Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:48 PM,
#22
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"क्या हुआ दीदी, ऐसा क्या हुआ जो इतनी जल्दी बुलाया है मुझे.. क्या कहा कल रात शीना ने" प्रेम ने स्नेहा के सामने बैठ के कहा.. स्नेहा और प्रेम इस वक़्त मुंबई के सबसे व्यस्त इलाक़े क्रॉफर्ड मार्केट के पास बने एक ईरानी रेस्टोरेंट में थे.. स्नेहा के चेहरे से सॉफ दिख रहा था कि शीना ने उसे कुछ ऐसी बात कही है जिससे उनको बड़ा नुकसान हो सकता है.. स्नेहा ने कुछ जवाब नही दिया और वो बस सोचे जा रही थी.. कुछ सेकेंड्स में जब प्रेम फिर बोला, तब स्नेहा ने एक नज़र उसे देखा और बोलने लगी...




पिछली रात...



जब शीना बाथरूम से निकली, उसके दिल में एक घबराहट सी आ गयी थी, इसलिए नहीं के स्नेहा ने उसे देख लिया था, पर इसलिए के स्नेहा ने उसके मूह से रिकी का नाम भी सुन लिया था.. शीना स्नेहा और प्रेम की बातों से इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे खुद पे काबू ना रहा और वासना में बह गयी थी.. लेकिन अब जब पकड़े गये तो कोई कर भी क्या सकता है, इसलिए शीना यह सोचती हुई बाहर निकली कि आज या तो भाभी को सच बता दूँगी या तो उनसे कह दूँगी कि इस बारे में आगे से कोई बात ना करे.. धीरे धीरे जैसे शीना बाहर आई, सामने स्नेहा को देख के उसकी आँखें बड़ी हो गयी और दिमाग़ ने फिर काम करना बंद कर दिया..

शीना के सामने स्नेहा एक दम नंगी बैठी थी और अपने दोनो टाँगें चौड़ी करके , आँखें बंद बस अपनी चूत रगडे जा रही थी.. स्नेहा आनंद के ऐसे सागर में डूबी हुई थी उस वक़्त जैसे उसके सामने अगर कोई भी आ जाए तो भी उसे फ़िक्र नही होती.. शीना वहीं खड़े खड़े बस स्नेहा को देखती रही, जो सोच के आई थी उसे वो करने या कहने का मौका ही नहीं दिख रहा था, उसे लगा था कि जैसे ही वो बाहर आएगी या तो उसकी भाभी प्यार से पूछेगी या तो उसे समझाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं था.. स्नेहा बस आँखें बंद करे अपनी चूत बेरेहमी से मसल्ति जा रही थी





"अहहहहहा उम्म्म्म प्रेम अहहहहहा.. चूत सक करो ना अपनी बहेन की अहहहहा....अहहा येस्स अहहहः...." स्नेहा जानती थी कि यह मौका उसे दोबारा नहीं मिलेगा इसलिए शीना के सामने जितनी बड़ी रंडी हो सके बनना चाहती थी, और जान बुझ के वो प्रेम का नाम ले रही थी ताकि शीना भी अपनी हालत उसके साथ जोड़ सके.. शीना की सिट्टी बिट्टी गुल हो गयी थी, ऐसे हालात का सामना कभी नहीं किया था उसने, वैसे देखा जाए तो शीना ने दुनिया कम ही देखी थी, अभी तो वो बस रिकी के प्यार और वासना में खोई हुई थी इसलिए उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि स्नेहा ऐसा क्यूँ कर रही है... धीरे धीरे जब स्नेहा की उंगलियों की गति कम हुई और उसने अपनी आँखें खोली, सामने शीना को खड़े देख उसके चेहरे पे एक कामुक सी मुस्कान आ गयी.. शीना का रियेक्शन देख स्नेहा को समझते देर ना लगी के शीना का दिमाग़ अभी बिल्कुल बंद है.. शीना एक दम पुतले की तरह स्नेहा के सामने खड़ी थी, होश तो उसे तब आया जब स्नेहा उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ के बिस्तर पे ले गयी... किसी बच्चे की तरह शीना बस आगे बढ़ती रही, बिना कुछ सोचे समझे और जाके स्नेहा के साथ बिस्तर पे बैठ गयी. शीना को अपने सामने बिठा के स्नेहा ने सबसे पहले उसका चेहरा अपने हाथों में थामा और उसे कहा




"रिकी के बारे में मैं किसी को नहीं बताउन्गी मेरी ननद रानी.. चिंता छोड़ दो, और मज़े लो..." कहके स्नेहा शीना के होंठों को चूसने आगे बढ़ी और धीरे धीरे उसकी जीब से खेलने लगी.. ऐसी वासना में खोई हुई थी शीना कि उसे कुछ आभास नहीं था वो खो गयी थी या यूँ कहना ग़लत नहीं होगा कि स्नेहा के जाल में वो फस चुकी थी, स्नेहा की गरम जीभ का एहसास पाके शीना ढीली पड़ गयी और मज़े से दोनो एक दूसरे की जीभ चूसने में व्यस्त हो गये, स्नेहा मन्झि हुई खिलाड़ी थी इसलिए जानती थी कि अभी तो यह कोरी है, शीना को गरम तो धीरे धीरे करना है इसलिए उसने भी ज़्यादा कोशिश ना करते हुए बस उसकी जीभ चाटना ही जारी रखा









"उम्म्म्म आहह्ा..उम्म्म्म अहहहहा भाभी अहहहहा...सीईईईई उम्म्माहहहाआ...... उम्म्म्ममाहहहहहहा" शीना सिसकती हुई तड़पने लगी, तभी ही स्नेहा ने पीछे हाथ ले जाके उसके बालों को पकड़ा और अपने होंठो को शीना के होंठों से मिला लिया और उसे धीरे धीरे कर चूसने लगी.. शीना स्नेहा के होंठों का एहसास पाके झड़ने लगी और फिर गरम होने लगी.. स्नेहा को इसका एहसास हो गया था के शीना अभी गरम हो चुकी है इसलिए अब वो जो चाहे वो वैसा ही करेगी.. ननद भाभी एक दूसरे के होंठ चूसने में काफ़ी व्यस्त हो गये, रात के करीब 2 बजे राइचंदस के एक कमरे में यह नंगा नाच चल रहा था और किसी को इसकी हवा तक नहीं थी.. दुनिया जहाँ भुला के रिकी के नाम से शीना ऐसी राह पे आ चुकी थी के वो बस कुछ सोचने समझने के काबिल नहीं थी, उसे अब रिकी को हासिल करना था और वो भी स्नेहा की मदद से..




वासना प्यार पे सवार हो चुकी थी अब, शीना पीछे नहीं हटना चाहती थी अब.. इतनी देर तक जहाँ स्नेहा पीछे से शीना को पकड़े हुई थी, अब शीना ने अपना हाथ आगे किया और शीना के चुचों को दबाके उसका मज़ा दुगना करने लगी, जिससे स्नेहा के मन में भी एक सिसकान सी जाग उठी




"आहहहाहम्म्म्म मम..." स्नेहा ने बस इतना ही कहा कि शीना ने एक बार फिर उसके बालों को खींचा और अपने होंठ उसके होंठों से मिला लिए...दोनो को चूमते चूमते इतनी देर हो गयी के इनके माथे से पसीना टपकने लगा था , कमरे में एक गर्मी सी छा गयी थी पर दोनो तक नहीं रही थी.. किस तोड़ के स्नेहा शीना से थोड़ी दूरी पे जा बैठी और अपनी चूत में फिर से उंगली करने लगी...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:48 PM

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