Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:50 PM,
#33
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"ध्यान रखना चाहिए ना भाभी, एक साइड तो आप कह रहे थे आप मेरी मदद करेंगे रिकी भाई के करीब जाने में, और अब खुद ने ही एक रास्ते का पत्थर ला दिया, और ज्योति बहुत चालाक है, अब सडन्ली उसे मना करेंगे तो उसे और शक हो जाएगा और यहाँ से बिल्कुल नहीं जाएगी.." शीना ने परेशानी में स्नेहा से कहा.. शीना इसलिए इतनी ज़्यादा परेशान थी क्यूँ कि वो रिकी के साथ अकेले वक़्त गुज़ारने के लिए कुछ भी कर सकती थी और अभी तो रिकी ने खुद उसे कहा था इसलिए वो यह मौका हाथ से बिल्कुल नहीं जाने देना चाहती थी.. शीना को यूँ परेशान देख स्नेहा समझ गयी के फिलहाल जो उसने सोचा हुआ था वो मुमकिन नहीं है... लेकिन उसने फिर भी एक चान्स लिया, अगर निशाना लगा तो ओके और अगर नहीं लगा तो क्या नुकसान है, शीना वैसे भी कहीं नहीं जानेवाली उसके अलावा..




"शीना, वैसे एक रास्ता है.. आइएम नोट श्योर तुम्हे सही लगेगा बट फिलहाल सिर्फ़ मुझे यही एक रास्ता दिख रहा है...." स्नेहा शीना के पास बैठ गयी और उसके बालों से खेलने लगी.. बालों से खेलते खेलते स्नेहा शीना की पीठ पे हाथ घुमाने लगी..





"उम्म्म भाभी, छोड़ो ना.. बताइए क्या रास्ता है.." कहके शीना ने स्नेहा का हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन स्नेहा मानी ही नहीं...





"बताती हूँ ननद जी, थोड़ा सब्र तो करो....बहुत खलबली मच रही है क्या रिकी के नाम से यहाँ..." कहके स्नेहा ने शीना की चूत पे उसकी नाइट पॅंट के उपर से ही हाथ रखा, लेकिन जैसे ही शीना ने हाथ हटाने की कोशिश की





"उह ओह... तो मेरी ननद रानी की चूत अंदर से नंगी है हाँ.... " स्नेहा ने इस बार शीना की चूत के होंठों को अपने हाथों में पकड़ के कहा




"छोड़िए ना भाभी, क्यूँ ऐसा कर रही हो आप.." शीना ने स्नेहा से यह कहा तो ज़रूर लेकिन उसने हाथ नहीं हटाया स्नेहा का, क्यूँ कि वो जानती थी स्नेहा मानेगी नहीं और वैसे भी शीना को यह अच्छा लग रहा था.. शीना, बाइसेक्षुयल होती जा रही थी और अपनी भाभी के साथ लेज़्बीयन का रिश्ता, उसने कभी नहीं सोचा था लेकिन अभी वो स्नेहा के साथ इतनी आगे निकल आई थी के यह सब सोचना उसके दिमाग़ से बाहर हो गया था.. शीना का दिमाग़ नहीं था ऐसी बात नहीं है, शीना नॉर्मल लड़की से थोड़ी ज़्यादा शार्प थी लेकिन रिकी के मामले में अक्सर उसका दिमाग़ काम करना बंद कर देता.. रिकी के मामले में वो बस दिल से सोचती जिसका फ़ायदा स्नेहा अच्छी तरह उठा रही थी...





"अरे ज़रा देखने तो दो..क्या यह यही चूत है जो भाई के लिए उसका नाम सुनते ही गीली होने लगती है.." स्नेहा ने शीना की चूत को नाइट पॅंट के उपर से ही मसल के कहा, जिसके जवाब में सिर्फ़ शीना ने सिसकी भरी.. "आहहाहा उम्म्म्ममम..."





"क्या यह वही निपल्स हैं जो रिकी का नाम सुन के ही कड़क हो जाते हैं.." कहके स्नेहा ने शीना के निपल्स को अपने हाथ की चुटकी में भर लिया और उसे हल्के मरोड़ लिया





"उईईई अहहाहाः भाभियाऐईयईई..." शीना दर्द और मज़े से फिर चिल्ला उठी





"क्या यह वोही..." स्नेहा ने बस इतना ही कहा कि शीना ने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उसे पागलों की तरह चूमने लगी... शीना इतनी जंगली बन चुकी थी के वो बस रुकना ही नहीं चाहती थी... जोश में आके उसने स्नेहा को धक्का दिया और खुद उसके उपर बैठ कर उसे बेतहाशा चूमने लगी..












