Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:57 PM,
#46
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ह्म्‍म्म, चलो ड्राइवर, आगे देखो...मेम्साब को आराम करने दो.." शीना ने हँस के कहा और सीट को थोड़ा रिक्लाइन कर के इतमीनान से लंबी ड्राइव का मज़ा लेने लगी... बाहर मौसमअच्छा था इसलिए रिकी ने रूफटॉप भी ओपन कर लिया और दोनो सुहाने मौसम का आनंद लेने लगे... जहाँ ट्रॅफिक हल्का रहता, वहाँ रिकी तिरछी नज़रों से शीना की उड़ती हुई ज़ुल्फो
को देखता, उसके मासूम चेहरे को देखता.. हवा में शीना अपना स्कार्फ लहराने लगी और वो भी रिकी की आँखों में देखती.. जब जब शीना रिकी को देखते हुए पकड़ लेती,

रिकी नज़रें सीधी कर लेता और शीना अंदर ही अंदर मुस्कुरा देती... जैसे जैसे वो लोग एस्सेल वर्ल्ड के नज़दीक पहुँचते वैसे वैसे मौसम और सुहाना हो जाता, जंगल के बीच के रास्ते से जाने का मज़ा अलग ही होता है और ऐसे में जब दो लोग ऐसे हो जिनके दिल एक दूसरे से जुड़े हुए थे, वो लोग उस रास्ते से जा रहे हो तब भला कोई कैसे होश में रहेगा..



"दिल.... सम्भल जा ज़रा... फिर मोहब्बत करने चला है तुउउउ.. दिल्ल्ल, यहीं रुक जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तुऊउ.." शीना रिकी को देख के गुनगुनाने लगी..



"नाइस वाय्स शीना, कभी कभी मैं सोचता हूँ तुमने पढ़ाई आगे क्यूँ नहीं की, और सिर्फ़ पढ़ाई नहीं, उसके अलावा कुछ कर लेती , किसी अच्छे प्रोफेशन में करियर बनाती, आइएम श्योर बहुत कामयाबी मिलती तुम्हे.." रिकी बहती हवा का आनंद लेते हुए बोला



"नोट श्योर भाई, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था उस वक़्त क्या करूँ क्या नहीं.. पापा और भैया ने कहा जैसा मुझे समझ आए.. आइ मीन अगर मुझे समझ आता तो मैं उनसे पूछती ही क्यूँ.. आंड आप भी नहीं थे, तो गाइड कौन करता.. और अभी अड्वाइज़ कौन्से काम की, मेरी परवाह होती तो उस वक़्त ही बताते यह सब.." शीना ने झूठा गुस्सा दिखा के कहा



रिकी ने इसका जवाब कुछ नही दिया और गाड़ी चलाता रहा.. करीब 10 मिनिट में दोनो एस्सेल वर्ल्ड पहुँच गये.. एस्सेल वर्ल्ड जाके जैसे शीना का बचपन लौट आया हो, राइड्स देख के वो काफ़ी एग्ज़ाइटेड हो गयी थी,



"पहले इसमे चलते हैं, फिर उसमे, उसके बाद उसमे. और हां यह तो जाना ही है इसमे डरना नहीं आप.. फिर उसके बाद उसमे भी, आज तो सब में बैठेंगे.." शीना बच्चों की तरह कूद रही थी और रिकी उसके साथ आगे बढ़ रहा था.. जैसे जैसे दिन बीता वैसे वैसे दोनो मज़े लेते रहे... दिन ढलता चला गया पर शीना की एनर्जी कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.. रिकी भी काफ़ी खुश था शीना का यह साइड देख के.. राइड्स के साथ साथ फिश पॅडिक्यूवर का मज़ा भी लिया उन दोनो ने.. जैसे जैसे मछलियाँ शीना के पैरों को टच करती वैसे वैसे उसके बदन में अजीब सी लहर दौड़ती और शीना बाजू में बैठे रिकी से चिपक जाती.. सेम रिकी भी करने लगा, करीब 15 मिनिट की मसाज को दोनो ने तीन बार रिपीट करवाया ताकि एक दूसरे को छू सकें ज़्यादा से ज़्यादा.. दोनो एक दूसरे का हाथों को बार बार पकड़ लेते और मुस्कुराने लगते.. दोनो जान चुके थे कि एक दूसरे की छुअन का मज़ा ले रहे हैं और दोनो चाहते थे कि वो हमेशा ऐसे ही बैठ सकें.. लेकिन फाइनली दोनो वहाँ से उठे और आगे बढ़ने लगे..

