहीं, वो नहीं जानती थी.." राजवीर ने बस इतना ही कहा और अपनी गर्दन को नीचे झुका दिया.... कुछ देर राजवीर और ज्योति दोनो खामोश रहे, जिस बात से ज्योति को कोई फरक नहीं पड़ता था कुछ दिन पहले आज उसी बात से उसका दिल घायल होने जा रहा था, राइचंद खून नहीं है, यह सुन के सब कुछ अलग लगने लगा था, जिस चीज़ को वो अपना समझती अब वो उसे पराई लगने लगी थी.. राजवीर में अब उसे कोई बाप नहीं दिख रहा था, वो दिल ही दिल में घुट्टन महसूस करने लगी थी
"लेकिन ज्योति, अब मैं तुमसे एक वादा माँगना चाहता हूँ जैसे कि पहले कहा था मैने" राजवीर ने अपनी गर्दन को हल्का सा उपर उठा के देखा तो ज्योति की आँखों में आँसू थे
"ज्योति, अरे बेटी... " कहके राजवीर वहाँ से उठा और ज्योति के पास जाके बैठ गया
"रोना नहीं है बेटी प्लीज़... आज तक हम में से कभी कोई नहीं चाहता था कि तुम्हे इस बात का पता चले, और अब मेरा वादा भाई बाकी है.. वादा करो ज्योति, कि इस बात के बाद तुम्हारे बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आएगा, आज तक तुम जैसे हर चीज़ को घर के हर सदस्य को तुम अपना समझती थी, अभी भी वैसा ही होगा... इस बात की वजह से अगर तुमने खुद में कोई बदलाव लाया, तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउन्गा..ज्योति इधर देखो प्लीज़ मुझसे वादा करो..." राजवीर ने ज्योति का हाथ पकड़ा और उसकी आँखों में देखने लगा.... कुछ देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे, ज्योति की आँखों में अब तक आँसू थे, वो ना कुछ बोल रही थी ना कुछ कर रही थी...
"ज्योीटी, बेटी बोलो प्लीज़.. यूँ खामोश बैठ के तुम.." अभी राजवीर ने इतना ही कहा कि ज्योति ने अपनी आँखें उपर की, रो रो के उसकी आँखें सुर्ख लाल हो चुकी थी, राजवीर का हाथ जो उसके हाथों में था.. ज्योति ने बिना वक़्त गँवाए अपने चेहरे को राजवीर के चेहरे के नज़दीक ले जाके अपने होंठों को खोल के उसके होंठों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और धीरे धीरे उसे चूमने लगी... ज्योति के होंठों का एहसास पाते ही राजवीर जैसे दूसरी दुनिया में खो गया और उसकी आँखें भी बंद होने लगी.. ज्योति की ज़िंदगी की पहली किस उसके बाप , सौतेले बाप के साथ.. कुछ देर में राजवीर को अचानक कुछ एहसास हुआ और वो ज्योति से अलग हो गया, और जाके अपनी जगह पे बैठ गया, वो अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहा था इस बात पे..
"डॅड, आपका वादा मैं अब बेटी बन के नहीं निभा पाउन्गी... अगर आप चाहते हैं कि मैं वैसे ही रहूं जैसे पहले थी, तो एक नये रिश्ते को जनम देना पड़ेगा, मुझे कोई फरक नहीं पड़ता कि उस रिश्ते को नाम देंगे आप या नहीं, पर बेटी बन के नहीं.. फ़ैसला आप के हाथ में है.." ज्योति ने इतना कहा और कुछ ही सेकेंड्स में राजवीर की आँखों से दूर हो गयी..
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"रिंगगगग..... रिंगगग...... रिंगगगग...... रिंगगग......" स्नेहा का फोन बजने लगा, जिससे उसकी नींद टूटी...
"इतनी रात को क्यूँ तंग कर रहे हो, आख़िर क्या बात हो गयी.." स्नेहा ने फोन उठा के जवाब दिया
"ज्योति के कमरे में जाओ, उसे समझाओ वो ग़लत कर रही है... ज्योति मुझे चाहिए, वो किसी के साथ भी यह नहीं कर सकती.." सामने से एक कड़क गुस्से वाली आवाज़ में उसे जवाब मिला
"पर बात क्या है..." स्नेहा ने इतना ही कहा कि फोन कट हो गया और मजबूरन उसे ज्योति के कमरे में जाना पड़ा...