"अहहहहाआ हां भाभी, यह वोही होंठ है आहाहाहा उम्म्म्म उम्म्म अहहहाआ.. जो भाई के होंठों को उफफफ्फ़ आहहहहाहाआ... चूमना चाहते हैं उम्म्म्म अहहहाहा.." शीना चूमने के साथ साथ बोलने लगी और एक एक करके अपने कपड़े उतार दिए और साथ ही स्नेहा को भी पूरा नंगा कर दिया.....







"उम्म्म अहहहहस शीना आहहाहा यस बेबी अहहहहओमम्म्ममम.. लव मी अहहाहा एस्स आहहहहा....उम्म्म्ममम.." स्नेहा ने भी नीचे से ज़ोर लगाया और शीना के होंठों को दबाने और काटने लगी... चूमते चूमते स्नेहा ने अपना हाथ पीछे ले जाके शीना के बालों को इतना ज़ोर से खींचा के दर्द के मारे शीना ने अपना पूरा वज़न पीछे शिफ्ट कर लिया और स्नेहा की नज़रों के सामने शीना के दो उभरे हुए चुचे थे जिन्हे तेज़ी से स्नेहा ने लपक लिया और निपल्स की चुस्कियाँ लेने लगी





"उम्म्म्म अहाहा स्लूर्रप्प्प्प्प अहहहहा......अहहहहहा शीएनााहहह" स्नेहा मज़े के साथ शीना के एक चुचे को चूसने लगी और दूसरे के निपल को फिर चुटकी में लेके मरोड़ने लगी.....




"अहहहा भाभी यस अहहहाहाहः उम्म्म्मम यॅ अहहहहाहा हाहहाहा....उम्म्म्म " शीना ने अपने हाथ नीचे ले जाके स्नेहा के चुचों पे रखे और उन्हे मसल्ने लगी...





स्नेहा ने जब देखा कि शीना अब नही रुकेगी, वो झट से नीचे से खिसक गयी और शीना के पीछे आ गयी.. पीछे से आके उसने शीना के चुचों को मसला और धीरे धीरे कर उसकी चूत रगड़ने लगी, दोहरे हमले से शीना कमज़ोर पड़ने लगी और पिल्लो के सहारे हाथ रख दिए और मज़े लेने लगी














"अहहहहा भाभी यस अहहहः फक मी ना अहहहहहाआ.....यस सहहहूंम्म्मममम" शीना मज़े लेती हुई कराहने लगी और अपनी चूत को आगे पीछे करने लगी जिससे स्नेहा समझ गयी कि अब वो और सहन नही कर पाएगी, इसलिए उसने अपना अंगूठा और दूसरी उंगली शीना की चूत के अंदर डाली दी और उसे उंगलियों के सहारे चोदने लगी... शीना की चूत से ऐसे पानी निकला जैसे की लावा टपक रहा हो, इतनी गरम स्नेहा को खुद यकीन नहीं हो रहा था, आग में घी डालने का सोच के उसने फिर कहा






"कैसा लग रहा है शीना अहहा बताओ ज़रा भाभी को अपनी उम्म्म्म..."







"येआः भाभी अहहहहा.. कीप फक्किंग मी अहहहहा ज़ोर से करो अहहहहा यस आहहहा... फक माइ क्लिट उफफफ्फ़ अहहहहाआ.." शीना के अंदर मानो एक गरम लहर चल रही थी






"उम्म अहहा ननद जी... यह मेरी उंगली नहीं अहहहहाअ तेरे भाई का लंड हैया अहहहहह कैसा है बता ना अहहहः.."






जैसे ही स्नेहा ने यह कहा, शीना से कंट्रोल नहीं हुआ और वो अपना आपा खोने लगी... अपनी टाँगें चौड़ी करके और झड़ने लगी, जो स्नेहा ने भी अपनी उंगलियों पे महसूस किया लेकिन वो फिर भी नहीं रुकी.. शीना झड़ती रही और स्नेहा अपनी उंगलियाँ भी चलाती रही, शीना टाँगों में कमज़ोरी महसूस करके बिस्तर पे गिर गयी.. शीना हाँफने लगी और हर एक साँस के साथ उसके चुचे उपर नीचे होते देख स्नेहा से रहा नहीं गया और वो फिर शीना के उपर चढ़ गयी और अपनी चूत उसकी चूत पे रख के उसे रगड़ने लगी





भाभी ननद की गरम गरम चूतें जैसे ही आपस में मिली दोनो की सिसकारियाँ निकल गयी.. शीना की चूत पे अपनी चूत रखते ही स्नेहा झाड़ गयी और निढाल होके उसके उपर से गिर गयी.. दोनो की साँसें काफ़ी तेज़ चल रही थी, दोनो के बदन काफ़ी गरम हो रखे थे इसलिए अगले 10 मिनिट तक कोई कुछ नहीं बोल पा रहा था.. मौका पाते ही स्नेहा ने फिर शीना के बालों से उसको पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए...