अब जब आगे बढ़े, तब शीना ने सब कुछ भुला दिया और रिकी का हाथ पकड़ के उसके साथ चलने लगी जैसे कोई पत्नी अपने पति का हाथ थाम के चलती है.. जब शीना छोड़ देती, तब रिकी कंधे के पीछे हाथ डाल के उसे अपने से चिपका देता और आगे बढ़ने लगते.. दोनो के रिश्ते में अब कोई शरम नहीं थी, खुल के एक दूसरे को टच करते, एक दूसरे को बाहों में लेते,

कभी कभी रिकी उसे गोद भी उठा लेता.. आस पास वालों को देख यह लगता जैसे कि नये प्रेमी पंछी आए हैं..



"अब चलें के यूही मुझे पकड़ के बस चलते रहने का इरादा है मिस्टर.." शीना ने रिकी के कंधे से अपना सर उँचा कर के उसकी आँखों में देख के कहा



"मेरा पकड़ना अच्छा नहीं लगा तुम्हे.." बड़े ही रोमॅंटिक अंदाज़ में रिकी ने जवाब दिया



मैं तो चाहती हूँ कि आप मुझे हमेशा ऐसे ही पकड़े रहें, कभी भी ना छोड़ो.. बस आप और मैं, कोई तीसरा नहीं... यूही मैं आपकी बाहों में सर रख के हर एक पल को खुशनुमा बना दूं, यूही आपकी बाहों में अपनी ज़िंदगी बिता दूं..ना दिन देखूं, ना रात.. वक़्त की कोई पाबंदी नहीं.. जब जी चाहे आपकी आँखों की गहराई में डूब जाउ, जब जी चाहे आपकी साँसों को महसूस कर सकूँ...जब जी चाहे आपके दिल की धड़कनो को सुनूँ



"शीना, शीना...." रिकी ने शीना का कंधा हिला के कहा जिससे शीना अपने ख़यालों से बाहर आई



"हुह्म, क्या हुआ भाई..क-क-क- क्या कहा आपने.." शीना हकलाने लगी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो



"मैने कहा यहाँ से वापस चलने का इरादा है या नहीं.."



"हां भाई चलिए... सांताक्रूज़ ईस्ट, वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पे लेना गाड़ी अब.."



"वहाँ क्यूँ.."



"भाई, चलिए तो, अभी 6 हुए हैं, पहुँचते पहुँचते 8 बज़ेंगे, तो डिन्नर करके चलें ना.. अब लेट्स गो.." शीना ने फिर रिकी की बाहों में अपना हाथ डाला और दोनो आगे बढ़ गये.. ट्रॅफिक रहने के कारण, दोनो करीब 8.30 बजे वहाँ पहुँचे



"ह्म्‍म्म, इंप्रेस्सिव मिस राइचंद.. ग्रांड हाइयट में डिन्नर..." रिकी ने वलेट को चाबी दी और दोनो रेस्तरो की तरफ बढ़ गये



"उः, एक्सक्यूस मी, मिस राइचंद.. आइ हॅव आ बुकिंग हियर.." शीना ने वहाँ के मॅनेजर से कहा और रिकी और शीना उसके साथ रेस्तरो की तरफ बढ़ गये..



"यू कॅन गेट इन प्लीज़ मॅम... फुड आंड ड्रिंक्स विल बी हियर इन आ वाइल.." मॅनेजर ने दोनो से कहा और वहाँ से निकल गया



रिकी ने जैसे ही अंदर पेर रखा, पूरा रेस्तरो हल्की लाइट्स से जगमगा उठा.. बीच में पड़ी एक कपल टेबल जिसपे पहले से कॅंडल जल रही थी और एक शॅंपेन बॉटल पड़ी थी.. रिकी ने दूसरा कदम रखा ही था कि सामने लगी लेड पे फ्लश होने लगा. "वेलकम बॅक रिकी... मिस्ड यू आ लॉट.. यूअर्स शीना.."



"ह्म्‍म्म, तो यह सब कब किया आपने.." रिकी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया जिसे शीना ने थाम लिया और दोनो टेबल की तरफ चले गये



"वो सब सोचना मेरा काम है मिस्टर.. आप बस डिन्नर को एंजाय कीजिए.." शीना ने बहुत ही सिड्यूसिंग अंदाज़ में कहा..



