Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:59 PM,
#50
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
उधर स्नेहा अपने रूम में चक्कर लगा रही थी और सोच सोच के थकने लगी थी कि आख़िर शीना उसपे नज़र कैसे रख रही है.. इस सिलसिले में उसने हर चीज़ चेक की लेकिन उसे कुछ हासिल नहीं हुआ, सुबह अपने रूम में ठंडी हवा पाके भी स्नेहा को चेन नहीं था, उसके माथे का पसीना उसकी हालत बयान कर रहा था..



"अभी तो मैने कुछ नहीं किया, लेकिन फिर भी पसीना क्यूँ आ रहा है तुझे.." शीना ने स्नेहा के दरवाज़े को खोल के कहा और स्नेहा अचानक से शीना के आगमन पे चौंक उठी



स्नेहा ने पलट के देखा तो सामने शीना खड़ी थी और अपने हाथ में कीचैन घुमा रही थी..



"बोल भी, क्या सोच रही है.. वैसे भी आज कल तेरा दिमाग़ चल नहीं रहा, उसपे यह चिंता के भाव, शायद तेरे घुटनो में दर्द ना बढ़ जाए सोच सोच के..." शीना ने वहाँ बैठ के कहा



"शीना देखो, " स्नेहा ने बस इतना ही कहा के शीना ने फिर उसे रोक दिया



"तू देख, स्नेहा... सुबह सुबह मुझे कोई सीन क्रियेट नहीं करना... नाश्ता खाने चल.." शीना ने जैसे हुकुम दिया स्नेहा को और जाने के लिए खड़ी हुई



"मुझे नहीं खाना, और इज़्ज़त से बात करो... और यह जो ग़लत फ़हमी पाल रखी है तुम्हारे दिमाग़ में, उसे क्लियर कर दो.. ऐसा कुछ नहीं है जैसा सोच रही हो तुम.." स्नेहा ने फाइनली अपनी बात बोली



"खाने तो तुझे आना ही पड़ेगा, नहीं तो तू सोच नहीं सकती कि मैं क्या क्या कर सकती हूँ.. और रही बात ग़लत फ़हमी की, तो सुन.. यह जो तेरा दिमाग़ है ना, सिर्फ़ तेरे पास ही नहीं है.. घर के बाकी लोगों के पास भी है, इसलिए जैसा कह रही हूँ वैसा कर.. नहीं तो अभी के अभी पोलीस को बुला के तेरे बारे में कह सकती हूँ, फिर सडती रहना ज़िंदगी भर जैल में.. और वो जो तेरा यार है ना, तेरा भाई प्रेम.. ज़िंदगी भर कोर्ट के चक्कर लगाता रहेगा.. चूतड़ घिस जाएँगे ना दोनो के तब भी नहीं निकल पाओगे ऐसे केस लग सकते हैं.. प्यार से बोल रही हूँ चल तो चल.. और खा ले आराम से.. कुछ ही वक़्त की बात है, शायद उसके बाद जैल का खाना ही मिले तुझे.. और हां, याद रखना, जब भी अंदर जाएगी ना, तब कोई बाहर नहीं निकालेगा उसकी गॅरेंटी मैं तुझे देती हूँ.. ना तेरा यार भाई प्रेम... और ना ही...." शीना ने इतना कहा और वहाँ से निकल गयी....



"5 मिनट में आजा...." शीना ने फिर कॉरिडर से चिल्ला के कहा और खुद डाइनिंग टेबल की तरफ चल दी.." शीना की बातें सुन स्नेहा फिर से टेन्षन में आ गयी... बार बार सोचने लगी कि उसने शायद अपनी ज़िंदगी की सब से बड़ी ग़लती कर दी उसको बेवकूफ़ समझ के.. लेकिन अभी बिना कुछ सोचे उसने खुद को ठीक किया और हँसता हुआ चेहरा लेके नाश्ते की तरफ चल दी..



डाइनिंग टेबल पे जैसे सब स्नेहा का ही वेट कर रहे हो, जैसे ही स्नेहा आई सब ने खाना स्टार्ट किया और अपनी अपनी बातों में लग गये... राजवीर और अमर ज़मीन देखने की बातों में लगे तो सुहसनी बार बार इनस्पेक्टर के आने का कारण पूछती और अमर उसे नकार देता, लेकिन 4 दिमाग़.. 4 तेज़ और जवान दिमाग़ अपना अपना काम कर रहे थे... रिकी और शीना एक दूसरे के ख़यालों में तो खोए हुए ही थे, लेकिन शीना अपनी नज़रों से स्नेहा को ही देख रही थी और उसके मज़े ले रही थी.. स्नेहा बार बार यह अब्ज़र्व करती और परेशान होने लगती.. ज्योति के दिमाग़ में दो चीज़ें चल रही थी, एक वो रिकी के नज़दीक अब कैसे जाए... औरत चाहे कितने ही दिमाग़ वाली, कितनी सैयम वाली क्यूँ ना हो, लेकिन एक बार अगर उसे किसी बात की चोट लगती है तो वो सब कुछ भूल के उसी बात पे जुड़ी रहती है.. शीना ने अपने दिमाग़ का उपयोग करके महाबालेश्वर वाला रिज़ॉर्ट तो हासिल कर दिया, लेकिन अब उसके लिए उसे कोई कीमत भी चुकानी पड़ेगी... शायद यह कीमत रिकी भी हो सकती है... दूसरी तरफ जब वो शीना को देखती तो उसकी नज़रों का पीछा करके यह पाती कि शीना स्नेहा को देख रही है और जिससे स्नेहा भी सहम जाती बार बार... मतलब कुछ तो हुआ है दोनो के बीच में, नहीं तो वो जानती थी कि स्नेहा ऐसी नहीं कि वो शीना से सहमे, मतलब शीना को कुछ ऐसा हाथ लगा है जिससे वो स्नेहा के साथ खेल सकती है.. पर स्नेहा की ऐसी क्या बात हो सकती है... खैर, फिलहाल ज्योति ने तय किया कि वो अपना दिमाग़ एक ही बात पे लगाएगी, वो यह कि शीना को उससे दूर किया जाए.. कैसे, वो किसी को समझते देर नहीं लगनी चाहिए...



