RE: Adult Kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
कहाँ हम जैसे ग़रीब और मजबूर लोग जो पैसे-2 के लिए तरसते है और कहाँ वो नीता जो अपने आशिक के साथ एक रात बिताने के लिए 5000 रुपये उड़ा रही है. पर फिर मुझे अहसास हुआ कि, ये मेने क्या कर दिया. मेरी दोनो बेटियाँ अब 10थ क्लास पास कर चुकी थी. और आगे पैसे ना होने के कारण में उन्हे आगे नही पढ़ा पा रही थी. नीता मुझसे उम्र में 4-5 साल कम थी. में कैसे इतने बड़े लड़के को उसका बेटा बता सकती हूँ. फिर सोचा चलो जो होगा देखा जाएगा.
में बाहर आई, और किचन में चली गयी. ऑक्टोबर का महीना था. और बारिश से हवा भी ठंडी हो गयी थी. मतलब सॉफ था अब सर्दियाँ आने को है. जब में किचन में पहुची, तो रामा मेरी बड़ी बेटी ने पूछा. “माँ किसका फोन था” मेने अपने आप को संभाले हुए कहा.”वो मेरी एक सहेली का फोन था. तुम नही जानती उनको. वो किसी काम से अपने बेटे के साथ यहाँ आई थी. और टाइम से वापिस नही जा पे तो, आज रात वो यहा हमारे घर पर रुकेगी. तुम थोड़ा सा खाना ज़्यादा बना लो.
सोन्या: माँ ठीक है. पर घर पर दूध नही है. उनको चाइ तो पिलानी है ना.
में: हां ठीक है में दुकान से दूध लेकर आती हूँ.
फिर में घर के बाहर आई, तो देखा बारिश अब धीमी पड़ चुकी है. तेज हवा के साथ बारिश की हल्की फुहार का भी अहसास हो रहा था. हमारा घर एक छोटे से कस्बे में था और एक घर दूसरे घर से काफ़ी दूरी पर थे. में रास्ते पर चलती हुई दुकान पर पहुचि, दूध का पॅकेट लिया, और फिर घर की तरफ चल पड़ी.
में जैसे ही घर के बाहर पहुचि तो पीछे से गाड़ी की आवाज़ आई. गाड़ी हमारे घर के बाहर आकर रुकी, मेने पलट कर देखा तो उसमे से नीता नीचे उतर रही थी. नीता ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए देखा, और फिर मेरे पास आकर मुझे गले से मिली. “ओह्ह रेखा. कितने सालो बाद देख रही हूँ तुझे.” तभी मेरी नज़र पीछे खड़े लड़के पर पड़ी. जो टॅक्सी ड्राइवर को पैसे दे रहा था. जैसे मेने उसकी तरफ देखा. में एक दम से हैरान हो गयी.
मुझे अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था. सामने जो लड़का खड़ा था. वो मुस्किल से मेरे बेटी से एक दो साल बड़ा होगा. मेरे बेटी **** साल की थी. और छोटी उससे एक साल छोटी थी. में आँखें फाडे उसे देख रही थी. कभी नीता को देखती. नीता मेरे मन में उठ रहे सवालो को समझ चुकी थी. उसने अपने होंटो पर मुस्कान लाते हुए कहा. “अंदर चल बताती हूँ, अमित ये बॅग उठा कर अंदर ले आओ’थे. और बाकी के दो रूम और ऊपेर वाला रूम हमने रेंट पर दे रखे थी. [/size]
जिससे अब तक हमारा घर चलता आया था. पर पिछले कुछ महीनो से धीरे-2 हमारे सभी किरायेदार कमरे खाली कर चले गये थे. घर की आमदनी का एक लौता ज़रिया भी बंद हो चुका था. और उस महीने तो हमारी आर्थिक हालत और खराब हो चुकी थी. घर का राशन भी ख़तम हो चुका था. ऐसे में एका एक पैसे आ दिखे तो में सोच में पड़ गयी)
नीता: हेलो रेख क्या सोच रही है. हम यहाँ बस स्टॅंड पर है. बारिश में फँसे हुए है. बोल ना.
में: पर वो रामा और सोन्या उनको क्या.
नीता: अर्रे उनको बोल देना कि मेरी सहेली है, और जो लड़का है अमित उसको बोल देना मेरा बेटा है. उनको भी शक नही होगा.
मुझे नीता की बात सही लगी. मेने थोड़ी देर सोचने के बाद उससे कहा. ठीक है मुझे 5000 रुपये चाहिए. मेने मन ही मन सोचा कही मेने ज़्यादा पैसे तो नही माँग लिए. पर मुझे उस वक़्त बहुत हैरानी हुई, जब नीता ने मुझसे कहा कि ठीक है हम तुम्हारे घर आ रहे है.
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