Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:49 PM,
#26
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
राजिवर के आने से अमर और सुहसनी को भी अचःई कंपनी मिल गयी थी, दोपहर तक आराम करके तीनो शाम को घूमने निकल गये, राजवीर कई बार मुंबई आ चुका था लेकिन फिर भी वो जब भी आता , महालक्ष्मी और सिद्धिविनायक जाना नहीं भूलता.... इन तीनो को जाते ही ज्योति ने फिर शीना से दारू पीने की बात कही और शीना मान भी गयी.. अब शीना मान गयी तो रिकी कैसे मना करता, इसलिए तीनो इस बार शीना के रूम में इकट्ठे हुए.. ज्योति सीधी लड़की थी उसका मतलब यह नहीं कि उसे दारू और सिगरेट से परहेज़ था, अपने शहर में बाप के सामने सीधी सरल ज्योति, मुंबई में शीना के पास आते ही अपने मौज काटने वाले पार निकल देती.. दारू,सिगरेट, नाइट क्लब,पब या लाउंज कभी मिस नही करती.. राजवीर के सोते ही रात के 10 हो या सुबह के 3, दोनो बहने मौज मस्ती करने निकल जाती.. खैर ज्योति ने अब की बार यह ध्यान रखा कि पहले जैसे रिकी के लंडन की बात निकाल के किसी का मूड नहीं खराब करना.. शीना के रूम की बाल्कनी में
तीन कुर्सियाँ और बीच में एक बड़ा राउंड टेबल, सामने सूरज की किर्ने और समंदर की लहरों की पत्थरों से टकराने की आवाज़ उसपर शराब का सुरूर, तीनो बचे खूब एंजाय कर रहे था और मस्ती बाज़ी में लगे हुए थे..




"भैया, आप जानते हैं यह मेरा सबसे सुनहरा वक़्त है जो मैं आप लोगों के साथ बिता रही हूँ, उधर घर पे ऐसा कुछ नहीं है, बस पढ़ाई और घर.. कहीं दोस्तों के साथ घूमने भी नहीं जा सकती पापा की वजह से. और जहाँ भी जाओ, पापा के कुछ लोग साथ में आते जिससे हम दबे हुए अरमान लेके वापस आ जाते... शीना के साथ इस बार आप भी हैं, तो यह वक़्त मैं ज़िंदगी भर नही भूल पाउन्गी..." ज्योति ने अपना ग्लास खाली कर के कहा




"घर की बात अलग है ज्योति, मैं कितने टाइम से लंडन में हूँ, लेकिन मुझे भी मेरे सुनहरा वक़्त यहाँ घर पे ही मिला, घर वालों के बीच..." रिकी ने शीना की तरफ देख के कहा जिससे शीना भी काफ़ी प्रसन्न हुई और नज़रें चुरा के रिकी को ही देख रही थी....




"अरे अगर ऐसा है तो तुम भी यहीं रुक जाओ ना ज्योति.. यह भी तो तुम्हारा अपना घर है, और पढ़ाई भी रिकी के साथ कर लेना, दोनो मास्टर्स ही तो कर रहे हो.." पीछे से किसी तीसरे की आवाज़ सुन के पहले तीनो डर गये कि दारू पीते हुए पकड़े गये, लेकिन जैसे ही तीनो ने पीछे मूड के देखा तो सबसे पहले चेन की साँस शीना ने ली..




"उफ्फ... भाभी, डरा देते हो आप तो, आइए बैठिए.." शीना ने स्नेहा से कहा और स्नेहा भी शीने के पास आके बैठ गयी..




"हेलो भाभी, कैसे हैं आप.. सुबह से दिखे ही नहीं... बहुत बिज़ी हैं आज कल हाँ.." ज्योति ने अपने लिए दूसरा पेग बनाते हुए कहा




"ऐसा नहीं है ज्योति, कुछ अर्जेंट काम दिया था तुम्हारे बड़े भैया ने, तो उसी के लिए बाहर गयी थी.. तुम बताओ, क्या हाल चाल हैं.. " स्नेहा के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था ज्योति की बातें सुन के




"बस भाभी, सब बढ़िया, पापा और ताऊ जी नहीं हैं तो थोड़ा एंजाय करने का सोचा, आप प्लीज़ किसी से ना कहें यह सब.."




"बिल्कुल नहीं, और मैने जो कहा उसके बारे में सोचना, सही बोल रही हूँ, इतने बड़े घर में अब ख़ालीपन लगता है, तुम आ जाओगी तो घर में रोनक भी रहेगी और पढ़ाई यहाँ से भी कर सकती हो तुम.. रिकी भी है पढ़ाई में तुम्हारी मदद करने के लिए.. भला इससे अची बात क्या होगी तुम्हारे लिए, पढ़ाई के साथ परिवार भी और मस्ती की मस्ती भी.." स्नेहा ने ज्योति से आँख मारते हुए कहा