धीरे धीरे दोनो की बातें कम हुई, आँखों से आँखें चार हुई और ग्लास में शॅंपेन गिरने लगी.. जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था, वैसे वैसे दोनो एक दूसरे की आँखों में खोते गये और ग्लास पे ग्लास खाली करने लगे... रेस्तरो में अकेले होने के नाते उन्हे नॉर्मल टेंपरेचर की एसी की हवा भी सर्द लगने लगी, सर्द हवा में शॅंपेन का नशा उनकी आँखों में दिखने लगा.. माहॉल उस वक़्त काफ़ी खूबसूरत था, रिकी और शीना अकेले, उन्हे तंग करने वाला तीसरा कोई नहीं... रेस्तरो में केवल कॅंडल लाइट और आस पास रखे कई सारे हार्ट शेप्ड बेलून्स.. ऐसा लग रहा था जैसे भाई बेहन एक दूसरे के वॅलिंटाइन हो और आज अपना प्यार सेलेब्रेट करने आए हैं.. शीना ने हवा में हाथ उठा के कुछ इशारा किया और तुरंत ही रोमॅंटिक म्यूज़िक बजने लगा



"कॅन आइ हॅव दा प्लेषर टू डॅन्स वित यू स्वीटहार्ट.." शीना ने अपनी टेबल से उठ के रिकी की तरफ अपना हाथ बढ़ा के कहा



रिकी और शीना ने एक दूसरे की कमर में हाथ डाला और आँखों से आँखें मिला के डॅन्स करने लगे.. उनके होंठ खामोश थे, लेकिन उनकी आँखें बहुत बोल रही थी.. डॅन्स करते करते रिकी ने शीना को अपने से दूर किया लेकिन हाथ पकड़े रखा और फिर गोल घुमाता हुआ उसे अपनी तरफ खींच लिया , इससे जब शीना फिर पीछे आई तब शीना के नितंब के एहसास का मज़ा रिकी लेने लगा, उसके होंठ शीना की गर्दन पे थे और उसके हाथ शीना के चुचों के बेहद करीब जिसे शीना ने पकड़े हुए था.. रिकी अपनी गरम साँसें उसके गर्दन पे छोड़ता और शीना भी आँखें बंद किए हुए उसका आनंद ले रही थी.. शीना को जब एहसास हुआ कि उसकी गान्ड पे रिकी का लंड चुभ रहा था, तब आँखें खोले बिना वो सीधी हुई और रिकी को हग करके बोली



"आइ मिस्ड यू आ लॉट भाई... आ लॉट..." ऐसा करने से अब रिकी के हार्ड ऑन का एहसास उसे अपनी चूत पे हुआ.. रिकी के लिए यह एहसास बिल्कुल नया था, लेकिन उसने यह जान लिया कि शीना को इससे बिल्कुल अनकंफर्टबल नहीं लग रहा, इसलिए उसने भी पीछे हाथ ले जाके शीना को कस के अपनी बाहों में भरा और उसके बालों को चूमते हुए बोला



"मिस्ड यू आ लॉट सिस.. आ लॉट..."



कुछ देर युहीन रहने के बाद जब दोनो को वक़्त का एहसास हुआ तब ना चाहते हुए भी दोनो वहाँ से निकल गये और जल्दी से घर के पास पहुँच गये.. इस बार रिकी ने शीना को पहले जाने दिया और जैसे ही शीना घर पहुँची , उसने उस वक़्त रिकी को वापस आने का मेसेज किया.. कुछ देर में रिकी भी वापस आ गया और घर पे सब को सोता हुआ पाया तो

शीना को गुड नाइट करता हुआ चलूं..



"शीना, कॅन आइ कम इन..' रिकी ने दरवाज़ा नॉक करते हुए कहा



"यस भाई, आ जाओ.." शीना ने धीरे से कहा ताकि कोई सुन ना ले



रिकी अंदर गया तो देखा कमरा बिल्कुल अंधेरे में था, केवल एक साइड लॅंप जल रहा था.. रिकी शीना के पास जाके झुक गया और अपने होंठों को शीने के होंठों के करीब लेके गया और धीरे से अपने होंठ उसके होंठों से रगड़ने लगा








"आइ जस्ट केम हियर टू विश यू गुड स्लीप.." रिकी और शीना दोनो ने अपने जज़्बातों पे कंट्रोल रखा और आगे बिना कुछ कहे रिकी वहाँ से निकल गया.. आज के दिन के बाद शीना को भी बहुत सुकून भारी नींद आई वहीं रिकी भी समझ नहीं पा रहा था आज उसे क्या हुआ, लेकिन वो यह ज़रूर जानता था के जो भी हुआ उसे बहुत अच्छा लगा






"देखा तुमने, आइ टोल्ड यू... दोनो के बीच में भाई बहेन से ज़्यादा का रिश्ता है पर मेरी बात कोई मानता ही नहीं..." किसी कमरे में ग्लास में दारू भरते भरते कोई अपने साथ बैठे हुए इंसान को यह कहने लगा
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