RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
महाबालेश्वर में अमर और राजवीर पहुँच के ज़मीन देखने लगे, यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि पहुँचने से पहले ही अमर ने अपने जान पहचान के सभी ब्रोकर्स और डीलर्स को काम पे लगाया था.. हर डीलर जानता था कि ज़मीन पसंद आ गयी तो अमर कभी भाव तोल नहीं करता.. हिल स्टेशन पे 40-50 एकर की ज़मीन मिलना कोई मामूली बात नहीं थी, इसलिए राजवीर के भी कॉंटॅक्ट्स काम में लग गये.. सुबह सवेरे की ठंडी हवा में अमर और राजवीर जैसे ही अपनी लंड क्रूज़र से उतरे, वहाँ के कुछ डीलर्स उसका इंतेज़ार करते हुए दिखे.. कुछ देर बाद अमर और राजवीर का डिस्कशन चालू हुआ और शाम होते होते ज़मीने देख के लौटने लगे..
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राइचंद'स में अमर और राजवीर की ना मौजूदगी में कुछ ख़ास नहीं चल रहा था, ज्योति बाली ट्रिप के बारे में प्लॅनिंग कर रही थी और वहीं शीना और रिकी घर के ठीक सामने समंदर की लहरों के पास जाके बैठ गये.. वो जानते थे कि ज्योति उन्हे ऐसे देख सकती है, लेकिन शीना ने जब रिकी को सब बता दिया था तो रिकी और शीना का डर निकल चुका था.. वो लोग जानते थे कि अगर उनके बारे में ज्योति किसी को बता भी देगी तो कोई उसपे यकीन नहीं करेगा, इसलिए दोनो बेखौफ्फ हाथों में हाथ डाले समंदर की लहरों का मज़ा ले रहे थे...
"कितना सुकून है ना इधर, दोपहर के इस वक़्त में देखो तो कोई शोर शराबा नहीं...बस तुम, मैं और यह समंदर की लहरें...जी चाहता है कि यह वक़्त बस यूही थम जाए, पत्थरों से टकराती हुई लहरें रुक जाए, अगर किसी चीस की आवाज़ हो तो बस हमारी धड़कनो की.. और कोई नहीं.." रिकी ने शीना के हाथों को अपने होठों के पास लाकर कहा और उसे बड़ी नज़ाकत से चूम लिया
ऐसे माहॉल में किसी का भी दिल धड़कने लगे अगर शीना जैसी संगिनी उसके साथ हो तो, दोपहर की हल्की धूप में शीना का चेहरा काफ़ी खिला हुआ था, आज उसके चेहरे की चमक अलग ही थी, उसके बाल खुले हुए उसकी खूबसूरती बढ़ा रहे थे, उपर से रिकी के हाथ में उसके हाथ.. इसका रोमांच शीना के दिल में काफ़ी हलचल पैदा कर रहा था, शीना का दिल कभी तेज़ी से धड़कता तो कभी एक दम धीरे धीरे.. उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर ऐसा क्यूँ हो रहा है, रिकी उसकी तारीफ़ पे तारीफ़ किए जा रहा था लेकिन वो बस रिकी के चेहरे को एक तक देखते देखते उसमे खो सी गयी थी, वो लफ़्ज़ों को नहीं सुन रही थी, बस देख रही थी तो रिकी के हिलते हुए होंठ.. वो शब्दों को नहीं समझ रही थी, बस देख रही थी तो रिकी की बड़ी भूरी आँखें जो हर लफ्ज़ के साथ बड़ी और छोटी होती रहती... शीना बस यह देख के मुस्कुराती रहती,
रिकी ने जब देखा कि शीना कहीं खोई हुई है, तो उसने बोलना बंद किया और शीना की आँखों के आगे एक चुटकी सी बजा दी जैसे की उसे अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाना चाहता हो
