RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"इस गाड़ी में काफ़ी छोटी छोटी चीज़े हैं जो इसे यूनीक बनाती हैं, लाइक अगर इस गाड़ी को प्री डिफाइंड उँचाई से फेंका जाए तो इसके सेफ्टी सेन्सर्स आक्टीवेट होते हैं और गाड़ी को पैराशूट में तब्दील कर देते हैं... दूसरा, इसका जीपीएस सिस्टम... इस गाड़ी में गूगल मॅप्स के अलावा किसी दूसरी कंपनी के मॅप्स भी हैं जो ड्राइवर को यह बताते हैं कि वो एग्ज़ॅक्ट किस लोकेशन पे हैं.. और जैसे जैसे वक़्त जाता है, हमें इसको नेट से कनेक्ट करके अपडेट करना पड़ता है, अगर हम ऐसे नहीं करते तो हमें ऑडी जर्मनी से कॉल आता है कि जल्द से इसको अपडेट कर दें, नहीं तो यह उनके सेफ्टी पॉइंट का एक ब्रीच माना जाता है.. ऐज ए कंपनी ऑडी यह नहीं चाहती कि उनकी गाड़ी में कोई भी आक्सिडेंट हो या अगर कोई कहीं मिस्प्लेस हो जाए या किडनॅप हो जाए या गाड़ी कहीं खो जाए तो उसे एक लॅप्स माना जाए... इसलिए तो जब गाड़ी बंद रहती है तब यह मॅप्स काम नहीं करते , लेकिन हां स्पेशल रिक्वेस्ट पे यूज़िंग दा एंजिन नंबर आंड जीपीएस सिस्टम नंबर गाड़ी के मॅप्स को ऑफलाइन भी आक्टीवेट किया जा सकता है..." स्नेहा शीना को ऐसी चीज़ें बता रही थी जिनका तर्क शीना को पल्ले नहीं पड़ रहा था, लेकिन शीना समझ चुकी थी कि स्नेहा इसके बाद क्या कहेगी इसलिए वो अब तक खामोश थी
"बट तू जानती है, कि इसका एक छोटा सा प्राब्लम है.. और प्रोबेल्म यह है कि यह सिस्टम जितना ही अपडेटेड होता रहता है, उतने ही बग्स इसमे क्रियेट होते हैं, जिससे यह वल्नरबल बनता जाता है.. वल्नरबल टू एनितिंग, जैसे वाइरस या यह ईज़िली हॅक भी हो जाता है.... मैने इसे लास्ट मंत ही अपडेट करवाया था वर्कशॉप से.." स्नेहा इतना कहके खामोश हो गयी और शीना की आँखों में देखने लगी किसी जवाब की उम्मीद में लेकिन शीना अब तक खामोश स्नेहा को ही देख रही थी
"हहाः,. इंट्रेस्टिंग.. शीना, तुझे क्या लगा, तू अगर इसे हॅक कर लेगी तो किसी को पता नहीं चलेगा... जब तूने यह सोचा कि एक मामूली सिस्टम को हॅक करके स्नेहा को दबाती फ़िरेगी तो वो तेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी बेवकूफी थी.. तूने सोचा मैं तो कहीं इस गाड़ी के बगैर आती जाती नहीं, इसलिए क्यूँ ना तू डाइरेक्ट इसके ज़रिए मेरी खबर रखे और मैं बस यह सोच सोच के पागल होती रहूंगी कि आख़िर तू यह सब कैसे कर रही है... खैर अच्छी कोशिश थी, मुझे यकीन है कि इतना सब सोच के तेरे घुटनों में दर्द चालू हो गया होगा.. है ना.." स्नेहा की आखरी लाइन सुन शीना का खून गरम होने लगा, उसका चेहरा लाल होते दिख रहा था जिसे स्नेहा काफ़ी अच्छे से एंजाय कर रही थी, लेकिन शीना खामोश रही
"और एक बात सुन ले, क्या कहा था तूने विक्रम वाली बात का.. जाके कह दे घरवालों से... मेरे सब कॉल रेकॉर्ड्स चेक करवा ले, लेकिन ग़लत निकलने पर तू ही अपने घरवालों की नज़र में गिरेगी.. और हां, अपने भाई, तेरे होने वाले यार की नज़रों में तो नहीं गिरेगी, इतना प्यार जो करता है तुझ से, बस पूरी ज़िंदगी उसी के सहारे निकाल देना, पर अफ़सोस वो भी शायद ना कर पाए.. उसके लिए तो तेरी दूसरी बहेन, तेरी सौतन बनने को तो तैयार ही है... है ना.." स्नेहा ने फिर शीना की आँखों में देखा और स्टाइल से अपनी आँखों को ग्लासस से कवर करके अपने लिए सिगरेट जलाई और धुआँ शीना के मूह पे छोड़ दिया
"अब और क्या सुनना चाहती है... गेट आउट................. प्लीज़...." स्नेहा ने एक बार फिर धुआँ शीना के मूह पे छोड़ा और शीना बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गयी.. इस छोटी सी जीत से स्नेहा काफ़ी खुश हुई और अपनी सिगरेट ख़तम करके अपनी गाड़ी को लॉक किया और वहाँ से अपने कमरे की ओर निकल पड़ी...
