Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:47 PM,
#18
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
शीना के साथ बिताए हुए यह तीन घंटे दो ज़िंदगियों को बदलने वाले थे.. रिकी के दिल में शीना के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार था, यह प्यार जिस्मानी ज़रूरत से कहीं दूर था, वो बस यह सोचता के कब दिन ख़तम हो और नये सूरज की नयी किरण के साथ शीना उसके पास फिर बातें करने आए.. दूसरी तरफ शीना को इस बात की खुशी तो थी ही कि
रिकी भी उसे पसंद करता है लेकिन इस खुशी से ज़्यादा उसे एक सुकून था कि रिकी उसके साथ खुल के बात करता है, शीना का साथ उसे सबसे अच्छा लगता है और आज हुए वाकये के बाद शीना का दिल और मज़बूत हो गया था.. जहाँ कुछ वक़्त पहले उसके दिल में हमेशा एक ग्लानि रहती कि वो अपने भाई को प्यार करती है, आज वो भी दूर हो गयी थी रिकी की बातें सुनके.. दो दिल, दो बदन लेकिन एहसास दोनो में एक ही पनप रहा था.. प्यार... जहाँ शीना का प्यार सिर्फ़ मॅन के रिश्ते को नहीं, बल्कि जिस्मानी चाहत भी चाहता था,

वहीं रिकी जिस्मानी ज़रूरत को छोड़ के बस शीना के दिल से जुड़ा रहना चाहता था.. प्यार दोनो का ग़लत नहीं है, लेकिन इंसान की नज़रों से देखा जाए तो मैं शीना का समर्थन करता हूँ.. सही कहते हैं के "लव विदाउट सेक्स आंड सेक्स विदाउट लव" ईज़ मीनिंगलेस




रात के खाने में भी शीना और रिकी ने काफ़ी बातें की जिसे देख अमर और सुहासनी को भी एक झटका सा लगा कि हमेशा खामोश रहने वाला रिकी इस तरह बातें कर सकता है.. खैर अमर और सुहासनी दोनो खुश थे इस बदलाव से, और अमर को अभी जाके रिकी का लंडन ना जाने वाला फ़ैसला सही लगा.. स्नेहा यह सब देख अचंभित बिल्कुल नहीं थी, अपने मकसद की ओर एक और कामयाबी दिखाई दी उसे.. मन ही मन खुश होती हुई स्नेहा ने राहत की साँस ली , क्यूँ कि यह सबसे मुश्किल चीज़ थी उसकी प्लॅनिंग में और उम्मीद से भी ज़्यादा आसान था यह हासिल करना.. रात होने लगी और घर के लोग अपने अपने कमरे में जाके सोने लगे.. जहाँ रिकी और शीना की आँखों से नींद गायब थी, वहीं स्नेहा जल्दी
से जल्दी अपने कमरे में गयी और फ्रेश होके चेंज कर दी और शीना का वेट करने लगी.. शीना जैसे ही स्नेहा के कमरे में दाखिल हुई, उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी

स्नेहा को देख के.. स्नेहा की नाइटी मुश्किल से उसकी चूत को ढके हुई थी और उसकी जांघें कहर ढा रही थी.. उपर से उसके छाती भी पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चौड़ी लग रही थी..



"प्लीज़ डोंट माइंड हाँ.. मैं ऐसे ही सोती हूँ..." स्नेहा ने अपनी सिड्यूसिंग आवाज़ में शीना से कहा






"दटस ओके भाभी, चिल... रुकिये मैं भी फ्रेश होके आती हूँ, आइ वॉंट टू यूज़ युवर वॉशरूम.." कहके शीना भी फ्रेश होने चली गयी और कुछ देर में जब वो बाहर निकली इस

बार झटका खाने की बारी स्नेहा की थी. क्यूँ की दोनो की नाइटी सेम थी, सिर्फ़ रंग अलग थे... जहाँ स्नेहा की जांघें एक दम मूसल थी, वहीं शीना उसकी तुलना में स्लिम थी और शीना की छाती भी स्नेहा के मुक़ाबले चौड़ाई में थोड़ी कम थी..




शीना को देख स्नेहा सिर्फ़ मुस्कुराइ और अपने बिस्तर पे पसर के लंबी हो गयी और शीना को भी उसने सोने के लिए कहा...




उधर फार्म हाउस में विक्रम जैसे ही स्टडी से निकला आधे घंटे तक कुछ छान बीन की और फिर दौड़ के स्टडी में आया और बिना कुछ सोचे जल्दी से बाहर वाली खिड़की खोल के नीचे छलाँग लगाई... कुछ ही सेकेंड्स हुए थे, कि एक ज़ोर की चीखने की आवाज़ आई और पहाड़ी हवा में कहीं खो सी गयी

रात को स्नेहा और शीना सेम नाइटी पहने एक दूसरे के बगल में लेटे हुए थे और बातें करे जा रहे थे, लेकिन बार बार स्नेहा की नज़र शीना के शरीर पर पड़ती और ऐसे देखती जैसे कोई एक्स्रे मशीन स्कॅन करती हो.. उपर से लेके नीचे तक, जांघों से लेके शीना के चुचे. स्नेहा सब देख रही थी और शीना भी उसकी नज़रों का पीछा कर रही थी..