"मैं आपके साथ ही हूँ...आज मैं बस आप में ही खोना चाहती हूँ, आप जो भी कहोगे मैं उसे सुन नहीं पाउन्गी ना ही समझ पाउन्गी.. क्यूँ कि काफ़ी वक़्त बाद दिल को ऐसा सुकून मिला है, काफ़ी वक़्त बाद इस दिल को ऐसा लगा है जैसे कोई अपना बहुत करीब है...काफ़ी वक़्त बाद मेरे दिल ऐसे इंसान के लिए धड़क रहा है जो उसके सबसे ज़्यादा करीब है... काफ़ी वक़्त बाद आज महसूस हुआ है, के मेरा कोई अपना है और जिसके लिए मैं बहुत ख़ास हूँ...आज कहना चाहती हूँ इन हवाओं से, इन टकराती लहरों से, नीले गगन में उड़ते हुए इन पन्छियो से.. आज मैं अकेली नहीं हूँ, काफ़ी वक़्त बाद आज मेरा प्यार मेरे साथ आया है.... मेरे पास आया है..." शीना ने रिकी को देखते हुए कहा और उसे देखती ही रही... रिकी भी उसकी बात सुन हल्का सा शर्मा गया लेकिन दोनो ने अपनी आँखें नीची नहीं की, दोनो महसूस करने लगे उस माहॉल को, वहाँ की शांति को, वहाँ पसरे ऐसे सन्नाटे को जिसमे दिन के वक़्त भी कोई भी डर जाए, लेकिन यह दोनो ऐसे माहॉल में भी बस एक दूसरे में खोए हुए थे.... रिकी आगे कुछ कह पाता इससे पहले शीना ने अपनी बाहों में रिकी को समेटा और उसे गले लग गयी.. शीना ऐसे गले लगी जैसे रिकी शायद उससे आखरी बार गले लग रहा हो, या यह उसका डर था कि कहीं रिकी उससे दूर ना चला जाए.. दोनो ने एक दूसरे को तब तक अपनी बाहों में से अलग नहीं किया जब तक दोनो के दिल नहीं माने... जब दोनो के बदन अलग हुए, दिल फिर कह रहे थे कि आओ एक साथ फिर मिल जाते हैं, लेकिन दोनो ने अपने दिल पे काबू रखा और फिर हाथ पकड़ के सामने देखने लगे और लहरों में अपने पैर भिगोने लगे
"अच्छा शीना, एक बात पूछूँ.." रिकी ने अपने सर को थोड़ा उपर किया और उसके फोर्हेड पे किस करके फिर उसके कंधे पे अपना सर रख दिया
"पूछिए ना, " शीना ने बस इतना ही कहा और अभी भी उसकी नज़रें सामने पानी में पड़ रही सूरज किर्नो पे थी
"अगर मैं ना कहता तुम्हारे प्रपोज़ल को तो... तुम क्या करती..." रिकी ने यह सवाल इसलिए पूछा क्यूँ की वो जानना चाहता था कि शीना सही में मेच्यूर हुई है या यह बस अट्रॅक्षन है... रिकी को लगा शायद शीना गुस्से में रिएक्ट करेगी और फिर उसे उसको समझाना पड़ेगा.. कुछ देर तक शीना ने कोई जवाब नहीं दिया, फिर रिकी ने सेम सवाल दोहराया
"बताओ भी... अगर मैं ना कहता तो, " इस बार रिकी ने अपना सर उठाया और उसकी नज़रों का पीछा करते हुए देखा कि वो अभी भी समंदर को ही देख रही थी
"आप जानते हैं, यह लहरें रोज़ समंदर से यहाँ तक आती है और फिर पत्थरों से टकरा के मर जाती हैं..लेकिन इसकी वजह से वो यहाँ आना छोड़ नहीं देती, उन्हे कुदरत ने ऐसा ही बनाया है कि वो यहाँ आ सके और इन पत्थरों को चीर कर आगे बढ़ सके और किनारे से मिल सके... अगर आप ना कहते तो मैं आप से प्यार करना बंद नहीं करती, क्यूँ कि मुझे आपके पास आके एहसास हुआ है कि कुदरत ने शायद मुझे आपके लिए ही बनाया है.. अगर आप ना कहते मेरा प्यार बिल्कुल कम नहीं होता, बल्कि और ज़्यादा बढ़ जाता क्यूँ क़ि आपके मना करने पे मैं आप में कोई खामी ढूँढने के बदले अपने ही प्यार पे शक करती.. और आगे भी अगर कभी हम साथ ना रह सके तो भी आपको दोष देने के बदले मैं यह समझ लूँगी कि मेरे प्यार में ही कोई कमी रह गयी हो.." शीना ने एक साँस में ही जवाब दिया और रिकी के आँखों में देखने लगी... रिकी को शीना से ऐसे जवाब की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी, उसे लगने लगा कि शीना सही में उससे प्यार करती है.. लेकिन फिर भी रिकी ने उसे थोड़ा गुस्सा दिलाने के लिए फिर एक सवाल पूछा
"फिर भी शीना, अगर मैं लंडन से ही किसी लड़की के साथ आता तो..तुम्हारा प्यार अधूरा रह जाता ना, तुम मेरे प्यार को हासिल नहीं कर पाती.." रिकी ने जान बुझ के यह लाइन उसकी आँखों से अपनी नज़रें हटा के कहा ताकि शीना को लगे कि वो सीरीयस है...