स्नेहा की बात से वहाँ बैठे तीनो बच्चे अपने अपने दिमाग़ चलाने लगे, शीना यह सोचने लगी कि अगर ज्योति यहाँ रहेगी तो वो रिकी के करीब कैसे जाएगी और मन ही मन स्नेहा को गलियाँ देने लगी., पहले खुद मदद करने की बात करती है और अब खुद रास्ते में एक मुसीबत ला रही है भाभी.. रिकी का दिमाग़ डर गया था, जाना तो वो भी शीना के करीब चाहता था, लेकिन डर उसे इस बात का था कि अगर ज्योति यहाँ रहेगी तो वो महाबालेश्वर वाली पहेली कैसे सुलझाएगा, शीना अकेली थी तो उसकी कुछ मदद ले लेता, लेकिन फिर ज्योति के रहते वो भी नहीं कर पाएगा, ऐसा नहीं था के ज्योति कुछ मदात नहीं कर पाती लेकिन जितने ज़्यादा लोग उस बात को जाँएंगे उतने ही सवालों का सामना रिकी को करना पड़ता...

ज्योति यह सुन के काफ़ी खुश थी, कि वो यहाँ रह सकती है.. लेकिन इस 10 मिनट की बात में उसने यह ज़रूर गौर किया कि रिकी स्नेहा को देख भी नहीं रहा ना ही उससे कुछ बात कर रहा है, मतलब कुछ तो चक्कर है.. पर वो क्या
हो सकता है उसे पता नहीं लग पाएगा, इसलिए पढ़ाई और मौज मस्ती से ज़्यादा उसे यहाँ रह के अब इसका जवाब पता करने की दिलचस्पी आ गयी.. कहते हैं कि अगर कोई किसी की मदद करे तो लोग उस अच्छी चीज़ को ना देख के यह पता करने में लग जाता है के वो आख़िर मदद कर क्यूँ रहा है.. ज्योति के साथ भी ऐसा था, कुछ देर पहले अपनी ज़िंदगी से थकि हुई लड़की अब अपनी ज़िंदगी भूल के इस घर की बातों के लिए सोचने लगी... यूँ तीनो को खामोश देख स्नेहा को खुद पर काफ़ी गर्व हुआ, कैसे उसके एक वाक्य ने तीनो के दिमाग़ घुमा दिए.. जो लोग पहले हंस खेल के बातें कर रहे थे, अब वोही लोग अपनी सोच में डूबे हुए थे और तीनो में से किसी को आभास नहीं हुआ कि स्नेहा कब उनके बीच से चली गयी अपने कमरे की तरफ




"तीसरा मोहरा मुझे मिल गया है.." स्नेहा ने अपने कमरे में जाके फोन पे किसी से कहा




"कौन है..." सामने से फिर एक आवाज़ आई




"ज्योति राइचंद... और यह फाइनल है, अब मैं अपनी प्लॅनिंग बदल नहीं सकती, फिर चाहे तुम्हे सही लगे या नहीं.. बार बार में बदल नहीं सकती कुछ बातें, तुम बस बैठे बैठे कहो, लेकिन असल में सब काम तो मुझे करना पड़ रहा है ना.." स्नेहा ने थोडा उँचे स्वर में कहा




"कोई बात नहीं है.. जैसा ठीक लगे वैसा करो, लेकिन काम पूरा करना है मुझे.. अब मुझ से और नहीं रहा जाता."




"ठीक है, मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है, 50 लाख ट्रान्स्फर कर दो आज.." स्नेहा ने अपनी सुरहिदार गर्दन पे हाथ फेरते हुए कहा




"5 मिनिट में पहुँच जाएँगे.." कहके सामने से फोन कट हो गया और स्नेहा ने सेम बात प्रेम से भी कही




"ठीक है दीदी, थोड़ा पैसा मुझे भी दीजिए ना प्लीज़.."




"हां भाई, 25 लाख भेजती हूँ, ऐश कर तू भी..." कहके स्नेहा ने फोन कट किया और करीब 5 मिनिट में उसके बॅंक से क्रेडिट का स्मस आया




अमर, सुहसनी और राजवीर तीनो घूम फिर के खाना ख़ाके घर की तरफ लौट आए.. घर आते ही सुहसनी और अमर अपने कमरे की तरफ चल दिए, राजवीर ने ज्योति को फोन मिलाया तो पता चला वो भी शीना और रिकी के साथ बाहर गयी है.. राजवीर अपने कमरे की तरफ निकल गया, लेकिन जैसे जैसे रात बढ़ने लगी उसकी नींद में खलल पड़ने लगा... घड़ी में वक़्त देखा तो अभी सिर्फ़ रात के 11 ही बजे थे , राजवीर कमरे के बाहर आया तो घर पे एक दम सन्नाटा छाया हुआ था, वो जल्दी से नीचे गया और अपने मोबाइल से किसी को फोन करने लगा.. फोन पे बात कर के राजवीर वहीं नीचे बैठ गया और किसी का इंतेज़ार करने लगा.. कुछ 15 मिनिट बीते थे के उसने बाहर गाड़ी की आवाज़ सुनी.. वो जल्दी से मेन डोर की तरफ भागा और सेक्यूरिटी गार्ड के हाथ में 500 का नोट थमा दिया.. गाड़ी अंदर आते ही उसमे से एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बाहर आई.. करीब 25-26 साल की होगी, कातिलाना हुस्न के साथ उसकी मुस्कान भी बड़ी कमसिन थी..
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:49 PM

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