RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल कार में साइड सीट पर बैठा बाहर की और घूर रहा था जबकि सलोनी कार चला रही थी | सलोनी के होंठो पर हल्की सी मुस्कान बनी हुई थी और वो ड्राइव करती बार बार राहुल की और देख रही थी |
"नाराज़ हो?" सलोनी के पूछने पर राहुल कोई ज्वाब नही देता |
"इतनी नाराज़गी कि बात भी नही करोगे अपनी मम्मी से?" जब राहुल कोई ज्वाब नही देता तो सलोनी उसे फिर से बुलाती है मगर राहुल पहले की तरह बाहर देखता रहता है और अपनी मम्मी को कोई ज्वाब नही देता | सलोनी के होंठो की मुस्कराहट और भी बढ़ जाती है |
"अच्छा बताओ तुम्हे क्या चाहिए? किस चीज़ से तुम्हारी नाराज़गी दूर होगी?" सलोनी बेटे को मनाने का प्रयास करती बोलती है |
"मुझे कुछ नही चाहिए और ना ही मैं नाराज़ हूँ ... आपको जो चाहिए था वो आपको मिल गया, आप खुश हैं ना बस........... आप मेरी चिंता मत कीजिए" राहुल गुस्से से तीखे स्वर में ज्वाब देता है |
"ओह तो यह बात है........तो तुम सोचते हो कि मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिल गया इसीलिए मैं खुश हूँ और जो तुम्हे चाहिए था वो तुम्हे नही मिला और शायद इसीलिए तुम नाराज़ हो? है ना?" सलोनी एक हाथ से आराम से ड्राइव करती राहुल की जाँघ को सहला रही थी |
"नही आप ग़लत सोचती हैं, मैने आपसे कहा ना मुझे आपसे कुछ नही चाहिए और ना ही मैं आपसे नाराज़ हूँ" इस बार राहुल का स्वर और भी तीखा था |
"मैं अच्छी तरह से जानती हूँ तुम क्यों नाराज़ हो, मगर तुमने कौनसा कहा था कि तुम मेरी लेना चाहते हो? तुमने कहा एक बार भी? नही कहा.... मैने सोचा जितना मज़ा मुझे आया होगा तुम्हारे चाटने से उतना ही तुम्हे भी आया होगा इसीलिए मैने सोचा कि बाकी का मज़ा अब रात को कर लेंगे.... अगर मुझे मालूम होता कि तुम इस तरह नाराज़ हो जाओगे तो मैं तुम्हे देती ना!......पहले भी तो दी है ना.........तुमने मारी है ना मेरी......." सलोनी का हाथ राहुल की जाँघ पर उसके लौड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था |
"अच्छा अब मान भी जाओ ......." सलोनी के स्वर में मादकता भरती जा रही थी | "घर चल कर खूब मज़े से दूँगी........टाँगे उठाकर........उउउंम्म चाहो तो अपनी टाँगे तुम्हारे कंधे पर रखकर दूँगी........." सलोनी बात नही कर रही थी बल्कि बड़े ही मादक और कामुक स्वर में फुसफुसा रही थी और उसके हाथ की उंगलियाँ बार बार लंड से टकरा रही थी | राहुल चाहे अपनी मम्मी से बहुत नाराज़ था मगर उसकी अशलील भड़कायु बातों और हरकतों के कारण अपने तेज़ी से सखत हो रहे लौड़े को नही रोक सकता था | उसकी पेंट में टेंट बनाना शुरू हो चुका था |
"और अगर चाहो तो........तो मुझे घोड़ी बना लेना....... आज रात अपनी मम्मी को घोड़ी बना कर फिर मेरी ...... मेरी.......... हाइईए ..... पीछे से ......... पीछे से......." सलोनी राहुल के लंड को पेंट के उपर से मुठ्ठी में भर कर उसे मसलते हुए बोलती है | अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए जितनी कामुक आवाज़ में वो बोल रही थी उससे कहीं ज़्यादा कामुक उसके चेहरे के भाव थे | राहुल के दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी | उसकी साँसे उखड़ी हुई थी | पेंट में उसका लौड़ा पूरा तन कर झटके खा रहा था |
"पीछे से......पीछे से क्या मम्मी?" राहुल बिल्कुल धीमे से स्वर में बोलता है | वो भूल भी चुका था कि वो अपनी मम्मी से नाराज़ भी था |
"पीछे से....पीछे से......वो तू अपना मेरी मेरी उसमे......डाल कर.....और फिर......हाए अंदर-बाहर.....अंदर-बाहर.....ज़ोर से.......कस्स कस्स कर.....हाए मैं नही बोल सकती मुझे शरम आती है" सलोनी सचमुच ऐसे शरमाती है जैसे उसे बहुत शरम आ रही हो | उसका हाथ अभी भी राहुल के लंड को मसल रहा था |
"बताओ ना मम्मी......प्लीज़ मम्मी बताओ ना......" राहुल फुसफुसा कर बोलता है | उसके कान अपनी माँ के मुँह से वो अल्फ़ाज़ सुनने को तरस रहे थे |
"वो......वो....तू अपना अपना वो.....मेरी....मेरी इसमें डाल कर......हुमच हुमच कर.....हाए जब कस कस कर............अंदर बाहर.....अंदर बाहर........" अचानक सलोनी राहुल के लंड से हाथ हटा लेती है | वो सब्ज़ी मंड़ी के पास पहुँच गये थे |
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