"इश्क़ दे मेरी मित्रा पहचान की....मिट जावे जदो ज़िद अपनान दी.." शीना का यह जवाब सुन रिकी ने तुरंत अपनी नज़रें शीना से मिलाई , शीना ने भी हल्की सी मुस्कान देके रिकी के हाथों को अपने हाथ में थामा और दूसरा हाथ बढ़ा के रिकी की पलकों को अपने होंठों को एहसास दिलाया..
"सच्चे प्यार का मतलब उसे हासिल करना नहीं होता... अगर आप किसी से प्यार करते हो तो उसे हासिल करने के बदले उसे खुश देखने की ख्वाहिश रखो, अगर आपका प्यार आपसे दूर जाना चाहे तो उसे जाने दो.. जब वो लौट के आए तब ही वो आपका है, अगर नहीं आता तो कभी आपका था ही नहीं.." रिकी ने शीना की आँखों में देख के कहा, इस बार उसने शीना के चेहरे को थामा और धीरे धीरे अपने होंठ शीना के होंठों के पास ले जा रहा था.. शीना भी बिना किसी झिझक के अपने होंठ उसके होंठों के पास ले जा रही थी, पत्थरों से टकराती हुई लहरें अब शांत हो गयी, हल्की सी तेज़ी से बहती हवा अब और भी धीमी हो गयी थी... आकाश से पन्छियो के चहेकने की आवाज़ भी नहीं थी, जैसे जैसे दोनो के होंठ करीब आ रहे थे, वैसे वैसे दोनो के दिल की धड़कन की आवाज़ वहाँ मौजूद कोई भी सुन सकता था.. दोनो के चेहरे पे पसीना बढ़ने लगा था,
शीना और रिकी के होंठों में फासला अब ज़्यादा नहीं था , दोनो की साँसें तेज़ चल रही थी...रिकी ने अपना हाथ शीना की गर्दन के पीछे रखा था और अपनी उंगलियाँ हल्के हल्के घुमा रहा था, शीना के लिए भी अब रुकना मुमकिन नहीं था, वो तैयार थी अपनी ज़िंदगी की सबसे पहली किस के लिए.. अपनी ज़िंदगी के प्यार के साथ उसकी पहली किस, इससे अच्छे माहॉल में नहीं हो सकती थी, जहाँ कुदरत भी उनकी गवाह बन रही थी.. शीना और रिकी के लिए मानो सब कुछ थम गया था, कोई शोर नहीं, पानी स्थिर हो चुका था, हवा बिल्कुल नहीं थी.. रिकी ने धीरे से अपने होंठ आगे बढ़ाए और शीना के होंठों पे हल्के से रख दिए.. दोनो की आँखें बंद थी, जैसे ही शीना को अपने होंठों पे रिकी के होंठों का एहसास हुआ उसके दिल की धड़कन धीरे होने का नाम ही नहीं ले रही थी.. रिकी ने फिर अपने होंठों को शीना के होंठों से हल्का ब्रश किया और थोड़ा पीछे ले जाके अपने होंठों को, शीना के चेहरे को देखने लगा, शीना की आँखें बंद थी, और उसके चेहरे की चमक दुगनी हो गयी थी जिसे देख रिकी के चेहरे पे हल्की सी मुस्कान आ गयी और उसने शीना को गले लगा लिया...