"उम्म्म, लव यू माइ डॉल..." कहके स्नेहा ने फिर उसके चुचों को मसला और बेड से खड़ी होके अपने कपड़े पहनने लगी...






"भाभी यह सब तो ठीक है, पर आपने बताया नहीं रास्ता क्या है ज्योति को यहाँ से निकालने का.. अपने फ़ायदे के लिए मेरी बात तो भूल ही जाते हो आप.." शीना ने भी अपने कपड़े उठाए और पहनने लगी..






"अरे ऐसा कभी होसकता है क्या, अच्छा सुनो... ज्योति को रास्ते से हटाने का बेस्ट तरीका यह है कि उसे सब बता दो अपनी फीलिंग्स के बारे में और हो सके तो उसे फिज़िकली इन्वॉल्व करो रिकी के साथ, एक बार वो अगर हो जाए तो तुम उसे ब्लॅकमेल कर सकती हो यहाँ से वापस जाने के लिए.. और वो चली गयी फिर तो रिकी तुम्हारा ही है, उसका पूरा वक़्त तुम्हारा..." स्नेहा ने अपने क्लॉज़ेट से सिगरेट का बॉक्स निकाला और अपने लिए सुलघा दी... स्नेहा की बात सुन शीना को जैसे काटो तो खून ना निकले ऐसी हालत हुई थी, उसे यकीन नहीं हो रहा तह कि स्नेहा उसे क्या करने को कह रही है.. शीना को यूँ देख उसने फिर कहा





"शीना तुम बात को समझो, मैं जो कह रही हूँ तुम्हारे लिए ही कह रही हूँ.." स्नेहा ने फिर सिगरेट का काश लेते हुए कहा







"शट अप भाभी... मैने कभी आपसे यह उम्मीद नहीं की थी, मुझे लगा आप सही में मेरी मदद करोगे, यह सोच के कि आप हमेशा अकेले फील करते हैं मैने अपनी भाभी समझ कर आपसे दोस्ती की.. और आप यह.. मैने कभी यह एक्सपेक्ट नहीं किया था आपसे भाभी.." कहके शीना जैसे ही मूड के जाने लगी फिर स्नेहा ने कहा







"तुम एमोशनल हो रही हो शीना, महाबालेश्वर में रिकी रिज़ॉर्ट बनाने का सोच रहा है, अगर ज्योति यहाँ रही तो सोच लो के शायद वो भी उसके साथ उस काम में इन्वॉल्व हो जाए, और अगर ऐसा हुआ तो फिर तुम भूल जाना रिकी को.. रिकी चाहे ज्योति के पास जाए या ना जाए, लेकिन वो तुम्हारे करीब नहीं आएगा... मैं सब कुछ सोच के ही बोल रही हूँ तुमको..."





स्नेहा को कुछ जवाब दिए बिना शीना वापस अपने कमरे में निकल गयी और जाके बेड पे बैठ के सब कुछ जो स्नेहा ने कहा उसके बारे में सोचने लगी... सोचते सोचते उसे कब नींद आ गयी उसे ध्यान ही नहीं रहा... सुबह जब शीना उठ के फ्रेश होके नीचे गयी तो नीचे सब नाश्ता कर रहे थे, रात की बात की वजह से शीना का मूड पहले ही खराब था उपर से जब उसने ज्योति को देखा तो उसके दिमाग़ में फिर वोही बात आई के ज्योति अब वहीं रहने का सोच रही है तो उसका मूड और उखड़ गया..






"अरे शीना बेटी, आओ, क्या हुआ, मूड क्यूँ खराब है हमारी रानी का.." अमर ने शीना को अपने पास बिठाते हुए कहा






"कुछ नही डॅड, बस ज्योति और चाचू चले जाएँगे, यह सोच के.." शीना ने बस इतना ही कहा के फिर अमर ने कहा





"अरे किसने कहा ज्योति जा रही है.. तुम्हारे लिए एक खुश खबरी है, ज्योति अब यहीं रहेगी हम सब के साथ.. और दूसरी बात, रिकी जिस प्रॉजेक्ट पे काम कर रहा है उसमे भी वो उसको आस्स्सिट करेगी.. मतलब अब कम से कम ज्योति एक साल तो यहाँ रहेगी ही... है ना खुशी की बात.."
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:50 PM

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