"वैसे भैया, आप आज से विक्रम भैया का काम देखने वाले हैं, और साथ ही महाबालेश्वर वाला प्रॉजेक्ट भी... सडन्ली इतना सब कुछ, कैसा लग रहा है आपको..." ज्योति ने रिकी से पूछा और अपनी बातचीत शुरू करने की कोशिश की



"हुह.. डर लग रहा है यार, आंड दो चीज़ें एक साथ, होप्फुली दोनो काम अच्छे से हो तो आइ विल बी वेरी हॅपी.."



"डरने का क्यूँ भाई, शीना भी है आंड बॅकप में मैं भी तो हूँ ना.. फिर क्यूँ डर.. मुझे लगा आप बोलोगे कि मैं बिज़ी होने वाला हूँ तो शायद सब को टाइम नहीं दे पाऊ इतना.." ज्योति ने फिर अपनी चाइ की सैप लेते हुए कहा



"बिज़ी तो रहूँगा ना, लेकिन ट्राइ करूँगा सब को अच्छे से टाइम भी दे पाऊ... डोंट वरी.." रिकी ने फिर शांति से जवाब दिया



"ट्राइ ना, इम्पॉसीबल नहीं है.. देखिए ताऊ जी, जो बंदा खुद श्योर नहीं है उसपे मैं कैसे यकीन कर लूँ.." ज्योति ने अमर से कहा और वहाँ बैठे सभी ज्योति की इस हरकत पे हँस पड़े, क्यूँ कि वो जानते थे के ज्योति उसे तंग कर रही है



"ऐसा नहीं है बेटा, डोंट वरी...अब उसकी खिचाई बंद भी करो.." अमर ने ज्योति से कहा



"ना , कोई खिचाई नहीं है.. अब मैं यहाँ अकेली रहूंगी क्या, या तो मैं वापस चली जाउन्गी पापा के साथ या तो रिकी भैया मुझे कहीं घुमाने ले जाए.. आप फ़ैसला कीजिए अब क्या करना है.." ज्योति ने फाइनली अपनी बात कही, और क्या खूब तरीके से कही.. वो जानती थी अमर क्या चूज़ करेगा



"अरे जाने की बात कहाँ से आई इसमे, अब हमने यहाँ रहने का फ़ैसला कर दिया तो कर दिया, अब मैं भाईसाब को फिर मना नहीं करूँगा.. तुझे जाना है तो अकेले जा.." राजवीर ने ज्योति का जवाब दिया



"क्या अकेले जा.. कोई नहीं जाएगा यहाँ से, यह फाइनल है.. और ज्योति, रही बात वक़्त की, चिंता नहीं करो.. तुम जहाँ बोलोगि तुम्हे रिकी वहाँ घुमा लाएगा. बट जाने की बात ना करो, और उसे काम तो शुरू करने दो पहले.." अमर ने अपना फ़ैसला सुनाया लेकिन ज्योति ने फिर उसकी नही सुनी



"नही नही, बिल्कुल नही, काम शुरू करके बिज़ी होंगे फिर क्या फ़ायदा, अभी कहीं पे घुमाने ले जाए तो ओके.. नही तो रहने दो.. और हां, मैं भैया के साथ अकेली जाना चाहती हूँ, कितने दिन हो गये ना ही इन्होने सोचा मेरे बारे में, ना ही किसी और ने" ज्योति ने सड़ा मूह बना के कहा



"अरे.. अच्छा बाबा ठीक है, कहाँ जाना चाहती हो.. रिकी, तुम देख लो और घुमा के लाओ इसे, आके काम शुरू करना, तब तक मैं और राजवीर ज़मीन भी देख लेंगे.. अब खुश बेटा.." अमर ने ज्योति से कहा और ज्योति ने भी खुशी में उछल के अमर को गले लगा लिया



ज्योति की बातें सुन शीना को टेन्षन होने लगी, कहाँ वो रिकी के साथ हॉलिडे की बातें सोच रही थी और कहाँ ज्योति ने सब के सामने अपनी बात की और उसे पर्मिशन मिल गयी.. इसे कहते हैं क्लीन बोल्ड होना...ह्म्‍म्म, शीना जी, कुछ सोचो नहीं तो हिमालय पे जाके मंतर जपने पड़ेंगे.. शीना ने मन ही मन सोचा और आगे क्या करना है वो सोचने लगी
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:59 PM

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