जब शीना को एहसास हुआ कि रिकी ने स्मूच नहीं की बल्कि उसके होंठों को बस हल्का सा छुआ ही था, तो वो भी कुछ देर के लिए शरमा गयी और अपने चेहरे को रिकी की बाहों में छुपा लिया... शीना राइचंद, ज़िंदगी में पहली बार शरमाई थी, उसके चेहरे की लाली देखते ही बनती थी, रिकी को भी इस बात का एहसास हुआ और वो शीना के सर पे हाथ रख के उसके बालों से खेलने लगा
"वैसे मुझे पता नहीं था कि आपको पंजाबी आती है..." शीना ने अपना सर रिकी की बाहों से निकाल के उसकी आँखों में देखते हुए कहा
"ए वी साड्डा एक रंग है.." रिकी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, जिसके जवाब में शीना बस मुस्कुरा दी
"हाहाहा, नतिंग लाइक दट.. लंडन में मेरे अपार्टमेंट में मेरे दो और फरन्डस हैं, दोनो हार्डकोर पंजाबी हैं, तो थोड़ी थोड़ी उनसे सीखी है मैने..ज़्यादा नई आती.. लेकिन तुमने कहाँ सीखी, मुझे पता नहीं था तुम्हारे इस टॅलेंट के बारे में.." रिकी ने शीना को फिर अपनी बाहों में लेते हुए कहा
"नहीं नहीं, मुझे नहीं आती.. वो तो मैं बस आपको इंप्रेस करने के लिए बोल रही थी, कल रात मैने एक मूवी देखी जिसमे यह डायलॉग था, जब समझ नहीं आया तो फिर रीवाइंड रीवाइंड करके सुना, उसे लिखा और गूगल पे मतलब निकाला, और तब जाके आपको सुनाया.." शीना ने ऐसी मासूमियत से जवाब दिया कि रिकी के दिल को छू गयी शीना की यह बात
"लेकिन मैं तुम्हारे लिए ऐसा कुछ नहीं करूँगा, ना ही मैं अच्छा लिखता हूँ, और ना ही अच्छे से एक्सप्रेस कर सकता हूँ.." रिकी ने जैसे एक शिकायती टोन में कहा
"कोई बात नहीं, यही बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है आपकी..यूआर नोट फेक..." शीना ने फिर रिकी की आँखों में देख के कहा
"चलो अब चलते हैं, काफ़ी देर हो गयी है, अगर ढूँढते हुए तुम्हारी भाभी यहाँ आ गयी तो फिर और मुश्किलें बढ़ा देगी" कहके रिकी ने शीना का हाथ थामा और शीना की मदद की पत्थर से उठने में
"या राइट, बट वैसे आपने सोचा जो बात मैने बताई.. एक तो मैने उसे सब बता दिया, और उपर से विक्रम भैया वाली बात..." शीना ने रिकी का सहारा लिया और दोनो आगे बढ़ने लगे
"हां सोचा है, ज़्यादा मुश्किल नहीं है.. तुम्हे वक़्त और दिन याद है ना जिस दिन उनकी किसी के साथ बात हुई थी विक्रम भाई को लेके" रिकी और शीना दोनो अपने ग्लासस पहनते हुए बातें कर रहे थे
"हां, अच्छे से याद है.. फिर क्या करें.."
"तो कोई बात नहीं है, भाभी का जो सर्विस प्रवाइडर है.." रिकी ने बस इतना ही कहा के शीना ने उसे टोक दिया
"हां वोडाफोन, और मैं वोडेफोन में कुछ लोगों को जानती हूँ, जानती हूँ ळीके फ्रेंड्स ऑफ फ्रेंड्स.." शीना ने रिकी को देखते हुए कहा
"कितने फ्रेंड्स है यार तुम्हारे, दे आर स्प्रेड एवेरिवेर.. एनीवेस, तो उनसे कहके डीटेल्ड बिल निकलवाओ , तारीख और वक़्त के हिसाब से नंबर निकालो और उस नंबर की डीटेल्स हासिल करो पर साथ ही साथ वो नंबर इनस्पेक्टर निखिल को भी दे देना, ताकि वो इस बात से अंजान ना रहे.." अपनी बात कहके रिकी ने एक हाथ आगे बढ़ाया जिसे शीना ने थाम लिया और हँसती हुई कहने लगी
"मानना पड़ेगा, चलिए अब चलते हैं.. अगर ढूँढते हुए आपकी बहें यहाँ आ गयी तो फिर और मुश्किलें बढ़ा देगी" शीना ने हास के रिकी का डायलॉग उसे ही सुनाया
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