इंग्लीश में एक कहावत है, गेटिंग आ टेस्ट ऑफ युवर ओन मेडिसिन.. मतलब दुश्मन आपको आपके अपनाए हुए तरीके से ही हरा देता है.. इधर स्नेहा ने भी ठीक वही किया जो शीना ने उसके साथ किया, ननद और भाभी, अब आप और तुम से तू पे आ चुकी थी, जहाँ शीना ने अपने दिमाग़ को इतना चलाया कि यह सब हाथ में किया था, वो सब एक ही पल में ज़मीन पा आ गया था, वहीं स्नेहा भी प्रेम की मदद से फिर नॉर्मल हुई और अब हर छोटी बात का ध्यान रखने लगी... इसी लिए उसने एक मोबाइल और नया सिम कार्ड ले लिया जिससे वो अपने काम के सभी कॉल्स आराम से कर सकती है.. यह नया कार्ड उसने शीना के नाम पे लिया था..शीना को अब तक यकीन नहीं हो रहा था कि स्नेहा ने उसकी इस चाल का तोड़ निकाल दिया था और अब वो फिर से उसके सामने अपनी गर्दन उँची कर के चलेगी.. यह चोट शीना के लिए बहुत बड़ी और गहरी थी, अपने कमरे में आते ही रूम के चक्कर काटने लगी, सिगरेट पे सिगरेट फूकने लगी लेकिन दिमाग़ बिल्कुल नहीं चल रहा था..
"हेलो, हां , एक प्राब्लम हो गयी है...." शीना ने किसी को फोन करके कहा और सब बता दिया जो आज हुआ
"उम्म्म, स्नेहा इतनी स्मार्ट नहीं हो सकती... खैर अब उसने कुछ पता लगाया है तो उसे इसका इनाम तो मिलना चाहिए ना... ठीक है, तुम चिंता नही करो, यह इनाम कब और कहाँ देना है, आइ विल इनफॉर्म यू.." सामने से शीना को जवाब मिला
"बट.." शीना ने इतना ही कहा के फिर उसे रोक दिया गया
"आइ टोल्ड यू टू रिलॅक्स डियर.. बाय.." कहके फोन तो कट हुआ, लेकिन शीना अब तक परेशान थी
स्नेहा राइचंद'स के पीछे पड़ी थी, लेकिन वो एक बादे की खिलाड़ी थी, जस्ट आ पॉन, चाल तो कोई और ही चल रहा था, इसमे उसके साथ था प्रेम.. प्रेम उसका भाई और उसका यार.. स्नेहा जितनी शातिर, प्रेम उतना ही ठंडा और चालाक.. स्नेहा की गाड़ी का सिस्टम हॅक है वो उसने एक मिनिट में पकड़ लिया, क्यूँ कि जब उसने स्नेहा की सब बातें सुनी और जब वो कॉफी शॉप में मिले, उन दोनो बातों में सिर्फ़ एक ही डिफरेन्स था.. स्नेहा की गाड़ी की मौजूदगी.. इसलिए उसने तुरंत इस बात को कॅच किया और अपना तीर छोड़ा जो ठीक निशाने पे जा बैठा.. शीना अपने भाई रिकी से प्यार में थी, उसे हासिल करने के लिए वो कुछ भी कर सकती थी, उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल के उसने यह बात स्नेहा को बता दी थी, शायद अब इसी भूल को ठीक करने के लिए वो किसी तीसरे की मदद ले रही थी, लेकिन आज की बात के बाद फिर उसके दिमाग़ में यह संदेह हुआ कि क्या यह तीसरा उसकी मदद कर पाएगा.. रिकी शीना की मौजूदगी को एंजाय करने लगा था, धीरे धीरे वो खुलने लगा था शीना के साथ...