"आज रात हमे एक साथ बितानी चाहिए, आप का क्या कहना है इस बारे में.." शीना और रिकी एक दूसरे का हाथ पकड़े बाल्कनी में वॉक कर रहे थे..
"बिल्कुल ठीक कह रही हो, उल्टा मैने सोचा था कि आज से हर रात हम एक साथ बिताएँगे... तुम और मैं एक साथ.." रिकी ने धीरे से शीना के कानो में कहा और अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल के उसे अपना पास खींच लिया... शीना कुछ समझ पाती इसे पहले दोनो के होंठ एक दूसरे से मिल चुके थे, दोनो की जीभ एक दूसरे से जंग करने में व्यस्त हो गयी थी... देखते ही देखते दोनो का प्यार भरा किस एक जंगली रूप ले चुका था, साँस लेने में दोनो को तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन कोई किस तोड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं था
"अओउउंम्म. अहहः स्लूर्रप्प्प अहहहाहाः उम्म्म्ममम..... लीक मी अहहहहा उम्म्म्ममम ओमम्म्मम अहहहहा" बीच बीच में जब शीना को मौका मिलता तब वो बस इतना ही कह पाती और फिर अपनी जीभ रिकी की जीभ से मिला देती... किस करते करते ही रिकी ने अपना हाथ कमर के नीचे ले जाके शीना के चुतड़ों पे रखा और उसे धीरे धीरे सहलाने लगा और फिर मसल्ने लगा... कुछ ही देर में शीना रिकी की गोद में थी, रिकी ने उसे अपनी दोनो बाहों में उठा लिया था पर चूमना अभी भी जारी था.... चूमते चूमते रिकी शीना के कमरे की तरफ बढ़ने लगा और कमरे के अंदर आते ही लात मार के दरवाज़े को बंद कर दिया... शीना आँखें बंद किए बस इस पल का मज़ा ले रही थी... बिस्तर के पास आते ही रिकी ने उसे बेड पे लिटाया और एक नज़र शीना के बदन पे घुमाई.. शीना का बदन एक वेल्वेट ब्लॅक कलर के टॉप और एक टाइट डेनिम शॉर्ट से ढका हुआ था, आँखें बंद किए शीना की साँसें अभी भी तेज़ चल रही थी, शायद आने वाले वक़्त के बारे में सोचने की वजह से... तेज़ साँसों के चलते शीना के चुचे उपर नीचे हो रहे थे, जिन्हे देख रिकी के दिल में जल रही आग को घी मिल गया हो... अपनी शर्ट उतार के रिकी का उपर का जिस्मानी हिस्सा बेलिबाज हो गया और नीचे झुक के वो फिर शीना के होंठों को चूमने लगा... चूमते चूमते रिकी ने एक हाथ शीना के टॉप के अंदर डाला और उसके चुचों को उसकी ब्रा के उपर से ही सहलाने लगा.... शीना के निपल्स इन सब हरकतों से इतने कड़क हो चुके थे कि रिकी के हाथ रखते ही उसे लगा जैसे किसी पत्थर पे हाथ लगाया हो, चूमते चूमते रिकी ने धीरे से शीना की पीठ को हल्का सा हवा में उठाया और हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया... "टक.." ब्रा के हुक की आवाज़ से शीना ने अपने होंठ रिकी के होंठों से अलग किए और खुद ही अपने टॉप को उतारने लगी.. टॉप उतरते ही ब्रा को उतारने में देर बिल्कुल नहीं लगी... शीना के चुचे देख रिकी ने इस बार अपने होंठ शीना के होंठों के बदले उसके चुचों में घुस्सा दिए और एक एक कर दोनो को चूसने लगा... शीना की आँखें मस्ती में बंद ही थी, वो बस इस पल का मज़ा ले रही थी और मस्ती में रिकी के बालों में कभी हाथ फेरती तो कभी उसके माथे को अपने चुचों से अलग ही ना होने देती
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