"भाभी, लड़के की तरह बिहेव नहीं करो आप, क्या इतनी देर से मुझे ही घूर रही हो.." शीना ने स्नेहा की तरफ मूह पलट कर कहा



"हाए लड़का कहाँ, अगर लड़का होती तो सिर्फ़ घूर थोड़ी ही रही होती.. अब तक तो चबा चुकी होती तुम्हारी तंदूरी लेग्स को.." स्नेहा ने शीना की जाँघ पे उंगली फेर के कहा, और उसने ध्यान रखा कि उंगली जैसे ही उपर आई उसी वक़्त वहाँ से हटे... स्नेहा ने बस इतना ही कहा और बस उसकी जांघों पे उंगली फेरती रही... शीना ने कुछ नहीं कहा वो बस स्नेहा को ही देख रही थी के शायद अब रुक जाए अब रुक जाए, लेकिन स्नेहा थी के रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.. चिकनी जांघों पे एक दूसरी औरत का स्पर्श पाकर शीना को अजीब सा महसूस हो रहा था, ना वो रोक सकती थी स्नेहा को और ना ही वो दिल से चाहती थी के स्नेहा रुके, उस हरकत से शीना को अलग आनंद प्राप्त हो रहा था



"अच्छा एक बात बताओगी, बुरा नहीं मानो तो.." स्नेहा ने अपनी उंगली हटा के कहा और शीना से आँखें मिला ली




"हां भाभी.. पूछिए"




"तुम वर्जिन हो या जवानी के मज़े भी ले रही हो..." स्नेहा ने अपनी सिड्यूसिंग सी आवाज़ में कहा




"व्हाट भाभी, फिर वोही..."




"मैने पहले ही कहा था बुरा नहीं लगाना, पूछा तो भी तकलीफ़ है तुम्हे.. चलो बस, रहने दो... गुड नाइट.." स्नेहा ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए यह कहा और अपने साइड में रखा हुआ लॅंप बुझा दिया... शीना भी बिना कुछ कहे स्नेहा के बाजू में लेट गयी लेकिन नींद उसकी आँखों से बहुत दूर थी.. वो बस रिकी के बारे में सोच रही थी, उसका दिल था के वो जाके एक बार रिकी का चेहरा देख ले, लेकिन उसे डर था कि अगर स्नेहा जाग गयी तो उसे क्या कहेगी, वैसे भी स्नेहा हमेशा मौका ढूँढती रहती है शीना को घेरने का.. इसलिए उसने रहने दिया और छत की तरफ देखने लगी और रिकी के बारे में सोचते हुए उसकी हल्की हल्की नींद आने लगी.. उधर स्नेहा अपने हाथ से यह मौका नहीं जाने देना चाहती थी लेकिन शीना ने जिस तरह उसकी बातें इग्नोर कर दी, इससे स्नेहा की मुश्किल बढ़ सकती थी.. लेकिन वो करे क्या, सोच सोच के जब उसका दिमाग़ थकने का नाम लेने लगा तभी उसे एक तरकीब सूझी.. स्नेहा ने शीना की तरफ अपना चेहरा घुमाया तो देखा शीना सो रही थी. इसलिए उसने अपना फोन उठाया और प्रेम को एक मेसेज कर दिया कि उसे उसके साथ अभी के अभी फोन सेक्स करना है... वक़्त रात के 11 हुए थे अभी इसलिए प्रेम जाग ही रहा था, स्नेहा का मेसेज पाके उसने तुरंत स्नेहा को कॉल्लबॅक किया..




स्नेहा ने कुछ देर तक फोन की रिंग बजने दी ताकि शीना सुन सके, और जैसे ही स्नेहा को आभास हुआ के शीना ने रिंगटोन सुन लिया है, उसने तुरंत फोन उठाया और प्रेम से बातें करने लगी, लेकिन उसने यह ध्यान भी रखा कि शीना को उसकी बातें आराम से सुनाई देनी चाहिए




"उम्म्म, भाई क्या कर रहे हो..." स्नेहा ने मादक सी आवाज़ में कहा




"बस आपके नाम से ही लंड खड़ा हुआ है मेरी दीदी.. इतनी रात को मुझे कैसे याद किया" प्रेम ने भी उसी टोन में जवाब दिया




"जब चूत जागती है तब क्या वक़्त देखने का भैया, पति नहीं है वो इस निगोडी चूत को क्या पता, इसे तो बस रास्पान करना ही है..." स्नेहा ने अपनी चूत को उपर से सहलाना शुरू किया और प्रेम से बातें करने लगी... इधर शीना ने जब ध्यान से सुना तब उसे यकीन नहीं हुआ कि उसने स्नेहा के मूह से भैया शब्द ही सुना, इसलिए उसने एक बार फिर अपना मूह स्नेहा की तरफ घुमाया और आँखें बंद करके सोने की आक्टिंग करने लगी
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:47 PM

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