अब तक उसकी ज़िंदगी काफ़ी सीधी थी, शीना के साथ रहो और उसकी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करो जिससे उनका रिश्ता और गहरा बने... अमर इन सब बातों से अंजान अब तक अपने बड़े बेटे विक्रम की मौत में डूबा हुआ था, इसलिए तो वो अकेले में रोने लगता और घरवालों को दिखाने के लिए फिर मज़बूत बन जाता... सुहसनी में एक नयी उर्जा पैदा हुई थी अपने यार और देवर राजवीर के आने से.. अमर से वो काफ़ी खुश थी और अमर भी उसको आज उतना ही प्यार करता जितना कि जवानी में, लेकिन खानदानी रईस शायद ऐयाशी जान बुझ के करते हैं, बिना किसी वजह..और इसे वो ग़लती ना कहके ज़िंदगी के मज़े लेना बोलते हैं.. राजिवर की बेटी ज्योति आज की तारीख में घर में सबसे ज़्यादा चोकन्नि नज़रों वाली थी, उसकी नज़रों से कुछ नहीं छुप सकता था, इसलिए तो आते ही उसने शीना और रिकी के बीच एक पनपते प्यार को देखा, लेकिन इधर वो अपनी राह से भटक गयी.. वो रुकी तो थी यहाँ पढ़ाई के लिए लेकिन पढ़ाई के अलावा वो यह सब बातों के बारे में सोचने लगी थी...
जैसे जैसे दिन ढलता वैसे वैसे सिगरेट के पॅकेट से सिगरेट ख़तम होने लगी, शीना शायद अपने फेफड़ों को एक ही दिन में जला देना चाहती थी.. इसलिए तो बार बार सोच रही थी कि स्नेहा का अब क्या किया जाए, और उपर से अब ज्योति की मुसीबत भी थी.. शीना अपने ख़यालों में बाल्कनी में खड़ी सिगरेट ही फूँक रही थी कि पीछे से एक हाथ उसके कंधों के तरफ आया और उसको महसूस करके शीना पसीना पसीना होने लगी और पीछे मूड के देखा
"फ़ेववव.व... डरा देते हो भाई..." शीना ने फिर अपनी नज़रें सामने की जहाँ समंदर की लहरें पत्थरों से टकराती
"मैने डराया या तुमने डराया है.." रिकी ने अपने हाथ में खाली सिगरेट का बॉक्स दिखाते हुए कहा जिसका जवाब शीना ने कुछ नही दिया
"एक ही दिन में पूरा बॉक्स, आर यू क्रेज़ी..." रिकी ने शीना के हाथ से सिगरेट छीन के फेंक दी
"ओके नाउ टेल मी, व्हाट्स दा प्राब्लम... शायद मैं कुछ मदद कर सकूँ.." रिकी ने जैसे ही यह बात शीना से कही, शीना पहले कुछ देर तो रिकी को घुरती रही, लेकिन फिर उसे सब बता दिया, हर बात , जहाँ से यह शुरू हुआ था और जहाँ पे आज यह बात पहुँच चुकी थी... उसकी बातें सुन रिकी भी कुछ देर खामोश रहा और फिर अपनी नज़रें सामने लगा दी जहाँ शीना देख रही थी.. समंदर की हवा काफ़ी तेज़ थी, आज लहरें भी कुछ ज़्यादा ही उँची थी, इसलिए जैसे जैसे वो पत्थरों से टकराती, वैसे वैसे रिकी और शीना के दिल छलानी होने लगते, शीना की बात सुन रिकी कुछ देर तो बस यूँ ही खड़ा रहा जैसे वो एक मूर्ति बन चुका हो, शीना की आँख में आँसू आने लगे थे
"आइआम सॉरी भाई, शायद मैने अपनी लाइफ की सबसे बड़ी ग़लती कर दी " शीना ने बड़ी रुआंदी सी आवाज़ में रिकी से यह कहा जो अभी भी एक मूरत के समान खड़ा था और समंदर के शोर को महसूस कर रहा था.. अपनी बात कहके शीना का रोना कुछ देर में बंद तो हो गया, लेकिन वो अभी भी सूबक रही थी...
"ह्म्म्मा, शीना.. आइ नेवेर थॉट कि मैं यह बात ऐसे कहूँगा, लेकिन अब जब सब पता चल गया है तो कहना ही पड़ेगा.." कहके रिकी ने शीना का हाथ अपने हाथों में लिया और उसे हल्के से चूम दिया, जिससे शीना की आँखों में एक चमक आ गयी
"चाहे कुछ भी हो, मेरी आखरी साँस तक मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ूँगा..मैं नहीं जानता यह सब सही है या ग़लत, यह जानते हुए भी कि इस रिश्ते के कोई मायने नहीं, यह जानते हुए भी के इस रिश्ते को समाज में, दुनिया में ग़लत माना जाएगा.. लेकिन मैं यह भी जानता हूँ के इस रिश्ते से हम खुश रहेंगे, हमारे दिल खुश रहेंगे, और उससे ज़्यादा मुझे ज़िंदगी में कुछ नहीं चाहिए... शीना राइचंद, क्या तुम अपनी पूरी ज़िंदगी मेरे साथ बिता पाओगी... मैं नहीं जानता कैसे, मैं नहीं जानता कि क्या कभी हम इस रिश्ते को कुछ नाम भी दे पाएँगे या नहीं... लेकिन मैं यह ज़रूर जानता हूँ कि भले मैं ज़िंदगी में अकेला रहूं, पर हमेशा तुम्हारे साथ तुम्हारा साया बनके चलूँगा... शीना राइचंद... आइ लव यू.." रिकी ने शीना की आँखों में देखते हुए कहा जिसे सुन शीना की दिल की धड़कने तेज़ी से बढ़ने लगी, आज उसे ऐसा लग रहा था कि उसे एक नयी ज़िंदगी मिली है...
"अगर मेरे साथ रहोगे, तो अकेले कैसे हुए डफर.." शीना ने हल्के से हंस के जवाब दिया और धीरे धीरे रिकी के पास आने लगी और अपने हाथ मज़बूती से रिकी के हाथों में थाम के उसे गले लगा लिया
"आइ लव यू टू..रिकी राइचंद..." शीना ने जैसे ही यह कहा, अब तक जो हवा तेज़ चल रही थी वो धीमी हुई , जो लहरें अब तक काफ़ी शोर मचा रही थी और पत्थरों से टकराके अपनी मौजूदगी का आभास करा रही थी, वो भी अब एक दूं शांत हो गयी... ऐसा लग रहा था मानो कुद्रट ने भी इनके रिश्ते की मज़ुरी दे दी थी.. रिकी का हाथ पकड़ के शीना वहीं खड़ी रही और अपना सर उसके कंधे पे रख दिया.. दोनो सामने देख रहे थे, कोई कुछ नहीं कह रहा था..
"लेकिन अब तक मेरी प्राब्लम का सल्यूशन नहीं दिया आपने.." शीना ने अपने सर को उँचा किया और रिकी को देख के कहा, शीना जो अब तक "आपने भाई" कहने की आदि थी, अब बातों से "भाई" शब्द को निकालने लगी थी
"ह्म्म्मब, अब भाभी की प्राब्लम का सल्यूशन तो इतना जल्दी नहीं मिलेगा, लेकिन रही बात मेरी और ज्योति की ट्रिप की.. मैं उसी का सल्यूशन लेके आया था तुम्हारे पास पर तुमने ही मुझे अपनी बात से डिसट्रॅक्ट कर दिया" रिकी ने आँख मार के कहा, जिससे शीना हल्के से शरमाई और अपनी नज़रें नीची कर ली...
"सल्यूशन मिल गया..." शीना ने तुरंत रिकी की बातों पे गोर किया और अपनी नज़रें उँची कर के रिकी से आँखें मिला दी, शीना की आँखों की गहराई में एक अलग किस्म की चमक थी जिसे सिर्फ़ रिकी ही देख सकता था उस वक़्त
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